Chapter 8. हाशियाकरण से निपटना Civics class 8 exercise अतिरिक्त - प्रश्न
Chapter 8. हाशियाकरण से निपटना Civics class 8 exercise अतिरिक्त - प्रश्न ncert book solution in hindi-medium
NCERT Books Subjects for class 8th Hindi Medium
अध्याय - समीक्षा
अध्याय - समीक्षा:
- सामना करना उस तरीके को संदर्भित करता है जिसमें समूह और व्यक्ति मौजूदा असमानताओं को चुनौती देते हैं।
- कई मामलों में, हाशिए के समूहों को मौलिक अधिकारों से प्राप्त किया जाता है। इस मामले में, उन्होंने सरकार को इन कानूनों को लागू करने के लिए मजबूर किया।
- हाशिए के समूहों ने सरकार को नए कानून बनाने के लिए भी प्रभावित किया। अस्पृश्यता का उन्मूलन ऐसे ही उदाहरणों में से एक है।
- संविधान हमेशा हाशिए के समूहों को सामाजिक और सांस्कृतिक न्याय सुनिश्चित करने का प्रयास करता है। सरकार ने हाशिए के समूहों के लिए कई योजनाएं और नीतियां बनाई हैं और उन्हें बढ़ावा देने के प्रयास किए हैं।
- आरक्षण उनमें से एक है, जो दलितों और आदिवासियों को सामाजिक न्याय दिलाने में अहम भूमिका निभाता है.
- दलितों की सुरक्षा के लिए सरकार ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 बनाया है।
- 1989 का अधिनियम आदिवासियों को उस भूमि पर कब्जा करने के उनके अधिकार की रक्षा करने में भी मदद करता है जो परंपरागत रूप से उनकी थी।
- आदिवासी, दलित, मुस्लिम और महिलाएं सीमांत समूहों में आती हैं। ये समूह समाज में हर स्तर पर असमानता और भेदभाव का अनुभव करते हैं। इससे उन्हें दुख हुआ है, वे इससे बाहर आना चाहते हैं। वे अक्सर मौजूदा असमानताओं को चुनौती देते हैं।
- उनका तर्क है कि केवल एक लोकतांत्रिक देश के नागरिक होने के नाते, वे समान अधिकारों की प्रक्रिया करते हैं जिनका सम्मान किया जाना चाहिए। उनमें से कई अपनी चिंताओं को दूर करने के लिए संविधान की ओर देखते हैं।
- संविधान मौलिक अधिकार प्रदान करता है जो सभी भारतीयों को समान रूप से उपलब्ध हैं, जिनमें हाशिए के समूह भी शामिल हैं।
- लेकिन जैसा कि हाशिए के समूह समान अधिकारों का आनंद लेने में विफल होते हैं, वे सरकार से कानून लागू करने का आग्रह करते हैं।
- नतीजतन, सरकार मौलिक अधिकारों की भावना को ध्यान में रखते हुए नए कानून बनाती है।
- अस्पृश्यता का अंत कर दिया गया है। इसका मतलब यह हुआ कि अब से दलितों को खुद को शिक्षित करने, मंदिरों में प्रवेश करने, सार्वजनिक सुविधाओं का उपयोग करने आदि से कोई नहीं रोक सकता।
- हमारा संविधान कहता है कि भारत के किसी भी नागरिक के साथ धर्म, नस्ल, जाति, लिंग या जन्म स्थान के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाएगा। इसका उपयोग दलितों द्वारा समानता की तलाश के लिए किया गया है जहां उन्हें इससे वंचित किया गया है।
- हमारे देश में हाशिए के समूहों के लिए विशिष्ट कानून और नीतियां हैं।
- सरकार एक समिति का गठन करती है या एक सर्वेक्षण करती है और फिर विशिष्ट समूहों को अवसर देने के लिए ऐसी नीतियों को बढ़ावा देने का प्रयास करती है।
- सरकार दलित और आदिवासी समुदायों के छात्रों के लिए मुफ्त या रियायती छात्रावास प्रदान करके सामाजिक न्याय को बढ़ावा देने का प्रयास करती है।
- व्यवस्था में असमानता को समाप्त करने के लिए सरकार की आरक्षण नीति एक बहुत ही महत्वपूर्ण प्रयास है।
- दलितों और आदिवासियों के लिए शिक्षा और सरकारी रोजगार में सीटें आरक्षित करने वाले कानून एक महत्वपूर्ण तर्क पर आधारित हैं कि हमारे जैसे समाज में, जहां सदियों से आबादी के वर्गों को नए कौशल विकसित करने के लिए सीखने और काम करने के अवसरों से वंचित रखा गया है या व्यवसाय, एक लोकतांत्रिक सरकार को इन वर्गों की सहायता करनी चाहिए।
- देश भर की सरकारों के पास एससी या दलित, एसटी और पिछड़ी और सबसे पिछड़ी जातियों की अपनी सूची है। केंद्र सरकार के पास भी इसकी लिस्ट है.
