7. जीवों में विविधता Science class 9 exercise अतिरिक्त प्रश्नोत्तर 2
7. जीवों में विविधता Science class 9 exercise अतिरिक्त प्रश्नोत्तर 2 ncert book solution in hindi-medium
NCERT Books Subjects for class 9th Hindi Medium
अध्याय -समीक्षा
अध्याय-समीक्षा:
- एक यूकैरियोटिक कोशिका में केन्द्रक समेत कुछ झिल्ली से घिरे कोशिकांग होते है जिसके कारण कोशिकीय क्रिया अलग-अलग कोशिकाओं में दक्षतापूर्वक होती रहती है |
- जिन कोशिकाओं में झिल्लीयुक्त कोशिकांग और केन्द्रक नहीं होते हैं, उनकी जैव रासायनिक प्रक्रियाएँ भिन्न होती है |
- केन्द्रकयुक्त कोशिकाओं में बहुकोशिक जीव की निर्माण की क्षमता होती है, क्योंकि वे किसी खास कार्यों के लिए विशिष्टीकृत हो सकते है |
- कोशिकीय संरचना और कार्य वर्गीकरण का आधारभूत लक्षण है |
- जो कोशिकाएँ एक साथ समूह बनाकर किसी जीव का निर्माण करती हैं, उनमें श्रम-विभाजन पाया जाता है |
- जो जीव प्रकाश-संश्लेषण करते हैं, उन्हें पौधें कहते हैं |
- पौधों का शरीर भोजन बनाने की क्षमता के अनुसार विकसित होता है, जबकि जंतुओं का शरीर बाहर से भोजन ग्रहण करने के लिए विकसित होता है |
- कुछ जीव समूहों की शारीरिक संरचना में प्राचीन काल से लेकर आज तक कोई खास परिवर्तन नहीं हुआ है ऐसे जीव आदिम अथवा निम्न जीव कहते है |
- कुछ जीव समूहों की शारीरिक संरचना में पर्याप्त परिवर्तन दिखाई पड़ते है | उन्हें उच्च जीव कहते है |
- विकास के दौरान जीवों में जटिलता की संभावना बनी रहती है, इसलिए पुराने जीवों को साधारण और नए जीवों को अपेक्षाकृत जटिल भी कहा जा सकता है |
- व्हिटेकर द्वारा प्रस्तावित वर्गीकरण में पांच जगत हैं - मोनेरा, प्रॉटिस्टा, फंजाई, प्लांटी और एनिमेलिया |
- वर्गीकरण की आधारभूत ईकाई जाति (स्पीशीज) है |
- शरीर की बनावट के दौरान जो लक्षण पहले दिखाई पड़ते है, उन्हें मूल लक्षण कहते है |
पाठगत प्रश्न
पाठगत-प्रश्न:
पेज न0: 91
प्रश्न1: हम जीवधारियों का वर्गीकरण क्यों करते हैं ?
उत्तर: जीवधारियों का वर्गीकरण करने से हमे जीवधारियों के अध्धयन में सुविधा होती हैं| जीवधारियों के विकास - क्रम का ज्ञान होता हैं| जीवधारियों के पारस्परिक संबंधो का ज्ञान होता हैं|
प्रश्न2: अपने चारों ओर फैले जीव रूपों की विभिन्नता के तीन उदाहरण दीजिए?
उत्तर: पर्यावरण में पाए जाने वाले जीवधारियों में असीमित जैव-विविधतापाई जाती हैं:-
(1) जहाँ सूक्ष्मदर्शीय अमीबा , यूग्लीना जैसे एककोशिकीय प्राणी पाए जाते हैं वहीँ दूसरी ओर नीली व्हेल जैसे विशालकाय प्राणी भी पाए जाते है|
(2)जहाँ जीवाणु लगभग 20-30 मिनट तक तथा कीट कुछ दिनों तक जीवित रहते हैं , वहीँ दूसरी ओर सिकोया जैसे वृक्ष हजारों वर्षो तक जीवित रहते हैं|
पेज न0: 92
प्रश्न1: जीवों के वर्गीकरण के लिए सर्वाधिक मुलभुत लक्षण क्या हो सकता है ?
(a) उनका निवास स्थान
(b) उनकी कोशिका संरचना
उत्तर: जीवों के वर्गीकरण हेतु उपयुक्त लक्षण उसकीं 'कोशिकीय संरचना' होती हैं|
प्रश्न2: जीवों के प्रारंभिक विभाजन के लिए किस मूल लक्षण को आधार बनाया गया ?
उत्तर: यूनानी विचारक अरस्तू ने जीवों के वर्गीकरण हेतु आवास मूल लक्षण को अपना आधार बनाया था| इसके आधार पर उन्होंने जीवधारियों को स्थलीय, वायवीय तथा जलीय समूहों में विभाजित कर दिया|
प्रश्न3: किस आधार पर जंतुओं और वनस्पतियों को एक-दुसरे से भिन्न वर्ग में रखा जाता है ?
