10. अठारहवीं शताब्दी में नए राजनीतिक गठन History class 7 exercise अतिरिक्त - प्रश्न
10. अठारहवीं शताब्दी में नए राजनीतिक गठन History class 7 exercise अतिरिक्त - प्रश्न ncert book solution in hindi-medium
NCERT Books Subjects for class 7th Hindi Medium
अभ्यास - समीक्षा
अध्याय - समीक्षा:
- अफगानी शासक अहमदशाह अब्दाली ने 1748-1761 के बीच पाँच बार उत्तरी भारत पर आक्रमण किया और लूटपाट मचाई (1713-1754) और शाह आलम द्वितीय (1754-1759) की हत्या और दो अन्य बादशाहों, अहमदशाह (1748-1754) और शाह आलम द्वितीय को उनके अभिजातों ने अँधा कर दिया।
- आसफ जाह ने दक्कन के विद्रोहों और दरबार की प्रतिस्पर्धा का फायदा उठाकर हैदराबाद का स्वतत्र शासक बन गया।
- आसफ जाह ने मनसबदार नियुक्त किए और इन्हे जागीरे प्रदान करि।
- हैदराबाद राज्य पश्चिम की ओर मराठों और पठारी क्षेत्र के तेलगू सेनानायको से युद्ध में सदा संलग्न रहता था।
- उसने अनेक राजपूत जमींदारियों और रुहेलखंड के अफगानो की उपजाऊ कृषि भूमियों जो अपने राज्य में मिला लिया।
- सआदत खान ऋण प्राप्त करने के लिए स्थानीय सेठ , साहूकारों और महाजनों पर निर्भर रहता था।
- वह राजस्व का ठेका सबसे ऊँची बोली लगाने वाले इजारेदार को देता था।
- जोधपुर राजघराने ने नागौर को जीत लिया , वही अम्बर ने भी बूंदी के बड़े-बड़े हिस्सों पर अपना कब्ज़ा कर लिया।
- सवाई राजा जय सिंह ने जयपुर में अपनी नई राजधानी स्थापित की और 1722 में उसे आगरा की सूबेदारी मिल गई।
- सत्रहवीं शताब्दी के दौरान सिक्ख एक राजनैतिक समुदाय के रूप में गठित हो गए।
- गुरु गोविन्द ने 1699 में खालसा पंथ की स्थापना से पूर्व और उसके पश्चात् राजपूत व मुग़ल शासकों के खिलाफ कई लड़ाइयाँ लड़ी।
- 1708 में गुरु गोविन्द सिंह की मृत्यु के बाद बंदा बहादुर के नेतृत्व में ' खालसा ' ने मुग़ल सत्ता के खिलाफ विद्रोह किए।
- इससे सिंधिया, गायकवाड़ और भोसले जैसे मराठा सरदारों को शक्तिशाली सेनाएं खड़ी करने के लिए संसाधन मिले।
- उज्जैन सिंधिया के संरक्षण में और इंदौर होल्कर के में आश्रय में फलता-फूलता रहा। मराठों द्वारा नियंत्रित इलाकों में व्यापार के नए मार्ग खुले।
- चूड़ामल में नेतृत्व में दिल्ली के पश्चिमी क्षेत्रो पर नियंत्रण।
- 1680 के दशक तक दिल्ली और आगरा पर प्रभुत्व।
- जाट, समृद्ध कृषक थे उनके प्रभुत्व क्षेत्र में पानीपत तथा बल्लभगढ़ जैसे शहर महत्वपूर्ण व्यापारिक केंद्र बन गए।
- सूरजमल के राज्य में भरतपुर शक्तिशाली राज्य के रूप में उभरा।
- फ़्रांसिसी और अमीरीकी क्रांतियों ने धीरे-धीरे प्रजाओं को नागरिको में बदल डाला।
अभ्यास - प्रश्न
अभ्यास - प्रश्न:
प्रश्न: निम्नलिखित में मेल बैठाएँ:
सूबेदार एक राजस्व कृषक
फौजदार उच्च अभिजात
इजारादार प्रांतीय सूबेदार
मिस्ल मराठा कृषक योद्धा
