8. ईश्वर से अनुराग History class 7 exercise अतिरिक्त - प्रश्न
8. ईश्वर से अनुराग History class 7 exercise अतिरिक्त - प्रश्न ncert book solution in hindi-medium
NCERT Books Subjects for class 7th Hindi Medium
अध्याय - समीक्षा
अध्याय - समीक्षा:
- इन्होने संगम साहित्य (तमिल) की शिक्षाओं को अपने मूल्यों में समावेशित किया।
- नयनार और अलवार घुमक्कड़ साधु संत थे, वे स्थानीय देवी-देवताओं की प्रशंसा में सुन्दर कविताएं रचकर उन्हें संगीतबद्ध कर दिया करते थे।
- नयनार संत संख्या में 63 थे उनमे सर्वाधिक प्रसिद्ध थे-अप्पार , सबंदर और मणिककावसागार। उनके गीतों के दो संकलन है -तेवरम और तिरुवाचकम।
- अलवार संत संख्या में 12 थे उनमे सर्वाधिक प्रसिद्ध थे -पेरियअलवार , उनकी पुत्री अंडाल , तोंडरडिप्पोडी अलवार और वाममालवार।
- इसका प्रारम्भ बसवन्ना , अल्लामाप्रभु और अक्कमहादेवी के द्वारा।
- यह आंदोलन बारहवीं शताब्दी के मध्य में कर्नाटक में प्रारम्भ हुआ।
- ये सभी प्रकार के कर्मकांडों और मूर्तिपूजा के विरोधी थे।
- इन संत कवियों ने सभी प्रकार के कर्मकांडों, पवित्रा के ढोंगो और जन्म पर आधारित सामाजिक अन्तरो का विरोध किया।
- इन्होने सन्यास के विचार को ठुकराकर , परिवार के साथ रहकर, जरुरत मंदो की सेवा करते हुए जीवन विताने को अधिक पसंद किया।
- मुस्लिम विद्वानों (उलेमा) ने सरियत नाम से एक धार्मिक कानून बनाया।
- मध्य एशिया के महान सूफी संतो में गज्जाली , रूमी और सादी प्रमुख थे।
- इन्होने औलिया या पीर की देख रेख में जिक्र (नाम का जाप) , चिंतन , सभा (गाना) रक्स (नृत्य) निति चर्चा , साँस पर नियंत्रण आदि रीतियों का विकास किया।
- चिस्ती सिलसिला इन सभी सिलसिलो में सबसे अधिक प्रभावशाली था , जिसमे अजमेर के ख्वाजा मुइनुद्दीन चिस्ती , दिल्ली के कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी, पंजाब के बाबा फरीद, दिल्ली के ख्वाजा निजामुद्दीन औलिया और गुलबर्ग के बंदानवाज गिरसुंदराज थे।
- गुरुनानक ने उपासना और धार्मिक कार्यो के लिए जो जगह नियुक्त की थी उसे ' धर्मसाल ' कहा गया। आज इसे गुरुद्वारा कहते है।
- मृत्यु (1539) से पूर्व बाबा गुरुनानक ने लेहणा (गुरु अंगद) को उत्तराधिकारी चुना।
- गुरु अंगद ने बाबा गुरु नानक की रचनाओं का संग्रह गुरुमुखी में किया और उस संग्रह में अपनी कृतियाँ भी जोड़ दी।
- लूथर ने लैटिन भाषा के बजाए आमलोगों की भाषा को प्रोत्साहन किया।
- बाइबिल जर्मन भाषा में अनुमोदन किया।
- वे दण्डमोचन प्रथा के घोर विरोधी थे।
अभ्यास - प्रश्न
अभ्यास - प्रश्न:
प्रश्न: निम्नलिखित में मेल बताएं:
(क) बृद्ध नामघर
(ख) शंकरदेव विष्णु की पूजा
(ग) निज़ामुद्दीन औलिया सामाजिक संतरों पर सवाल उठाए
(घ) नयनार सूफ़ी संत