उत्तर: भोजन ग्रहण करने अर्थात् भोजन निर्माण करने की क्षमता के आधार पर जंतुओ और पौधों कोण एक - दुसरे से भिन्न वर्गं में रखा जाता हैं| जंतु अपना भोजन प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से पौधे से प्राप्त करते हैं| पौधे प्रकाश संश्लेषणद्वारा अपना भोजन स्वयं बना लेंते हैं|
पेज न0: 93
प्रश्न1: आदिम जीव किन्हें कहते हैं? ये तथाकथित उन्नत जीवों से किस प्रकार भिन्न हैं ?
उत्तर: आदिम जीव अथवा निम्न जीवो की शारीरिक संरचना में प्राचीन काल से लेकर आज तक कोई विशेष परिवर्तन नही हुआ हैं, जबकि उन्नत या उच्च जीवों की शारीरिक संरचना में पर्याप्त परिवर्तन हुए हैं अर्थात् शारीरिक संरचना में हुए परिवर्तनों केन आधार पर आदिम जीव उन्नत जीवों से भिन्न होते हैं|
प्रश्न2: क्या उन्नत जीव और जटिल जीव एक होते हैं ?
उत्तर: उन्नत और जटिल जीव एक ही होते हैं, क्योंकि जैव विकास के फलस्वरूप साधारण जीवों से आधुनिक जटिल या उन्नत जीवों का विकास हुआ है|
पेज न0: 96
प्रश्न1: मोनेरा अथवा प्रॉटिस्टा जैसे जीवों के वर्गीकरण के मापदंड क्या है ?
उत्तर: एककोशिकीय मोनेरा अथवा प्रॉटिस्टा जीवधारियों को पोषण के आधार पर दो समूहों में बाँट सकते हैं:-
(1) स्वपोषी (2) परपोषी
जैसें- मोनेरा के अंतर्गत स्वपोषी नीले-हरे शैवाल और परपोषी जीवाणु तथा प्रॉटिस्टा के अंतर्गत स्वपोषी शैवाल, डाएटम और परपोषी प्रोटोजोआ जंतु आते हैं|
प्रश्न2: प्रकाश-संश्लेषण करने वाले एककोशिक युकैरिओटिक जीव को आप किस जगत में रखेंगे ?
उत्तर: पादप जगत में|
प्रश्न3: वर्गीकरण के विभिन्न पदानुक्रमों में किस समूह में सर्वाधिक समान लक्षण वाले सबसे कम जीवों को और किस समूह में सबसे ज्यादा संख्या में जीवों को रखा जायेगा ?
उत्तर: सबसे कम संख्या में समान लक्षण वालें जीवं को जाति (स्पीशीज) और सबसे ज्यादा संख्या में समान लक्षण वाले जीवों को संघ (फाइलम) पदानुक्रम में रखते हैं|
पेज न0: 99
प्रश्न1: सरलतम पौधों को किस वर्ग में रखा गया है ?
उत्तर: सरलतम पौधों को मोनेरा जगत में रखा गया है|
प्रश्न2: टेरिडोफाइटा और फैनारोगैम में क्या अंतर है ?
उत्तर: टेरिडोफाइटा में लिंगी जनन छिपा होता है| इनमे पुष्प तथा बीजों का निर्माण नहीं होता| इसके विपरीत फैनारोगैम्स में पुष्प तथा बीजो का निर्माण होता है अर्थात् लिंगी जनन स्पस्ट होता हैं|
प्रश्न3: जिम्नोस्पर्म और एन्जिओस्पर्म एक-दुसरे से किस प्रकार भिन्न हैं ?
उत्तर:
जिम्नोस्पर्म | एन्जिओस्पर्म |
1. संवहन ऊतक में वाहिका तथा सह-कोषिकाएँ नहीं पाई जाती| 2.इनमे जनन संरचनाए शंकु कहलाती हैं| 3.इनमें बीज सूक्ष्म होते हैं| 4. इनमें एकल निषेचन होता हैं| 5. इनमे नर युग्मक चल होते हैं| 6. भ्रूणपोष निषेचन से पहले बनता हैं| |
1.संवहन ऊतक में अन्य कोशिकाओ के साथ-साथ वाहिका तथा सह-कोशिकाए पाई जाती हैं| 2. इनमे जनन रचनाएँ पुष्प कहलती हैं| 3.इनमें बीज फलावरण से घिरे होते हैं| 4.इनमें दोहरा निषेचन होता है| 5.इनमे नर युग्मक अचल होता हैं| 6. भ्रूणपोष निषेचन के बाद बनता हैं| |
पेज न0: 105
प्रश्न1: पोरिफेरा और सिलेंटरेटा वर्ग के जंतुओं में क्या अंतर है ?