चौथ एक मुगल सैन्य कमांडर
कुनबी सिख योद्धाओं का समूह
उमरा मराठों द्वारा लगाया गया कर
उत्तर:
सूबेदार प्रांतीय
फौजदार एक मुगल सैन्य कमांडर
इजारादार एक राजस्व कृषक
मिस्ल सिख योद्धाओं का समूह
चौथ मराठों द्वारा लगाया गया कर
कुनबी मराठा कृषक योद्धा
उमरा उच्च अभिजात सूबेदार
प्रश्न: रिक्त स्थान की पूर्ति करें:
(क) औरंगजेब ने ....................... में एक लंबी लड़ाई लड़ी।
(ख) उमरा और जागीरदार मुगल ....................... के शक्तिशाली अंग थे।
(ग) आसफ जाह ने हैदराबाद राज्य की स्थापना ..................... में की।
(घ) अवध राज्य का संस्थापक ........................... था।
उत्तर:
(क) दक्कन
(ख) साम्राज्य
(ग) 18 वीं शताब्दी
(घ) असाद्त खॉ
प्रश्न: बताएँ सही या गलत:
(क) नादिरशाह ने बंगाल पर आक्रमण किया।
(ख) सवाई राजा जयसिंह इन्दौर का शासक था।
(ग) गुरु गोबिंद सिंह सिक्खों के दसवें गुरु थे।
(घ) पुणे अठारहवीं शताब्दी में मराठों की राजधनी बना।
उत्तर:
(क) गलत
(ख) गलत
(ग) सही
(घ) सही
प्रश्न: सआदत ख़ान के पास कौन-कौन से पद थे?
उत्तर: असादत खान के पास निम्नलिखित पड़ थे:
1. सूबेदारी
2. फौजदारी
3. दीवानी
प्रश्न: अवध् और बंगाल के नवाबों ने जागीरदारी प्रथा को हटाने की कोशिश क्यों की?
उत्तर: अवध और बंगाल के नवाबों ने जगिदारी प्रथा को निम्न कारणों से हटाने की कोशिश की :
1. दोनों नवाब मुग़ल शासन के प्रभाव को काम करना चाहते थे|
2. राजस्व एके पुर्ननिर्धारण के लिए|
3. अपने विशवास लोगों की नियुक्ति के लिए|
4. ज़मीदारों द्वारा की जाने वाली धोखाधड़ी को रोकने के लिए|
प्रश्न: अठारहवीं शताब्दी में सिक्खों को किस प्रकार संगठित किया गया?
उत्तर: अठारहवीं शताब्दी में कई योग्य नेताओं के नेतृत्व में सिक्खों ने अपने - अपने आपको पहले 'जत्थों' में और बाद में निसलों में संगठित किया| इन जत्थों और मिसलों की संयुक्त सेनाएं 'डल खालसा' कहलाती थीं| इन बैठकों में वे सामूहिक निर्न्न्य लिए जाते थे, जिन्हें गुरामत्ता (गुरू के प्रस्ताव) कहा जाता है| सिक्खों ने राखी व्यवस्था स्थापित की, जिसके अंतर्गत किसानों से उनकी उपज का 20 प्रतिशत कर के रूप में लेकर बदले में उन्हें संरक्षण प्रदान किया जाता था|
प्रश्न: मराठा शासक दक्कन के पार विस्तार क्यों करना चाहते थे?
उत्तर: मराठा शासक निम्न कारणों से दक्कन के पार साम्राज्य का विस्तार करना चाहते थे :
1. मराठा सरदारों को शक्तिशाली सेनाएं खाड़ी करने के लिए संसाधन मिल सके|
2. एक बड़े क्षेत्र पर शासक स्थापित करने के लिए|
3. उत्तरी मैदानी भागों के उपजाऊ क्षेत्रों पर नियंत्रण स्थापित करने के लिए|
4. अधिक - से - अधिक क्षेत्रों से चौथ तथा सरदेशमुखी वसूल करने के लिए|
प्रश्न: आसफजाह ने अपनी स्थिति को मशबूत बनाने के लिए क्या-क्या नीतियाँ अपनाईं?