(च) अलवार शिव की पूजा
उत्तर:
(क) बृद्ध सामाजिक संतरों पर सवाल उठाए
(ख) शंकरदेव नामघर
(ग) निज़ामुद्दीन औलिया सूफ़ी संत
(घ) नयनार शिव की पूजा
(च) अलवार विष्णु की पूजा
प्रश्न: रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए:
(क) शंकर ..................... के समर्थक थे|
(ख) रामानुज .................... के द्वारा प्रभावित हुए थे|
(ग) ......................, .......................... और ......................... वीरशैव मत के समर्थक थे|
(घ) .................. महाराष्ट्र में भक्ति परंपरा का एक महत्त्वपूर्ण केंद्र था|
उत्तर:
(क) अद्वैत
(ख) अलवार
(ग) वसव्न्ना, अल्लामा - प्रभु, अक्कमहादेवी
(घ) पंढरपुर
प्रश्न: नाथपंथियों, सिद्धों और योगियों के विश्वासों और आचार व्यवहारों का वर्णन करे|
उत्तर: नामपंथी, सिद्ध और योगी इस काल में अनेक ऐसे धार्मिक समूह अभारे, जिन्होंने साधारण तर्क - वितर्क का सहारा लेकर रूढ़िवादी धर्म के कर्मकांडोंऔर अन्य बनावटी पहलुओं तथा समाज - व्यवस्था की आलोचना की है| उन्होंने संसार का त्याग करने का समर्थन किया| उनके विचार से अनुभूति ही मोक्ष का मार्ग हैं| इसके लिए उन्होंने योगासन, प्राणायाम और चिन्तन - मनन जैसी क्रियाओं के माध्यम से मन एवं शरीर को कठोर प्रशिक्षण देने की आवश्यकता पर बल दिया| उनके द्वारा की गई रूढ़िवादी धर्म की आलोचना ने भक्तिमार्गीय धर्म के लिए आधार तैयार किया, जो आगे चलाकर उत्तरी भारत में लोकप्रिय शक्ति बना|
प्रश्न: कबीर द्वारा अभिव्यक्त प्रमुख विचार क्या - क्या थे? उन्होंने इन विचारों को कैसे अभिव्यक्त किया|
उत्तर: कबीर द्वारा अभिव्यक्त प्रमुख विचार -
1. कबीर निराकार परमेश्वर में विशवास करते थे|
2. भक्ति के माध्यम से ही मोक्ष यानी मुक्ति प्राप्त हो सकती हैं|
3. हिंदू और इस्लाम धर्म में व्याप्त कुरीतियों की आलोचना की|
4. प्रत्येक व्यक्ति को ईश्वर के प्रति प्रेम - भाव रखना चाहिए|
5. हिंदू और मुसलमान एक ही इश्वर की सन्तान हैं|
6. धर्मं का अन्तर अथवा भेदभाव मानव द्वारा बनाया गया हैं|
प्रश्न: सूफियों के प्रमुख आचार - व्यवहार क्या थे?
उत्तर: सूफ़ी पंथ के आचार - विचार :
1. सूफ़ी पंथ धर्म के बाहरी आडम्बरों को स्वीकार करते हुए ईश्वर के प्रति प्रेम और भक्ति तथा सभी मनुष्यों के प्रति दयाभाव राकहने पर बल देते थे|
2. सूफ़ी संत इश्वर के साथ ठीक उसी प्रकार जुड़े रहना चाहते थे, जिस प्रकार एक प्रेमी दुनिया की| परवाह किए बना अपनी प्रियतम के साथ जुड़े रहना चाहत हैं|
3. इश्वर एक हैं, प्रेम - साधना उअर भक्ति द्वारा प्राप्त किया जा सकता हैं|
प्रश्न: आपके विचार से बहुत से गुरूओं ने उस समय प्रचालित धार्मिक विश्वासों तथा प्रथाओं को स्वीकार क्यों किया?
