Chapter 4. कानूनों की समझ Civics class 8 exercise अतिरिक्त - प्रश्न
Chapter 4. कानूनों की समझ Civics class 8 exercise अतिरिक्त - प्रश्न ncert book solution in hindi-medium
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अध्याय - समीक्षा
अध्याय - समीक्षा:
- भारतीय लोकतंत्र में कानून बनाने की जिम्मेदारी संसद की होती है। संविधान के अनुसार कानून के समक्ष सभी समान हैं।
- कानून का शासन सभी नागरिकों पर समान रूप से लागू होता है और कोई भी कानून से ऊपर नहीं हो सकता। न कोई सरकारी कर्मचारी और न ही देश का राष्ट्रपति।
- कोई भी अपराध या कानून का उल्लंघन विशिष्ट दंड के अधीन है।
- प्राचीन काल में इतने सारे कानून थे। ब्रिटिश सरकार ने कानून के शासन की शुरुआत की। यह कानून मनमाना था।
- भारत में, नागरिक दमनकारी कानूनों को स्वीकार करने के लिए बैठकें आयोजित करके या समाचार पत्रों में लिखकर अपनी अनिच्छा व्यक्त कर सकते हैं।
- जब कोई कानून एक समूह का पक्ष लेता है और दूसरे की अवहेलना करता है, तो उसे विवादास्पद कानून कहा जाता है। इस प्रकार का कानून संघर्ष की ओर ले जाता है।
- भारत में, अदालत को संसद द्वारा बनाए गए किसी भी प्रकार के विवादास्पद कानून को रद्द करने या संशोधित करने की शक्ति है।
- भारतीय राष्ट्रवादियों ने अंग्रेजों द्वारा सत्ता के मनमाने प्रयोग के खिलाफ आवाज उठाई। उन्होंने अधिक समानता के लिए लड़ना शुरू कर दिया और कानून के विचार को नियमों के एक सेट से बदलना चाहते थे, जिसका पालन करने के लिए उन्हें मजबूर किया गया था, कानून में न्याय के विचार शामिल थे।
- 19वीं सदी के अंत तक, भारतीय कानूनी पेशा भी उभरने लगा और औपनिवेशिक अदालतों में सम्मान की मांग की।
- भारतीय न्यायाधीश निर्णय लेने में बड़ी भूमिका निभाने लगे। उनके प्रयास व्यर्थ नहीं गए। औपनिवेशिक काल में कानून के शासन का उदय हुआ।
- जब भारतीय संविधान अस्तित्व में आया, तो हमारे प्रतिनिधियों द्वारा देश के लिए कानून बनाना शुरू किया गया।
- जब भी लोग सोचते हैं कि एक नया कानून जरूरी है, तो वे इसके लिए प्रस्ताव देते हैं। इसके बाद संसद आगे आती है और वही करती है जो जरूरी है।
- लोगों ने घरेलू हिंसा का मुद्दा उठाया। इसे संसद के ध्यान में लाया गया जिसने इस मुद्दे को जड़ से उखाड़ने के लिए 'घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम' पारित किया।
- नागरिकों की भूमिका संसद को उन विभिन्न चिंताओं को फ्रेम करने में मदद करने में महत्वपूर्ण है जो लोगों के कानूनों में हो सकती हैं।
- कभी-कभी ऐसा होता है कि संसद द्वारा पारित कानून अलोकप्रिय हो जाते हैं। कभी-कभी कोई कानून संवैधानिक रूप से वैध और इसलिए कानूनी हो सकता है, लेकिन यह लोगों के लिए अस्वीकार्य बना रह सकता है क्योंकि उन्हें लगता है कि इसके पीछे की मंशा अनुचित और हानिकारक है। ऐसे में लोग सभा आदि कर इस कानून को सभ्य बना सकते हैं।
- जब बड़ी संख्या में लोग किसी गलत कानून के खिलाफ आवाज उठाने लगते हैं तो संसद को इसे बदलना पड़ता है।
अभ्यास - प्रश्न
अभ्यास - प्रश्न:
प्रश्न: 'कानून का शासन' पद से आप क्या समझते हैं ? अपने शब्दों में लिखिए | अपना जवाब देते हुए कानून के उल्लंघन का कोई वास्तविक या काल्पनिक उदाहरण दीजिए |