उत्तर: आसफजाह द्वारा अपनी स्थिति को मजबूत बनाने के लिए अपनाई गई नीतियाँ :
1. असाफ्जाह अपने लिए कुशल सैनिकों तथा प्रशासकों को उत्तरी भारत से लाया था|
2. उसने मनसबदार नियुक्त किए और इन्हें जागीरें प्रदान की|
3. हैदराबाद राज्य पश्चिम की और मराठों के विरूद्ध और पठारी क्षेत्र के स्वतंत्र तेलुगु सेनानायकों के साथ युद्ध करने के लिए भी कूटनीति का सहारा लिया|
प्रश्न: क्या आपके विचार से आज महाजन और बैंकर उसी तरह का प्रभाव रखते हैं, जैसा कि वे अठारहवीं शताब्दी में रखा करते थे?
उत्तर: हमारे विचार में आज महाजन और बैंकर उस तरह का प्रभाव नहीं रकहते, क्योंकि 18 वें सदी में महाजन और बैंकार निम्न तरीके से राज्य को प्रभावित करते थे :
1. राज्य ऋण प्राप्त करने के लिए स्थानीय सेठ, साहूकारों और महाजनों पर निर्भर रहता था|
2. साहूकार महाजन लोग लगान वसूल करने वाले इजारेदारों को पैसा उधार देते थे, बदले में बंधंक के रूप में ज़मीन रख लेते थे|
3. साहूकार महाजन जैसे के नाए ने सामजिक समूह राज्य की राजस्व प्रणाली के प्रबंध को भी प्रभावित करने लेगे थे|
अतिरिक्त - प्रश्न
अतिरिक्त - प्रश्न:
प्रश्न: हैदराबाद की वर्णन कीजिए?
उत्तर: हैदराबाद की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं :
1. संस्थापक निजाम-उल-मुल्क आसफ जाह (1724 - 1748)
2. आसफ जाह मुग़ल बादशाह फर्रुखसियर के दरबार का शक्तिशाली सदस्य था।
3. आसफ जाह को अवध की सूबेदारी सौंपी गई थी। और बाद में दक्कन का कार्यभार दिया गया।
4. आसफ जाह ने दक्कन के विद्रोहों और दरबार की प्रतिस्पर्धा का फायदा उठाकर हैदराबाद का स्वतत्र शासक बन गया।
5. आसफ जाह ने मनसबदार नियुक्त किए और इन्हे जागीरे प्रदान करी।
6. हैदराबाद राज्य पश्चिम की ओर मराठों और पठारी क्षेत्र के तेलगू सेनानायको से युद्ध में सदा संलग्न रहता था।
7. आसफ जाह ने कोरोमंडल तट के वस्त्रोत्पादक धन संपन्न क्षेत्र को नियंत्रण में लेने का प्रयास किया परन्तु ब्रिटिश शक्ति ने उसे रोक दिया।
प्रश्न: अवध का वर्णन कीजिए?
उत्तर: अवध की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं :
1. सआदत खान को 1722 में अवध का सूबेदार नियुक्त किया गया था।
2. अवध एक समृद्ध शाली प्रदेश था, जो गंगा नदी के उपजाऊ मैदान में फैला हुआ था और उत्तरी भारत तथा बंगाल के बीच व्यापार का मुख्य मार्ग उसी में से होकर गुजरता था।
3. सआदत खान ने अवध में मुगलो का प्रभाव कम करने के लिए मुगलो द्वारा नियुक्त अधिकारीयों की संख्या में कटौती कर दी।
4. उसने अनेक राजपूत जमींदारियों और रुहेलखंड के अफगानो की उपजाऊ कृषि भूमियों जो अपने राज्य में मिला लिया।
5. सआदत खान ऋण प्राप्त करने के लिए स्थानीय सेठ , साहूकारों और महाजनों पर निर्भर रहता था।
6. वह राजस्व का ठेका सबसे ऊँची बोली लगाने वाले इजारेदार को देता था।
प्रश्न: बंगाल का वर्णन कीजिए?
