5. शासक और इमारतें History class 7 exercise अतिरिक्त - प्रश्न
5. शासक और इमारतें History class 7 exercise अतिरिक्त - प्रश्न ncert book solution in hindi-medium
NCERT Books Subjects for class 7th Hindi Medium
अध्याय -समीक्षा
अध्याय - समीक्षा:
- कुतबुद्दीन ऐबक ने लगभग 1199 में इसका निर्माण कराया था|
- आठंवी और अठारहवीं शताब्दियों के बीच राजाओं तथा उनके अधिकारियों ने दो तरह की इमारतों का निर्माण किया|
- सुरक्षित संरक्षित तथा इस दुनिया और दूसरी दुनिया में आराम - विराम की भव्य जगहें - किले, महल तथा मकबरें थे|
- मंदिर, मसजिद, हौज, कुँए, सराय तथा बाजार जैसी जनता के उपयोग की इमारते थी|
- 1229 के आस - पास इल्तुतमिश ने शेष चार मंजिलों का निर्माण करवाया|
- मीनार के छज्जे पर अरबी भाषा में अभिलेख लिखे हैं|
- सातवीं और दसवीं शताब्दी के मध्य वास्तुकार भवनों में और आधुनिक मर, दरवाजे और खिड़कियाँ बनाने लगे| छत, दरवाजे और खिड़कियाँ अभी भी दो ऊधर्वाधर खम्भों के आर - पार थे| वास्तुकला की यही शैली अनुप्रस्त टोडा निर्माण कहलाई जाती हैं|
- आठवीं से तेरहवीं शताब्दी के बीच मंदिरों मस्जिदों, मकबरों तथा सीढ़ीदार कुओं (बावली) से जुड़े भवनों के निर्माण में इस शैली का प्रयोग हुआ|
- बारहवीं शताब्दी में दो प्रौद्दोगिकी एवं शैली सम्बन्धी परिवर्तन दिखाई पड़ते हैं|
- मंदिर और मसजिद अपने संरक्षक की शक्ति, धन - वैभव तथा भक्ति भाव का भी प्रदर्शन करते थे|
- राजराजेश्वरम मंदिर का निर्माण राजराजदेव ने अपने देवता राजराजेश्वरम की उपासना हेतु किया था|
- मुसलमान सुलतान तथा बादशाह स्वयं को भगवान के अवतार होने का दावा तो नहीं करते थें किन्तु फ़ारसी दरबारी इतिहासों में सुलतान का वर्णन 'अल्लाह की परछाई' के रूप में हुआ हैं|
- भारत में अपने अभियानों के दौरान उसने पराजित राजाओं के मंदिरों को अपवित्र किया तथा उनके धन मूर्तियों को लूट लिया|
- बाबर, हुमायूं, अकबर, जहांगीर और विशेष रूप से शाहजहाँ कला और वास्तुकला में व्यक्तिगत रुचि लेते हैं|
- चारबाग़ बनाने की परंपरा अकबर के समय से शुरू हुई| कुछ सुन्दर चारबाग जैसे - हुमायूं का मकबरे का चारबाग दिल्ली 1562 - 1571, कश्मीर में शालीमार बाग़ का सीढ़ीदार चारबाग (1620 - 1634 के मध्य)|
- बारहवीं शताब्दी से फ्रांस में आरम्भिक भवनों की तुलना में अधिक ऊँचे व हलके चर्चा के निर्माण के प्रयास शुरू हुए|
- ताजमहल शाहजहाँ की शासन की भव्यतम वास्तुकलात्मक उपलब्धि हैं| इनका निर्माण (1623 - 1643) लगभग 20 साल में पूरा हुआ|
- शाहाजन्हन ने दिल्ली के लाल - किले में सिंहासन के पीछे पिटारा - दुरा के जड़ाऊ काम की एक श्रुंखला बनवाई जिसमें पौराणिक यूनानी देवता ऑफियस को वीणा बजाते हुए चित्रित किया गया था|
अभ्यास - प्रश्न
अभ्यास - प्रश्न:
प्रश्न: वास्तुकला का 'अनुप्रस्थ तोडा निर्माण' सिद्धांत 'चापाकार' सिद्धांत से किस तरह भिन्न है|
उत्तर: अनुप्रस्थ तोडा निर्माण - सांतवीं और दसवीं शताब्दीं के मध्य वास्तुकार भवनों में और अधिक कमरे, दरवाजे और खादाकियाँ बनाने लगे| छत, दरवाजे और खिड़कियाँ अभी भी दो ऊध्र्वाकार खंभों के आर - पार एक अनुप्रस्थ शहतीर रखकर बनाए जाते थे| वास्तुकला की यह शैली अनुप्रस्थ तोडा निर्माण कहलाई जाती हैं| छापकर सिद्धानत - दरवाजों और खिड़कियों के ऊपर की अधिरचना का भार कभी - कभी मेहराबों पर दाल दिया जाता था| वास्तुकला का यह 'चापाकार' रूप था|
प्रश्न: 'शिखर' से आपका क्या तात्पर्य है?
