Chapter 8. क्षेत्रीय आकांक्षाएँ Political Science-II class 12 exercise page 3
Chapter 8. क्षेत्रीय आकांक्षाएँ Political Science-II class 12 exercise page 3 ncert book solution in hindi-medium
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अध्याय-समीक्षा
अध्याय-समीक्षा
- 1980के दशक को स्वायत्तता की माँग के दशक के रूप में देखा जा सकता है | इस दौर में देश के कई हिंस्सा से स्वायत्तात की माँग उठी और इसने संवैधानिक हदों को भी पार किया |राष्ट्र- निर्माण की प्रकिर्या और भारत संविधान के बारे में पढ़ते हुए विविधता के एक बुनियादी सिदांत की चर्चा हमारी नजरो से बार-बार गुजरी है : भारत में विभिन्न क्षेत्र और भाषायी समूहों को अपनी संस्कृति बनाए रखते का अधिकार होगा हमने एकता की भावधारा से बँधे एक ऐसे सामाजिक जीवन के निर्माण होता है |
- एसी व्यवस्था में कभी-कभी तनाव या परेशनिया खरी हो सकती है कभी एसी भी हो सकता है कि राष्ट्रीय एकता के सरोकार क्षेत्रीय आकाक्षाओ और जरूरतों पर भरी पड़े | 1950 के दशक के उतरार्द्र से पंजाबी-भाषी लोगो ने अपने लिए एक अलग राज्य बनाने की आवाज उठानी शुरू कर दी | उनकी मांग आख़िरकार मन ली गई और 1966 में पंजाब और हरियाणा नाम से राज्य बनाये गए |
- आपने जम्मू एवं कश्मीर में जरी हिंसा के बारे में सुना होगा | इसके परिणामस्वरूप अनेक लोगों की जन गई और कि परिवारों का विस्थ्पना हुआ | कश्मीर मुद्दा भारत और पाकिस्तान के बीच एक बड़ा मुद्दा रहा है |1947 से पहली जम्मू एवं कश्मीर में राजशाही थी | इसके हिन्दू शाहसक हरी सिह भारत में शामिल होना नही चाहते थे और उन्हेंने अपने स्वतंत्र राज्य के राज्य के लिए राज्य के लिए भारत और पाकिस्तान के साथ समझौता करने की कोशिश की |
- 1965 के हिन्दी विरोध आन्दोलन की सफलता ने डीएमके को जनता के बीच और भी लोकप्रिय बना दिया | और मार्च 1948 में शेख अब्दुल्ला जम्मू- कश्मीर राज्य के प्रधनमंत्री बने इसे संविधान में धारा 370 का प्रावधान करके संवैधनिक दर्जा दिया था |
- आप जानते है कि कश्मीर में धारा 370 के तहत विशेष दर्जा दिया गया है | धारा 370 एवं 371 के तहत किए गए विशेष प्रावधनो के बरी में आपने पिछले वर्ष भारतीय संविधान : सिदांत और व्यवहार में पढ़ा होगा धारा 370 के तहत जम्मू एवं कश्मीर को भारत लागू होता है |
- 1953 में शेख अब्दुल्ला को बर्खास्त कर दिया गया | सालो तक उन्हें नजरबंद रखा गया | 1953 से लेकर 1974 के बीच अधिकास समय इस राज्य की राजनीति पर कांग्रेस का असर रहा | कमजोर हो चुकी नेशनल कनोफेर्स ( शेख अब्दुल्ला के बीना ) कांग्रेस के समर्थन राज्य में कुछ समय तक सतासीन रही लेकिन बाद में वह कांग्रेस में मिला गई |
- प्रधनमंत्री इंदिरा गाँधी की 31 अक्टूबर 1984 के दिन उनके आवास के बहार उन्ही के अंगरक्षक सीखे थे और आपरेशन ब्लू स्टार का बदला लेना चाहते थे | एक तरफ पूरा देश इस घटना से शोक-संतप्त था तो दूसरा तरफ दिल्ली सहित उतर भारत में कोई हिन्स्सा में सिख समुदाय के विरूद हिंसा भरक उठी |
- पूर्वोतर में क्षेत्रीय आकाक्षाएँ 1980 के दशक में एक निर्णयात मोड़ पर आ गई थी | l क्षेत्र में साथ राज्य है और इन्ही सात बहने कहा जाता है | 4 फीसदी आबादी निवास करती है | 22 किलोमीटर लबी एक पतली -सी रहदारी इस इलाके को शेष भारत से जोडती है |
