3. दिल्ली के सुलतान History class 7 exercise अतिरिक्त - प्रश्न
3. दिल्ली के सुलतान History class 7 exercise अतिरिक्त - प्रश्न ncert book solution in hindi-medium
NCERT Books Subjects for class 7th Hindi Medium
अध्याय - समीक्षा
अध्याय - समीक्षा:
- बारहवीं सदी के मध्य में तोमरों को अजेमर के चौहानों (जिन्हें चाहमान नाम से भी जाना जाता हैं) ने परास्त किया|
- तेरहवीं सदी के आरंभ में दिल्ली सल्ल्नत की स्थापना हुई और इसके साथ दिल्ली एक ऐसी राजधानी में बदल गई जिसका नियंत्रण इस उपमहाद्वीप के बहुत बड़े क्षेत्र पर फैला था|
- हालाँकि अभिलेख, सिक्कों और स्थापत्य (भवन निर्माण कला) के माध्यम से काफी सूचना मिलाती हैं, मगर और भी महत्त्वपूर्ण वे 'इतिहास', तारीख (एकवचन)/तवारीख (बहुवचन) हैं जो सुलतानों के शासनकाल में, प्रशासन की भाषा फ़ारसी में लिखे गए थे|
- सन 1236 में सुलतान इल्तुतमिश की बेटी रज़िया सिहांसन पर बैठी| उस युग के इतिहासकार मिन्हाज - ए - सिराज ने स्वीकार किया हैं|
- दरबारी जन भी उसके स्वतंत्र रूप में मान्यता नहीं दे पा रहा था| दरबारी जन भी उसके स्वतंत्र रूप से शासक करने की कोशिशों से प्रसन्न नहीं थे| सन 1240 में उसे सिंहासन से हटा दिया गया|
- शहरों से संबद्ध, लेकिन उनसे सूर भीतरी प्रदेशों पर उनका नियंत्रण ण के बराबर था उनकी इसलिए उन्हें आवश्यक सामग्री, रसद आदि के लिए व्यापार, कर या लूटमार पर ही निर्भर रहना पड़ता था|
- दिल्ली से सुदूर बंगाल और सिंध के गैरिसन शहरों का नियंत्रण बहुत ही कठिन था|
- बारहवीं सदी के आखिरी दशक में बनी कुव्वत अल - इस्लाम मसजिद तथा उसकी मीनार| यह जामा मसजिद दिल्ली के सुल्तानों द्व्रारा बनाए गए सबसे पहले शहर में स्थित हैं| इतिहास में इस शहर को देहली - ए कुहना (पुराना शहर) कहा गया हैं|
- दिल्ली के आरंभिक सुलतान, विशेषकर इल्तुतमिश, सामंतों और ज़मीदारों के स्थान पर अपने विशेष गुलामों को सूबेदारों तथा प्रशासकों की जरूरत थी| दिल्ली के आर्न्ब्हीं सुलतान, विशेषकर इल्तुतमिश, सामंतों और ज़मीदारों के स्थान पर अपने विशेष गुलामों को सूबेदार नियुक्त करना अधिक पसनद करते थे| इन गुलामों को फ़ारसीमें बंदगाँ कहा जाता हैं|
- चंगेज़ खान के नेतृत्व में मंगोलों ने 1219 में उत्तर - पूर्वी इरान में ट्रांसआॉकससियाना (आधुनिक उज़बेकिस्तान) पर हमला किया और इसके शीघ्र बाद ही दिल्ली सल्तनत को उनका धावा झेलना पड़ा|
- तुगलक़ वंश के बाद 1526 तक दिल्ली तथा आगरा पर सैयद तथा लोदी वंशों का राज्य रहा|
अभ्यास-प्रश्नावली
अभ्यास - प्रश्न:
प्रश्न: दिल्ली में पहले-पहल किसने राजधानी स्थापित की?
उत्तर: दिल्ली में पहले-पहल तोमर राजपूतो ने राजधानी स्थापित की|
प्रश्न: दिल्ली के सुल्तानों के शासनकाल में प्रशासन की भाषा क्या थी?
उत्तर: दिल्ली के सुल्तानों के शासनकाल में प्रशासन की भाषा फारसी थी|
प्रश्न: किसके शासन के दौरान सल्तनत का सबसे अधिक विस्तार हुआ?
उत्तर: अलाउद्दीन खलजी और मुहम्मद तुग़लक के शासन के दौरान सल्तनत का सबसे अधिक विस्तार हुआ|
प्रश्न: इब्न बतूता किस देश से भारत आया था?
