6. उपनिवेशवाद और शहर History class 8 exercise महत्वपूर्ण-प्रश्नोत्तर
6. उपनिवेशवाद और शहर History class 8 exercise महत्वपूर्ण-प्रश्नोत्तर ncert book solution in hindi-medium
NCERT Books Subjects for class 8th Hindi Medium
मुख्य बिंदु
अध्याय - समीक्षा:
- मछलीपट्नम सत्राहवीं शताब्दी में एक महत्वपूर्ण बंदरगाह के रूप में विकसित हुआ।
- अठाहरवीं सदी के आखिर में जब व्यापार बम्बई, मद्रास और कलकत्ता के नए ब्रिटिश बंदरगाहों पर केन्द्रित होने लगा तो उसका महत्व घटता गया।
- अठारहवीं सदी के आखिर में कलकत्ता, बम्बई और मद्रास का महत्व प्रेजिडेंसी शहरों के रूप में तेजी से बढ़ रहा था। ये शहर भारत में ब्रिटिश सत्ता के केंद्र बन गए थे।
- जब अंग्रेजो ने स्थानीय राजाओं को हरा दिया और शासन के नए केंद्र पैदा हुए तो क्षेत्राय सत्ता के पुराने केंद्र भी ढह गए। इस प्रक्रिया को अकसर विशहरीकरण कहा जाता है।
- बीसवीं शताब्दी की शुरुआत में केवल 11 प्रतिशत लोग शहरों में रहते थे।
- प्रेजिडेंसी - शासन की सुविधा के लिहाज से औपनिवेशिक भारत को तीन "प्रेजिडेंसी" (बम्बई, मद्रास और बंगाल) में बाँट दिया गया था। ये तीनों प्रेजिडेंसी सूरत, मद्रास और कलकत्ता में स्थित ईस्ट इंडिया कंपनी की "फक्ट्रियों" (व्यापारिक चौकियों) को ध्यान में रखकर बनायी गई थीं।
- शहरीकरण - ऐसी प्रक्रिया जिसमें अधिक से अधिक लोग शहरों और कस्बों में जाकर रहने लगते हैं।
- सारी राजधानियों में सबसे शानदार राजधानी शाहजहाँ ने बसाई थी। शाहजहाँनबाद की स्थापना 1639 मैं शरू हुई।
- जामा मसजिद भारत की सबसे विशाल और भव्य मसजिदों में से एक थी। उस समय पूरे शहर में इस मसजिद से ऊँचा कोई स्थान नहीं था।
- 1803 में अंग्रजों ने मराठों को हराकर दिल्ली पर नियंत्रण हासिल कर लिया था। क्योंकि ब्रिटिश भारत की राजधानी कलकत्ता थी इसलिए मुगल बादशाह को लाल किले के महल में रहने की छूट मिली हुई थी।
- दिल्ली 1911 मैं ब्रिटिश की राजधानी बनाने के बाद बनान शुरू हुआ था
- मद्रास, बम्बई या कलकत्ता में भारतीयों और अंग्रेजों बस्तियाँ अलग-अलग होती थीं। भारतीय लोग "काले" इलाकों में और अंग्रेज लोग सुसज्जित "गोरे" इलाकों में रहते थे।
- दिल्ली में ऐसा नहीं था। ख़ासतौर से उन्नीसवीं सदी के पूर्वधार में दिल्ली के अंग्रेज भी पुराना शहर के भीतर अमीर हिंदुस्तानियों के साथ ही रहा करते थे। वे भी उर्दू/फारसी संस्कृति व शायरी का मजा लेते थे और स्थानीय त्योहारों में हिस्सेदारी करते थे।
- 1824 में दिल्ली कॉलेज की स्थापना हुई जिसकी शुरूआत अठारहवीं सदी में मदरसे के रूप में हुई थी।यहाँ मुख्य रूप से उर्दू भाषा में काम होता था।
- बहुत सारे लोग 1830 से 1857 की अवधि को दिल्ली पुनर्जागरण काल बताते हैं।
- 1877 में वायसरॉय लिटन ने रानी विक्टोरिया को भारत की मलिका घोषित करने के लिए एक दरबार का आयोजन किया।
- 1911 में जब जॉर्ज पंचम को इंग्लैंड का राजा बनाया गया तो इस मौके पर दिल्ली में एक और दरबार का आयोजन हुआ। कलकत्ता की बजाय दिल्ली को भारत की राजधानी बनाने के फैसले का भी इसी दरबार में ऐलान किया गया।
