8. Desi Janta ko sabhya Banana aur Rashtra ko shikshit karna History class 8 exercise महत्वपूर्ण-प्रश्नोत्तर
8. Desi Janta ko sabhya Banana aur Rashtra ko shikshit karna History class 8 exercise महत्वपूर्ण-प्रश्नोत्तर ncert book solution in hindi-medium
NCERT Books Subjects for class 8th Hindi Medium
मुख्य बिंदु
अध्याय - समीक्षा:
- 1791 में बनारस में हिन्दू कॉलेज की स्थापना हुई |
- विलियम जोन्स 1783 में कलकता आये |
- जोन्स और कोल ब्रुक भारत के प्रति एक खास रवैया रखते थे, वे भारत और पश्चिमी दोनों की प्राचीन संस्कृतियों के प्रति गहरा आदर भाव रखते थे |
- अंग्रेजी शिक्षा अधिनियम 1835 में पारित किया गया |
- विलियम जोन्स, हेनरी थॉमस कोलब्रुक तथा नेथैनियल होल्हेड ने एशियाटिक सोसाइटी ऑफ़ बंगाल की स्थापना किसने की |
- एशिया की भाषा और संस्कृति का गहन ज्ञान रखने वाले लोगों को प्राच्यवादी कहा जाता है |
- 1854 के नीतिपत्र के बाद अंग्रेजों ने कई अहम कदम उठाए।
- सरकारी शिक्षा विभागों का गठन किया गया ताकि शिक्षा संबंधी सभी मामलों पर सरकार का नियंत्रण स्थापित किया जा सके।
- विश्वविद्यालयी शिक्षा की व्यवस्था विकसित करने के लिए भी कदम उठाए गए।
- कलकत्ता, मद्रास और बम्बई विश्वविद्यालयों की स्थापना की जा रही थी |
- स्कूली शिक्षा प्रणाली में परिवर्तन के प्रयास भी किए गए।
- 1854 के वुड के नितिपत्र की मुख्य बातें थी - (i) आर्थिक क्षेत्र में शिक्षा का व्यावहारिक लाभ (ii) भारतियों को यूरोपीय जीवनशैली से अवगत कराना | (iii) यूरोपीय शिक्षा से भारतीयों के नैतिक चरित्र का उत्थान करना | (iv) शासन के लिए आवश्यक निपुणता पैदा करना |
- 1813 तक ईस्ट इंडिया कंपनी भारत में प्रचारक गतिविधियों के विरुद्ध थी।
- कंपनी को भय था कि प्रचारकों की गतिविधियों की वजह से स्थानीय जनता के बीच असंतोष पैदा होगा |
- अंग्रेजों को डर था कि लोग भारत में अंग्रेजों की उपस्थिति को शक की नज़र से देखने लगेंगे।
- सरकार को लगता था कि स्थानीय रीति-रिवाजों, व्यवहारों, मूल्य-मान्यताओं और धर्मिक विचारों से किसी भी तरह की छेड़छाड़ "देशी" लोगों को भड़का सकती है।
- प्रचारकों का मानना था कि शिक्षा का उद्देश्य लोगों के नैतिक चरित्र में सुधार लाना होता है और नैतिकता उत्थान केवल ईसाई शिक्षा के जरिए ही संभव है |
- महात्मा गांधी एक ऐसी शिक्षा के पक्षधर थे जो भारतीयों के भीतर प्रतिष्ठा और स्वाभिमान का भाव पुनर्जीवित करे।
- महात्मा गाँधी का कहना था कि पश्चिमी शिक्षा मौखिक ज्ञान की बजाय केवल पढ़ने और लिखने पर केन्द्रित है। उसमें पाठ्यपुस्तकों पर तो जोर दिया जाता है लेकिन जीवन अनुभवों और व्यावहारिक ज्ञान की उपेक्षा की जाती है।
- गाँधी का तर्क था कि शिक्षा से व्यक्ति का दिमाग और आत्मा विकसित होनी चाहिए। उनकी राय में केवल साक्षरता - यानी पढ़ने और लिखने की क्षमता पा लेना ही शिक्षा नहीं होती। इसके लिए तो लोगों को हाथ से काम करना पड़ता है, हुनर सीखने पड़ते हैं और यह जानना पड़ता है कि विभिन्न चीजें किस तरह काम करती हैं। इससे उनका मस्तिष्क और समझने की क्षमता, दोनों विकसित होंगे। वे शिक्षा के साथ-साथ व्यावहारिक शिक्षा के पक्षधर थे |