उत्तर:
पोरिफेरा | सिलेंटरेटा |
1.शरीर संगठन कोशिकीय स्तर के होता हैं| 2.शरीर में स्पंजगुहा पाई जाती हैं| 3. ये स्थिर होते हैं| समूह में पाए जाते हैं| 4. उदाहरण: साइकेन, यूप्लैक्टेला, स्पन्जिला आदि| |
1.शरीर संगठन ऊतक स्तर का होता हैं| 2.शरीर में सीलेंटारोन गुहा पाई जाती हैं| 3.ये चल होते हैं| एकाकी या समूह में रहते हैं| 4. उदाहरण: हाइद्रा,समुद्री एनीमोन, जेलिफ़िश| |
प्रश्न2: एनालिडा के जंतु आर्थोपोडा के जंतुओं से किस प्रकार भिन्न हैं ?
उत्तर:
एनालिडा | आर्थोपोडा |
1. इस संघ के जन्तुओ में बाह्य कंकाल नहीं होता| 2. आहारानली सीधी नलिका होती हैं| 3. इनमें नेत्र नहीं होते| 4.रूधिर परिसंचरण तंत्र बंद प्रकार का होता हैं| 5. ये एकलिंगी या द्विलिंगी होते हैं| 6. उदाहरण: केंचुआ जोंक| |
1.इस संघ के जन्तुओ में बाह्य कंकाल काइटिन स३ए बना होता हैं| 2. आहारनाल कुंडलित नलिका होती हैं| 3. इनमें संयुक्त नेत्र पाए जाते हैं| 4. रूधिर परिसंचरण तंत्र खुले प्रकार का होता हैं| 5.ये एकलिंगी होते हैं| 6. उदाहरण: तिलचट्टा, घरेलू मक्खी| |
प्रश्न3: जल-स्थलचर और सरीसृप में क्या अंतर है ?
उत्तर:
जल-स्थलचर | सरीसृप |
1. त्वचा नम, लचीली तथा पतली होती हैं| बाह्य कंकाल का आभाव होता हैं| 3. ह्रदय में दो अलिंद तथा एक निलय होता हैं| 4. श्वशन क्लोम,त्वचा तथा फेफड़ो द्वारा होता हैं| 5. ये अंडे सदैव जल में देते हैं| अंडे कवच रहित रहते हैं| |
1. त्वचा शुष्क, मोटी तथा शल्कीय होती हैं| बाह्य कंकाल शल्को का बना होता हैं| 2. यें मुख्यता स्थल पर रहने वाले प्राणी हैं| ये रेंगकर चलते हैं| 4. श्वशन फेफड़ों द्वारा होता हैं| 5. यें स्थल पर अंडे देतें हैं| अंडे कवच युक्त होतें हैं| |
प्रश्न4: पक्षी वर्ग और स्तनपायी वर्ग के जंतुओं में क्या अंतर है ?
उत्तर:
पक्षी वर्ग | स्तनपायी |
1. शरीर पेरो से ढका होता हैं| 2. अग्रपाद पंख में रूपांतरित हो जाता हैं|यें उड़ने में सहायक हैं| 3. जबड़े चोच के रूप में बदल जाते हैं| चोंच में दांत नहीं होते| 4. कर्ण पल्लव तथा स्तनग्रंथियां नहीं पाई जाती हैं| 5. यें अंडज होते हैं| |
1. शरीर बालो से ढका होता हैं| 2. अग्रपाद प्रचलन या वस्तुओ को पकड़ने के लिए उपयोजित होता हैं| 3. जबड़े दांत युक्त होते हैं| 4. कर्ण पल्लव तथा स्तनग्रंथियां पाई जाती हैं| 5. यें जरायुज होते हैं| |
अभ्यास
अभ्यास:
प्रश्न1. जीवों के वर्गीकरण से क्या लाभ है ?
उत्तर: जीवों के वर्गीकरण से निम्नलिखित लाभ हैं:-
(1) अध्ययन में सहायक : किसी वर्ग या संघ के एक जीवधारी का अध्ययन कर लेने से हमे उस समूह के अन्य जीवधारीयों के बारे में सुगमता से अनुमान लगाया जा सकता है|
(2) विकास क्रम का ज्ञान: वर्गीकरण में जीवधारियों को उनके गुणों की जटिलता के आधार पर रखा गया हैं| इससे उनके विकास का क्रम ज्ञात हो जाता हैं| जैसे:- कोर्डेटा के अंतर्गत मत्स्य, जलस्थलचर, सरीसृप, पक्षी तथा स्तन प्राणियों का वर्गीकरण उनके लक्षणों की जटिलता के आधार पर किया जाता हैं|
(3)संयोजी कडियों का ज्ञान: जब किसी जीवधारी में दो समुदाए के लक्षण पाए जाते हैं तो उसे उन दो समूहों के मध्य की संयोजी कड़ी कहते हैं| जैसे:- आर्कीओप्तेरिस्क में सरीसृप तथा पक्षी वर्ग के लक्षण पाए जाते हैं| इसके आधार पर यह अनुमान लगाया गया हैं कि पक्षियों कि उत्पति सरीसृप वर्ग के प्राणियों से हुई हैं|
(4) जलीय प्राणियों से स्थलीय प्राणियों के विकास क्रम का ज्ञान: वर्गीकरण के अध्ययन से ज्ञात होता हैं कि सरल जलीय जन्तुओ से बहुकोशिकीय जन्तुओ तथा स्थलीय जन्तुओ का विकास हुआ हैं|
इसके अतिरिक्त वर्गीकरण के फलस्वरूप पर्यावरण पारितन्त्र के घटकों, कृषि, एवं इसे हानि पहुचाने वाले जीवो, रोगजनक, रोगवाहक जीवों, जनस्वास्थ्य के घटकों का अध्ययन करने में सुगमता होती हैं|
प्रश्न2. वर्गीकरण में पदानुक्रम निर्धारण के लिए दो लक्षणों में से आप किस लक्षण का चयन करेंगे ?