उत्तर: 'कानून का शासन' का मतलब है कि सभी कानून देश के सभी नागरिको पर समान रूप से लागू होते हैं| कानून से उपर कोई व्यक्ति नही है | चाहे वे सरकारी अधिकारी हो या राष्ट्रपति हो | किसी भी अपराध या कानून के उल्लंघन की एक निश्चित सजा होती है | सजा तक पहुँचने की भी एक तय प्रक्रिया है जिसमे व्यक्ति का अपराध साबित किया जाता है |
कानून के उल्लंघन के उदाहरण :
(i) यदि गाड़ी चलते समय कोई लाल बत्ती पार करता है तो इसका मतलब है कि उसने यातायात के साधनों का उल्लंघन किया है |
(ii) हमारे पड़ोसी किसी कम से बाहर गए थे | उनकी गैर-हाजिरी में एक व्यक्ति उनके घर में घुस आया | वह सारा नकदी व जेवर चुरा कर ले गया | उस व्यक्ति ने चोरी का जुर्म किया था | यह भी कानून का उल्लंघन है |
प्रश्न: इतिहासकार इस दावे को गलत ठहराते हैं की भारत में कानून का शासन अंग्रेजों ने शुरू किया था| उसके कारणों में से दो कारण बताइए |
उत्तर: इतिहासकार इस दावे को गलत ठहराते हैं कि भारत कानून का शासन अंग्रेजों ने शुरू किया, क्योंकि -
(i) औपनिवेशिक कानून मनमानेपन पर आधारित था |
(ii) ब्रिटिश भारत में क़ानूनी मामलों के विकास में भारतीय राष्ट्रवादियों ने एक अहम् भूमिका निभाई थी |
प्रश्न: घरेलू हिंसा पर नया कानून किस तरह बना, महिला संगठनों ने इस प्रक्रिया में अलग-अलग तरीके से क्या भूमिका निभाई, उसे अपने शब्दों में लिखिए |
उत्तर: एक महिला संगठन के दफ्तर में कुछ औरतों ने शिकायत की कि उन्हें पति द्वारा पिता जाता है, घर में बुरा बर्ताव किया जाता है | जन सुनवाई द्वारा यह महसूस किया गया कि घरेलू हिंसा के मुद्दे से निपटने के लिए एक नया नागरिक कानून होना चाहिए | विचार-विमर्श के लिए अलग-अलग संस्थानों के साथ बैठक की गई | प्रेस कांफ्रेंस आयोजित की गई | मिडिया द्वारा लोगों को नए कानून की आवश्यकता के बारे में अवगत कराया गया | कई महिला संगठनों और राष्ट्रीय महिला आयोग ने संसदीय स्थायी समिति को अपने सुझाव सौंप दिए |
सन 2002 में स्थायी समिति ने अपनी सिफारिशें राज्यसभा को सौंप दी | इन सिफारिशों को लोकसभा में भी पेश किया गया | दोनों सदनों से मंजूरी मिल जाने के बाद उसे राष्ट्रिपति के पास स्वीकृति के लिए भेज दिया गया | घरेलू हिंसा महिला सुरक्षा कानून 2006 से लागु हुआ |
प्रश्न: अपने शब्दों में लिखिए कि अध्याय में आए निम्नलिखित वाक्य (पाठ्यपुस्तक पृष्ठ 44-45) से आप क्या समझते है ? अपनी बातो को मनवाने के लिए उन्होंने संघर्ष शुरू कर दिया | यह समानता का संघर्ष था | उनके लिए कानून का मतलब ऐसे नियम नहीं हे जिनका पालन करना उनकी मज़बूरी हो | वे कानून को उससे अलग ऐसी व्यवस्था के रूप में देखना चाहते थे जो न्याय के विचार पर आधारित हों |
उत्तर: अंग्रेजों ने भारत पर काफी लम्बे समय तक शासन किया | उनका शासन मनमानेपन पर आधारित था वे अपनी सहूलियत के अनुसार किसी भी समय कोई भी कानून बिना किसी आधार पर लागू कर देते थे | उनका कहना था की वे ऐसा शासन व्यवस्था कायम रखने के लिए करते हैं | जबकि हकीकत यह थी कि वे ऐसा भारतीय आम जनता को परेशान करने, प्रताड़ित करने के लिए करते थे | जैसे, 1870 में राजद्रोह एक्ट लागू करना | अंग्रेजों ने भारतीयों के साथ सदा भेदभाव की नीति अपनाई | काले (भारतीय) व गोरे (अंग्रेज) दोनों के लिए अलग-अलग कानून होते थे | यह अंग्रेजो द्वारा रंग के आधार पर भेदभाव था |