- शांतिनिकेतन की स्थापना 1901 में गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर ने की थी |
- टैगोर का मानना था कि सृजनात्मक शिक्षा को केवल प्राकृतिक परिवेश में ही प्रोत्साहित किया जा सकता है।
- इसीलिए उन्होंने कलकत्ता से 100 किलोमीटर दूर एक ग्रामीण परिवेश में अपना स्कूल खोलने का फैसला लिया। उन्हें यह जगह निर्मल शांति से भरी (शांतिनिकेतन) दिखाई दी जहाँ प्रकृति के साथ जीते हुए बच्चे अपनी स्वाभाविक सृजनात्मक मेध को और विकसित कर सकते थे।
- टैगोर को ऐसे लगता था मानो स्कूल कोई जेल हो, क्योंकि वहाँ बच्चे मनचाहा कभी नहीं कर पाते थे।
- कलकत्ता के अपने स्कूल जीवन के अनुभवों ने शिक्षा के बारे में टैगोर के विचारों को काफी प्रभावित किया। यही कारण था कि रविंद्रनाथ टैगोर को शांति निकेतन की स्थापना करनी पड़ी |
- महात्मा गाँधी अंग्रेजी भाषाओँ के बजाय भारतीय भाषाओँ में ही शिक्षा चाहते थे | और वे पश्चिमी सभ्यता और मशीनों व प्रौद्योगिकी की उपासना के कट्टर आलोचक थे। जबकि टैगोर आधुनिक पश्चिमी सभ्यता और भारतीय परंपरा के श्रेष्ठ तत्वों का सम्मिश्रण चाहते थे।
- अंग्रेजी शिक्षा अधिनियम 1870 में लागु किया गया |
अभ्यास-प्रश्नोत्तर
अभ्यास - प्रश्न:
प्रश्न: निम्नलिखित के जोड़े बनाएँ:
विलियम जोन्स | अंग्रेजी शिक्षा को प्रोत्साहन |
रवीन्द्रनाथ टैगोर | प्राचीन संस्कृतियों का सम्मान |
टॉमस मैकाले | गुरु |
महात्मा गाँधी | प्राकृतिक परिवेश में शिक्षा |
पाठशालाएँ | अंग्रेजी शिक्षा के विरुद्ध |
उत्तर:
विलियम जोन्स | प्राचीन संस्कृतियों का सम्मान |
रवीन्द्रनाथ टैगोर | गुरु |
टॉमस मैकाले | अंग्रेजी शिक्षा को प्रोत्साहन |
महात्मा गाँधी | अंग्रेजी शिक्षा के विरुद्ध |
पाठशालाएँ | प्राकृतिक परिवेश में शिक्षा |
प्रश्न: निम्नलिखित में से सही या गलत बताएँ:
(क) जेम्स मिल प्राच्यवादियों के घोर आलोचक थे।
(ख) 1854 के शिक्षा सबंधी डिस्पैच में इस बात पर जोर दिया गया था कि भारत में उच्च शिक्षा का माध्यम अंग्रेजी होना चाहिए।
(ग) महात्मा गाँधी मानते थे कि साक्षरता बढ़ाना ही शिक्षा का सबसे महत्त्वपूर्ण उद्देश्य है।
(घ) रवीन्द्रनाथ टैगोर को लगता था कि बच्चों पर सख्त अनुशासन होना चाहिए।
उत्तर:
(क) सही
(ख) सही
(ग) गलत
(घ) गलत
प्रश्न: विलियम जोन्स को भारतीय इतिहास, दर्शन और कानून का अध्ययन क्यों जरुरी दिखाई देता था ?
उत्तर: वे भारत और पश्चिम, दोनों की प्राचीन संस्कृतियों के प्रति गहरा आदर भाव रखते थे। उनका मानना था कि भारतीय सभ्यता प्राचीन काल में अपने वैभव के शिखर पर थी परंतु बाद में उसका पतन होता चला गया। उनकी राय में, भारत को समझने के लिए प्राचीन काल में लिखे गए यहाँ के पवित्र और क़ानूनी ग्रंथों को खोजना व समझना बहुत जरुरी था। उनका मानना था कि हिंदुओं और मुसलमानों के असली विचारों व कानूनों को इन्हीं रचनाओं के जरिये समझा जा सकता है और इन रचनाओं के पुनः अध्ययन से ही भारत के भावी विकास का आधार पैदा हो सकता है।
प्रश्न: जेम्स मिल और टॉमस मैकाले ऐसा क्यों सोचते थे कि भारत में यूरोपीय शिक्षा अनिवार्य है ?