उत्तर:
1. मुर्शीद कुली खान बंगाल का नायब था (प्रान्त के सूबेदार के प्रतिनियुक्त)|
2. मुर्शीद कुली खान औपचारिक रूप से सूबेदार कभी नहीं बना।
3. बंगाल के राजस्व का बड़े पैमाने पर पुनर्निधारण किया।
4. उसके द्वारा जमींदारों से कठोरता से राजस्व नगद वसूल किया जाता था।
5. बहुत से जमींदारों को राजस्व चुकाने के लिए महाजनों तथा साहूकारों से उधर लेना पड़ता था। जो लोग राजस्व का भुगतान नहीं कर पाते थे उन्हें अपनी जमीने बड़े जमीदारों को बेचनी पड़ती थी।
प्रश्न: राजपूतों की वतन जागीरें कौन कौन सी थी?
उत्तर:
1. अम्बर और जोधपुर के राजघराने मुग़ल व्यवस्था में सेवारत रहे थे।
2. जोधपुर के राजा अजीत सिंह को गुजरात की सूबेदारों और अम्बर के राजा जयसिंह को मालवा की सूबेदारी मिल गई।
3. बादशाह जहांदार शाह ने 1713 में इन राजाओं के इन पदों का नवीनीकरण कर दिया
4. जोधपुर राजघराने ने नागौर को जीत लिया , वही अम्बर ने भी बूंदी के बड़े-बड़े हिस्सों पर अपना कब्ज़ा कर लिया।
5. सवाई राजा जय सिंह ने जयपुर में अपनी नई राजधानी स्थापित की और 1722 में उसे आगरा की सूबेदारी मिल गई।
6. 1740 के दशक से राजस्थान में मराठों के अभियानों से इन रजवाड़ों का विस्तार रुक गया।
प्रश्न: सिक्ख समुदायों का वर्णन कीजिए?
उत्तर:
1. सत्रहवीं शताब्दी के दौरान सिक्ख एक राजनैतिक समुदाय के रूप में गठित हो गए।
2. गुरु गोविन्द ने 1699 में खालसा पंथ की स्थापना से पूर्व और उसके पश्चात् राजपूत व मुग़ल शासकों के खिलाफ कई लड़ाइयाँ लड़ी।
3. 1708 में गुरु गोविन्द सिंह की मृत्यु के बाद बंदा बहादुर के नेतृत्व में 'खालसा' ने मुग़ल सत्ता के खिलाफ विद्रोह किए।
4. उसने गुरुनानक और गुरु गोविन्द सिंह के नामो वाले सिक्के गढ़कर अपने शासन को सार्वभौम बताया।
5. 1715 में बंदा बहादुर को बंदी बना लिया गया और उसे 1716 में मार दिया गया।
6. अठारहवीं शताब्दी में सिक्खों ने अपने आप को पहले जत्थों में और बाद में ' मिस्लों ' में संगठित किया।
7. इन जत्थो और मिस्लों की संयुक्त सेनाएं दल खालसा कहलाती थी।
8. इन बैठकों में सामूहिक निर्णय लिए जाते थे जिन्हे गुरमत्ता (गुरु के प्रस्ताव) कहा जाता था।
9. सिक्खों ने राखी व्यवस्था स्थापित की जिसके अंतर्गत किसानों से उनकी उपज का 20 प्रतिशत कर के रूप में लेकर बदले में उन्हें संरक्षण प्रदान किया जाता था।
10. खालसा ने मुग़ल सूबेदारों व अहमदशाह अब्दाली का विरोध किया।
11. सिक्के पर उत्कीर्ण शब्द वही थे जो बंदा बहादुर के समय में खालसा के आदेशों में पाए जाते है।
12. महाराजा रणजीत सिंह ने विभिन्न सिक्ख समूहों में फिर से एकता कायम करके लाहौर को अपनी राजधानी बनाया।
प्रश्न: मराठा का वर्णन कीजिए?
