Chapter 6. लोकतांत्रिक व्यवस्था का संकट Political Science-II class 12 exercise page 3
Chapter 6. लोकतांत्रिक व्यवस्था का संकट Political Science-II class 12 exercise page 3 ncert book solution in hindi-medium
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अध्याय-समीक्षा
अध्याय-समीक्षा
- 1967 के बाद से भारतीय राजनीति में जो बदलाव आ रहे थे उनके बारे में हम पहले ही पढ़ चुके है | इंदिरा गाँधी क्छावर नेता के रूप में उभरी थी और उनकी लोकप्रियता अपने चरम पर थी | इस दौर में दलगत प्रतिस्पर्धा कही ज्यादा तीखी और धुर्वीक्रीत हो चली थी | इस अवधि में न्यायपालिका और सरकार के आपसी रिश्तो में भी तनाव आए | सर्वाच्च न्यायालय ने सरकार की कई पहलकदमियो को संविधान के विरूद माना |
- 1971 के चुनाव में काग्रेस ने गरीबी हटाओ ' का नारा दिया था | बहरहाल 1971-72 के बाद के सालो में भी देश की सामाजिक- आर्थिक दशा में खास सुधर नही हुआ | 1973 में चीज की कीमतों में 23 फीसदी और 1974 में 30 फीसदी का इजाफा हुआ | इस तीर्व मुल्यव्रीदी से लोगों को भारी कठिनाई हुई |
- 1972-73 के वर्ष में मानसून असफल रहा | इससे क्रीषी की पैदावार में भरी गिरावट आई |खाधान्न का उत्पादन 8 प्रतिशत कम हो गया | आर्थिक स्थिति की बदहाली को लेकर पूरे देश में असंतोष का माहौल था | 1960 के दशक से ही छात्रो के बीच विरोध के स्वर उठने लगे थे | ये स्वर इस अवधि में और ज्यादा प्रबल हो उठे |
- 1974 के मार्च माह में बढ़ती हुई कीमतों खाधान्न के अभाव , बेरोजगारी और भ्रष्टाचार के खिलाप बिहार में छात्रों ने आदोनल छेड़ दिया | आदोलन के कर्म में उन्होंने जयप्रकाश नारायण (जेपी) को बुलावा भेजा | जयप्रकाश नारायण के नेत्रर्त्व में चल रहे आदोलन के साथ ही साथ रेलवे के कर्मचारीयों ने भी एक राष्ट्रव्यापी का आहन किया |
- नक्सलवादी आदोलन ने धनी भुस्वमीयो से बलपूर्वक जमीन छीनकर गरीबी और भूमिकाहीन लोगो को दी | फिलहाल 9 राज्यों के लगभग 75 जिले नक्सलवादी हिसा से प्रभावित है इनमे अधिकार बहुत पिछड़े इलाके है और यहाँ आदिवासियों की जनसख्या ज्यादा है |
- दो और बातो ने न्यायपालिका और कार्यपालिका के संबंधों में तनाव बढ़ाया | 1973 में केश्वंद भारती के मुकदमे में सर्वाच्च न्यायालय द्वारा फैसला सुनाने के तुरंत बाद भारत के मुख्यालय न्यायाधीश का पद खाली हुआ | लेकिन 1973 में सरकार ने तीन वरिष्ठ न्यायाधीशों की अनदेखी करके न्यायमूर्ति ए .एन . रे को मुख्य न्यायधीश नियुक्त किया|
- 12 जून 1975 के दिन इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश जगमोहन लाल सिन्हा ने एक फैसला सुनाया | राजनारायण इंदिरा गाँधी के खिलाप 1971 में बतौर उम्मेदवार चुनाव में खड़े हुए थे |इन दलों ने 25 जून 1975 को दिल्ली के रामलीला मैदान में विशाल प्रदर्शन किया |
- 25 जून 1975के दिन सरकार ने घोषणा की देश में गडबडी की आशंका है और इस तर्क के साथ उसने संविधान के अनुच्छेद 352 को लागू कर दिया |तो गंभीर संगत की घड़ी आन पड़ी है और इस वजह से आपातकाल की घोषणा जरूरी हो गई है |