- 1979से 1985 तक चला असम आन्दोलन बाहरी लोगों के खिलापो चले आंदोलनों का सबसे अच्छा उदाहरण है |1979 में आंल असम स्टूडेट्स यूनियन (आसू-AASU) ने विदेशियों के विरोध में एक आन्दोलन चलाया |
- पहला और बुनियादी सबका तो यही है कि क्षेत्रीय आकांक्षाएं लोकतांत्रिक राजनीति का अभिन्न अंग हैं | तीसरी सबक है सता की साझेदारी के महत्व को समझना | सिर्फ लोकतात्रिक ढाँचा खड़ा कर लेना ही काफी नही है |
अभीयास
Q1. निम्नलिखित मे मेल करे :
अ | ब |
क्षेत्रीय आकाङ्क्षाओ की प्राकृति | राज्य |
(क) सामाजिक-धार्मिक पहचान के आधार पर राज्य क निर्मान | (i) नगालैण्ड् /मिजोरम |
(ख) भाषायी पहचान और केन्द्र के साथ तनाव् | (ii) झारखण्ड /छतीसगदः |
(ग) क्षत्रीय सन्तुलन के फलस्व्रूप राज्य क निर्मान | (iii) पंजाबी |
(घ) आदिवासी पहचान के आधार पर अलगाववदी माँग | तमिलनाडू |
|
उत्तर :
(क) सामाजिक-धार्मिक पहचान के आधार पर राज्य का निर्माण 3. पंजाब
(ख) भाषाई पहचान और केन्द्र के साथ तनाव 4. तमिलनाडु
(ग) क्षत्रिय सन्तुलन के फलस्वरूप राज्य का निर्माण 1. नागालैंड
(घ) आदिवासी पहचान के आधार पर अलगाववादी माँग 2. झारखण्ड/ छतीसगढ़
Q2. पूव्रोतर् के लोगोन की क्षेत्रीय आकक्षाओ की आभिव्यक्ति कई रूपों में होता है | बाहरी लोगों के
खिलाफ आन्दोलन , ज्यादा स्वायत्तता की मांग के आन्दोलन और अलग देश बनाने देश बनाने की माँग
करना -एसी ही कुछ अभिव्यक्ति हैं | पूर्वैतर के मानचित्र पर इन तीनों के लिए अलग-अलग रंग भरिए
और दिखाए कि राज्य में कौन-सी प्रवृति ज्यादा प्रबल है |
उत्तर :
Q3. पंजाब समझौता के मुख्या प्रावधान क्या थे ? क्या ये प्रावधन पंजाब और उसके पड़ोसी राज्यों
के बीच तनाव बढ़ाने के कारण बन सकते हैं ? तर्क सहित उतर दीजिए |
उत्तर :
1. मारे गए निरपराध व्यक्तियों के लिए मुआवजा :- एक सितम्बर, 1982 के बाद हुई किसी कार्यवाही या आन्दोलन में मारे गए लोगों को अनुग्रह राशि के भुगतान के साथ सम्पति की क्षति के लिए मुआवज़ा दिया जाएगा |
2. सेना में भर्ती :- देश के सभी नागरिको को सेना में भर्ती का अधिकार होगा और चयन के लिए केवल योग्यता ही आधार रहेगा |
3. नवम्बर दंगो की जाँच :- दिल्ली में नवम्बर में हुए दंगो की जाँच कर रहे रंगनाथ मिश्र आयोग का कार्यक्षेत्र बढाकर उसमे बोकारो और कानपुर में हुए उपद्रवों की जाँच को भी शामिल किया जाएगा |
4. सेना से निकाले हुए व्यक्तियों का पुनर्वास :- सेना से निकाले गए व्यक्तियों को पुनर्वास और उन्हें लाभकारी रोजगार दिलाने के प्रयास किए जाएँगे |
5. अखिल भारतीय गुरुद्वारा कानून :- भारत सरकार अखिल भारतीय गुरुद्वारा कानून बनाने पर सहमत हो गई | इसके लिए शिरोमणि अकाली दल और अन्य संबंधियों के साथ सलाह-मुश्वरा और संवैधानिक जरूरतें पूरी करने के बाद विधेयक लागु किया जाएगा |
6. लम्बित मुकदमों का फैसला :- सशस्त्र सेना विशेषाधिकारी कानून को पंजाब में लागू करने वाली अधिसूचना वापस ली जायगी | वर्तमान विशेष न्यायालय केवल विमान अपहरण तथा शासन के खिलाफ युद्द के मामले सुनेगी | शेष मामले सामान्य न्यायालयों को सौंप दिए जाएँगे और यदि आवश्यक हुआ तो इसके बारे में कानून बनाया जाएगा |
7. सीमा- विवाद :- चंडीगढ़ का राजधानी परियोजना क्षेत्र को सुखना ताल पंजाब को दिए जाएँगे | केन्द्र शासित प्रदेश के अन्य पंजाबी क्षेत्र पंजाब को तथा हिंदी भाषी क्षेत्र हरियाणा को दिए जाएँगे |
Q4. आन्दपुर साहिब प्रस्ताव के विवादास्पद होने के क्या कारण थे ?
