व्यापारी, राजा और तीर्थयात्री History class 6 exercise अतिरिक्त प्रश्न
व्यापारी, राजा और तीर्थयात्री History class 6 exercise अतिरिक्त प्रश्न ncert book solution in hindi-medium
NCERT Books Subjects for class 6th Hindi Medium
अध्याय-समीक्षा
अध्याय - समीक्षा:
- दक्षिण सोना, काली मिर्च व कीमती पत्थरों के लिए प्रसिद्ध यहाँ का कावेरी मैदान भी उपजाऊ था|
- संगम कविताओं में मूवेन्दार शब्द का प्रयोग चोल, चेर व पांड्या के लिए (2300 साल पहले)|
- लगभग 2100 साल पहले पश्चिम भारत में सातवाहनों का प्रभुत्व| इन्होने पूर्वी, सातकणी हुए|
- रेशम बनाने का आविष्कार 7000 वर्ष पूर्व| कुछ शासक रेशम मार्ग पर नियंत्रण करना चाहते थे कषाण इसमें सफल हुए| 2000 साल पहले मध्य - एशिया व पश्चिमोत्तर भारत पर शासन|
- कुषाणों का प्रमुख शासक कनिष्क बुद्धचरित के रचनाकार अश्वघोष इसके दरबार में थे|
- फ़ा शियान 1600 साल पहले भारत आये, श्वेन त्सांग 1400 साल पहले तथा इतसिंग इसके 50 साल बाद भारत आये थे|
- हिन्दू सब का प्रयोग अरबों व ईरानियों द्वारा उन लोगों के लिए किया गया जो सिन्धु नदी के पूर्व में रहते थे|
- लगभग 1900 वर्ष पूर्व महायान का विकास इसकी दो विशेषता इसकी दो विशेषता: मूर्तियों द्वारा बुद्ध की उपस्थिति (संकेतोंके माध्यम से) पहले लोग ज्ञान प्राप्ति के बाद एकांत में रहकर साधना करते परन्तु अब ऐसा नहीं था| बौद्ध धर्म श्रीलंका, म्यांमार, थाईलैंड, इंडोनेशिया व अन्य देशों में फैला|
अभ्यास
अभ्यास - प्रश्नोत्तर:
आओं याद करे-
प्रश्न: निम्नलिखित के उपयुक्त जोड़े बनाओ -
दक्षिणापथ के स्वामी बुद्धचरित
मुवेन्दार महायान बौद्ध धर्म
अश्वघोष सातवाहन शासक
बेधिसत्त्व चीनी यात्री
श्वेन त्यांग चोल, चेर, पांड्य
उत्तर:
दक्षिणापथ के स्वामी सातवाहन शासक
मुवेन्दार चोल, चेर, पांड्य
अश्वघोष बुद्धचरित
बेधिसत्त्व महायान बौद्ध धर्म
श्वेन त्यांग चीनी यात्री
प्रश्न: राजा सिल्क रूट पर अपना नियंत्रण क्यों कायम कराना चाहते थे?
उत्तर: शासक कर के लाभ के लिए रेशम मार्ग पर नियंत्रण करना चाहते थे, क्योंकि इस रास्ते पर यात्रा कर रहे, व्यापारियों से उन्हें कर, शुल्क तथा तोहफों के माध्यम से लाभ मिलाता था|
प्रश्न: व्यापार तथा व्यापारिक रास्तों के बारे के जानने के लिए इतिहासकार किन - किन साक्ष्यों का उपयोग करते हैं?