उत्तर: जेम्स मिल और टॉमस मैकाले का मानना था कि भारत में यूरोपीय शिक्षा अनिवार्य है, उनके अनुसार निम्न कारण थे :
(i) अंग्रेजों को देशी जनता को खुश करने और उसका दिल जीतने के लिए जनता की इच्छा के हिसाब से या उनकी भावनाओं को ध्यान में रखते हुए शिक्षा नहीं देनी चाहिए |
(ii) उनकी राय में शिक्षा के जरिए उपयोगी और व्यावहारिक चीजों का ज्ञान दिया जाना चाहिए |
(iii) भारतियों को पूर्वी समाज के काव्य और धार्मिक साहित्य की बजाय यूरोपीय शिक्षा में ज्ञान देना चाहिए |
प्रश्न: महात्मा गाँधी बच्चों को हस्तकलाएँ क्यों सिखाना चाहते थे ?
उत्तर: महात्मा गाँधी का मानना था कि पश्चिमी शिक्षा मौखिक ज्ञान की बजाय केवल पढ़ने और लिखने पर केन्द्रित है। उसमें पाठ्यपुस्तकों पर तो जोर दिया जाता है लेकिन जीवन अनुभवों और व्यावहारिक ज्ञान की उपेक्षा की जाती है। उनकी इस बात के पीछे निम्न तर्क थे |
(i) शिक्षा से व्यक्ति का दिमाग और आत्मा विकसित होनी चाहिए।
(ii) उनकी राय में केवल साक्षरता - यानी पढ़ने और लिखने की क्षमता पा लेना - ही शिक्षा नहीं होती।
(iii) उनका मानना था कि इसके लिए तो लोगों को हाथ से काम करना पड़ता है, हुनर सीखने पड़ते हैं और यह जानना पड़ता है कि विभिन्न चींजे किस तरह काम करती हैं।
(iv) इससे उनका मस्तिष्क और समझने की क्षमता, दोनों विकसित होते हैं।
प्रश्न: महात्मा गाँधी ऐसा क्यों सोंचते थे कि अंग्रेजी शिक्षा ने भारतीयों को गुलाम बना दिया है ?
उत्तर: महात्मा गांधी एक ऐसी शिक्षा के पक्षधर थे जो भारतीयों के भीतर प्रतिष्ठा और स्वाभिमान का भाव पुनर्जीवित करे। राष्ट्रीय आंदोलन के दौरान उन्होंने विद्यार्थियों से आह्वान किया कि वे शिक्षा संस्थानों को छोड़ दें और अंग्रेजों को बताएँ कि अब वे गुलाम बने रहने के लिए तैयार नहीं हैं।
महात्मा गाँधी की दृढ़ मान्यता थी कि शिक्षा केवल भारतीय भाषाओं में ही दी जानी चाहिए। उनके मुताबिक, अंग्रेजी में दी जा रही शिक्षा भारतीयों को अपाहिज बना देती है, उसने उन्हें अपने सामाजिक परिवेश से काट दिया है और उन्हें अपनी ही भूमि पर "अजनबीय" बना दिया है। उनकी राय में, विदेशी भाषा बोलने वाले, स्थानीय संस्कृति से घृणा करने वाले अंग्रेजी शिक्षित भारतीय अपनी जनता से जुड़ने के तौर-तरीके भूल चुके थे।
महत्वपूर्ण-प्रश्नोत्तर
अतिरिक्त - प्रश्न:
प्रश्न: बनारस हिन्दू कॉलेज की स्थापना कब और क्यों हुई ?
उत्तर:1791 में बनारस में हिन्दू कॉलेज की स्थापना की ताकि वहाँ प्राचीन संस्कृत ग्रंथों की शिक्षा दी जा सके | और देश का शासन चलाने में मदद मिले |
प्रश्न: विलियम जोन्स कलकता कब आये ?
उत्तर: 1783 में आये |
प्रश्न: अंग्रेजी शिक्षा अधिनियम कब पारित किया गया ?
उत्तर: 1835 में |
प्रश्न: एशियाटिक सोसाइटी ऑफ़ बंगाल की स्थापना किसने की ?