उत्तर :
आनन्दपुर साहिब प्रस्ताव के विवादस्पद होने का मुख्य कारण यह था, की इस प्रस्ताव में पंजाब सूबे के लिए अधिक स्वायतता की माँग की गई, जोकि परोक्ष रूप से एक अलग सिख राष्ट्र की माँग को बढ़ावा देती हैं |
Q5. जम्मू-कश्मीर की अंदरुनी विभिन्नताओ की व्याख्या कीजिए और बताई कि इन विभिन्नताओ के
कारण इस राज्य में किस तरह अनेक क्षेत्रीय आकांक्षाओ ने सर उठाया है |
उत्तर :
जम्मू-कश्मीर में अधिकांश रूप में अंदरूनी विभिन्नताएं पाई जाती हैं | जम्मू- कश्मीर राज्य में जम्मू, कश्मीर और लद्दाख के क्षेत्र शामिल हैं | जम्मू पहाड़ी क्षेत्र है, इसमें हिन्दू, मुस्लिम और सिख अर्थात कई धर्मो एवं भाषाओँ के लोग रहते हैं | कश्मीर में मुस्लिम समुदाय की जनसंख्या अधिक है और यहाँ पर हिन्दू अल्पसंख्यक हैं | जबकि लद्दाख पर्वतीय क्षेत्र है, इसमें बौद्ध, मुस्लिम की आबादी है इतनी विभिन्नताओं के कारण यहां पर कई क्षेत्रीय आकांक्षाएं पैदा होती रहती है | जम्मू-कश्मीर में कई रजनीतिक दल हैं, जो जम्मू कश्मीर के लिए स्वायतता की माँग करते रहते हैं | इसमें नेशनल कांफ्रेंस सबसे महतवपूर्ण दल है | इसके अतिरिक्त कुछ उग्रवादी संगठन भी हैं, जो धर्म के नाम पर जम्मू-कश्मीर को भारत से अलग करना चाहते हैं |
Q6. कश्मीर की क्षेत्रीय स्वायत्तता के मसले पर विभिन्न पक्ष क्या हैं ? इनमे कौन-सा पक्ष आपको समुचित जान पड़ता है ? अपने उतर के पक्ष में तर्क दीजिए |
उत्तर :
कश्मीर के क्षेत्रीय स्वायतता के मसले पर मुख्य रूप से दो पक्ष सामने आते हैं | प्रथम पक्ष वह है, जो धारा 370 को समाप्त करना चाहता है, जबकि दूसरा पक्ष वह है, जो इस राज्य को और अधिक स्वायतता देना चाहता है | इन दोनों पक्षों का यदि उचित ढंग से अध्ययन किया जाए तो प्रथम पक्ष अधिक उचित दिखाई पड़ता है | जो लोग धारा 370 को समाप्त कराने के पक्ष में है, उनका तर्क है की इस धारा के कारण यह राज्य भारत के साथ पूरी तरह नहीं मिल पाया है | इसके साथ-साथ जम्मू- कश्मीर को अधिक स्वायतता देने से कई प्रकार की राजनितिक एवं सामाजिक समस्याएं भी पैदा होती है |
Q7. असम आन्दोलन सांस्कृतिक अभिमान और आर्थिक पिछड़ेपन की मिली -जुली अभिव्यक्ति था | व्याख्या कीजिए |
उत्तर :
(1) भारत का उत्तर- पूर्वी क्षेत्र सात राज्यों से मिलकर बनता है | इन सात राज्यों को सात बहनें भी कहकर बुला लिया जाता है | ये सातों राज्य भारत के अन्य राज्यों की तरह अधिक उन्नति कर पाए हैं | इसी कारण यहाँ पर आर्थिक तथा पिछड़ापन पाया जाता हैं | जिसके कारण यहां पर विदेशी ताकतों के समर्थन पर कुछ अलगाववादी तत्व अशांति फैलाते रहते है |