- तत्कालीन शहर के दक्षिण में रायसीना पहाड़ी पर दस वर्ग मील के इलाके में नयी दिल्ली का निर्माण किया गया। एडवर्ड लटयंस और हर्बर्ट बेकर नाम के दो वास्तुकारों को नयी दिल्ली और उसकी इमारतों का डिजाइन तैयार करने का जिम्मा सौंपा गया।
- नयी दिल्ली स्थित सरकारी परिसर में दो मील का चौड़ा रास्ता, वायसरॉय के महल (वर्तमान राष्ट्रपति भवन) तक जाने वाला किग्सवे (वर्तमान राजपथ), और उसके दोनों तरफ सचिवालय की इमारतें बनाई गईं।
- नयी दिल्ली के निर्माण में लगभग 20 साल लगे।
- 1931 की जनगणना से पता चला कि पुराने शहर के इलाके में भयानक भीड़ हैं। यहाँ प्रति एकड़ 90 लोग रहते थे जबकि नयी दिल्ली में प्रति एकड़ केवल 3 लोगों का औसत था।
- दिल्ली सुधार ट्रस्ट का गठन 1936 में किया गया। इस योजना के तहत संपन्न लोगों के लिए दरियागंज दक्षिण जैसे इलाके बनाए गए। यहाँ पार्कों के इर्द-गिर्द रिहायशी मकान बने। मकानों के भीतर निजता की नयी सोच के हिसाब से जगह बँटी हुई थी।
अभ्यास-प्रश्नोत्तर
अभ्यास - प्रश्न:
प्रश्न: सही या गलत बताएँ:
(क) पश्चिमी विश्व में आधुनिक शहर औद्योगीकरण के साथ विकसित हुए।
(ख) सूरत और मछलीपट्नम का उन्नीसवीं शताब्दी में विकास हुआ।
(ग) बीसवीं शताब्दी में भारत की ज़्यादातर आबादी शहरों में रहती थी।
(घ) 1857 के बाद जामा मसजिद में पाँच साल तक नमाश नहीं हुई।
(ङ) नयी दिल्ली के मुकाबले पुरानी दिल्ली की साफ-सफाई पर ज़्यादा पैसा खर्च किया गया।
उत्तर:
(क) पश्चिमी विश्व में आधुनिक शहर औद्योगीकरण के साथ विकसित हुए। (सही)
(ख) सूरत और मछलीपट्नम का उन्नीसवीं शताब्दी में विकास हुआ। (गलत)
(ग) बीसवीं शताब्दी में भारत की ज़्यादातर आबादी शहरों में रहती थी। (गलत)
(घ) 1857 के बाद जामा मसजिद में पाँच साल तक नमाश नहीं हुई। (सही)
(ङ) नयी दिल्ली के मुकाबले पुरानी दिल्ली की साफ-सफाई पर ज़्यादा पैसा खर्च किया गया (गलत)
प्रश्न: रिक्त स्थान भरें:
(क) सफलतापूर्वक गुंबद का इस्तेमाल करने वाली पहली इमारत ................. थी।
(ख) नयी दिल्ली और शाहजहाँनाबाद की रूपरेखा तय करने वाले दो वास्तुकार ................. और ................. थे।
(ग) अंग्रेज भीड़ भरे स्थानों को ................. मानते थे।
(घ) ................. के नाम से 1888 में एक विस्तार योजना तैयार की गई।
उत्तर:
(क) सफलतापूर्वक गुंबद का इस्तेमाल करने वाली पहली इमारत जामा मस्जिद थी।
(ख) नयी दिल्ली और शाहजहाँनाबाद की रूपरेखा तय करने वाले दो वास्तुकार एड्वेर्रेड लुत्त्यंस और हर्बर्ट बेकरथे।
(ग) अंग्रेज भीड़ भरे स्थानों को बिमारियों का स्त्रोत मानते थे।
(घ) लाहोर गेट सुधार योजना के नाम से 1888 में एक विस्तार योजना तैयार की गई।
प्रश्न: नयी दिल्ली और शाहजहाँनाबाद की नगर योजना में तीन फर्क ढूँढ़ें।
उत्तर: नयी दिल्ली और शाहजहाँनाबाद की नगर योजना में तीन फर्क:-
(i) शाहजानाबाद पूरी तरफ दीवारों से घिरा हुआ थे पर दिल्ली मैं ऐसा नही हैं |
(ii) शाहजानाबाद मैं भीड़-भाड़ वाले महोल्ले तथा संकरी गलियाँ थी लेकिन नई दिल्ली मैं सीधी-चोड्डी गलियाँ थी जिनके दोनों तरफ बंगले बने हुए थे |
(iii) नई दिल्ली मैं जलापूर्ति तथा गन्दगी आदि के निपटारे की आची व्यावस्था थे लकिन शहजानाबाद मैं ऐसा नही था|
प्रश्न: मद्रास जैसे शहरों के "गोरे" इलाकों में कौन लोग रहते थे?