उत्तर: वर्गीकरण के पदानुक्रम में जीवों को विभिन्न लक्षणों के आधार पर छोटे-छोटे समूहों में बांटते हुए वर्गीकरण की आधारभूत इकाई जाती तक पहुच जाते हैं| सबहीं जीवधारियों को उनकी शारीरिक संरचना, पोषण के स्त्रोत भोजन ग्रहण करने की विधि तथा कार्य के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है| विकास क्रम के साथ-साथ शारीरिक लक्षणों में अधिक परिवर्तन होता हैं| विकास क्रम में जो लक्षण सबसे पहले प्रदर्शित होते हैं, उन हें मूल लक्षण कहते हैं| जैव विकास के फलस्वरूप मूल लक्षण में निरंतर परिवर्तन होता हैं| जिससे जीवधारी सफलतापूर्वक जीवनयापन कर सके|
प्रश्न3. जीवों के पांच जगत में वर्गीकरण के आधार की व्याख्या कीजिए |
उत्तर: आर० एच०हवितेकर ने समस्त जीवधारियों को कोशिकीय संरचना, पोषण के स्रोत तथा भोजन ग्रहण करने की विधि और शारीरिक संगठन के आधार पर निम्नलिखित पाँच जगत में बांटा गया हैं:-
(1) मोनेरा जगत: इसके अंतर्गत प्रोकरियोटिक एककोशकीय जीवधारियों में रखा गया है| पोषण के आधार पर ये परपोषी या स्वपोषी होते हैं| अधिकांश जीवाणु परपोषी तथा नीले-हरे शैवाल स्वपोषी होते हैं| इनमे प्राय: कोशिका भित्ति पी जाती हैं| जैसे:- जीवाणु कोशिका, एनाबीना शैवाल|
(2) प्रॉटिस्टा जगत: इसके अंतर्गत यूकैरियोटिक, एककोशिकीय जीव पाए जाते हैं| कोशिकाओ में कोशिका भित्ति उपस्थित या अनुपस्थित होती हैं| कोशिका भित्तियुक्त कोशिकाएं पादप जगत तथा कोशका भित्ति रहित कोशिन्काए जंतु जगत की सदस्य होती हैं| जैसे:- अमीबा, पैरामिशियम, यूग्लीना|
(3) फंजाई जगत: इसके अंतर्गत यूकैरियोटिक हरित लवक रहित परपोषी पाए जाते हैं| येन परजीवी या मृतजीवी होते हैं| परजीवी अपना भोजन जीवित पोषद से प्राप्त करते हैं| परजीवी एवं पोषद में घनिष्ट स्मभंध होता हैं| मृतजीवी पोषण के लिए मृत सड़े-गले कार्बनिक पदार्थो में निर्भर करते है | जैसे :- राईजोपस, कुकुरमुत्ता(मशरूम), यीस्ट आदि|
(4) प्लांटी जगत: इसके अंतर्गत बहुकोशिकीय, यूकैरियोटिक कोशिका वाले विकसित पादप आते हैं| येन स्वपोषी होते हैं| प्रकाश संश्लेषण द्वारा भोज्य पदार्थो का संस्लेषण करते हैं| इसके अंतर्गत थैलोफाईटा, ब्रायोफाईटा , टेरिडोफाईटा, जिम्नोस्पर्म, एंजियोस्पर्म|
(5) एनिमेलिया जगत: इसके अंतर्गत बहुकोशिकीय कोशिका भित्ति रहित यूकैरियोटिक कोशिका वाले जंतु पाए जाते हैं| येन पोषण की दृष्टि से परपोषी होते हैं| इसके अंतर्गत अकशेरुकी तथा कशेरुकी जंतु आते हैं|
प्रश्न4. पादप जगत के प्रमुख वर्ग कौन हैं ? इस वर्गीकरण का क्या आधार हैं?
उत्तर: पादप जगत के प्रमुख वर्ग निम्न हैं :
(1)थैलोफाईटा (2) ब्रायोफाईटा (3) टेरिडोफाईटा (4) जिम्नोस्पर्म (5) एंजियोस्पर्म
पादप जगत के वर्गीकरण के मुख्य आधार:
(i) पादप शारीर के विभिन्न भागो का विकास एवं विभेदन|
(ii) पादप शारीर में जल, खनिज तथा कार्बनिक भोज्य पदार्थो का संवहन करने वाले विशिष्ट ऊतकों की अनुपस्थिति एवं उपस्थिति|
(iii) पादपो में बीजाणु अथवा बीजो द्वारा जनन|
(iv) बीज का नग्न बीजी अथवा आवृतबीजी होना |
प्रश्न5. जन्तुओ और पौधों के वर्गीकरण के आधारो में मूल अंतर क्या हैं?