(2) इन राज्यों की अधिकतर जातियां पिछड़ी हुई हैं | संचार साधनों की कमी है, भाषा की विभिन्नता, यातायात के साधनों की कमी तथा अधिकांश बेरोजगारी पाई जाती है, जिसके कारण यहां के स्थानीय निवासी अलगाववादी गुटों के बहकावे में आ जाते है इन सभी राज्यों में अपने अलग-अलग रजनीतिक दल हैं, जो सत्ता प्राप्ति के लिए संघर्ष करते है |
(3) असम पूर्वोतर भारत का एक महत्वपूर्ण राज्य है असम राज्य में शामिल अलग-अलग धर्मो एवं भाषायी समुदायों ने सांस्कृतिक अभियान और आर्थिक पिछड़ेपन के कारण असम से अलग होने की माँग की | इसे ही असम आन्दोलन कहा जाता है | आजादी के समय में मणिपुर एवं त्रिपुरा को छोड़कर शेष क्षेत्र असम कहलाता था |
Q8. हर क्षेत्रीय आन्दोलन अलगाववादी माँग की तरफ अग्रसर नही होता |इस अध्याय से उदहारण देकर इस तथ्य की व्याख्या कीजिए |
उत्तर :
1980 के दशक में भारत में क्षेत्रीय आकान्शाएँ एवं संघर्ष भी धीरे-धीरे बढने लगा तथा इस दशक को स्वायतता की मांग के दशक के रूप में भी जाना जाने लगा | स्वायतता की माँग के लिए हिंसक आन्दोलन भी हुए तथा सरकार द्वारा उसे दबाने का प्रयास भी किया गया | इसके कारण कई राज्यों में रजनीतिक एवं चुनावी प्रक्रिया भी अवरुद्द हुई | स्वायतता की माँग करने वाले गुटों के साथ सरकार को समय-समय पर समझौता करना पड़ा | भारत में बहुत अधिक विविधता पाई जाती है, जिसके कारण क्षेत्रीय आकान्शाएँ एवं संघर्ष भी पैदा होते है | सरकार ने इन विविधताओं पर लोकतान्त्रिक दृष्टिकोण अपनाया है | भारत में अलग-अलग क्षेत्रों एवं दृष्टिकोण को प्रतिनिधित्व प्रदान करने के लिए अलग-अलग रजनीतिक दल पाए जाते हैं | भारत सरकार भी नीति मिर्माण की प्रक्रिया में क्षेत्रीय मुद्दों एवं समस्याओं को समुचित महत्व देती है, परन्तु फिर भी भारत के तनाव एवं संघर्ष पाया जाता रहा है तथा इस तनाव के दायरे अलग-अलग हैं, जैसे- भाषा, क्षेत्रवाद, पूर्वोतर की समस्याएं, नक्सलवादी गतिविधियाँ, दक्षिण राज्यों का हिंदी के विरुद्द आन्दोलन, पंजाबी भाषी लोगो द्वारा अपने लिए एक अलग राज्य की माँग करना तथा असम एवं मिजोरम की सम्सयाएँ इत्यादि | यहां पर यहाँ बात उल्लेखनीय है, की यद्दपि भारत के कई क्षेत्रों में काफी समय से कुछ अलगावादी आन्दोलन चल रहें है, परन्तु सभी आन्दोलन अलगाववादी आन्दोलन नहीं होते | अर्थात कुछ क्षेत्रीय आन्दोलन भारत से अलग नहीं होना चाहते, बल्कि अपने लिए अलग राज्य की माँग करते है, जैसे- झारखण्ड मुक्ति मोर्चा का आन्दोलन, छतीसगढ़ के आदिवासियों द्वारा चलाया गया आन्दोलन तथा तेलंगाना प्रजा समिति द्वारा चलाया गया आन्दोलन इत्यादि |
Q9. भारत के विभिन्न भागो से उठने वाली क्षेत्रीय मांगो से विविधता में एकता के सिदान्तकी अभिव्यक्ति होती है | क्या आप इस कथन से सहमत हैं ? तर्क दीजिए |
उत्तर :
