इमारतें, चित्र तथा किताबें History class 6 exercise अतिरिक्त प्रश्न
इमारतें, चित्र तथा किताबें History class 6 exercise अतिरिक्त प्रश्न ncert book solution in hindi-medium
NCERT Books Subjects for class 6th Hindi Medium
अध्याय-समीक्षा
अध्याय - समीक्षा:
- भारत अत्यंत विकसित किस्म के लोहे का निर्माण करता था - खोता लोहा, पिटवा लोहा, ढलवा लोहा|
- महरौली (दिल्ली) में कुतुबमीनार के परिसर में खड़ा यह लौह स्तंभ भारतीय शिल्पकारों की कुशलता का एक अद्भुत उदहारण हैं|
- दिल्ली के कुतुबमीनार के परिसर में खड़ा लौह स्तंभ ऊँचाई 7.2 मीटर और वजन 3 टन से भी ज्यादा हैं तथा इसका निर्माण लगभग 1500 साल पहले हुआ|
- लौह स्तंभ पर खुदे अभिलेख से पाता चलता हैं इसमें 'चन्द्र' नाम के एक शासक का ज़िक्र हैं जो संभवत: गुप्त वंश के थे|
- स्तूप विभिन्न आकर के थे - कभी गोल या लंबे तो कभी बड़े या छोटे| उन सब में एक समानता हैं| प्राय: सभी स्तूपों के भीतर एक छोटा - सा डिब्बा रख रहता हैं| इन डिब्बों में बृद्ध या उनके अनुयायियों के शरीर के अवशेष (जैसे दांत, हड्डी या राख) या उनके द्वारा प्रयुक्त कोई चीज़ या कोई कीमती पत्थर अथवा सिक्के रखे रहते हैं| इसे धातु - मंजूषा कहते हैं|
- प्रारंभिक स्तूप, धातु - मंजूषा के ऊपर रखा मिट्टी का तिला होता था| बाद में टाइल को ईटों से धक दिया गया और बाद के काल में उस गुम्बदनुमा ढाँचे को तराशे हुए पत्थरों से ढक दिया गया|
- स्तूपों के चारों और परिक्रमा करने के लिए एक वृत्ताकार पाठ बना होता था, जिसे प्रदक्षिणा पथ कहते हैं| इस रास्ते को रेलिंग से घेर दिया जाता था जिसे वेदिका कहते हैं| वेदिका में प्रवेशद्वार बने होते थे| रेलिंग तथा तोरण प्राय: मूर्तिकला की सुन्दर कलाकृत्तियों से सजे होते थे|
- ईमारत की सजावट के लिए पैसे देने वालों में व्यापारी, कृषक, माला बनाने वाले, इत्र बनाने वाले, लोहार - सुनार, तथा ऐसे कई स्त्री - पुरूष शामिल थे जिनके नाम खभों, रेलिंगों तथा दीवारों पर खुदे हैं
- करीब 1800 साल पहले एक प्रसिद्ध तमिल महाकाव्य सिलप्पदिकारम की रचना इलागों नामक कवि ने की| इसमें कोवलन नाम के एक व्यापारी की कहानी हैं|
- इसी समय गणितज्ञ तथा खगोलशास्त्री आर्यभट्ट ने संस्कृत में आर्यभट्टीयम नामक पुस्तक लिखी|
अभ्यास
अभ्यास - प्रश्नोत्तर:
प्रश्न: निम्नलिखित का सुमेल करों|
स्तूप देवी - देवता की मूर्ति स्थापित करने की जगह
शिखर टीला
मण्डप स्तूप के चारों के इकठ्ठा होने की जगह
गर्भगृह मंदिर में लोगों के इकट्ठा होने की जगह
प्रदक्षिणापथ गर्भगृह के ऊपर लंबाई में निर्माण
उत्तर:
स्तूप टीला
शिखर गर्भगृह के ऊपर लंबाई में निर्माण
मण्डप मंदिर में लोगों के इकट्ठा होने की जगह
गर्भगृह देवी - देवता की मूर्ति स्थापित करने की जगह
प्रदक्षिणापथ स्तूप के चारों के इकठ्ठा होने की जगह
प्रश्न: खाली जगहों को भरो :
(क) ____________ खाली बड़े गणतिज्ञ थे|
(ख) ____________ में देवी - देवताओं की कहानियाँ मिलाती हैं|
(ग) _____________ को संस्कृत रामायण का लेखक माना जाता हैं|
(घ) _____________ और ___________ दो तमिल महाकाव्य हैं|
उत्तर:
(क) आर्यभट्ट
(ख) पुराणों
(ग) वाल्मीकि
(घ) सिलप्पदिकारम, मणिमेखलई|
प्रश्न: धातुओं के प्रयोग पर जिन अध्यायों में चर्चा हुई हैं, उनकी सूची बनाओ| धातु से बनी किन - किन चीजों के बारे में चर्चा हुई हैं या उन्हें दिखाया गया हैं?