उत्तर: जन्तुओ और पौधों के वर्गीकरण के आधारो में मूल अंतर निम्नलिखित हैं:
जंतु | पौधे |
1. जंतु प्रचलन अर्थात स्थान परिवर्तन करते हैं| 2. कोशिका भित्ति का आभाव होता हैं| 3. इनमें पर्णहरित का आभाव होता है| 4. येन परपोषी या विषमपोषी होते हैं| 5. जंतु एक निश्चित आयु तक वृद्धि करते हैं| |
1. पौधे स्थिर रहते हैं| 2. कोशिका भित्ति सेलुलोस की बनी होती हैं| 3. इनमें पर्णहरित पाया जाता हैं| 4. ये स्वपोषी होते हैं| 5. पौधे जीवनपर्यन्त वृद्धि करते रहते हैं| |
प्रश्न6. वर्टीब्रेटा (कशेरुकी प्राणी) को विभिन्न वर्गों में बाँटने के आधार की व्याख्या कीजिए |
उत्तर: सभी वर्टीब्रेटा (कशेरुक प्राणियों) में मेरुदंड पाई जातीं है| यह पृष्ठीय खोखली मेरुरज्जु को घेरे रहती हैं| ग्रसनी विदर प्राय: भ्रूण अवस्था में ही पाए जाते हैं| जलीय जन्तुओ; जैसे मछली की वयस्क अवस्था में क्लोम पाए जाते हैं| मेरुरज्जु का अग्रभाग मष्तिक बनाता हैं|सिर पर नेत्र, कर्ण तथा घ्राणग्राही आदि संवेदी अंग होते हैं| पेंशियाँ अंतः कंकाल से लगी होती हैं| पेंशियाँ तथा अस्थियाँ प्रचलन में सहायक होती हैं|
वर्टीब्रेटा के वर्गीकरण के मुख्य आधार निम्लिखित हैं:-
(i)वयस्क अवस्था में भ्रूण अवस्था में क्लोम विदर का पाया जाना |
(ii) त्वचा पर श्लेष्म ग्रंथिया, स्वेद ग्रंथियां, तेल ग्रंथियां, दुग्ध ग्रंथियाँ आदि का पाया जाना|
(iii) बाह्य कंकाल शल्क, होर्नीप्लेट्स पर बाल से बना होता हैं|
(iv) अंतः कंकाल अस्थि या उपस्थि का बना होता हैं|
(v) श्वशन क्लोम, त्वचा या फेफड़ो द्वारा|
(vi) ह्रदय में वेश्मों की संख्या|
(vii) अग्र्पाद का पंखो में रूपांतरण|
(viii) असमतापी या समतापी|
(ix) अंडज या जरायुज|
(x) अंडे जल में देना या जल से बाहर देना | अंडे कवच युक्त या कवच रहित |
अतिरिक्त प्रश्नोत्तर 1
अध्याय 7. जीवों में विविधता
प्रश्न - फेनेरोगेम्स किसे कहते हैं ?
उत्तर - वे पौधे जिनमें जनन ऊतक पूर्ण विकसित एवं विभेदित होते हैं तथा जनन प्रकिया के
पश्चात् बीज उत्पन्न करते हैं, फेनेरोगेम्स कहलाते हैं ।
प्रश्न - क्रिप्टोगैम किसे कहते हैं ?
उत्तर - वे जीव जिनमे जननांग प्रत्यक्ष होते हैं तथा इनमें बीज उत्पन्न करने की क्षमता नही
होती है । अंत: ये क्रिप्टोगैम कहलाते हैं ।
प्रश्न - जिम्नोस्पर्म और एंजियोस्पर्म में कोई दो अंतर लिखो ।
उत्तर -
जिम्नोस्पर्म | एंजियोस्पर्म |
1. ये नग्न बीज उत्पन्न करते हैं । 2. ये पौधे बहुवर्षीय सदाबहार तथा काष्ठीय होते हैं । |
1. ये फल के अंदर बीज उत्पन्न करते हैं । 2. इनमें पुष्पी पादप होते हैं । |
प्रश्न - एनीमीलिया जगत् को कितने भागो में बाँटा गया हैं ?
उत्तर - एनीमीलिया जगत् को दो भागों में बाँटा गया हैं:-
1. कशेरूकी
2. अकशेरूकी
प्रश्न - जीवों के वर्गीकरण के क्या लाभ है ?