उत्तर: मंदिर का शीर्ष जिसके नीचे गर्भगुह स्थित होता हैं, मंदिर का 'शिखर' कहलाता हैं|
प्रश्न: 'पितरा-दूरा' क्या है?
उत्तर: उत्कीर्णित संगमरमर अथवा बलुआ पत्थर पर संगीन, ठोस पत्थरों को दबाकर बनाए गए सुन्दर तथा अलंकृत नमूने 'पिटारा - दूरा' कहलाता हैं|
प्रश्न: एक मुग़ल चारबाग की क्या खास विशेषताएँ हैं?
उत्तर: मुग़ल चारबाग की विशेषताएँ -
1. चारबाग चार सामान हिस्सों में बनते होते थे|
2. यह बाग़ दीवार से घिरे होते थे|
3. बाग कृत्रिम नहरों द्वारा चार भागों में विभजित आयताकार अहाते में स्थित थे|
प्रश्न: किसी मंदिर से एक राजा की महता की सुचना कैसे मिलती थी?
उत्तर: सभी विशालतम मंदिरों का निर्माण राजाओं ने करवाय था| दक्षिण भरता के प्रसिद्ध मंदिर राजराजेश्वर मंदिर का निर्माण राजा - राजदेव ने अपने देवता राजराजेश्वरम की उपासना हेतु किया था| इनके देवताओं के नाम से मिलते - जुलते थे| राजा स्वयं को इश्वर के रूप में दिखाना चाहता था| धार्मिक अनुष्ठान के जारी मंदिर में एक देवता दूसरे देवता का सम्मान करता था|
मंदिर के अन्य लघु देवता शासक के सहयोगियों तथा अधीनस्थों के देवी - देवता थे| यह मंदिर शासक और सहयोगियों द्वारा शासित विश्व का एक लघु रूप ही था| जिस तरह से वे राजकीय मंदिरों में इलाट्ठे होकर अपने देवताओं की उपासना करते थे|
प्रश्न: दिल्ली में शाहजहाँ के दीवान-ए-खास में एक अभिलेख में कहा गया है - 'अगर पृथ्वी पर कहीं स्वर्ग है तो वह यहीं है, यहीं है, यहीं है?' यह धारणा कैसे बनी?
उत्तर: शाहजहाँ की पत्नी मुमताज की 1631 ई. में मृत्यु हो गई थी उसके बाद शाहजहाँ का मन आगरा से हट गया था| सिअलिए उसने 1639 ई. में युमना नदी के समीप लाल - किला का निर्माण करवाया| लाल किला के अन्दर बनाया गया दीवान - ए - ख़ास संगमरमर का बना हुआ अद्धुत इमारत हैं, जिसमें की तरह की नक्काशियां बनाई गई हैं| इसकी सुन्दरता को देखते हुए ही दीवान - ए - ख़ास में एक अभिलेख में कहा गया हैं - 'अगर पृथ्वी पर कहीं स्वर्ग हैं तो वः यहीं हैं, यहीं हैं, यहीं हैं|
प्रश्न: मुग़ल दरबार से इस बात का कैसे संकेत मिलता था कि बादशाह से धनी, निर्धन, शक्तिशाली कमज़ोर सभी को समान न्याय मिलेगा?
