4. आदिवासी, दिकु और एक स्वर्ण युग की कल्पना History class 8 exercise महत्वपूर्ण-प्रश्नोत्तर
4. आदिवासी, दिकु और एक स्वर्ण युग की कल्पना History class 8 exercise महत्वपूर्ण-प्रश्नोत्तर ncert book solution in hindi-medium
NCERT Books Subjects for class 8th Hindi Medium
मुख्य बिंदु
अध्याय - समीक्षा:
- झूम खेती घुमंतू खेती को कहा जाता है।घुमंतू किसान मुख्य रूप से पूर्वात्तर और मध्य भारत की पर्वतीय व जंगली पट्टियों में ही रहते थे।
- आदिवासी मुखायात: खाना पकाने के लिए वे साल और महुआ के बीजों का तेल इस्तेमाल करते थे।
- इलाज के लिए वे बहुत सारी जंगली जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल करते थे और जंगलों से इकट्ठा हुई चीजों को स्थानीय बाजरों में बेच देते थे।
- मध्य भारत के बैगा - औरों के लिए काम करने से कतराते थे। बैगा खुद को जंगल की संतान मानते थे जो केवल जंगल की उपज पर ही जिदा रह सकती है। मजदूरी करना बैगाओं के लिए अपमान की बात थी।
- पंजाब के पहाडो मैं रहने वाले वन गुज्जार आरै आंध्रप्रदेश के लबाडिया आदि समुदाय गाय-भैंस के झुंड पालते थे।
- कुल्लू के गद्दी समुदाय के लोग गड़रिये थे और कश्मीर के बकरवाल बकरियाँ पालते थे।
- आदिवासियों के मुखियाओं का महत्वपूर्ण स्थान होता था। उनवेफ पास औरों से ज्यादा आर्थिक ताकत होती थी और वे अपने इलाके पर नियंत्रण रखते थे। कई जगह उनकी अपनी पुलिस होती थी और वे जमीन एवं वन प्रबंधन के स्थानीय नियम खुद बनाते थे।
- अंग्रेजो ने सारे जंगलों पर अपना नियंत्रण स्थापित कर लिया था और जंगलों को राज्य की संपत्ति घोषित कर दिया था। कुछ जंगलों को आरक्षित वन घोषित कर दिया गया।
- ये ऐसे जंगल थे जहाँ अंग्रेजो की जरूरतों के लिए इमारती लकड़ी पैदा होती थी। इन जंगलों में लोगों को स्वतंत्र रूप से घूमने, झूम खेती करने, पफल इकट्ठा करने या पशुओं का शिकार करने की इजाजत नहीं थी।
- 1906 में सोंग्रम संगमा द्वारा असम में और 1930 के दशक में मध्य प्रांत में हुआ वन सत्याग्रह इसी तरह के विद्रोह थे।
- अठारहवीं सदी में भारतीय रेशम की यूरोपीय बाजरों में भारी माँग थी। भारतीय रेशम की अच्छी गुणवत्ता सबको आकर्षित करती थी और भारत का निर्यात तेजी से
बढ़ रहा था। - जैसे-जैसे बाजर फैला ईस्ट इंडिया कंपनी के अफसर इस माँग को पूरा करने क्व लिए रेशम उत्पादन पर शोर देने लगे।
- वर्तमान झारखण्ड में स्थित हजारीबाग के आस-पास रहने वाले संथाल रेशम के कीड़े पालते थे। रेशम के व्यापारी अपने ऐजेंटों को भेजकर आदिवासियों को कर्जे देते थे और उनके कृमिकोषों को इकट्ठा कर लेते थे।एक हजार कृमिकोषों के लिए 3-4 रुपए मिलते थे।
- उन्नीसवीं सदी के आखिर से ही चाय बागान फैलने लगे थे। खनन उद्योग भी एक महत्वपूर्ण उद्योग बन गया था।
- असम के चाय बागानों और झारखण्ड की कोयला खादानों में काम करने के लिए आदिवासियों को बड़ी संख्या में भर्ती किया गया।