उत्तर: बहुत से गुरूओं ने उससमय प्रचालित धार्मिक विश्वासों तथा प्रथाओं की निम्न कारणों से अस्वीकार कर दिया -
1. प्राचीनकाल से चले आ रहे ऐसे धार्मिक कर्मकांड विश्वासों तथा प्रथाओं को निम्न प्रथाओं काफी जतिलाएं आ गई थीं|
2. प्राचीन काल से चली आ रही धार्मिक रीति - रिवाज एवं प्रथाओं में काफी जतिलताएँ आ गई थीं|
3. उस समय प्रचालित धार्मिक विशवास तथा प्रथाएं समानता पर आधारित नहीं थी| की वर्गेँ के साथ काफी भेदभाव किया जाता था|
प्रश्न: बाबा गुरूनानक की प्रमुख शिक्षाएं क्या थीं|
उत्तर: बाबा गुरूनानक की प्रमुख शिक्षाएं निम्न हैं :
1. एक ईश्वर की उपासना करणी चाहिए|
2. जाति - पाति और लिंग - भेद की भावना से दूर रहना चाहिए|
3. ईश्वर की उपासना करणी चाहिए, दूसरों का भला करना चाहिए|
4. उनके उपदेशों को नाम - जपना, कीर्तन कारन और वंड - छकाना के रूप में याद किया जाता हैं|
प्रश्न: जाति के प्रति वीर्शैवों अथवा महाराष्ट्र के संतों का द्दष्टिकोण कैसा था? चर्चा करें|
उत्तर: जाति के प्रति वीरशैवों के विचार - वीरशैवों ने सभी प्राणियों की समानता के पक्ष में और जाती तथा नारी के प्रति व्यवहार के बारे में ब्राह्मणवादी विचारधारा के विरूद्ध अपने प्रबल तर्क प्रस्तुत किए| इसके अलावा वे सभी प्रकार के कर्मकांडों और मूर्तिपूजा के विरोधी थे|
जाति के प्रति महराष्ट्र के संतों के विचार - महाराष्ट्र के संतों में जनेश्वर नामदेव, एकनाथ और तुकाराम आदि महत्त्वपूर्ण थे| संतों ने सभी प्रकार के कर्मकांडों, पवित्रता के ढंगों और जन्म पर आधारित सामाजिक अंतरों का विरोध किया|
प्रश्न: आपके विचार से जनसाधारण ने मीरा की याद को क्यों सुरक्षित रखा?
उत्तर: हमारे विचार से जनसाधारण ने मीराबाई की याद को निम्न कारणों से सुरक्षित रखा -
1. मीराबाई एक राजपूत राजकुमारी थीं उसका विवाह मेवाड़ के राजपरिवार में हुआ था, फिर भी उन्होंने रविदास जो अस्पृश्य जाती से संबधित थे, जो अपना गुरू बनाया|
2. उन्होंने भगवान कृष्ण की उपासना में अपने - आप को समर्पित कर दिया था| उन्होंने अपने गहरे भक्ति - भाव को कई भजनों में अभिव्यक्त किया हैं|
3. उनके गीतों ने उच्च जातियों के रीतियों - नियमों को खुली चुनौती दि तथा ये गीत राज्ज्स्थान व गुजरात के जनसाधारण में बहुत लोकप्रिय हुए|
अतिरिक्त - प्रश्न
अतिरिक्त - प्रश्न:
प्रश्न: दक्षिण भारत में भक्ति संत के विस्तार की प्रक्रिया समझाए?
उत्तर:
1. सातवीं से नौवीं शताब्दीयों के बीच कुछ नए धार्मिक आंदोलनों का नेतृत्व नयनारों (शैव संतों) और आलवारों (वैष्णव संतो) ने किया।
2. ये संत सभी जातियों के थे, जिनमे पुलैया और पनार जैसी ' अस्पृश्य ' समझी जाने वाली जातियों के थे।
3. वे बौद्धों और जैनों के कटु आलोचक थे।
4. इन्होने संगम साहित्य (तमिल) की शिक्षाओं को अपने मूल्यों में समावेशित किया।
5. नयनार और अलवार घुमक्कड़ साधु संत थे, वे स्थानीय देवी-देवताओं की प्रशंसा में सुन्दर कविताएं रचकर उन्हें संगीतबद्ध कर दिया करते थे।
6. नयनार संत संख्या में 63 थे उनमे सर्वाधिक प्रसिद्ध थे-अप्पार , सबंदर और मणिककावसागार। उनके गीतों के दो संकलन है -तेवरम और तिरुवाचकम।
7. अलवार संत संख्या में 12 थे उनमे सर्वाधिक प्रसिद्ध थे -पेरियअलवार , उनकी पुत्री अंडाल, तोंडरडिप्पोडी अलवार और वाममालवार।
8. उनके गीत दिव्य प्रबंधम में संकलित है।
प्रश्न: उत्तर भारत में दक्षिण बदलाव का विस्तार समझाइए?