उत्तर: इतिहासकार, व्यापार तथा व्यापारिक रास्तों के बारे में जानने के लिए बर्तनों का उपयोग करते हैं, ऐसा अनुमान लगाया जाता हैं कि जहाँ ये बर्तन बनते थे, वहाँ से व्यापारी अलग - अलग जगहों पर लि जाए होंगे|
प्रश्न: भक्ति की प्रमुख विशेषताएँ क्या था|
उत्तर: भक्ति की मुख्य विशेषताएँ हैं-
1. किसी डेवी या देवता क प्रति श्रद्धा को ही भक्ति कहा जाता हैं| भक्ति का पाठ सबके लिए खुला था, चाहे वह धनी हो या गरीब, ऊँची जाति का हो या नीची जाति का. स्त्री हो या पुरूष|
2. भक्ति मार्ग अपनाने वाले लोग आडंबर के साथ पूजा - पाठ करने के बजाए ईश्वर के प्रति लगन और व्यक्तिगत पूजा पर जोर देते थे|
3. भक्ति परंपरा ने चित्रकला, शिक्पकला और स्थापत्य कला के माध्यम से आभिव्यक्ति की प्रेरणा दी हैं|
प्रश्न: चीनी तीर्थयात्री भारत क्यों आए? कारण बताओ|
उत्तर: चीनी बौद्ध तीर्थयात्री फा - शिएन, इत्सिन और श्वेन त्यांग भारत की यात्रा पार आए थे| वे सब बृद्ध के जीवन से जुडी - जगहों और प्रसिद्ध मठों को देखने के लिए आए थे इसलिए वे सबसे पहले बृद्ध के जीवन से जुडी जगहों से परिचित हुए| वे प्रसिद्ध मठों को देखने गए| उन्होंने किताबों और बृद्ध की मूर्तियों को परिचित हुए| वे प्रसिद्ध मठों को देखने गए| उन्होंने किताबों और बृद्ध की मूर्तियों को इकठ्ठा किया| श्वेन त्यांग तथा अन्य तीर्थयात्रियोंने उस समय के सबसे प्रसिद्ध बौद्ध विघा केंद्र नालंदा (बिहार) में अध्ययन किया| यह उस समय का प्रसिद्ध बौद्ध मठ था|
प्रश्न: साधारण लोगों का भक्ति के प्रति आकर्षित होने का कौन - सा कारण होता हैं?
उत्तर: साधारण लोग भक्ति मार्ग या परंपरा की और इसलिए आकर्षित हुए, क्योंकि हमारी वैदिक परंपरा बहुत कठोर थी, इसमें जाती व वर्गें को ध्यान में रखा गया था| यह कुछ लोगों को ही पूजा करने की अनुमति नहीं देता था| वे मंदिर में भी प्रवेश नहीं कर सकते थे, लेकिन भक्ति का पाठ सबके लिए खुला था, चाहे वह धनी हो या गरीब, ऊँची जाती का हो या नीची जाती का, स्त्री हो या पुरूष|
प्रश्न: तुम बाज़ार से क्या - क्या सामान खरीदती हो उनकी एक सूची बनाओ| बताओ कि तुम जिस शहर या गाँव में रहती हो, वहाँ इनमें से कौन - कौन सी चीजें बनी थी और किन चीजों को व्यापारी बाहर से लाए थे?
उत्तर: बाज़ार से खरीदी गई वस्तुओं की सूची -
1. कपडे
2. मिट्टी से बनी वस्तुएँ
3. चावल
4. जूते
5. किताबे
ऊपर दि गई वस्तुओं में किताबे, कपडे तथा जूते व्यापारियों द्वारा बाहर से लाए जाते हैं, जबकि मिट्टी से बनी वस्तुएं व चावल शहर या गाँव में ही उपलब्ध होते हैं|
प्रश्न: आज भारत में लोग बहुत तीर्थयात्राएँ करते हैं| उनमें से एक के विषय में पता करों और एक संक्षिप्त विवरण दो| (संकेत: तीर्थयात्रा में स्त्री, पुरूष या बच्चों में से कौन जा सकते हैं? इसमें कितना वक्त लगता हैं? लोग किस तरह यात्रा करते हैं| वे अपनी यात्रा के दौरान क्या - क्या लि जाते हैं? तीर्थ स्थान पार पहुँचकर वे क्या करते हैं? क्या वे वापिस आते समय कुछ लाते हैं?)