उत्तर: मद्रास जैसे शहरों मैं सुस्सजित "गोरे" इलाको मैं अंग्रेज रहा करते थे|
प्रश्न: विशहरीकरण का क्या मतलब है?
उत्तर: विशेहरिकरण का अर्थ है - जब देश के कुछ शहरों की तीव्र वृद्धि हो रही होती है और ठीक उसी समय से पहले से विकसित कुछ शहर पिछड़ रहे होप्रश्न: अंग्रेजों ने दिल्ली में ही विशाल दरबार क्यों लगाया जबकि दिल्ली राजधानी नहीं थी।
उत्तर:
(i) अंग्रेजो को दिल्ली के सांकेतिक महत्व के बारे मैं अच्छे से था|
(ii) अंग्रेज मुग़ल बादशाह के महत्व को कम करना चाहते थे|
(iii) अंग्रेज कोल्कता की जगह दिल्ली को देश की राजधानी बनान चाहते थे|
प्रश्न: पुराना दिल्ली शहर ब्रिटिश शासन के तहत किस तरह बदलता गया?
उत्तर:
(i) लाल किल्ले के आस पास का सारा इलाकों को साफ़ करा दिया गया| बाग़, मैदान, और मस्जिदों, को नष्ट कर दिया गया|
(ii) शहर का एक तिहाई हिस्सा ढहा दिया गया|
(iii) 1870 के दशक मैं रेलवे की स्थापना तथा शहर के विस्तार के लिए शहजानाबाद की पश्चिमी दीवारों को तोड़ दिया गया|
(iv) नहर को पाटकर (मिट्टी भरकर) समतल कर दिया गया|
प्रश्न: विभाजन से दिल्ली के जीवन पर क्या असर पड़ा?
उत्तर: (i) दिल्ली शरणार्थियो का शहर बन गया लाजपत नगर और तिलक नगर जैसी बस्तियां उसी समय बसी|
(ii) दिल्ली की जनसँख्या तेजी से बढ़ी| दिल्ली की जनसंख मैं 5 लाख की वृद्धि हुई|
(iii) दिल्ली के दो तिहाई मुसलमान पलायन कर गए जिससे 44000 मकान खाली हो गई|
(iv) पाकिस्तान जाने वाले ज्यादातर मुसलमान कारीगर, छोटे-मोटे व्यापारी और मजदूर थे| दिल्ली आए नए लोग ग्रामीण भू-स्वामी, वकील, शिक्षक, व्यापारी और छोटे दुकानदार थे| विभाजन ने उनकी जिंदगी और उनके व्यवसाय बदल दिए|
महत्वपूर्ण-प्रश्नोत्तर
अतिरिक्त - प्रश्न:
प्रश्न: भारतीय कपड़ा और विश्व बाजार की भूमिका लिखिए|
उत्तर:
- अंग्रेजों के आक्रमण से पहले भी भारत विश्व में कपास का अग्रणी उत्पादक था। भारतीय वस्त्र प्रसिद्ध थे क्योंकि उन्होंने उत्कृष्ट शिल्प कौशल दिखाया और अच्छी गुणवत्ता वाले थे।
- भारतीय कपड़ा वस्तुओं का दक्षिणी, पश्चिमी और पूर्वी एशिया में भारी व्यापार होता था।
- यह 16वीं शताब्दी में था कि यूरोपीय व्यापारियों को अंततः भारतीय कपड़ा मिला और वे भी गुणवत्ता से प्रभावित हुए।
प्रश्न: यूरोपीय बाजारों में भारतीय कपड़ा भूमिका तथा विस्तार किस तरह हुआ?