उत्तर:
1. तेरहवीं सदी के उत्तर भारत में भक्ति अंडोला लहर को इस्लाम, ब्राम्हणवादी हिन्दू धर्म, सूफीमत , भक्ति की विभिन्न धाराओं (तथपंथियों, सिद्धो तथा योगियों) ने प्रभावित किया।
2. रामचरित्र मानस - तुलसीदास द्वारा अवधि में रचित (ईश्वर को राम) के रूप में दर्शाया।
3. सूरदास- ये श्रीकृष्ण के अनन्य भक्त थे उनकी रचनाए सूरसागर, सूरसारावली और साहित्य लहरी है।
4. असम के शंकर देव - ये परवर्ती पंद्रहवी सदी के थे (विष्णु की भक्ति पर बल)।
5. असमियाँ भाषा में कवियाए तथा नाटक के लिए इन्होने ही 'नामघर' (कविता पाठ और प्रार्थना गृह) स्थापित करने की पद्धति चलाई।
5. नामघर परम्परा में दादू दलाल, रविदास और मीराबाई जैसे संत भी शामिल थे।
प्रश्न: अन्यत्र - मार्टिन लूथर किंग कौन हे?
उत्तर: अन्यत्र - मार्टिन लूथर किंग ने लैटिन भाषा के बजाए आमलोगों की भाषा को प्रोत्साहन किया| बैकिल जर्मन भाषा में अनुमोदन किया| वे दंद्मोचं प्रथा के घोर विरोधी थे|
प्रश्न: कबीर कौन थे?
उत्तर: ये पंद्रहवीं से सोलहवीं सदी में हुए|
1. इनका पालन पोषण बनारस के पास जोलहा परिवार में हुआ|
2. इनके कुछ भजन गुरू ग्रन्थ साहब, पंचवानी और बीजक में संगृहीत एवं सुरक्षित हैं|
3. ये निराकार परमेश्वर में विशवास रखते थे|
4. हिन्दू तथा मुसलमान दोनों लोग इनके अनुयायी हो गए|
प्रश्न: इस्लाम था सूफी संत कौन थे?
उत्तर:
1. सूफीसंत रहस्यवादी थे|
2. इस्लाम में एकेश्वरवाद यानी एक अल्लाह के प्रति पूर्ण समर्पण का ढूढता से प्रचार किया|
3. इन्होने पूर्ती पूजा को अस्वीकार कर दिया और उपासना पद्धति को सामूहिक प्रार्थना नमाज दे कर उन्हें काफी सरल बना दिया|
4. मुस्लिम विद्वानों (उलेमा) से सरियत नाम से एक धार्मिक कानून बनाया|
5. मध्य एशिया के महान सूफी संतों में गज्जली, रूमी और सादी कानून बनाया|
6. इन्होनें औलिया या पीर की देख रेख में ज्रिक (नाम का जाप), चिंतन, सभा (गाना) रक्स (नृत्य) निति चर्चा, साँस पर नियंत्रण आदि रीतियों का विकास किया|
7. चिस्ती सिलसिला इन सभी सिलसिलों में सबसे अधिक प्रभावशाली प्रभावशाली था, जिससे अजेमर के ख्वाजा मुईनुद्दीन चिस्ती, दिल्ली के कुतुबुद्दीन बख्तियार काफी, पंजाब के बाबा फरीद, दिल्ली के खवाजा निजामुद्दीन औलिया और गुलबर्ग के बंदानवाज गिरासुंदराज थे|
8. खान कहाँ - सूफी संतों का विशेष बैठकों का स्थल|
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History Chapter List
1. हज़ार वर्षों के दौरान हुए परिवर्तनों की पड़ताल
2. नए राजा और उनके राज्य
3. दिल्ली के सुलतान
4. मुग़ल साम्राज्य
5. शासक और इमारतें
6. नगर, व्यापारी और शिल्पिजन
7. जनजातियाँ, खानाबदोश और एक जगह बसे हुए समुदाय
8. ईश्वर से अनुराग
9. क्षेत्रीय संस्कृतियों का निर्माण
10. अठारहवीं शताब्दी में नए राजनीतिक गठन
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