- 1831-32 में कोल आदिवासियों ने और 1855 में संथालों ने बगावत कर दी थी।
- मध्य भारत में बस्तर विद्रोह 1910 में हुआ और 1940 में महाराष्ट्र में वर्ली विद्रोह हुआ।
- बिरसा का जन्म 1870 के दशक के मध्य में हुआ। उनके पिता गरीब थे। बिरसा का बचपन भेड़-बकरियाँ चराते, बाँसुरी बजाते और स्थानीय अखाड़ों में नाचते-गाते बीता था। उनकी परवरिश मुख्य रूप से बोहोंडा के आस-पास के जंगलों में हुई।
- बिरसा ने एक जाने-माने वैष्णव धर्म प्रचारक के साथ भी कुछ समय बिताया। उन्होंने जनेउ धारण किया और शुद्धता व दया पर जोर देने लगे।
- बिरसा का आंदोलन आदिवासी समाज को सुधारने का आंदोलन था। उन्होंने मुंडाओं से आह्नान किया कि वे शराब पीना छोड़ दें, गाँवों को साफ रखें और डायन व जादू-टोने में विश्वास न करें।
- बिरसा ने मिशनरियों और हिंदू जमींदारों का भी लगातार विरोध किया। वह उन्हें बाहर का मानते थे जो मुंडा जीवन शैली को नष्ट कर रहे थे।
- 1895 में बिरसा ने अपने अनुयायियों से आह्नान किया कि वे अपने गौरवपूर्ण अतीत को पुनर्जीवित करने के लिए संकल्प लें। वह अतीत वेफ एकऐसे स्वर्ण युग - सतयुग - की चर्चा करते थे जब मुंडा लोग अच्छा जीवन जीते थे, तटबंध बनाते थे, वकुदरती झरनों को नियंत्रित करते थे, पेड़ और बाग लगाते थे, पेट पालने वेफ लिए खेती करते थे।
- बिरसा चाहते थे कि लोग एक बार पिफर अपनी शमीन पर खेती करें, एक
जगह टिक कर रहें और अपने खेतों में काम करें। - यह आंदोलन मिशनरियों, महाजनों, हिंदू भूस्वामियों और सरकार को बाहर निकालकर बिरसा के नेतृत्व में मुंडा राज स्थापित करना चाहता था।
- यह आंदोलन इन्हीं ताकतों को मुंडाओं की सारी समस्याओं व कष्टों का स्रोत
मानता था। - अंग्रेजो की भूनीतियाँ उनकी परंपरागत भूमि व्यवस्था को नष्ट कर रही थीं, हिंदू भूस्वामी और महाजन उनकी जमीन छीनते जा रहे थे और मिशनरी उनकी परंपरागत संस्वृफति की आलोचना करते थे।
- जब आंदोलन फैलने लगा तो अंग्रेजो ने सख्त कार्रवाई का फसला लिया। उन्होंने 1895 में बिरसा को गिरफ्ऱतार किया और दंगे-फसाद के आरोप में दो साल की सजा सुनायी।
- 1897 में जेल से लौटने के बाद बिरसा समर्थन जुटाते हुए गाँव-गाँव घूमने लगे।
- सन् 1900 में बिरसा की हैजे से मृत्यु हो गई और आंदोलन ठंडा पड़ गया। यह आंदोलन दो मायनों में महत्वपूर्ण था।
- पहला - इसने औपनिवेशिक सरकार को ऐसे कानून लागू करने के लिए मजबूर किया जिनके जरिए दीकु लोग आदिवासियों की जमीन पर आसानी से कब्शा न कर सके।
- दूसरा, इसने एक बार फिर जता दिया कि अन्याय का विरोध करने और औपनिवेशिक शासन के विरुद्धअपने गुस्से को अभिव्यक्त करने में आदिवासी सक्षम हैं।
अभ्यास-प्रश्नोत्तर
अभ्यास - प्रश्न:
प्रश्न1: रिक्त स्थान भरें :
(क) अंग्रेजों ने आदिवासियों को ................... के रूप में वर्णित किया |