उत्तर:
1. शिवाजी (1627-1680) ने शक्तिशाली योद्धा परिवारों (देश मुखों) की सहायता से एक स्थाई राज्य की स्थापना की।
2. कृषक -पशुचारक (कुनबी) मराठो की सेना के मुख्य आधार बन गए।
3. शिवाजी की मृत्यु (1680) के पश्चात् , मराठा राज्य में प्रभावी शक्ति , चितपावन ब्राम्हणों के एक परिवार के हाथ में रही।
4. ये (चितपावन ब्राम्हण) शिवाजी के उत्तराधिकारियों के शासनकाल में 'पेशवा' (प्रधानमंत्री) के रूप में अपनी सेवाएं देते रहे।
5. पुणे मराठा राज्य की राजधानी बना।
6. पेशवा मुगलों की किले पर हमले न करके चुपचाप शहरों और कस्बे पर हमला बोलते थे।
7. 1720 के दशक तक इन्होने मुगलो से मालवा और गुजरात छीन लिया।
8. 1730 दशक तक मराठा नरेश को समस्त दक्कन प्रायद्वीप में अधिपत्य हो गया साथ ही इस क्षेत्र पर चौथ और सरदेशमुखी कर वसूलने का अधिकार भी मिल गया।
9. जमीदारों द्वारा वसूले जाने वाले भूराजस्व का 25 प्रतिशत। दक्कन में इसको मराठा वसूलते थे।
10. दक्कन के मुख्य राजस्व संग्रहकर्ता को दिए जाने वाले भू-राजस्व का 9-10 प्रतिशत हिस्सा।
11. 1739 में दिल्ली पर धावा वोलने के बाद मराठा प्रभुत्व की सीमाएं तेजी से बढ़ी।
12. ये उत्तर में राजस्थान और पंजाब, पूर्व में बंगाल और उड़ीसा तथा दक्षिण में कर्नाटक और तमिल एवं तेलगू प्रदेशों तक फ़ैल गई। (औपचारिक रूप से मराठा साम्राज्य में सम्मिलित नहीं किया था लेकिन यहाँ से भेट की रकम ली जाने लगी)
13. 1761 में पानीपत की तीसरी लड़ाई में अन्य शासकों से कोई सहायता नहीं मिली।
14. मराठों ने प्रभावी शासन व्यवस्था के अंतर्गत कृषि को प्रोत्शाहित और व्यापार को पुनर्जीवित किया।
15. इससे सिंधिया, गायकवाड़ और भोसले जैसे मराठा सरदारों को शक्तिशाली सेनाएं खड़ी करने के लिए संसाधन मिले।
16. उज्जैन सिंधिया के संरक्षण में और इंदौर होल्कर के में आश्रय में फलता-फूलता रहा।
17. मराठों द्वारा नियंत्रित इलाकों में व्यापार के नए मार्ग खुले।
18. जैसे-चंदेरी के रेशमी वस्त्रों को मराठों की राजधानी पूणे में नया बाजार मिला।
19. बुरहानपुर पहले आगरा और सूरत के बीच लेकिन अब दक्षिण में पूणे और नागपुर को तथा पूर्व में लखनऊ एवं इल्लाहाबाद को शामिल कर लिया था।
प्रश्न: जाट समुदाय की व्याखया कीजिए?
उत्तर:
1. चूड़ामल में नेतृत्व में दिल्ली के पश्चिमी क्षेत्रो पर नियंत्रण।
2. 1680 के दशक तक दिल्ली और आगरा पर प्रभुत्व।
3. जाट , समृद्ध कृषक थे उनके प्रभुत्व क्षेत्र में पानीपत तथा बल्लभगढ़ जैसे शहर महत्वपूर्ण व्यापारिक केंद्र बन गए।
4. सूरजमल के राज्य में भरतपुर शक्तिशाली राज्य के रूप में उभरा।
5. 1739 में नादिरशाह के दिल्ली पर आक्रमण के समय कई प्रतिष्ठित व्यक्तियों ने भरतपुर में शरण ली।
6. डीग में जाटों ने अम्बर और आगरा की शैलियों का समन्वय करते हुए एक विशाल बाग - महल बनवाया।
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History Chapter List
1. हज़ार वर्षों के दौरान हुए परिवर्तनों की पड़ताल
2. नए राजा और उनके राज्य
3. दिल्ली के सुलतान
4. मुग़ल साम्राज्य
5. शासक और इमारतें
6. नगर, व्यापारी और शिल्पिजन
7. जनजातियाँ, खानाबदोश और एक जगह बसे हुए समुदाय
8. ईश्वर से अनुराग
9. क्षेत्रीय संस्कृतियों का निर्माण
10. अठारहवीं शताब्दी में नए राजनीतिक गठन
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