उत्तर:
- यद्यपि भारतीय वस्त्रों की अत्यधिक मांग थी, उनकी सफलता का यूरोपीय व्यापारियों ने स्वागत नहीं किया।
- भारतीय वस्त्रों की मांग इतनी प्रबल थी कि अन्य कपड़ा व्यापारियों को खतरा महसूस हुआ। इन वस्तुओं की सर्वोच्च लोकप्रियता के कारण, यूरोपीय व्यापारियों ने विरोध करना शुरू कर दिया और भारतीय कपड़ा वस्तुओं के आयात पर प्रतिबंध लगाने की मांग की।
- अंत में, 1720 में, ब्रिटिश सरकार ने अपने बाजार में भारतीय वस्त्रों की बिक्री पर रोक लगाने वाला कानून बनाया। यह प्रतिबंध ब्रिटेन के उभरते कपड़ा उद्योग की मदद के लिए लगाया गया था।
- कपड़ा उद्योग में तकनीकी प्रगति के लिए भारतीय कपड़ा उद्योग से प्रतिस्पर्धा का दबाव एक महत्वपूर्ण कारक था। जॉन केय द्वारा 1764 में स्पिनिंग जेनी के आविष्कार के साथ, कपड़ा उद्योग की उत्पादकता में वृद्धि हुई।
- रिचर्ड आर्कराइट ने 1786 में भाप इंजन का आविष्कार किया था। इसका मतलब यह हुआ कि कपास के सामान का परिवहन सस्ता हो गया। इस तरह के क्रांतिकारी आविष्कारों के कारण, कपड़ा उद्योग अंततः अधिक उपलब्ध और किफायती होने लगा।
- इन सभी प्रगति के बावजूद, भारतीय कपड़ा उद्योग यूरोपीय बाजारों में व्यापारों में अग्रणी बना रहा।
- व्यापारी अपने द्वारा निर्यात की जाने वाली चांदी से भारतीय वस्तुओं का आयात करते थे। जब अंग्रेज बंगाल के दीवान बने, तथापि, वे लोगों के करों की मदद से भारतीय वस्त्रों का आयात करने में सक्षम थे।
प्रश्न: बुनकर कौन थे?
उत्तर: बुनकर आम तौर पर उन व्यक्तियों के समूह का हिस्सा थे जो बुनाई में कुशल थे। उदाहरण के लिए, बंगाल के तांत बुनकर, बिक्री, और दक्षिण भारत के कैकोलार और देवांग, साथ ही उत्तर भारत के जुलाहा या मोमिन बुनकर।
प्रश्न: कपास उद्योग की गिरावट के क्या कारण थे?
उत्तर:
- कपास उद्योग का पतन निम्नलिखित कारणों से हुआ:
- ब्रिटिश कपड़ा उद्योग के विकास ने उन्हें भारतीय कपड़ा उद्योग के बराबर कर दिया।
- भारत से ब्रिटेन में कपड़ा माल आयात करने पर आयात को नियंत्रित करने वाले कानूनों के कारण उच्च कर लगता है।
- अठारहवीं शताब्दी के अंत तक, ब्रिटेन निर्मित कपड़ा वस्तुओं ने अफ्रीका, अमेरिका और यूरोप जैसे विभिन्न देशों के बाजारों से भारतीय सामानों को हटा दिया। कपड़ा उद्योग की मांग में कमी के परिणामस्वरूप कपड़ा उद्योग का पतन हुआ।
- यूरोपीय व्यापारियों ने भारतीय कपड़ा सामान खरीदना बंद कर दिया और उनके एजेंटों ने भी अपने उत्पादों के लिए अग्रिम भुगतान करना बंद कर दिया। बुनकरों ने उनकी दुर्दशा को दूर करने के लिए सरकार से मदद दिलाने की कोशिश की।
- सबसे ज्यादा मार तब पड़ी जब अंग्रेजों ने अपनी उपज को भारतीय बाजार में बेचना शुरू किया। भारतीयों ने ब्रिटिश उत्पादों को खरीदना शुरू कर दिया और बुनाई उद्योग ने भी देशी बाजार खो दिया।
- बुनकरों को अपनी नौकरी छोड़ने और अलग-अलग शहरों की ओर पलायन करके और/या कृषि आदि अपनाकर खुद को बनाए रखने के लिए मजबूर किया गया था।
- बाद में स्वतंत्रता संग्राम के दौरान, भारतीयों ने भारतीय कपड़ा वस्तुओं को पहनना शुरू कर दिया; तभी देश का कपड़ा उद्योग फिर से पुनर्जीवित हुआ।
महत्वपूर्ण-प्रश्नोत्तर
अतिरिक्त - प्रश्न:
प्रश्न: भारत की कपास मिलें की प्रक्रिया क्या हैं?