उत्तर - जीवों के वर्गीकरण के लाभ -
1. यह जीवोें के विभिन्न समूहो के बीच संबंध बताता हैं ।
2. यह जीवों के विकास के बारे में बताता है।
3. यह विविध जीवों के अध्ययन को सरल बनाता है।
प्रश्न - वर्गीकरण विज्ञान का जनक किसे कहा जाता है ?
उत्तर - केरोलस लिनियस ।
प्रश्न - मनुष्य का वैज्ञानिक नाम क्या है ?
उत्तर - होमो सेपियन्स ।
प्रश्न - मेंढक का वैज्ञानिक नाम क्या है ?
उत्तर - राना टिग्रीना ।
प्रश्न - बिल्ली का वैज्ञानिक नाम क्या है ?
उत्तर - फेलिस डोमेस्टिका ।
प्रश्न: बाघ का वैज्ञानिक नाम लिखिए |
उत्तर: फैलिस फोरेस्टिका |
प्रश्न - द्वि-नाम पद्धति से आप क्या समझते है ?
उत्तर - प्रत्येक जीवों को सही पहचान के लिए दो नाम रखे गए है । एक पहला जीनस और दूसरा स्पीशीज का होता है । जिसे वैज्ञानिक नाम से जाना जाता है। जैसे - मनुष्य का वैज्ञानिक नाम होमो सेपियन्स है । होमो - मनुष्य के जीनस (वंश ) का नाम है । सेपियन्स - मनुष्य के स्पीशीज ;जाति ) का नाम है ।
प्रश्न - द्वि-नाम पद्धति के क्या लाभ है ?
उत्तर - हम जीवों को उनके समान्य नाम से नहीं पहचान नही कर सकते है। क्योंकि हर भाषा और क्षेत्र में जीवों का अलग अलग नाम है। जब हमें किसी जीव की वैज्ञानिक नाम का पता हो तो हम असानी से उसकी पहचान कर सकते हैं। द्वि-नाम पद्धति में पहला नाम जीनश तथा दूसरा नाम स्पिशिज का होता है।
प्रश्न - जीव जगत का सबसे बडा फाइलम कौन सा है ?
उत्तर - आर्थोपोडा ।
प्रश्न - जीव जगत का वह कौन सा फाइलम है जिसमें जीवों के शरीर खण्डयुक्त और पैर जुडे हुए होता है ।
उत्तर - आर्थोपोडा ।
प्रश्न - उस फाइलम का नाम बताइए जिनके शरीर पर कवच होता है ?
उत्तर - मोलस्क ।
प्रश्न - स्पाइरोगाइरा क्या है ?
उत्तर - स्पाइरोगाइरा एक शैवाल है । ये मुख्य रूप से जल में पाया जाता है । यह पादप जगत के थैलोफाइटा वर्ग का जीव हैं ।
प्रश्न - पादप जगत का वह कौन सा वर्ग है जिसे पादप वर्ग का उभयचर कहा जाता है ?
उत्तर - ब्रायोफाइटा ।
प्रश्न - बीजाणु किसे कहते है ?
उत्तर - थैलोफाइटा, ब्रायोफाइटा, और टेरिडोफाइटा में नग्न भ्रूण पाए जाते है जिन्हें बीजाणु (spore ) कहा जाता है ।
प्रश्न - सरलतम पौधों को किस वर्ग में रखा गया है ?
उत्तर - थैलोफाइटा।
प्रश्न - जीवों के वर्गीकरण में कोशिकिय संरचना का अधार क्या है?
उत्तर - प्रोकैरियोटी कोशिका तथा यूकैरियोटी कोशिका ।
प्रश्न - प्लांटी जगत के कौन कौन से पादपों को क्रिप्टोगैम कहा जाता है। और क्यो ?
उत्तर - थैलोफाइटा, ब्रायोफाइटा, और टेरिडोफाइटा को क्रिप्टोगैम कहा जाता है। क्योकि इनमें बीज उत्पन्न करने की क्षमता नही होती है।
प्रश्न - टेरिडोफाइटा और फैनरोगैम में क्या अंतर है।
उत्तर -
टेरिडोफाइटा -
1. इनमें बीज उत्पन्न करने की क्षमता नही होती है।
2. इनमें जननांग प्रत्यक्ष होते है ।
फैनरोगैम -
1. जनन प्रक्रिया के पश्चात् बीज उत्पन्न करते है।
2. जनन उतक पूर्ण विकसित होते हैं ।
प्रश्न: बाह्य कंकाल एवं अंत: कंकाल में अंतर लिखिए |
उत्तर: बाह्य कंकाल एवं अंत:कंकाल में निम्न अंतर है |
बाह्य कंकाल |
अंत: कंकाल |
1. शरीर के बाहरी भाग में स्थित कठोर भाग को बाह्य कंकाल कहते है | 2. यह शरीर को आकार एवं रक्षा दोनों प्रदान करता है | 3. यह काईटिन एवं कैल्शियम कार्बोनेट का बना होता है | 4. उदाहरण-आर्थोपोडा, इकाइनोडर्मेटा एवं मोलस्का आदि | |
1. शरीर के भीतरी भाग में पाए जाने वाले कठोर भाग को अंत:कंकाल कहते है | 2. यह शरीर को केवल आकार प्रदान करता है | 3. यह अस्थि एवं उपास्थि का बना होता है | 4. उदाहरण-मत्स्य, उभयचर, सरीसृप, पक्षी एवं स्तनपायी आदि | |
प्रश्न: एक बीजपत्री तथा द्विबीजपत्री में क्या अंतर है ?