- 42 वे संशोधन के जरिए हुई अनेक बदलाव में एक था - देश की विधयिका के कार्यकाल को 5 से बढ़कर 6 साल करना | यह व्यवस्था मात्र आपातकाल की अवधि भर के लिए नही की ही थी |इस तरह देखे तो 1971 की बाद ऍम चुनावों 1976 के बदले 1978 में करवाए जा सकती थे |
- दरअसल कुल 676 नेताओ की गिरफ्तारी हुई थी | शाह आयोग का आकलन थी कि निवारक नजरबंदी के कानूनों के तहत लगभग एक लाख ग्यारह हजार लोगो को गिफ्तार किया गया | शाह आयोग ने अपनी रिपोर्ट में लिखाया है कि निगम महाप्रबंधन को दिल्ली के लेफित्नेट -गवर्नर के दफ्तर से 26 जून 1975 की रात 2 बजे मौखिक आदेश मिला है |
- 18 महीने के आपातकाल के बाद 1977 के जनवरी माह में सरकार ने चुनावों करने का फैसला किया |1977 के मार्च में चुनावों हुए | ऐसे में विपक्ष को चुनावों तैयारी का कम समय होता है |
- कांग्रेस को लोकसभा की मात्र 154 सीटे मिली थी | उसे 35 प्रतिशत से भी कम वोट हासिल हुए | जनता पार्टी और उसने साथी दलों को लोकसभा की कुल 542 सीटे में से 330 सीटे मिली खुद जनता पार्टी अकेले 295 सीटे पर जीते गई थी
- 1980 के जनवरी में लोकसभा के लिए सिरे से चुनाव हुई | इंदिरा गाँधी के नेत्रित्व में कांग्रेस पार्टी ने 1980 के चुनाव में एक बार फिर 1971 के चुनावों वाली कहानी दुहरात हुई भरी सफलता हासिल की कांग्रेस पार्टी को 353 सीटे मिली और वह सता में आई |1977-79 के चुनावों ने लोकतांत्रिक राजनितिक का एक और सबका सिकाया -सरकार अगर अस्थिर हो और भीतर कलह हो जाता है |
- 1977 और 1980 के चुनावों के बीच दलगत प्रणाली में नाटकीय बदलाव आए |1969 के बाद से कांग्रेस का सबलो समाहित करके चलाने वाला स्वभाव बदलना शुरू हुवा |
- आपातकाल और इसके आसपास की अवधि को हम संवैधानिक संघत की अवधि के रूप में भी देखा इन शक्तियों का आपातकाल के दौरान दुरूपयोग हुआ |
अभ्यास
Q1. बटाएँ कि आपातकाल के बारे में निम्नलिखित कथन सही है या गलत --
(क) आपातकाल की घोषणा 1975 में इदिरा गांधी ने की |
(ख) आपातकाल में सभी मौलिक अधिकार निश्तिक्री हो गए |
(ग) बिगडती हुई आर्थिक स्थिति के मछेनजर आपातकाल की घोषणा की गई थी |
(घ) आपातकाल के दौरान विपक्ष के अनेक नेताओ को गिरफ्तार कर लिया गया |
(ड.) सी.पी.आई ने आपातकाल की घोषणा का समर्थन किया |
उत्तर :
(क) सही (ख) सही (ग) गलत (घ) सही (ङ) सही |
Q2. निम्नलिखित में से कौन-सा आपातकाल की घोषणा के सन्दर्भ से मेल नही खाता है :
(क) संपूर्ण क्रांति का आह्वान
(ख) 1974 की रेल - हड़ताल
(ग) नक्सलवादी आदोलन
(घ) इलाहाबाद उच्च न्यायालय का फैसला
(ड.) शाह आयोग की रिपोर्ट के निष्कर्ष
उत्तर :
(ग) |
Q3. निम्नलिखित में मेल बैठाएँ
(क) संपूर्ण क्रांति | (i) इंदिरा गाँधी |
(ख) गरीबी हटाओ | (ii) जयप्रकाश नारायण |
(ख) छात्र आन्दोलन | (iii) बिहार आन्दोलन |
(ग) रेल हड़ताल | (iv) जांर्ज फर्नाडिस |
उत्तर :
(क) संपूर्ण क्रांति 1. जयप्रकाश नारायण
(ख) गरीबी हटाओ 2. इंदिरा गांधी
(ग) छात्र आन्दोलन 3. बिहार आन्दोलन
(ग) रेल हड़ताल 4. जांर्ज फर्नाडिस
Q4. किन कारणों से 1980 में मध्यावधि करवाने पड़े ?