उत्तर:
- 1854 में, भारत में पहली कपास मिल बॉम्बे में स्थापित की गई थी। अपनी भौगोलिक स्थिति, निकटवर्ती कपास के खेतों से निकटता के कारण, यह आयात और निर्यात के लिए एक महत्वपूर्ण बंदरगाह के रूप में उभरा था। मिल की स्थापना के बाद, इन क्षेत्रों से कपास का उपयोग कच्चे माल के रूप में किया जाता था।
- इसके परिणामस्वरूप पूरे भारत में कई मिलें खुल गईं। 1861 में अहमदाबाद में एक मिल का निर्माण किया गया। 1900 के दशक की शुरुआत तक, भारत के विभिन्न शहरों में 84 कपास मिलें स्थापित हो चुकी थीं।
- दूसरी ओर, स्वदेशी भारतीय कपड़ा उद्योग को अपने शुरुआती दौर में कई चुनौतियों से पार पाना था। उदाहरण के लिए, भारतीय वस्त्र बाजार में कम कीमत वाली ब्रिटिश वस्तुओं का मुकाबला नहीं कर सकते थे।
- औपनिवेशिक ब्रिटिश सरकार ने स्थानीय कपड़ा व्यापारियों के हितों की रक्षा के लिए कोई कार्रवाई करने से इनकार कर दिया। भारतीय कपड़ा उद्योग का पहला उदय इस प्रकार प्रथम विश्व युद्ध के बाद नोट किया गया था जब ब्रिटिश आयात में गिरावट आई थी और भारतीय मिलों को सेना के लिए कपड़ा बनाने के लिए जिम्मेदार बनाया गया था।
- इससे मजदूरों और मजदूरों की मांग पैदा हो गई। आस-पास के स्थानों के कारीगर और शिल्पकार कपड़ा मिलों में मदद के लिए शामिल हुए इससे श्रमिकों और मजदूरों की मांग पैदा हुई। आस-पास के स्थानों के कारीगर और शिल्पकार उत्पादन में मदद करने के लिए कपड़ा मिलों में शामिल हो गए।
प्रश्न: टीपू सुल्तान और वुट्ज़ स्टील की तलवार की प्रसिद्ध क्या था|
उत्तर: महान टीपू सुल्तान की तलवार न केवल उसके मालिक बल्कि उसके निर्माताओं के कारण भी प्रसिद्ध थी। यह भारत में उपलब्ध लोहे से बहुत कठोर स्टील से बना था और इसे वूट्ज़ स्टील के रूप में जाना जाता था।
- भारत में लोहा गलाने का उद्योग उपनिवेशीकरण से पहले एक फलता-फूलता उद्योग था। इसका उत्पादन गांवों में स्मेल्टरों द्वारा किया जाता था जो जंगलों से लौह अयस्क का उपयोग करते थे। लोहे को गलाने के लिए आवश्यक ऊर्जा का उत्पादन करने के लिए जंगल से चारकोल का भी उपयोग किया जाता था।
- हालांकि, उन्नीसवीं सदी तक, भारत का लोहा गलाने का उद्योग तेजी से घट रहा था।
प्रश्न: लोहा गलाने उद्योग में गिरावट के कारण हैं?
उत्तर: भारत में वन कानून: भारत में वन कानूनों ने लोगों को जंगलों में प्रवेश करने से रोका। इन कानूनों के साथ, लोग लकड़ी का कोयला या लोहे के लिए अयस्क नहीं खरीद सकते थे।
स्मेल्टर्स पर उच्च कर: जिन क्षेत्रों में सरकार ने वनों तक पहुंच की अनुमति दी, वहां के लोगों को उक्त के लिए उच्च करों का भुगतान करना पड़ा। इसका परिणाम यह हुआ कि अंतिम उत्पाद का बिक्री मूल्य बहुत अधिक था और शुद्ध लाभ कम था।
ब्रिटेन से लोहा और इस्पात का आयात: उन्नीसवीं सदी के अंत तक ब्रिटेन ने भारत में स्टील और लोहे का आयात करना शुरू कर दिया। इन सस्ते संसाधनों का इस्तेमाल बर्तन और उपकरण बनाने में किया जाता था।
बीसवीं सदी के अंत तक, लौह प्रगालकों को अपना घर छोड़ने और रोजगार के लिए कहीं और पलायन करने के लिए मजबूर होना पड़ा।
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2. व्यापार से साम्राज्य तक
3. ग्रामीण क्षेत्र पर शासन चलाना
4. आदिवासी, दिकु और एक स्वर्ण युग की कल्पना
5. जब जनता बगावत करती है |
6. उपनिवेशवाद और शहर
7. बुनकर, लोहा बनाने वाले और फैक्ट्री मालिक
8. Desi Janta ko sabhya Banana aur Rashtra ko shikshit karna
9. महिलाएँ, जाती एवं सुधार
10. दृश्य कलाओं की बदलती दुनियाँ
11. राष्ट्रीय आन्दोलन का संघटन
12. स्वतंत्रता के बाद
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