- शैक्षणिक संस्थानों में आवेदन करने वाले और सरकारी पदों के लिए आवेदन करने वालों से अपेक्षा की जाती है कि वे जाति और जनजाति प्रमाण पत्र के रूप में अपनी जाति या जनजाति की स्थिति का प्रमाण प्रस्तुत करें।
- यदि कोई विशेष दलित जाति या एक निश्चित जनजाति सरकारी सूची में है, तो उस जाति या जनजाति का उम्मीदवार आरक्षण का लाभ उठा सकता है।
अभ्यास - प्रश्न
अभ्यास - प्रश्न:
प्रश्न: दो ऐसे मौलिक अधिकार बताइए जिनका दलित समुदाय प्रतिष्ठापूर्वक और समतापरक व्यवहार पर जोर देने के लिए हम इस्तेमाल कर सकते हैं | इस सवाल का जवाब देने के लिए पृष्ठ 14 (पाठ्यपुस्तक) पर दिए गए मौलिक अधिकारों को दोबारा पढ़िए |
उत्तर: दो ऐसे मौलिक अधिकार जिनका दलित समुदाय प्रतिष्ठापूर्ण और समतापरक व्यवहार पर जोर देने के लिए कर सकते हैं -
(i) समानता का अधिकार - कानून की नजर में सब लोग समान हैं | इसका मतलब है कि सबी लोगों को देश का कानून बराबर सुरक्षा प्रदान करेगा | इस अधिकार में यह भी कहा गया है की धर्म, जाति या लिंग के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाएगा
(ii) स्वतंत्रता का अधिकार - इस अधिकार के अंतर्गत अभिव्यक्ति और भाषण की स्वतंत्रता, संगठन बनाने की स्वतंत्रता, देश में कहीं भी आने-जाने की स्वतंत्रता तथा कोई भी कारोबार करने की स्वतंत्रता शामिल है |
प्रश्न: रत्नम की कहानी 1989 के अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के प्रावधानों को दोबारा पढ़िए | अब एक कारण बताइए कि रत्नम ने इसी कानून के तहत शिकायत क्यों दर्ज कराई ?
उत्तर: अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति अधिनियम 1989 के प्रावधानों के अनुसार ऊँचे वर्गों द्वारा दलित या आदिवासी समूह के साथ दुर्व्यवहार, शारीरिक रूप से खौफनाक और नैतिक रूप से निंदनीय अपमान गैर-क़ानूनी व दंडनीय अपराध है |
रत्नम की कहानी में उसे एक अनैतिक रस्म निभाने को कहा जाता है क्योंकि वह दलित है | जब वह इस रस्म को निभाने से इंकार कर देता है तो ऊँची जाति के लोगों से यहसहन नहीं होता | ऊँची जाती वालो ने रत्नम और उसके परिवार का उनके अपने समुदाय (दलित वर्ग) से बहिष्कृत कर दिया | एक रत कुछ लोगों ने उसकी झोपडी में आग लगा दी | अंततः रत्नम ने अपने गाँव में ऊँची जातियों द्वारा किए जा रहें भेदभाव और हिंसा का विरोध करने के लिए अनुसूचित जाति एवं जनजाति अधिनियम के तहत शिकायत दर्ज कराई और कानून का सहारा लिया |
प्रश्न: सी.के.जानू और अन्य आदिवासी कार्यकर्ताओं को ऐसा क्यों लगता है कि आदिवासी भी अपने परंपरागत संसाधनों के छीने जाने के खिलाफ 1989 के इस कानून का इस्तेमाल कर सकते है ? इस कानून के प्रावधानों में ऐसा क्या खास है जो उनकी मान्यता को पुष्ट करता है ?