उत्तर:
जिन अध्यायों में धातु के प्रयोग जिन धातुओं की बनी हुई वस्तुओं की चर्चा
पर चर्चा हुई अध्यायों में की गयी हैं|
अध्याय - 4 आरंभिक नगर ताँबा, सोना, चाँदी
अध्याय - 5 क्या बताती हैं हमें लोहा, सोना
किताबें और कब्रें
प्रश्न: पृष्ठ 122 पर लिखी कहानी को पढों| जिन राजाओं के बारे में तुमने अध्याय 5 और 10 में पढ़ा हैं| उनसे यह बंदर राजा कैसे भिन्न या समान था?
उत्तर: पृष्ठ 130 पर बंदर राजा की कहानी अध्याय अध्याय 6 और 11 में दिए गए राजाओं की तरह हैं| बंदर राजा भी अन्य शासकों की तरह एक विशाल सेना रखता था| वह स्वयं बुद्धिमान, कूटनीतिज्ञ और बहादुर था| वह सही समय पर उचित निर्णय लेने में समर्थ था, जब उसने देखा कि मानव राजा उसके समुदाय को मार डालना चाहता हैं तो बंदरों के राजा ने अपनी प्रजा को बचाने की एक योजना बनाई| उसने आम के पेड़ की टहनियों को तोड़कर उन्हें आपस में बाँधकर नदी पर पुल बनाया| इसके एक छोर को वह तब तक पकडे रहा जब तक उसकी साड़ी प्रजा ने नदी को पार न कर लिया| वह एक महान राजा था, लेकिन किसी भी रूप से यह मानव राजा से अलग नहीं था|
प्रश्न: और भी जानकरी इकट्टी कर किसी महाकाव्य से के कहानी सुनाओ|
उत्तर: हमारे महाकाव्य में बहुत सारी कहानियाँ हैं, जो हमें प्रभावित करती हैं| वे कहानियाँ आदर्श जीवन के लिए हमारा मार्गदर्शन करती हैं और शिक्षा देती हैं| ऐसी ही महाकाव्य महाभारत और रामायण हैं| ऐसी ही एक कहानी महाभारत महाकाव्य में हैं, इसमें कौरवों और पांडवों के बीच युद्ध की कहानी हैं| दोनों ही पक्ष युद्ध जीतने के लिए अपने - अपने नाते - रिश्तेदारों और अन्य राजाओं को अपने साथ मिलाना चाहते थे| श्रीकृष्ण महान शाक्तिशाली और भगवान की शाक्तियाँ रखता था| वह दोनों ही पक्षों से संबधित था| इसलिए दुर्यधन जो कौरवों में सबसे बहे थे| सहायता मांगने के लिए पहुँचे ठीक उसी दिन पांडवों में से अर्जुन भी सहायता भी माँगने के लिए श्रीकृष्ण के पास पहुँचे| श्रीकृष्ण उस समय सोये हुए थे, दुर्याधन घमंडी था, इसलिए वह श्रीकृष्ण के सर की तरफ बैठ गया| अर्जुन दुर्याधन के बाद पहुँचे और वह विनम्र भी थे इसलिए पैर की दिशा में बैठ गए| श्रीकृष्ण ने पहले ही घोषणा कर रखी थी कि जो भी मेरे पास पहले सहायता मांगने आएगा में उसका साथ दूंगा| दुर्याधन ने इसका विरोध किया और कहा की में पहले सहायता मांगने आया हूँ| कृष्ण ने कहा की अगर हम किसी से भी कुछ प्राप्त करना चाहते हैं तो इसके लिए हमें विनम्र होना पड़ेगा| इस प्रकार दुर्याधन ने श्रीकृष्ण के साथ को खो दिया| इस कहानी से यह शिक्षा मिलाती हैं कि हम जिससे सहायता की अपेक्षा करते हैं उनके साथ उदंडता का व्यवहार नहीं करना चाहिए|
प्रश्न: इमारतों तथा स्मारकों को अन्य प्रकार से सक्षम व्यक्तियों (विकलांग) के लिए और अधिक प्रवेश योग्य कैसे बनाया जाए? इसके लिए सुझावों की एक सूची बनाओ|
उत्तर: इमारतों तथा स्मारकों में ढलान वाले प्रवेश वाले प्रवेश द्वार की सुविधा होनी चाहिए -
- इमारतों तथा स्मारकों में ढलान वाले प्रवेश द्वार के साथ रेलिंग की सुविधा होनी चाहिए ताकि पहिए वाली कुर्सी का आसानी से प्रयोग किया जा सके|
- इस तरह के व्यक्तियों के लिए रोशनी का प्रबंध होना चाहिए तथा खली स्थान से अलग प्रवेश द्वार की व्यवस्था होनी चाहिए|
प्रश्न: कागज़ के अधिक से अधिक उपयोगों की सूची बनाओं|
उत्तर: कागज़ बहुत महत्त्वपूर्ण हैं| इसकी प्रयोग विभिन्न रूपों में किया जाता हैं| इसके कुछ्ह प्रयोग नीचे दिए गए हैं|
- हम लिखने के लिए कागज़ का प्रयोग करते हैं|
- वस्तुओं के पैकिट बनाने के लिए भी कागज़ का प्रयोग होता हैं|
- खेल का सामान जैसे कि बनाने में भी कागज़ का प्रयोग होता हैं|
- कृत्रिम गुलदस्ता बनाने में भी कागज़ का प्रयोग होता हैं|
प्रश्न: इस अध्याय में बताए गए स्थानों में से किसी एक को देखने का मौका मिले तो किसे चुनोने क्यों?