उत्तर: मुग़ल दरबार में निम्न बातों से संकेत मिलाता हैं कि धनि, निर्धन, शक्तिशाली, कमजोर सभी को बादशाह से सामान न्याय मिलेगा-
1. बादशाह के सिहांसन के पीछे पिटारा- दूर के जड़ाऊ काम की एक श्रुंखला बनाई गई थी, जिसमें पैराणिक यूनानी देवता आर्फियस को बिना बजाते हुए चित्रित किया जाता था|
2. ऐसा माना जाता था कि आर्फियस का संगीत सक्रामक जानवरों को भी शांत कर सकता हैं और वे शांतिपूर्वक एक - दूसरे के साथ रहने लगते हैं|
प्रश्न: शाहजहाँनाबाद में नए मुग़ल शहर की योजना में यमुना नदी की क्या भूमिका थी?
उत्तर: अतीत में राजाओं तथा उनके दरबारियों के निर्माण निम्न प्रकार से आज के धनि और भक्तिशाली लोगों के विशाल घरों से भिन्न थे-
1. अतीत के राजाओं के अधिकाँश घर पत्थर के किले के रूप में निर्मित थे|
2. किले को सुरक्षित करने के लिए किले के चारों और गड्ढे खोदे जाते थे|
3. उनके आवास ऊंचे स्थल पर बनाए जाते थे|
4. सुरक्षा को विशेष महत्त्व दिया जाता था|
अतिरिक्त - प्रश्न
अतिरिक्त - प्रश्न:
प्रश्न: आठवीं और अठारहवीं शताब्दियों के बीच राजाओं ने किस प्रकार की इमारतों का निर्माण कराया?
उत्तर: आठवीं और अठारवीं शताब्दियों के बीच राजाओं ने दो प्रकार की इमारतों का निर्माण कराया -
1. सुरक्षित संरक्षित तथा इस दुनिया और दूसरी दुनियां में आराम - विराम की भव्य जगहें - किले, महल तथा मकबरें थे|
2. मंदिर , मस्जिद, हौज, कुएँ, सराय तथा बाजरा जैसे जनता के उपयोग की इमारते थी|
प्रश्न: कुत्ब्मीनार की विशेषता बताइए?
उत्तर:
1. 1199 में कुतुबुद्दीन ऐबक ने पहली मंजिल का निर्माण करवाय|
2. 1229 के आस - पास इल्तुतमिश ने शेष चार मंजिलों का निएमान करवाय|
3. अलाउद्दीन खिलजी, मुम्मद तुगलक़, फिरोज शाह तुगलक तथा इब्राहिम लोदी ने इसकी मरम्मत करवाई|
4. मीनार के छज्जे पर अरबी भाषा में अभिलेख हैं|
प्रश्न: अनुप्रस्त टोडा निर्माण शैली क्या हैं व्याख्या कीजिए|
उत्तर: सातवीं और दसवीं के मध्य वास्तुकार भवनों में और आधुनिक अम्र, दरवाजे और खिड़कियों बनाने लगे| छत, दरवाजे और खिड़कियाँ अभी भी दो ऊधर्वाधर खम्भों के आर - पार थे| वास्तुकला की यही अनुप्रसत टोडा निर्माण कहलाई जाती हैं| आठवीं से तेरहवीं शताब्दी के बीच मंदिरों मस्जिदों, मकबरों तथा सीढ़ीदार कुओं (बावली) से जुड़े भवनों के निर्माण में इस शैली का प्रयोग हुआ|
प्रश्न: अभियांत्रिकी कौशल एवं निर्माण कार्य क्या हैं?