उत्तर: लोग बहुत सारे स्थानों पर पूजा (तीर्थयात्राएँ) करते हैं, इनमें से एक स्थान हरिद्वार हैं| यह हिंदुओं के लिए प्रसिद्ध स्थान हैं, यहाँ हर कोई व्यक्ति जा सकता हैं| यह लोगों के लिए इसलिए महत्त्वपूर्ण हैं, क्योंकि यहाँ गंगा नदी पहाड़ों से निकलकर मैदानों में प्रवेश कराती हैं और लोग इस स्थान पार धार्मिक स्नान कर सकते हैं| गंगा का उदगम हिमालय में हुआ हैं, यहाँ भगवान शिव और अन्य देवी - देवताओं के बहुत सारे मंदिर हैं| सावन के महीने में लोग यहाँ उत्साह के साथ घूमने आते हैं और गंगा जल के साथ भगवान शिव की पूजा करते हैं| वे पवित्र गंगा जल लेकर स्थानों के लिए पैदल यात्रा करते हैं|
अतिरिक्त प्रश्न
अभ्यास - प्रश्नोत्तर:
प्रश्न: क्या तुम बता सकती हो कि ये सिक्के भारत कैसे और क्या पहुँचे होंगे?
उत्तर: रोम के व्यापारी समुद्री जहाजों तथ सड़क के रास्ते व्यापार करने के लिए दक्षिण भारत में आते थे और यहाँ के काली मिर्च, कीमती पत्थर, सोना तथा मसाले आदि खरीदने के लिए रोम के सिक्कों का प्रयोग करते थे इस प्रकार रोम के सिक्के भारत पहुँचे|
प्रश्न: कविता में उल्लिखित चीज़ों की एक सूची बनाओ| क्या तुम बता सकते हो कि इन चीज़ों का उपयोग किसलिए किया जाता होगा?
उत्तर:
कविता में उल्लिखित चीज़ें उपयोग
(i) घोड़े युद्ध के लिए
(ii) काली मिर्च मसाले के रूप में
(iii) रत्न आभूषण बनाने के लिए
(iv) सोना आभूषण बनाने के लिए
(v) चंदन की लकड़ी महलों की सजावट व इत्र बनाने
(vi) मोती आभूषण बनाने के लिए
(vii) मूँगे आभूषण बनाने के लिए
(viii) खाघान्न भोजन के लिए
(ix) मिट्टी के बर्तन खाना खाने के लिए
प्रश्न: क्या तुम बता सकती हो कि श्री सातकणी तटों पार नियंत्रण क्यों करना चाहता था?
उत्तर: श्री सातकणी तटों पार इसलिए नियंत्रण करना चाहता था क्योंकि तटों पार विदेशी व्यापारी आकर उतरते थे| और व्यापारियों कीमती उपहार लिए जाते थे तथा तटों के आसपास के इलाकों से भारी शुल्क वसूल किया जा सकता था जिसे राज्य की आय बढ़ सकती थी|
प्रश्न: सिल्क रूट गाड़ियों का उपयोग क्यों कठिन होता होगा?
उत्तर: सिल्क रूट गाड़ियों का उपयोग इसलिए कठिन होता क्योंकि ये रास्ते दुर्गम पहाड़ी तथा रेगिस्तानी इलाके में स्थित थे|
प्रश्न: चीन से समुद्र के रास्ते भी रेशम का निर्यात होता था| मानचित्र 6 में इसे ढूँढों| समुद्र के रास्ते रेशम भेजने में क्या सुविधाएं और क्या समस्याएँ आती होगी?