भारतीय राष्ट्रवादियों ने अंग्रेजो द्वारा सत्ता के इस मनमाने इस्तेमाल का विरोध व आलोचना की | अपनी बैटन को मनवाने के लिए उन्होंने संघर्ष शुरू कर दिया | उन्होंने सरकार में भारतियों की अधिक भागीदारी की माँग की | वे अपनी पहचान व आत्म-सम्मान के लिए संघर्ष करने लगे | उन्होंने भारतियों व अंग्रेजों के लिए एक जैसे कानून बनाने की माँग की | क़ानूनी पेशों में लगे भारतियों ने माँग की कि औपनिवेशिक अदालतों में उन्हें सम्मान की नजर से देखा जाए | राष्ट्रवादी अंग्रेजो द्वारा बनाये गए कानूनों को तोड़ने लगे, नियमो का उल्लंघन करने लगे | विरोध प्रदर्शन के लिए लोग सडकों पर उतर आए | भारतीय कानून विशेषज्ञ अपने देश के लोगों के अधिकारों की हिफाजत के लिए कानून का इस्तेमाल करने लगे |
अतिरिक्त - प्रश्न
अतिरिक्त - प्रश्न:
प्रश्न: क्या कानून सभी पर लागू होते हैं?
उत्तर: कानून व्यक्तियों के बीच उनके धर्म, जाति या लिंग के आधार पर भेदभाव नहीं कर सकता है। कानून के शासन का मतलब यह है कि सभी कानून देश के सभी नागरिकों पर समान रूप से लागू होते हैं और कोई भी कानून से ऊपर नहीं हो सकता है। न कोई सरकारी अधिकारी, न कोई धनी व्यक्ति और न ही देश का राष्ट्रपति भी कानून से ऊपर है। किसी भी अपराध या कानून के उल्लंघन की एक विशिष्ट सजा के साथ-साथ एक प्रक्रिया भी होती है जिसके माध्यम से व्यक्ति के अपराध को स्थापित करना होता है।
प्रश्न: नए कानून कैसे आते हैं?
उत्तर: कानून बनाने में संसद की अहम भूमिका होती है। ऐसे कई तरीके हैं जिनसे यह होता है।
- नागरिकों की भूमिका संसद को उन विभिन्न चिंताओं को फ्रेम करने में मदद करने में महत्वपूर्ण है जो लोगों के कानूनों में हो सकती हैं।
- एक नए कानून की स्थापना से लेकर उसके पारित होने तक, प्रक्रिया के हर चरण में, नागरिक की आवाज एक महत्वपूर्ण तत्व है। इस आवाज को टीवी रिपोर्टों, समाचार पत्रों के संपादकीय, रेडियो प्रसारण, स्थानीय बैठकों के माध्यम से सुना जा सकता है - ये सभी उस काम को बनाने में मदद करते हैं जो संसद करती है, लोगों के लिए अधिक सुलभ और पारदर्शी।
प्रश्न: अलोकप्रिय और विवादास्पद कानून क्या हैं?
उत्तर: कभी-कभी एक कानून संवैधानिक रूप से वैध और इसलिए कानूनी हो सकता है, लेकिन यह लोगों के लिए अलोकप्रिय और अस्वीकार्य बना रह सकता है क्योंकि उन्हें लगता है कि इसके पीछे की मंशा अनुचित और हानिकारक है। जब बड़ी संख्या में लोगों को लगने लगे कि गलत कानून पारित हो गया है, तो संसद पर इसे बदलने का दबाव होता है।
लोगों की भागीदारी और उत्साह संसद को अपने प्रतिनिधि कार्यों को ठीक से करने में मदद करता है।
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Civics Chapter List
Chapter 1. भारतीय संविधान
Chapter 2. धर्मनिरपेक्षता की समझ
Chapter 3. हमें संसद क्यों चाहिए
Chapter 4. कानूनों की समझ
Chapter 5. न्यायपालिका
Chapter 6. हमारी आपराधिक न्याय प्रणाली
Chapter 7. हाशियाकरण की समझ
Chapter 8. हाशियाकरण से निपटना
Chapter 9. जनसुविधाएँ
Chapter 10. कानून और सामाजिक न्याय
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