उत्तर: विलियम जोन्स, हेनरी थॉमस कोलब्रुक तथा नेथैनियल होल्हेड ने |
प्रश्न: प्राच्यवादी शब्द का अर्थ क्या है ?
उत्तर: एशिया की भाषा और संस्कृति का गहन ज्ञान रखने वाले लोगों को प्राच्यवादी कहा जाता है |
प्रश्न: इसाई प्रचारकों ने भारत में सबसे पहले कहाँ अपना मिशिनरी खोला ?
उत्तर: सेरामपुर में |
प्रश्न: आपके अनुसार वूड के नितिपत्र के कौन से दो बिंदु आज भी हमारे शिक्षा का भाग है ?
उत्तर:
(i) शिक्षा का व्यावहारिक लाभ
(ii) शिक्षा से नैतिक चरित्र का उत्थान
प्रश्न: उन्नीसवीं सदी में भारत में सक्रिय ईसाई प्रचारकों ने व्यावहारिक शिक्षा के पक्ष में दिए जा रहे तर्कों का घोर विरोध् क्यों किया?
उत्तर: प्रचारकों का मानना था कि शिक्षा का उद्देश्य लोगों के नैतिक चरित्र में सुधार लाना होता है और नैतिकता उत्थान केवल ईसाई शिक्षा के जरिए ही संभव है |
प्रश्न: शांतिनिकेतन की स्थापना कब और किसने की ?
उत्तर: शांतिनिकेतन की स्थापना 1901 में गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर ने की थी |
प्रश्न: अंग्रेजी शिक्षा अधिनियम कब लागु किया गया ?
उत्तर: 1870 में |
महत्वपूर्ण-प्रश्नोत्तर
अतिरिक्त - प्रश्न:
प्रश्न: जोन्स और कोल ब्रुक भारत के प्रति क्या रवैया रखते थे ?
उत्तर: जोन्स और कोल ब्रुक भारत के प्रति एक खास रवैया रखते थे, वे भारत और पश्चिमी दोनों की प्राचीन संस्कृतियों के प्रति गहरा आदर भाव रखते थे | उनका मानना था कि भारतीय सभ्यता प्राचीन काल में अपने वैभव के शिखर पर थी परन्तु बाद में उसका पतन होता चला गया |
प्रश्न: 19 वीं सदी के शुरुआत में ही बहुत सारे अंग्रेज ऑफिसर शिक्षा के प्राच्यवादी दृष्टिकोण की आलोचना क्यों करने लगे थे ?
उत्तर: उनका कहना था कि पूर्वी समाजों का ज्ञान त्रुटियों से भरा हुआ और अवैज्ञानिक है उनके मुताबिक पूर्वी साहित्य अगंभीर और सतही था | इसलिए उन्होंने दलील दी कि अंग्रेजों को अरबी और संस्कृत भाषा साहित्य के अध्ययन को बढ़ावा देने पर इतना खर्चा नहीं करना चाहिए |
प्रश्न: 1854 के वुड के नितिपत्र में कौन सी बात प्राच्यवादी ज्ञान का विरोधी थी ?
उत्तर: इस नितिपत्र में कहा गया था कि हमें जोर देकर यह बात कहनी चाहिए कि भारत में हम जिस शिक्षा का प्रसार करना चाहते हैं उस शिक्षा का लक्ष्य यूरोप की
श्रेष्ठतर कलाओं, सेवाओं, दर्शन और साहित्य यानी यूरोपीय ज्ञान का प्रसार करना है।
प्रश्न: 1854 के नितिपत्र के बाद अंग्रेजों के शिक्षा के लिए कौन-कौन से कदम उठाए ?
उत्तर: 1854 के नीतिपत्र के बाद अंग्रेजों ने कई अहम कदम उठाए।
(i) सरकारी शिक्षा विभागों का गठन किया गया ताकि शिक्षा संबंधी सभी मामलों पर
सरकार का नियंत्रण स्थापित किया जा सके।
(ii) विश्वविद्यालयी शिक्षा की व्यवस्था विकसित करने के लिए भी कदम उठाए गए।
(iii) कलकत्ता, मद्रास और बम्बई विश्वविद्यालयों की स्थापना की जा रही थी।
(iv) स्कूली शिक्षा प्रणाली में परिवर्तन के प्रयास भी किए गए।
प्रश्न: 1854 के वुड के नितिपत्र की मुख्य बातें क्या थी ?