उत्तर:
एक बीजपत्री |
द्वि बीजपत्री |
1. इसमें एक बीजपत्र होता है | 2. उदाहरण: पेफियोपेडिलम |
1. इसमें दो बीजपत्र होते हैं | 2. उदाहरण: आइपोमिया |
प्रश्न - पोरिफेरा जीवों में अनेक छिद्र पाये जाते हैं । इन जीवों में इन छिद्र का क्या कार्य है ?
उत्तर - इन छिद्रों के माध्यम से ये जीव जल, ऑक्सिजन और भोज्य पदार्थो का संचरण करते है ?
प्रश्न - पोरिफेरा समुह के जीव समान्यतः कहाँ पाये जाते है ? इनकी शरीर की बनावट कैसी होती है ?
उत्तर - ये समुद्री अवास में पाये जाते हैं । इनका शरीर कठोर आवरण अथवा बाह्य कंकाल से ढका होता हैं ।
प्रश्न - पोरिफेरा समुह के जीवों को समान्यतः किस नाम से जाना जाता है ?
उत्तर - स्पांज के नाम से ।
प्रश्न - जीवों के उस समुह का नाम बताइए जिनकी त्वाचा शल्क और प्लेटों से ढकी रहती हैं ।
उत्तर - मत्स्य वर्ग ।
प्रश्न - प्राणी जगत के उस वर्ग का नाम लिखिए जिनमें नवजात के पोषण के लिए दुग्ध ग्रंथियाँ पाई जाती है।
उत्तर - स्तनधारी वर्ग ।
प्रश्न - उस स्तनधारी का नाम बताओं जो अंडे देते है ?
उत्तर - इकिड्ना और प्लेटिपस ।
प्रश्न - सभी कशेरूकी जीवों में कौन कौन से लक्षण पाये जाते है ?
उत्तर - सभी कशेरूकी जीवों में निम्नलिखित लक्षण पाये जाते है।
1. नोटोकार्ड
2. पृष्ठनलनीय कशेरूक दंड एवं मेरूरज्जु
3. त्रिकोरिक शरीर
4. युग्मित क्लोम थैली
5. देहगुहा
प्रश्न - व्हेल किस अंग से साँस लेता है ?
उत्तर - फेफडे से ।
प्रश्न - पक्षी वर्ग एवं स्तनधारी में अंतर लिखिए ।
उत्तर -
पक्षी | स्तनधारी |
1. इनका शरीर पंखो से ढके रहते है। 4. उदाहरण : कबूतर, मुर्गी आदि | |
1. शरीर पर बाल युक्त त्वाचा पाया जाता है । 4. उदाहरण: मनुष्य, गाय, चूहा, बिल्ली आदि | |
अतिरिक्त प्रश्नोत्तर 2
अध्याय 7. जीवों में विविधता
प्रश्न : उन जीवों के नाम बताइए जो वर्गीकरण से बाहर रखा गया है |
उत्तर : वायरस और प्रीओन (Prion) |
प्रश्न: आदिम जीव किन्हें कहते हैं ?
उत्तर: कुछ जीव समूहों की शारीरिक संरचना में प्राचीन काल से लेकर आज तक कोई
खास परिवर्तन नहीं हुआ है | ऐसे जीवों को आदिम जीव कहते हैं |
प्रश्न: उन्नत जीव किन्हें कहते हैं ?
उत्तर: कुछ जीव समूहों की शारीरिक संरचना में पर्याप्त परिवर्तन दिखाई पड़ते हैं |
ऐसे जीवों को उन्नत जीव कहते हैं |
प्रश्न: पौधें किसे कहते हैं ?
उत्तर: जो प्रकाश संश्लेषण की क्रिया संपन्न करते हैं, वे पौधें कहलाते हैं |
प्रश्न: उस जीव जगत का नाम लिखिए जिनमें गमन के लिए सिलिया, फ्लैंजेला नामक
संरचना पाई जाती है |
उत्तर: प्रॉटिस्टा जगत |
प्रश्न: व्हिटेकर के द्वरा प्रस्तुत जीवों के पांच जगत कौन से हैं ?
उत्तर: जीवों के पांच जगत निम्नलिखित हैं -
(1) मोनेरा
(2) प्रॉटिस्टा
(3) फंजाई
(4) प्लान्टी
(5) एनिमेलिया
प्रश्न: उस जीव को क्या कहते हैं जो अपने भोजन के लिए सड़े गले कार्बोनिक पदार्थों
पर निर्भर रहते हैं ?
उत्तर: मृतजीवी |
प्रश्न: सहजीविता किसे कहते है ?
