2. नए राजा और उनके राज्य History class 7 exercise अतिरिक्त - प्रश्न
2. नए राजा और उनके राज्य History class 7 exercise अतिरिक्त - प्रश्न ncert book solution in hindi-medium
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अध्याय-समीक्षा
अध्याय - समीक्षा:
- सातवीं शताब्दी के बाद कई राजवंशों का उदय हुआ।
- सातवीं सदी आते - आते उपमहाद्वीप के विभिन्न भागों में बड़े भूस्वामी और योद्धा-सरदार अस्तित्व में आ चुके थे। राजा लोग प्रायः उन्हें अपने मातहत या सामंत के रूप में मान्यता देते थे।
- उनसे उम्मीद की जाती थी कि वे राजा या स्वामी के लिए उपहार लाएँ, उनके दरबार में हाजिरी लगाएँ और उन्हें सैन्य सहायता प्रदान करें।
- अधिक सत्ता और संपदा हासिल करने पर सामंत अपने-आप को महासामंत, महामंडलेश्वर (पूरे मंडल का महान स्वामी) इत्यादि घोषित कर देते थे।
- कभी-कभी वे अपने स्वामी के आधिपत्य से स्वतंत्र हो जाने का दावा भी करते थे।
- आठवीं सदी के मध्य में एक राष्ट्रकूट प्रधान दंतीदुर्ग ने अपने चालुक्य स्वामी की अधीनता से इंकार कर दिया, उसे हराया और हिरण्यगर्भ (शाब्दिक अर्थ - सोने का गर्भ) नामक एक अनुष्ठान किया।
- कुछ अन्य उदाहरणों में उद्यमी परिवारों के पुरुषों ने अपनी राजशाही कायम करने के लिए सैन्य-कौशल का इस्तेमाल किया। मिसाल के तौर पर, कदंब मयूरशर्मण और गुर्जर-प्रतिहार हरिचंद्र ब्राह्मण थे, जिन्होंने अपने परंपरागत पेशे को छोड़कर शस्त्र को अपना लिया और क्रमशः कर्नाटक और राजस्थान में अपने राज्य सफलतापूर्वक स्थापित किए।
- इन सभी राज्यों में उत्पादकों अर्थात् किसानों, पशुपालकों, कारीगरों से संसाधन इक्कठा किए जाते थे। इनको अकसर अपने उत्पादों का एक हिस्सा त्यागने के लिए मनाया या बाध्य किया जाता था। कभी-कभी इस हिस्से को ‘लगान’ मानकर वसूला जाता था क्योंकि प्राप्त करने वाला भूस्वामी होने का दावा करता था। राजस्व व्यापारियों से भी लिया जाता था।
- संसाधन उन युद्धों को लड़ने में भी इस्तेमाल होते थे, जिनसे लूट की शक्ल मे धन मिलने की तथा जमीन और व्यापारिक मार्गों के प्रयोग की संभावनाएँ बनती थी।
- प्रशस्तियों में ऐसे ब्यौरे होते हैं, जो शब्दशः सत्य नहीं भी हो सकते। लेकिन ये प्रशस्तियाँ हमें बताती हैं कि शासक खुद को कैसा दर्शाना चाहते थे मिसाल के लिए शूरवीर, विजयी योद्धा के रूप में। ये विद्वान ब्राह्मणों द्वारा रची गई थीं, जो अकसर प्रशासन में मदद करते थे।
- बारहवीं शताब्दी में एक बृहत् संस्कृत काव्य भी रचा गया, जिसमें कश्मीर पर शासन करने वाले राजाओं का इतिहास दर्ज है।
अभ्यास-प्रश्नावली
पाठ-2. नये राजा और उनके राज्य
प्रश्न: जोड़े बनाओ-
गुर्जर-प्रतिहार | पश्चिमी दक्कन |
राष्ट्रकूट | बंगाल |
पाल | गुजरात और राजस्थान |
चोल | तमिलनाडु |
उत्तर:
गुर्जर-प्रतिहार | गुजरात और राजस्थान |
राष्ट्रकूट | पश्चिमी दक्कन |
पाल | बंगाल |
चोल | तमिलनाडु |
प्रश्न: ‘त्रिपक्षीय संघर्ष’ में लगे तीनो पक्ष कौन-कौन से हैं?
उत्तर: गुर्जर-प्रतिहार, राष्ट्रकूट और पाल ‘त्रिपक्षीय संघर्ष’, में लगे तीन पक्ष थे जो गंगा नदी घाटी में कन्नौज के नियंत्रण को लेकर संघर्षत थे|
प्रश्न: चोल साम्राज्य में सभा की किसी समिति का सदस्य बनने के लिए आवश्यक शर्ते क्या थी?