उत्तर:
(i) आर्थिक क्षेत्र में शिक्षा का व्यावहारिक लाभ
(ii) भारतियों को यूरोपीय जीवनशैली से अवगत कराना |
(iii) यूरोपीय शिक्षा से भारतीयों के नैतिक चरित्र का उत्थान करना |
(iv) शासन के लिए आवश्यक निपुणता पैदा करना |
प्रश्न: 1813 तक ईस्ट इंडिया कंपनी भारत में प्रचारक गतिविधियों के विरुद्ध थी। क्यों ?
उत्तर:
(i) कंपनी को भय था कि प्रचारकों की गतिविधियों की वजह से स्थानीय जनता के बीच असंतोष पैदा होगा |
(ii) लोग भारत में अंग्रेजों की उपस्थिति को शक की नज़र से देखने लगेंगे।
(iii) सरकार को लगता था कि स्थानीय रीति-रिवाजों, व्यवहारों, मूल्य-मान्यताओं और धर्मिक विचारों से किसी भी तरह की छेड़छाड़ "देशी" लोगों को भड़का सकती है।
प्रश्न: ब्रिटिश शिक्षा से पहले भारत में शिक्षा किस प्रकार दी जाती थी ?
उत्तर: ईसाई प्रचारक विलियम एडम के अनुसार "बंगाल और बिहार में एक लाख से ज्यादा पाठशालाएँ हैं। ये बहुत छोटे-छोटे केंद्र थे जिनमें आम तौर पर 20 से ज्यादा विद्यार्थी नहीं होते थे। ये पाठशालाएँ सम्पन्न लोगों या स्थानीय समुदाय द्वारा चलाई जा रही थीं। कई पाठशालाएँ स्वयं गुरु द्वारा ही प्रारम्भ की गई थीं। शिक्षा का तरीका काफी लचीला था। आज आप जिन चीजों की स्कूलों से उम्मीद करते हैं उनमें से कुछ चीजे उस समय की पाठशालाओं में भी मौजूद थीं। बच्चों की फीस निश्चित नहीं थी। छपी हुई किताबें नहीं होती थीं, पाठशाला की इमारत अलग से नहीं बनाई जाती थी, बेंच और कुर्सियां नहीं होती थीं, ब्लैक बोर्ड नहीं होते थे, अलग से कक्षाएँ लेने, बच्चों की हाजिरी लेने का कोई इंतजाम नहीं होता था, सालाना इम्तेहान और नियमित समय-सारणी जैसी कोई व्यवस्था नहीं थी। कुछ पाठशालाएँ बरगद की छाँव में ही चलती थीं तो कई गाँव की किसी दुकान या मंदिर के कोने में या गुरु के घर पर ही बच्चों को पढ़ाया जाता था। बच्चों की फीस उनके माँ-बाप की आमदनी से तय होती थी: अमीरों को ज्यादा और गरीबों को कम फीस देनी पड़ती थी। शिक्षा मौखिक होती थी और क्या पढ़ाना है यह बात विद्यार्थियों की जरूरतों को देखते हुए गुरु ही तय
करते थे। विद्यार्थियों को अलग कक्षाओं में नहीं बिठाया जाता था। सभी एक जगह, एक साथ बैठते थे।"
प्रश्न: महात्मा गाँधी किस प्रकार के शिक्षा के पक्षधर थे ?
उत्तर: महात्मा गांधी एक ऐसी शिक्षा के पक्षधर थे जो भारतीयों के भीतर प्रतिष्ठा और स्वाभिमान का भाव पुनर्जीवित करे। महात्मा गाँधी का कहना था कि पश्चिमी शिक्षा मौखिक ज्ञान की बजाय केवल पढ़ने और लिखने पर केन्द्रित है। उसमें पाठ्यपुस्तकों पर तो जोर दिया जाता है लेकिन जीवन अनुभवों और व्यावहारिक ज्ञान की उपेक्षा की जाती है।
प्रश्न: महात्मा गाँधी ऐसा क्यों मानते थे कि अंग्रेजी शिक्षा भारतियों को अपाहिज बना देती है ?