भारत में विभिन्न जातियों के आगमन के कारण इसकी संस्कृति में सम्मिश्रण पाया जाता है |यहाँ पर भौगोलिक जलवायु, सामाजिक मान्यताओं, धर्म, भाषा, साहित्य कला, रहन-सहन, रीती-रिवाजों, खान-पान, वेश-भूषा आदि में विभिन्नताएं व विविधताएं पाई जाती है किन्तु इन विविधताओं में सहयोग, एकता व सह-अस्तित्व की स्पष्ट झलक प्राप्त होती है | विभिन्न धार्मिक विश्वासों के बावजूद ईश्वर की एकता, धर्म-निरपेक्षता, सहयोग, कर्म, उदारता, करुणा, सत्य पर द्रढ श्रद्धा आदि विचारो पर प्रत्येक भारतीय की समान आस्था है | यद्दपि बढती हुई जनसंख्या, विशाल भू-क्षेत्र, सामाजिक एवं सांस्कृतिक विविधताओं के अन्तर ने कई प्रकार के विरोध व टकराव पैदा किए हैं, किन्तु भारतीय सभ्यता की विशिष्टता तथा पहचान उसके परिवर्तन के साथ निरन्तरता, सहयोग व सदभावना में निहित है | सहयोग तथा पारस्परिक भाईचारा व अनेकता में बसी हुई एकता ही भारत की पहचान है |
10. नीचे लिखे अवतरण को पढ़े और इसके आधार पर पूछे गए प्रश्नों के उतर दें :
हजारिका का एक गीत ...एकता की विजय पर है : पूर्वोतर के सात राज्यों को गीत में एक ही माँ की सात बेटियाँ कहा गया है .... मेघालय अपने रस्ते गई ... अरूणाचल भी अलग हुई और मिजोरम असम के द्वारा पर दूल्हे की तरह दूसरी बेटी से ब्याह रचाने को खड़ा है....इस गीत का अंत असमी लोगों की एकता को बनाए रखने के संकल्प के साथ होता है | और इसमे समकालीन असम में मौजूद छोटी-छोटी कौमों को भी अपने साथ एकजुट रखने की बात कही गई है ..... करबी और मिजिंग भाई -बहन हमारी ही प्रियजन हैं |
(क) लेखक यहाँ किस एकता की बात कह रहा है ?
(ख) पुराने राज्य असम से अलग करके पूर्वोतर के अन्य राज्य क्यों बनाए गए ?
(ग) क्या आपको लगता है कई भारत के सभी क्षेत्रों के उपर एकता की यही बात लागो हो सकती है ? क्यों ?
उत्तर :
(क) लेखक यहाँ पर पूर्वोतर राज्यों की एकता की बात करता है |
(ख) सभी समुदायों की सांस्कृतिक पहचान बनाये रखने के लिए तथा आर्थिक पिछड़ेपन को दूर करने के लिए पुराने राज्य असम से अलग करके पूर्वोतर के अन्य राज्य बनाए गए |
(ग) भारत के सभी क्षेत्रो पर एकता की यह बात लागु हो सकती है, क्योंकि भारत के सभी राज्यों में अलग-अलग धर्मों एवं जातियों के लोग रहते हैं तथा डेस्क की एकता एवं अखंडता के लिए उनमें एकता कायम करना आवश्यक है |
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Political Science-II Chapter List
Chapter 1. राष्ट्र-निर्माण की चुनौतियाँ
Chapter 2. एक दल के प्रभुत्व का दौर
Chapter 3. नियोजित विकास की राजनीति
Chapter 4. भारत के विदेश सम्बन्ध
Chapter 5. कांग्रेस प्रणाली : चुनौतियाँ और पुनर्स्थापना
Chapter 6. लोकतांत्रिक व्यवस्था का संकट
Chapter 7. जन आन्दोलनों का उदय
Chapter 8. क्षेत्रीय आकांक्षाएँ
Chapter 9. भारतीय राजनीति : नए बदलाव
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