उत्तर :
1980 में हुए मध्यावधि चुनाव का सबसे बड़ा कारण जनता पार्टी की सरकार की अस्थिरता थी | यद्दपि पार्टी ने 1977 के चुनावों में एकजुट होकर चुनाव लड़ा था, कांग्रेस पार्टी को चुनावों में हराया था, परन्तु जनता पार्टी के नेताओं में प्रधानमन्त्री के पद को लेकर मतभेद हो गए | पहले मोरारजी देसाई तथा बाद में कुछ समय के लिए चरण सिंह प्रधानमन्त्री इ | केवल 18 महीने में ही मोरारजी देसाई ने लोकसभा में अपना बहुमत खो दिया, जिसके कारण मोरारजी देसाई को त्याग- पत्र देना पड़ा | मोरारजी देसाई के पश्चात् चरण सिंह कांग्रेस i के समर्थन से प्रधानमंत्री बने, परन्तु चरण सिंह भी मात्र चार महीने ही प्रधानमन्त्री पद पर रह पाए, जिसके पश्चात्, 1980 में मध्यावधि चुनाव करवाए गए |
Q5. जनता पार्टी ने 1977 में शाह आयोग को नियुक्त किया था | इस आयोग की नियुक्ति क्यों की
गई थी और इसके क्या निष्कर्ष थे ?
उत्तर :
जनता पार्टी ने 1977 में शाह आयोग की नियुक्ति की | इस आयोग का मुख्य कार्य श्रीमती इंदिरा गांधी की सरकार द्वारा आपातकाल में किए गए अत्याचारों की जाचं करना था | शाह आयोग का निष्कर्ष था कि वास्तव में श्रीमती गांधी कि सरकार ने लोगों पर अत्याचार किये तथा उन्होंने स्वंम तानाशाही ढंग से शासन किया |
Q6. 1975 में राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा करते हुई सरकार ने इसके सरकार ने इसके क्या
कारण बताए थे ?
उत्तर :
1975 में राष्ट्रिय आपातकाल की घोषणा करते हुए सरकार ने कहा कि विपक्षी दलों द्वारा लोकतंत्र को रोकने की कोशिश की जा रही थी तथा लोगों कि सरकार को उचित ढंग से कार्य नही करने दिया जा रहा हैं | विपक्षी दल सेना, पुलिस कर्मचारियों तथा लोगों लो सरकार के विरुद्द भड़का रहे हैं | इसलिए सरकार ने राष्ट्रिय आपातकाल कि घोषणा की |
Q7. 1977 के चुनावों के बाद पहली दफा केंद्र में विपक्षी दल की सरकार बनी | एसा किन कारणों से
संभव हुआ ?
उत्तर :
Q8. हमारी राजव्यवस्था के निम्नलिखित पक्ष पर आपातकाल का क्या असर हुआ ?