उत्तर: इब्न बतूता मोरक्को, अफ्रीका से भारत आया था|
प्रश्न: ‘न्याय-चक्र’ के अनुसार सेनापतियो के लिए किसानो के हितो का ध्यान रखना क्यों जरुरी था?
उत्तर: सेना नायक किसानो को सुरक्षा और संरक्षण प्रदान करते, वे तभी कर दे सकते थे जब संपन्न और सुखी हो| इन कर से ही सेना नायको को वेतन दिया जाता था| इससे पता चलता था की सेना नायक और किसान दोनों ही परस्पर निर्भर थे|
प्रश्न: सल्तनत की ‘भीतरी’ और ‘बाहरी’ सीमा से आप क्या समझते है?
उत्तर: ‘भीतरी’ सीमा का अर्थ है पृष्ठ प्रदेस और गैरिसन नगर|
अतिरिक्त - प्रश्न
अतिरिक्त - प्रश्न:
प्रश्न: तोमर राजपूतों के काल में दिल्ली की किस साम्राज्य की राजधानी बनी?
उत्तर: पहले पहल तोमर राजपूतों के काल में दिल्ली किस साम्राज्य की राजधानी बनी| बारहवीं सदी के मध्य में तोमरों को अजेमर के चौहानों (जिन्हें चाहमान नाम से भी जाना जाता हैं) ने परास्त किया| तोमरों और चौहानों के राज्यकाल में ही दिल्ली वाणिज्य का एक महत्त्वपूर्ण केंद्र बन गया| इस शहर में बहुत सारे समृद्धिशाली जैन व्यापारी रहते थे जिन्होंने अनेक मदिंरों का निर्माण करवाया| यहाँ देहालिवाल कहे जाने वाले सिक्के भी ढाले जाते थे जो काफी प्रचलन में थे|
प्रश्न: दिल्ली कब राजधानी बनी?
उत्तर: तेरहवीं सदी के आरंभ में दिल्ली सल्तनत की स्थापना हुई और इसके साथ दिल्ली एक ऐसी राजधानी में बदल गई जिसका नियंत्रण इस उपमहाद्वीप के बहुत बड़े क्षेत्र पर फ़ैला था|
प्रश्न: तोमर राजपूत वंश का दिल्ली पर कब का शासक रहा?
उत्तर:
तोमर आरंभिक बारहवी शताब्दी - 1165
अनंगपाल 1130 - 1145
चौहान 1165 - 1192
पृथ्वीराज चौहान 1175 - 1192
प्रश्न: पांडुलिपि को तैयार करने के चारण क्या - क्या हैं?
उत्तर: पांडुलिपि को तैयार करने के चार चरण:
1. कागज़ तैयार करना|
2. लेखन - कार्य|
3. महत्त्वपूर्ण शब्दों और अनुच्छेदों की और ध्यान आकर्षित करने के लिए सोने को पिघला कर उसका प्रयोग|
4. जिल्द तैयार करना|
प्रश्न: दिल्ली में होने कुछ इतिहासिक ध्यान रखने योग्य बाते?
उत्तर:
1. तवारीख के लेखक नगरों में (विशेषकर दिल्ली में) रहते थे, गाँव में शायद ही कभी रहते हो|
2. वे अक्सर अपने इतिहास सुलतानों के लिए, उनसे शेर सारे इनाम - इकराम पाने की आशा में लिखा करते थे|
3. ये लेखक अकसर शासकों को जन्मसिद्ध अधिकार और लिंगभेद पर आधारित 'आदर्श' समाज व्यवस्था बनाए रखने की सलाह देते थे| उनके विचारों से सारे लोग सहमत नहीं होते थे|
प्रश्न: बंदगाँ किसे कहते हैं?
उत्तर: दिल्ली के आरंभिक सुलतान, विशेषकर इल्तुतमिश, सामंतों और ज़मीदारों के स्थान पर अपने विशेष गुलामों को सूबेदार नियुक्त करना अधिक पसंद करते थे| इन गुलामों को फ़ारसी में बंदगाँ कहा जाता हैं तथा इन्हें सैनिक सेवा के लिए ख़रीदा जाता था|
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History Chapter List
1. हज़ार वर्षों के दौरान हुए परिवर्तनों की पड़ताल
2. नए राजा और उनके राज्य
3. दिल्ली के सुलतान
4. मुग़ल साम्राज्य
5. शासक और इमारतें
6. नगर, व्यापारी और शिल्पिजन
7. जनजातियाँ, खानाबदोश और एक जगह बसे हुए समुदाय
8. ईश्वर से अनुराग
9. क्षेत्रीय संस्कृतियों का निर्माण
10. अठारहवीं शताब्दी में नए राजनीतिक गठन
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