उत्तर: कवकों की कुछ प्रजातियाँ नील हरित शैवाल (साइनों बैक्टीरिया) के साथ स्थायी
अंतर सम्बन्ध बनाते है जिसे सहजीविता या सहजीवी सम्बन्ध कहते हैं |
प्रश्न: एक सहजीवी सम्बन्ध बनाने वाले जीव का नाम लिखिए |
उत्तर: लाईकेन |
प्रश्न: फंजाई वर्ग के दो जीवों के नाम लिखों |
उत्तर: (1) यीस्ट (2) मशरूम
प्रश्न: प्रॉटिस्टा वर्ग में किस प्रकार के जीव आते है | दो जीवों का उदाहरण दीजिए |
उत्तर: प्रॉटिस्टा वर्ग में एक कोशिकीय युकैरिओटिक जीव आते हैं | उदाहरण: अमीबा
और पैरामिशियम |
प्रश्न: प्लान्टी वर्ग को कितने भागों में बाँटा गया है ?
उत्तर: प्लान्टी वर्ग को पांच भागों में बाँटा गया है -
(1) थैलोंफाइटा
(2) टेरिड़ोफाइटा
(3) ब्रायोंफाइटा
(4) जिम्नोस्पर्म
(5) एन्जियोस्पर्म
प्रश्न: थैलोफाईटा के जीव मुख्य रूप से कहाँ पाए जाते हैं ?
उत्तर: जल में |
प्रश्न - थैलोपफाइटा समुह के जीवों का गुण लिखों ।
उत्तर -
(i) इन पौधों की शारीरिक संरचना में विभेदीकरण नहीं पाया जाता है।
(ii) इस वर्ग के पौधें को समान्यतया शैवाल कहा जाता है।
(iii)यह जलीय पौधे होते है।
(iv)उदाहरणार्थ, यूलोथ्रिक्स, स्पाइरोगाइरा, कारा इत्यादि |
प्रश्न - ब्रायोपफाइटा समुह के जीवों का गुण लिखों ।
उत्तर -
(i) इस प्रकार के पौधे जलीय तथा स्थलीय दोनों होते हैं, इसलिए इन्हें पादप वर्ग का उभयचर कहा जाता है।
(ii) यह पादप, तना और पत्तों जैसी संरचना में विभाजित होता है।
(iii) इसमें पादप शरीर के एक भाग से दूसरे भाग तक जल तथा दूसरी चीजों के संवहन वेफ लिए विशिष्ट उतक नहीं पाए जाते हैं।
(iv) उदाहरणार्थ, मॉस ;फ्रयूनेरियाद्ध, मार्वेंफशिया आदि ।
प्रश्न - टेरिड़ोंपफाइटा समुह के जीवों का गुण लिखों ।
उत्तर -
(i) इस वर्ग के पौधें का शरीर जड़, तना तथा पत्ती में विभाजित होता है।
(ii) जल तथा अन्य पदार्थों के संवहन के लिए संवहन ऊतक भी पाए जाते हैं।
(iii) उदाहरणार्थ- मार्सीलिया, फर्न, हॉर्स-टेल इत्यादि।
(iv) नग्न भ्रूण पाए जाते हैं, जिन्हें बीजाणु ;ेचवतमद्ध कहते हैं।
(v) इसमें में जननांग अप्रत्यक्ष होते हैं।
(vi) इनमें बीज उत्पन्न करने की क्षमता नहीं होती है।
प्रश्न - जिम्नोंस्पर्म के गुण लिखों ।
उत्तर -
(i) इनमें नग्न बीज पाया जाता हैं।
(ii) ये बहुवर्षिय तथा काष्ठिय पौधे होते है।
(iii) उदाहरणार्थ- पाइनस तथा साइकस।
प्रश्न - जिम्नोंस्पर्म के गुण लिखों ।
उत्तर -
(i) इन पौधें के बीज फलों के अंदर ढके होते हैं।
(ii) इन्हें पुष्पी पादप भी कहा जाता है।
(iii) इनमें भोजन का संचय या तो बीजपत्रों में होता है या फिर भ्रूणपोष में।
Select Class for NCERT Books Solutions
NCERT Solutions
NCERT Solutions for class 6th
NCERT Solutions for class 7th
NCERT Solutions for class 8th
NCERT Solutions for class 9th
NCERT Solutions for class 10th
NCERT Solutions for class 11th
NCERT Solutions for class 12th
sponder's Ads
Science Chapter List
1. हमारे आस-पास के पदार्थ
2. क्या हमारे आस-पास के पदार्थ शुद्ध है
3. परमाणु एवं अणु
4. परमाणु की संरचना
5. जीवन की मौलिक इकाई
6. ऊत्तक
7. जीवों में विविधता
8. गति
9. बल और गति का नियम
10. गुरुत्वाकर्षण
11. कार्य और उर्जा
12. ध्वनि
13. हम बीमार क्यों होते है
14. प्राकृतिक संसाधन
15. खाद्ध्य संसाधनों में सुधार
sponser's ads