उत्तर: मैं महरौली (दिल्ली) को देखना पसंद करूँगा, मैं वहाँ लौंह स्तंभ देख सकेंगा| यह भारतीय शिल्पकारों की कशलता का एक उदाहरण हैं| आर्श्च की बात यह हैं इतने दिनों के बाद भी इसमें जंग लगा| इसी परोसर में कुतुबमीनार वास्तव में एक महान स्मारक हैं| मैं महरौली में एक मनोहर स्मारक देख सकेंगा|
अतिरिक्त प्रश्न
अतिरिक्त - प्रश्नोत्तर:
प्रश्न: कागज़ का अविष्कार कब किसने और कहा किया था?
उत्तर: कागज़ का अविष्कार करीब 1900 साल पहले कोई लुन नामक व्यक्ति ने चीन में लिया था|
प्रश्न: क्या तुम्हें लगता हैं कि कालिदास की प्रकृतिप्रेमी कहा जा सकता हैं?
उत्तर: हाँ, कालिदास को प्रकृतिप्रेमी कहा जा सकता हैं|
प्रश्न: कोई लून ने कागज़ किस विधि से तैयार किया था?
उत्तर: कोई लून ने पौधों के रेशों, कपड़ों, रस्सियों और पेड़ की छालों को पीट - पीट कर लुगदी बनाकर उसे पानी में भिगों दिया, फिर उस लुगदी को दबाकर उसका पानी निचोड़ा और तब सुखी कागज़ बनाया| आज भी कागज़ बनाने के लिए विधि को अपयाया जाता हैं|
प्रश्न: क्या तुम बता सकते हो कि इसकें कहानी का कौन - सा हिस्सा दिखाया गया हैं? यह हिस्सा क्यों चुना गया होगा?
उत्तर: इस कहानी के चित्र में राजा को अपनी प्रजा के साथ आमों का आनंद लेते दिखाया गया हैं| जिससे यह संदेश मिलाता हैं कि राजा अपनी प्रजा के साथ मिल - जुलकर रहता था| इसलिए ही इस हिस्से को चुना गया हैं|
प्रश्न: रोम के निवासी शून्य का प्रयोग किए बैगर करते थे| उसके बारे में और भी जानकारी हासिल करने की कोशिश करो|
उत्तर: कागज़ आज हमारे रोज़मर्रा की ज़िन्दगी का हिस्सा बन गया हैं| जो किताबें हम पढ़ते हैं वे कागज़ पर छापी होती हैं, उसी तरफ लिखने के लिए भी हम कागज़ का ही उपयोग करते हैं| कागज़ का आविष्कार करीब 1900 साल पहले कोई लून नाम के व्यक्ति ने चीन में किया| उसने पौधों के रेशों, कपड़ों, रस्सियों और पेड़ की छालों को पीट - पीट कर लुगदी बनाकर उसे पानी में भिगों दिया| फिर उस लुगदी को दबाकर उसका पानी निचोड़ा और तब सुखा कर कागज़ बनाया| आज भी हाथ से कागज़ बनाने के इसी विधि को अपनाया जाता हैं|
कागज़ बनाने की तकनीक को सदियों तक गुप्त रखा गया| करीब 1400 साल पहले यह कोरिया तक पहुँची| इसके तुरंत ही यह जापान तक फ़ैल गई| करीब 1800 साल पहले यह बगदाद में पहुँची फिर बगदाद से यह यूरोप, अफ्रीका और एशिया के अन्य भागों में फैली| इस उपमहाद्वीप में भी कागज़ की जानकारी बगदाद से ही आई|
प्रश्न: प्राचीन भारत की पांडुलिपियाँ किस चीज़ पर तैयार की जाती थी?
उत्तर: प्राचीन भारत की पांडुलिपियाँ ताड़पत्रों अथवा हिमालय क्षेत्र में उगने वाले भूर्ज नामक पेड़ की छाल से विशेष तरीके से तैयार भोजपत्र पर लिखि जाती थी| कल्पना करो| तुम एक मंदिर के मण्डप में बैठे हो| अपने चरों तरफ के दृश्य का वर्णन करो|
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