(क) नागरिकों अधिकारों की रक्षा और नागरिकों पर इसका असर |
(ख) कार्यपालिका और न्यायपालिका के सम्बन्ध |
(ग) जनसंचार माध्यमों के कामकाज |
(घ) पुलिस और नौकरशाही की कार्रवाइयां |
उत्तर :
(क) आपातकाल के दौरान नागरिक अधिकारों को निलम्बित कर दिया गया तथा नागरिकों को बिना कारण बताए क़ानूनी हिरासत में लिया जा सकता था |
(ख) आपातकाल में कार्यपालिका एवं न्यायपालिका एक-दूसरे के सहयोगी हो गए, क्योंकि सरकार के प्रति वफादार रहने के लिए कहा तथा आपातकाल के दौरान कुछ हद तक न्यायपालिका सरकार के प्रति वफादार भी रही | इस प्रकार आपातकाल के दौरान न्यायपालिका कार्यपालिका के आदेशों का पालन करने वाली एक संस्था बन गई थी |
(ग) आपातकाल के दौरान जनसंचार पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया था, कोई भी अख़बार के विरुद्द कोई भी खबर या सम्पादकीय नहीं लिख सकता था तथा जो भी खबर अख़बार द्वारा छपी जाती थी, उसे पहले सरकार से स्वीकृति प्राप्त करनी पडती थी |
Q9. भारत की दलीय प्रणाली पर आपातकाल का किस तरह असर हुआ ? अपने उतर पुष्टि उदाहरण
से करे |
उत्तर :
आपातकाल का भारत की दलीय प्रणाली पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ा क्योंकि अधिकांश विरोधी दलों को किसी प्रकार की रजनीतिक गतिविधियों की इजाजत नहीं थी | आजादी के समय से लेकर 1975 तक भारत में वैसे भी कांग्रेस पार्टी का प्रभुत्व रहा तथा संगठित विरोधी दल उभर नहीं पाया, वहीं आपातकाल के दौरान विरोधी दलों की स्थिति और भी खराब हुई |
Q10. निम्नलिखित अवतरण को पढ़े और इसके आधार पर पूछे गया प्रश्नों के उतर दें -
1977 के चुनावों के दौरान भारतीय लोकतंत्र दो-दलीय व्यवस्था के जितना नजदीक आ गया था उतरा पहली कभी नही आया | बहरहाल अगले कुछ सालो में मामला पूरी तरह बदल गया | हराने के तुरंत बाद कांग्रेस दो टुकडो में बंट गई ...... जनता पार्टी में भी बड़ी अफरा-तफरी मची ........ डेविड बटलर अशोक लाहिड़ी और प्रणव रॉय
(क) किन वजहों से 1977में भारत की राजनीतिक दो-दलीय प्रणाली के समान जन पद रही थी ?
(ख) 1977 में दो से ज्यादा पार्टीयाँ अस्तित्व में थी | इसके बावजूद लेखकगण इस दौर को दो-
दलीय प्रणाली के नजदीक क्यों बता रहे है ?
(ग) कांग्रेस और जनता पार्टी में किन कारणों से टूट पैदा हुई ?
उत्तर :
(क) 1977 में भारत की रजनीति दो- दलीय प्रणाली के समान इसीलिए दिखाई पड़ रही थी, क्योंकि समय मुख्य रूप से केवल दो दल ही चुनावी दंगल में आमने- सामने थे, जिसमे सताधारी दल कांग्रेस एवं मुख्य विपक्षी दल जनता पार्टी के बीच मुख्य मुकाबला था |
(ख) यद्दपि 1977 में दो से ज्यादा पार्टियां अस्तित्व में थीं, परन्तु अधिकांश विपक्षी दलों जैसे संगठन कांग्रेस,जनसंघ, भारतीय लोकदल और सोशलिस्ट पार्टी ने मिल कर जनता पार्टी के नाम से एक पार्टी बना ली थी, जिस कारण 1977 ने केवल कांग्रेस एवं जनता पार्टी ही चुनावी दंगल में आमने-सामने थीं |इसीलिए लेखकगण इसी दौर को दो-दलीय प्रणाली के नजदीक बताते हैं |
(ग) कांग्रेस में 1977 में हुई हार के कारण नेताओं में पैदा हुई निराशा के कारण फूट पैदा हुई, क्योंकि अधिकांश कांग्रेसी नेता श्रीमती गांधी के चमत्कारिक नेतृत्व के मोहपाश से बाहर निकल चुके थे | दूसरी ओर जनता पार्टी में नेतृत्व को लेकर फूट पैदा हो गई थी |
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Political Science-II Chapter List
Chapter 1. राष्ट्र-निर्माण की चुनौतियाँ
Chapter 2. एक दल के प्रभुत्व का दौर
Chapter 3. नियोजित विकास की राजनीति
Chapter 4. भारत के विदेश सम्बन्ध
Chapter 5. कांग्रेस प्रणाली : चुनौतियाँ और पुनर्स्थापना
Chapter 6. लोकतांत्रिक व्यवस्था का संकट
Chapter 7. जन आन्दोलनों का उदय
Chapter 8. क्षेत्रीय आकांक्षाएँ
Chapter 9. भारतीय राजनीति : नए बदलाव
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