उत्तर: बारहवीं शताब्दी में दो प्रोद्दोगिकी एवं शैली सम्बन्धी परिवर्तन दिखाई पड़ते हैं| दरवाजों और खिड़कियों के ऊपर की अशिराचना का भार कभी - कभी मेहराबों पर दाल दिया जाता था| वास्तुकला का यह 'चापाकार' रूप था| जिसे 'डाट' अधिरचना के नाम से भी जाना जाता हैं| निर्माण कार्य में चूनापत्थर तथा सीमेंट का प्रयोग का प्रयोग बढ़ गया|
प्रश्न: मंदिरों, मसजिदों और हैजों के निर्माण की व्याख्या कीजिए?
उत्तर:
1. मंदिर और मसजिद अपने सरंक्षक की शक्ति, धन - वैभव तथा भक्ति भाव का भी प्रदर्शन करते थे|
2. राजराजेश्वरम मंदिर का निर्माण राजाराजदेव ने अपने देवता राजराजेश्वरम की उपासना हेतु किया था|
3. राजा ने अपना नाम देवता से मिलाता - जुलता रखा क्योंकि यह नाम मंगलकारी थी और राजा स्वयं को इश्वर के रूप में दिखाना चाहता था|
4. मुसलमान सुलतान तथा बादशाह स्वंय को भगावान के अवतार होने का दवा तो नहीं करते थे. और राजा स्वंय को इश्वर के रूप में दिखाना चाहता था|
5. दिल्ली की एक मस्जिद के अभिलेख से पता चलता हैं की अल्लाल ने अलाउद्दीन को शासन इसलिए चुना था, क्योंकि उसमें अतीत के महान विशिकर्ताओं मूसा और सुलेमान की विशेषताएँ मौजूद थीं|
6. यदि राजा हौजों और जलाशयों का निर्माण करात तो प्रजा इसकी बहुत प्रशंसा कराती थी|
7. सुलतान इल्तुतमिश ने देहली - ए - कोहना के निकट एक विशाल तालाब का निर्माण करे जिसे हौज - ए - सुल्तानी अथवा राजा का तालाब कहा जाता हैं|
प्रश्न: बाग़, मकबरे तथा किलों का निर्माण किस प्रकार से हुआ व्याख्या कीजिए?
उत्तर:
1. बाबर, हुमायूँ, अकबर, जहाँगीर और विशेष रूप से शाहजहाँ, साहित्य कला और वास्तुकला में व्यक्तिगत रुचि लेते थे|
2. अपनी आत्मकथा में बाबर ने औपचारिक बागों की योजनाओं और उनके बनाने में अपनी रुचि का वर्णन किया था|
3. ये बाग़ दीवार से घिरे होते थे तथा कृत्रिम नहरों द्वारा चारा भागों में विभाजित आयताकार होते में स्थित होते थे|
4. चार सामान हिस्से में बाँट होने के कारण इसे चारबाग कहा जाता हैं|
5. चारबाग बनाने की परंपरा अकबर के समय से शुरू हुई| कुछ चारबाग जैसे - हुमायूँ कला मकबरे का चारबाग दिल्ली 1562 - 1571, कश्मीर में शालीमार बाग़ का सीढ़ीदार चारबाग (1620 - 1634 के माध्य)|
प्रश्न: हुम्यूँ के मकबरे की वर्णन कीजिए?
उत्तर:
1. इसकी प्रेणन अकबर के वास्तुशिल्पियों ने उसके मध्य एशियाई पूर्वज तैमूर के मकबरे से ली|
2. इसके केंद्रीय गुग्ब्द (जो बहुत ऊँचा था), मेहराबदार प्रवेश द्वारा (पिश्तक) व यह मकबरा एक विशाल चारबाग के मध्य स्थित था|
3. इसका निर्माण आठ स्वर्गे अथवा हशट ब्रिहिश्त की परंपरा में हुआ था, जिसमें एक केन्द्रीय कक्ष, आठ कमरों से घिरा होता था|
4. इस इमारत का न्र्मान लाल बलुआ पत्थर से हुआ था तथा इसके किनारे सफ़ेद संगमरमर से बने थे|
प्रश्न: शाहजहाँ के शासनकाल में निर्माण के विभिन्न कार्य कौन - कौन से हैं?