उत्तर: उत्तरमेरूरअभिलेख के अनुसार, चोल साम्राज्य में सभा की किसी समिति का सदस्य बनने के लिए निम्नलिखित योग्यताएँ आवश्यक थी:
(i) सभा की सदस्यता के लिए इच्छुक लोगो को ऐसी भूमी का स्वामी होना चाहिए जहाँ से भू-राजस्व वसूला जाता है|
(ii) उनके पास अपना घर होना चाहिए|
(iii) उनकी उम्र 35 से 70 के बिच होनी चाहिए|
(iv) उन्हें वेदों का ज्ञान होना चाहिए|
(v) उन्हें प्रशासनिक मामलो की अच्छी जानकारी होनी चाहिए और ईमानदार होना चाहिए|
(vi) यदि कोई पिछले तीन सालो में किसी समिति का सदस्य रहा है तो वह किसी और समिति का सदस्य नहीं बन सकता|
(vii) जिसने अपने या अपने संबंधियों के खाते जमा नहीं कराए है, वह चुनाव नहीं लड़ सकता|
प्रश्न: चाहमानो के नियंत्रण में आने वाले दो प्रमुख नगर कौन - से थे?
उत्तर: चाहमनो के नियंत्रण में थे – इंद्रप्रस्थ और कन्नौज|
प्रश्न: राष्ट्रकूट कैसे शक्तिशाली बने?
उत्तर: (i) मध्य 8वीं सदी एक राष्ट्रकूट प्रमुख दंतीदुर्ग ने अपने चालुक्य राजा की हत्या कर दी|
(ii) उसने ‘हिरण्य गर्भ’ अनुष्ठान भी करवाया,उसके बाद वह स्वयं को क्षत्रिय के रूप में ‘पुनर्जन्म’ वाला समझने लगा|
(iii) इस प्रकार उसने दक्कन में राष्ट्रकूट वंश की आधारशिला राखी|
प्रश्न: नये राजवंशो ने स्वीकृत हासिल करने के लिए क्या किया?
उत्तर: स्वीकृति हासिल करने के लिए नये राजवंशो ने ब्राह्मणों की सहायता से पवित्र अनुष्ठान किये, जैसे – राष्ट्रकूट प्रमुख, नीची जाती के दंतीदुर्ग ने हिरण्य गर्भ अनुष्ठान करवाया|
प्रश्न: तमिल क्षेत्र में किस तरह की सिंचाई व्यवस्था का विकास हुआ?
उत्तर: तमिल क्षेत्र में निम्न प्रकार की सिंचाई व्यस्था का विकास हुआ:
(i) डेल्टा क्षेत्रों में खेतो तक पानी पहुचने के लिए नहरों का निर्माण किया|
(ii) कुछ क्षेत्रों में कुएँ खोदे गये|
(iii) अन्य स्थानों पर, वर्षा जल के संग्रहण हेतु बड़े-बड़े जलाशय बनवाये गये|
प्रश्न: चोल मंदिरों के साथ कौन-कौन सी गतिविधियाँ जुडी हुई थी?
उत्तर: चोल मंदिरों के साथ निम्नलिखित गतिविधियाँ जुडी हुई थी:
(i) चोल मंदिर अक्सर अपने आस-पास विकसित होने वाली बस्तियों के केंद्र बन गये
थे|
(ii) ये शिल्प-उत्पादन के केंद्र थे|
(iii) मंदिर सामाजि, आर्थिक, सांस्कृतिक, और धार्मिक गतिविधियों के केंद्र थे|
(v) चोल मंदिरों में कांस्य प्रतिमाएँ भी लगे जाती थी|
प्रश्न: जिस तरह के पंचायती चुनाव हम आज देखते है, उनसे उत्तरमेरू के ‘चुनाव’ किस तरह से अलग थे?
उत्तर: वर्तमान पंचायत चुनाव में लॉटरी से पंचायत सदस्यों को चुनाव नहीं होता जैसा की चोल साम्राज्य में होता था|
प्रश्न: जिस तरह के पंचायती चुनाव हम आज देखते हैं, उनसे उत्तरमेरूर के चुनाव किस तरह से अलग थे?
उत्तर: वर्तमान समय के पान्चायात चुनाव उत्तरमेरूर के चुनाव में अंतर:
वर्तमान समय के पंचायत चुनाव:
(i) सार्वभौमिक व्यस्क मताधिकार के द्वारा चुनाव
(ii) मतदाता अपने पंसद के उम्मीदवारों को मत देता हैं|
उत्तरमेरूर के चुनाव:
(i) लॉटरी पद्धति द्वारा विभिन्न समितियों के सदस्य चुने जाते थे|
(ii) चुनाव पूएँ रूप से प्रत्याशियों के भाग्य पर निर्भर था|
अतिरिक्त - प्रश्न
अतिरिक्त - प्रश्न:
प्रश्न: क्या आपके विचार से उस दौर में एक शासक बनने के लिए क्षत्रिय के रूप में पैदा होना महत्त्वपूर्ण था?