उत्तर: 1989 के इस कानून में यह प्रावधान किया गया है कि अगर कोई भी व्यक्ति अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के किसी व्यक्ति के नाम पर आवंटित की गई या उसके स्वामित्व वाली जमीन पर कर्जा करता है या खेती करता है या उसे अपने नाम पर स्थानांतरित करवा लेता है तो उसे सजा दी जायगी |
आदिवासी कार्यकर्ता सी.के. जानू का भी यह कहना है जो आदिवासी पहले ही बेदखल हो चुके हैं और जो अब वापस नही लौट सकते उन्हें भी मुआवजा दिया जाना चाहिए | इसका मतलब यह है की सरकार ऐसी योजनाएं बनाए जिसके सहारे वे नए स्थानों में रह सकें और काम कर सकें |
अन्य आदिवासी कार्यकर्ता अपनी परंपरागत जमींन पर अपने कब्जे के बहाली के लिए 1989 के अधिनियम का सहारा लेते हैं | कार्यकर्ताओं का कहना है कि जिन लोगों ने आदिवासियों की जमींन पर जबरदस्ती कब्जा कर लिया है उन्हें इन कानून के तहत सजा दी जनि चाहिए | उनका कहना है कि संवैधानिक रूप से आदिवासियों की जमींन को किसी गैर आदिवासी व्यक्ति को नही बेचा जा सकता | जहां ऐसा हुआ है, वहां संविधान की गरिमा बनाए रखने के लिए उन्हें उनकी जमींन वापस मिलनी चाहिए|
अतिरिक्त - प्रश्न
अतिरिक्त - प्रश्न:
प्रश्न : हाशियाई तबकों ने मौलिक अधिकारों को किन दो रूपों में इस्तेमाल किया है ?
उत्तर:
(i) मौलिक अधिकारों पर जोर देकर उन्होंने सरकार को अपने साथ हुए अन्याय पर ध्यान देने के लिए मजबूर किया है।
(ii) उन्होंने इस बात के लिए दवाब डाला है कि सरकार इन कानूनों को लागू करे। कई बार हाशियाई
तबकों के संघर्ष की वजह से ही सरकार को मौलिक अधिकारों की भावना के अनुरूप नए कानून बनाने पड़े हैं।
प्रश्न: संविधान के किस अनुच्छेद में अस्पृश्यता या छुआछूत के उन्मूलन के लिए वर्णन किया गया है ?
उत्तर: संविधान के अनुच्छेद 17 और अनुच्छेद 15 में |
प्रश्न: अस्पृश्यता क्या है?
उत्तर: अस्पृश्यता एक सामाजिक कुरीति है जिसमें समाज के कुछ वर्गों के साथ छुआछूत या दुर्व्यवहार किया जाता है | जैसे-साथ पढना, मंदिरों में जाना और सामाजिक सुविधाओं के इस्तेमाल पर रोक लगाना आदि शामिल है |
प्रश्न: सामाजिक न्याय को प्रोत्साहन करने के लिए सरकार द्वारा कौन-कौन से कदम उठायें गए हैं ?
उत्तर:
(i) कई स्थानों पर दलितों और आदिवासियों को सरकार की ओर से मुफ्त या रियायती दरों पर उनकी अच्छी शिक्षा के लिए छात्रावास खोले गए है |
(ii) आरक्षण की व्यवस्था भी इन लोगों तक सामाजिक न्याय देने के उदेश्य से किया गया है |
(iii) शिक्षण संस्थानों में और सरकारियों में दलितों और आदिवासियों के सीटों की आरक्षण की व्यवस्था की गई है |
(iv) शिक्षण संस्थानों में इन वर्गों के विद्यार्थियों को सरकार विशेष छात्रवृति भी देती है |
Select Class for NCERT Books Solutions
NCERT Solutions
NCERT Solutions for class 6th
NCERT Solutions for class 7th
NCERT Solutions for class 8th
NCERT Solutions for class 9th
NCERT Solutions for class 10th
NCERT Solutions for class 11th
NCERT Solutions for class 12th
sponder's Ads
Civics Chapter List
Chapter 1. भारतीय संविधान
Chapter 2. धर्मनिरपेक्षता की समझ
Chapter 3. हमें संसद क्यों चाहिए
Chapter 4. कानूनों की समझ
Chapter 5. न्यायपालिका
Chapter 6. हमारी आपराधिक न्याय प्रणाली
Chapter 7. हाशियाकरण की समझ
Chapter 8. हाशियाकरण से निपटना
Chapter 9. जनसुविधाएँ
Chapter 10. कानून और सामाजिक न्याय
sponser's ads