उत्तर:
1. शाहजहाँ के आरम्भिक वर्षों में राजधानी आगरा थी।
2. उसके शासन में सार्वजनिक सभा कक्ष (दिवान - ए - आम) व व्यक्तिगत सभा कक्ष ( दिवान - ए - खास) एक विशाल आंगन में स्थित थे दरबार चिहिल सुतुन अथवा चालीस खम्भों के सभा भवन भी कहलाते थे।
3. शाहजहाँ ने दिल्ली के लाल किले में सिंहासन के पीछे पितरा-दुरा के जड़ाऊ काम की एक श्रंखला बनवाई जिसमे पौराणिक यूनानी देवता ऑर्फियस को वीणा बजाते हुए चित्रित किया गया था।
4. उत्कीर्णित संगमरमर अथवा बलुआ पत्थर पर रंगीन, ठोस पत्थरों को दबाकर बनाए गए सुन्दर तथा अलंकृत नमूने।
5. ताजमहल शाहजहाँ की शासन की भव्यतम वास्तुकलात्मक उपलब्धि है। इसका निर्माण (1623-1643) लगभग 20 साल में पूरा हुआ।
6. यहाँ सफ़ेद संगमरमर का मकबरा नदी तट के एक चबूतरे तथा बाग इसके दक्षिण में बनाया गया था।
प्रश्न: वास्तुकलात्मक शैली का आदान - प्रदान किस प्रकार हुआ?
उत्तर:
1. मथुरा के निकट वृन्दावन में बने मंदिरो की वास्तुकलात्मक शैली फतेहपुर सीकरी के मुग़ल महलों से बहुत मिलती-जुलती थी। जैसे-
2. वृन्दावन में गोविन्द देव मंदिर (1590) का अंदुरनी भाग जिसका निर्माण लाल बलुआ पत्थर से।
3. इसमें दो प्रतिच्छेदी मेहराबों पर इसकी ऊँची भीतरी छत का निर्माण किया था।
4. वास्तुकला की यह शैली उत्तर-पूर्वी ईरान (खुरासान से आई और फतेहपुर सीकरी) में इसका प्रयोग किया गया।
5. बंगाल की झोपड़ी (बांग्ला गुम्बद) को मुगलों ने अपनी वास्तुकला में प्रयोग किया|
6. अकबर की राजधानी फतेहपुर सीकरी पर गुजरात की व मालवा की वास्तुकलात्मक शैलियों का प्रभाव दिखता है।
7. फतेहपुर सीकरी के जोधाबाई महल में छत के अलंकृत स्तम्भ, गुजरात क्षेत्र की वास्तुकलात्मक परम्पराओं से प्रभावित है।
Select Class for NCERT Books Solutions
NCERT Solutions
NCERT Solutions for class 6th
NCERT Solutions for class 7th
NCERT Solutions for class 8th
NCERT Solutions for class 9th
NCERT Solutions for class 10th
NCERT Solutions for class 11th
NCERT Solutions for class 12th
sponder's Ads
History Chapter List
1. हज़ार वर्षों के दौरान हुए परिवर्तनों की पड़ताल
2. नए राजा और उनके राज्य
3. दिल्ली के सुलतान
4. मुग़ल साम्राज्य
5. शासक और इमारतें
6. नगर, व्यापारी और शिल्पिजन
7. जनजातियाँ, खानाबदोश और एक जगह बसे हुए समुदाय
8. ईश्वर से अनुराग
9. क्षेत्रीय संस्कृतियों का निर्माण
10. अठारहवीं शताब्दी में नए राजनीतिक गठन
sponser's ads