उत्तर: समुद्र के रास्ते रेशम भेजने में दुर्गम पहाड़ियाँ व रेगिस्तानी इलाके को पार करने परेशानियाँ नहीं होती थी, परन्तु समुद्री रास्ते में तेज़ वर्षा तथा समुद्री तूफानी हवाओं के कारण समुद्री जहाज के रास्ता भूताकाने या डूबने का खतरा रहता था|
प्रश्न: बाएँ: मथुरा में बनी बृद्ध की एक प्रतिमा का चित्र| दाएँ: तक्षशिला में बनी बृद्ध की प्रतिमा का एक चित्र| इन चित्रों को देखकर बताओं कि इनके बीच क्या - क्या समानताएँ हैं और क्या - क्या भिन्नताएँ हैं?
उत्तर:
समानताएँ -
1. भगवान बृद्ध दोनों चित्रों में अभय मुद्रा में हैं|
2. दोनों भगवान बृद्ध की उकेरी गई मूर्ति के चित्र हैं|
भिन्नताएँ -
1. एक चित्र में भगवान बृद्ध बैठे हुए हैं तथा दूसरे चित्र में भगवान बृद्ध खड़े हुए हैं|
2. बैठी हुई मूर्ति में भगवान बृद्ध का शरीर कपड़ों से ढका हुआ हैं जबकि खाड़ी हुई मूर्ति में भगवान बृद्ध की पीठ कपड़ों से ढकी हुई हैं|
प्रश्न: पृष्ठ 100 को एक बार फिर पढों| क्या तुम बता सकती हो कि बौद्ध धर्म इन इलाकों में कैसे फैला होगा?
उत्तर: पृष्ठ 100 पर श्रींलंका और म्यांमार का वर्णन हैं| शायद यहाँ जो व्यापारी करने के लिए आए होंगे| वे बौद्ध धर्म को मागते होगें| श्रीलंका और म्यांमार के लोग व्यापारियों के विचारों से प्रभावित हुए होगे| व्यापारिक संबंधों में वस्तुओं के आदान - प्रदान के साथ - साथ विचारों, भाषाओं, संस्कृति साहित्य, धर्म, खान - पान इत्यादि का भी आदान - प्रदान होता हैं इस प्रकार इन इलाकों में बौद्ध धर्म फैला होगा|
प्रश्न: बताओ कि फा - शिएन अपनी पांडुलिपियों और मूर्तियों को क्यों नहीं फेंकना चाहता था|
उत्तर: फा - शिएन बौद्ध धर्म का अनुयायी था| उसने पांडुलिपियां तथा मूर्तियाँ अपनी भरता यात्रा के दौरान संकलित की थी यह सब उसने काफी मेहनत तथा कई वर्षा तक भारत में घूम - घूम कर इकठ्ठा किया था जिसे वह फिर से प्राप्त नहीं कर सकता था इसलिए वह पांडुलिपियों और मूर्तियों को नहीं फेंकना चाहता था|
प्रश्न: श्वेन त्यांग नालंदा में क्यों पढना चाहता था, कारण बताओ?
उत्तर: उस समय का सबसे प्रसिद्ध बौद्ध विघा केंद्र नालंदा में था| नालंदा बौद्ध विघा केंद्र शिक्षक योग्यता तथा बृद्धि में सबसे आगे थे| बृद्ध के उपदेशों का वह पूरी ईमानदारी से पालन करते थे| पूरे दिन वाद - विवाद चलते ही रहते थे जिसमें युवा और वृद्ध दोनों ही एक - दूसरे की मद्द करते थे|
प्रश्न: कवि सामाजिक प्रतिष्ठा और शक्ति में किसकों ज्यादा महत्त्व देते हैं?
उत्तर: कवि समाजिक प्रतिष्ठा और भक्ति दोनों में से भक्ति को ज्यादा महत्त्व देते थे|
प्रश्न: मानचित्र 6 देखों और पत्ता लगाओं कि किस रास्ते से ईसाई धर्म प्रचारक भारत आए होगें?
उत्तर: ईसाई धर्म प्रचारक समुद्री मार्ग से भारत आए होगें|
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