उत्तर: गाँधी का तर्क था कि शिक्षा से व्यक्ति का दिमाग और आत्मा विकसित होनी चाहिए। उनकी राय में केवल साक्षरता - यानी पढ़ने और लिखने की क्षमता पा लेना ही शिक्षा नहीं होती। इसके लिए तो लोगों को हाथ से काम करना पड़ता है, हुनर सीखने पड़ते हैं और यह जानना पड़ता है कि विभिन्न चीजें किस तरह काम करती हैं। इससे उनका मस्तिष्क और समझने की क्षमता, दोनों विकसित होंगे। वे शिक्षा के साथ-साथ व्यावहारिक शिक्षा के पक्षधर थे |
प्रश्न: रवीन्द्रनाथ टैगोर ने शांतिनिकेतन की स्थापना क्यों की ?
उत्तर: टैगोर का मानना था कि सृजनात्मक शिक्षा को केवल प्राकृतिक परिवेश में ही प्रोत्साहित किया जा सकता है। इसीलिए उन्होंने कलकत्ता से 100 किलोमीटर दूर एक ग्रामीण परिवेश में अपना स्कूल खोलने का फैसला लिया। उन्हें यह जगह निर्मल शांति से भरी (शांतिनिकेतन) दिखाई दी जहाँ प्रकृति के साथ जीते हुए बच्चे अपनी स्वाभाविक सृजनात्मक मेध को और विकसित कर सकते थे। टैगोर को ऐसे लगता था मानो स्कूल कोई जेल हो, क्योंकि वहाँ बच्चे मनचाहा कभी नहीं कर पाते थे। कलकत्ता के अपने स्कूल जीवन के अनुभवों ने शिक्षा के बारे में टैगोर के विचारों को काफी प्रभावित किया। यही कारण था कि रविंद्रनाथ टैगोर को शांति निकेतन की स्थापना करनी पड़ी |
प्रश्न: रवीन्द्रनाथ टैगोर और महात्मा गाँधी के शिक्षा के बारे में कमोबेश एक जैसी राय थी लेकिन दोनों के बीच क्या अंतर था ?
उत्तर: महात्मा गाँधी अंग्रेजी भाषाओँ के बजाय भारतीय भाषाओँ में ही शिक्षा चाहते थे | और वे पश्चिमी सभ्यता और मशीनों व प्रौद्योगिकी की उपासना के कट्टर आलोचक थे। जबकि टैगोर आधुनिक पश्चिमी सभ्यता और भारतीय परंपरा के श्रेष्ठ तत्वों का सम्मिश्रण चाहते थे। इसलिए उन्होंने शांतिनिकेतन में कला, संगीत और नृत्य के साथ-साथ विज्ञान और प्रौद्योगिकी की शिक्षा पर भी जोर दिया।
प्रश्न: रविंद्रनाथ टैगोर किस प्रकार कि शिक्षा के पक्षधर थे ?
उत्तर: टैगोर और महात्मा गाँधी शिक्षा के बारे में कमोबेश एक जैसी राय रखते थे। परन्तु दोनों में अन्तर था | टैगोर आधुनिक पश्चिमी सभ्यता और भारतीय परंपरा के श्रेष्ठ तत्वों का सम्मिश्रण चाहते थे। उन्होंने शांतिनिकेतन में कला, संगीत और नृत्य के साथ-साथ विज्ञान और प्रौद्योगिकी की शिक्षा पर भी शोर दिया।
प्रश्न: टैगोर और महत्मा गाँधी के शिक्षा के बारे के क्या राय थे ?
उत्तर: बहुत सारे मामलों में टैगोर और महात्मा गाँधी शिक्षा के बारे में कमोबेश एक जैसी राय रखते थे। लेकिन दोनों के बीच फर्क भी थे। गाँधी जी पश्चिमी सभ्यता और मशीनों व प्रौद्योगिकी की उपासना के कट्टर आलोचक थे। वे स्वदेशी के पक्षधर थे जबकि टैगोर आधुनिक पश्चिमी सभ्यता और भारतीय परंपरा के श्रेष्ठ तत्वों का सम्मिश्रण चाहते थे।
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History Chapter List
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2. व्यापार से साम्राज्य तक
3. ग्रामीण क्षेत्र पर शासन चलाना
4. आदिवासी, दिकु और एक स्वर्ण युग की कल्पना
5. जब जनता बगावत करती है |
6. उपनिवेशवाद और शहर
7. बुनकर, लोहा बनाने वाले और फैक्ट्री मालिक
8. Desi Janta ko sabhya Banana aur Rashtra ko shikshit karna
9. महिलाएँ, जाती एवं सुधार
10. दृश्य कलाओं की बदलती दुनियाँ
11. राष्ट्रीय आन्दोलन का संघटन
12. स्वतंत्रता के बाद
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