उत्तर: हमारे विचार से उस दौर में एक शासक बनने के लिए क्षत्रिय में रूप में पैदा होना महत्त्वपूर्ण नहीं था| भारत के कई गैर क्षत्रिय शासक हुए जिनमें मयूर्शर्मं और गुर्जर, प्रतिहार हरिचंद्र ब्राहमण थे, जिन्होंने अपने परंपरागत पेशे को छोड़कर शास्त्र को अपना लिया| इसके अतिरिक्त कई और भी शासक हुए जो क्षत्रिय नहीं थे, लेकिन उस दौर में भारत के अधिकाँश शासक क्षत्रिय थे|
प्रश्न: प्रशासन का यह रूप आज की व्यवस्था से किन मायनों में भिन्न था?
उत्तर: मध्यकाल में भारत में राजतंत्र कायम था| राजतंत्र में शासक वंशानुगत हुआ करते थे, अर्थात् राजा का पुत्र ही राजा होता था, लेकिन आज की प्रशासनिक लोकतांत्रिक हैं, जिसमें जनता द्वारा चुने हुए प्रतिनिधि ही शासन करते हैं| जनता के चुने हुए प्रतिनिधि ही सरकार का गठन करते हैं| मध्यकाल में जनता किसी भी रजा का न तो चुनाव कर सकती थी ण ही उसे हटा सकती थी|
प्रश्न: कारण बताइए, जिनके चलते थे शासक कन्नौज और गंगा घाटी के ऊपर नियंत्रण चाहते थे|
उत्तर: आठवीं सदी से लेकर बारहवीं सदी के पूर्वार्द्ध भारत का राजनितिक शक्ति का केंद्र था| कन्नौज उत्तर भारत के माध्यम में स्थित था| इसलिए गुर्जर पर्तिहार, पाल वंश और राष्ट्रकूट वंश के राजाओं ने लंबे समय तक कन्नौज के लिए संघर्ष किया, जिससे इन शासकों का कन्नौज पर नियंत्रण कायम हो सके| चूंकि इस लंबी चली लड़ाई में तीन पक्ष थे, इसलिए इतिहासकारों ने प्राय: इसकी चर्चा त्रिपक्षीय संघर्ष के रूप में की हैं|
प्रश्न: प्राचीन व मध्यकाल के राजाओं द्वारा कई तरह के दावे किए जाते थे, आपके विचार से ऐसे दावे उन्होंने क्यों किए होगे?
उत्तर: कई प्रशास्तियों में शासक कई तरह के दावे करते थे, मिसाल के लिए शूरवीर, विजयी योद्धा के रूप में| समुद्रगुप्त ने अपने प्रशास्ति में वर्णन किया कि आंध्र, सैंधव, विदर्भ और कलिंग के राजा उनके आगे तभी धराशायी हो गए जब वे राजकुमार थे| इस तरह के दावे शासक अपने आपको सम्मानित और गौरवान्वित करने के लिए करते थे|
प्रश्न: विचार - विमार्श कीजिए कि चाह्मानों ने अपने इलाके का विस्तार क्यों करना चाहा होगा?
उत्तर: चाहमान दिल्ली और अजेमर के आस - पास के क्षेत्र पर शासन करते थे| उन्होंने पश्चिम और पूर्व की ओर अपने नियंत्रण क्षेत्र का विस्तार करना चाहा, जहाँ उन्हें गुजरात के चालुक्यों और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के गहडवालों से टक्कर लेनी पड़ी| चौहानों ने अपनी शक्ति को मजबूत करने के लिए और अपनी प्रतिष्ठा बढाने के लिए अपने साम्राज्य में विस्तार करना चाहा होगा|
प्रश्न: क्या आपकों लगता हैं कि महिलाएँ इन सभाओं में हिस्सेदारों कराती थी? क्या आप समझाते हैं कि समितियों के सदस्यों के चुनाव के लिए लॉटरी का तरीका उपयोगी होता हैं|
उत्तर: महिलाओं का सभाओं में भाग लेने का प्रमाण इतिहास के किसी साक्ष्य में नहीं मिला हैं| चोल प्रशासन के कुछ समितियों में ही सदस्यों का चुनाव लॉटरी से किया जाता था, बाकी सदस्यों का चुनाव प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा किया जाता था| कुछ समितियों के सदस्यों के चुनाव के लिए लॉटरी तरीका सही हैं|
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History Chapter List
1. हज़ार वर्षों के दौरान हुए परिवर्तनों की पड़ताल
2. नए राजा और उनके राज्य
3. दिल्ली के सुलतान
4. मुग़ल साम्राज्य
5. शासक और इमारतें
6. नगर, व्यापारी और शिल्पिजन
7. जनजातियाँ, खानाबदोश और एक जगह बसे हुए समुदाय
8. ईश्वर से अनुराग
9. क्षेत्रीय संस्कृतियों का निर्माण
10. अठारहवीं शताब्दी में नए राजनीतिक गठन
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