(ख) झूम खेती में बीज बोने के तरीके को ................... कहा जाता है |
(ग) मध्य भारत में ब्रिटिश भूमि बंदोबस्त के अंतर्गत आदिवासी मुखियाओं को ............... स्वामित्व मिल गया |
(घ) असम के .................. और बिहार की ................ में काम करने के लिए आदिवासी जाने लगे |
उत्तर:
(क) जंगली
(ख) छितराना
(ग) भूमि
(घ) बागान, खादान
प्रश्न2: सही या गलत बताएँ :
(क) झूम काश्तकार जमीन की जुताई करते हैं और बीज रोपते हैं |
(ख) व्यापारी संथालों से कृमिकोष खरीदकर उसे पाँच गुना ज्यादा कीमत पर बेचते थे |
(ग) बिरसा ने अपने अनुयायियों का आह्वान किया कि वे अपना शुद्धिकरण करे, शराब पीना छोड़ दे और डायन व जादू-टोने जैसी प्रथाओं में यकीन न करें |
(घ) अंग्रेज आदिवासियों की जीवन पद्धति को बचाए रखना चाहते थे |
उत्तर:
(क) गलत
(ख) सही
(ग) सही
(घ) गलत
प्रश्न 3: ब्रिटिश शासन में घुमंतू कास्तकारों के सामने कौन-सी समस्या थी ?
उत्तर:
(i) उन्होंने जमीन को माप कर प्रति एक व्यक्ति का हिस्सा तय कर दिया |
(ii) उन्होंने यह भी तय कर दिया की किसे कितना लगान देना होगा |
(iii) कुछ ही किसानों को भू-स्वामी और दूसरों को पट्टेदार घोषित कर दिया गया |
(iv) पट्टेदार अपने भू-स्वामियों का भाड़ा चुकाते थे और भू-स्वामी सरकार को लगान देते थे |
प्रश्न4: औपनिवेशिक शासन के तहत आदिवासी मुखियाओं की ताकत में क्या बदलाव आया ?
उत्तर:
(i) उन्हें कई-कई गांवों पर जमीन का मालिकाना हक तो मिला, लेकिन उनकी शासकीय शक्तियाँ छीन लीं गई |
(ii) उन्हें ब्रिटिश अधिकारीयों द्वारा बनाये गए नियमों को मानने के लिए बाध्य कर दिया गया |
(iii) उन्हें अंग्रेजों को नज़राना देना पड़ता था |
(iv) अंग्रेजों के प्रति निजी की हैसियत से अपने समूहों को अनुशासन में रखना होता था |
(v) पहले जो उनके पास जो ताकत थी अब वो नहीं रही |
(vi) परम्परागत कामों को करने के लिए लचार हो गए |
प्रश्न 5: दिकुओं से आदिवासियों के गुस्से के क्या कारण थे ?
उत्तर:
(i) आदिवासी अपने आस-पास आ रहे बदलाओं और अंग्रेज शासन के कारण पैदा हो रही समस्याओं से बेचैन थे |
(ii) उनकी परिचित जीवन पद्धति नष्ट होती दिखाई दे रही थी |
(iii) उनकी आजीविका खतरे में थी |
(iv) उनके धर्म छिन्न-भिन्न हो रहे थे |
प्रश्न6: बिरसा की कल्पना युग में स्वर्ण युग किस तरह का था ? आपकी राय में ये कल्पना लोगों को इतनी आकर्षक क्यों लग रही थी ?
उत्तर: वे स्वर्ण युग "सतयुग" की चर्चा करते थे, जिसमें मुंडा लोग अच्छा जीवन जीते थे, तटबंध बनाते थे, पेड़ और बाग़ लगाते थे, पेट पालने के लिए खेती करते थे और कुदरती झरनों को नियंत्रित करते थे | बिरसा चाहते थे कि लोग एक बार फिर अपनी जमीन पर खेती करे और एक जगह टिक कर रहे | वे अपनी ही खेत पर काम करे | उस काल्पनिक युग में मुंडा अपनी बिरादरियों और रिश्तेदारों का खून नहीं बहायें और वे ईमानदारी से जीयें |
महत्वपूर्ण-प्रश्नोत्तर
अतिरिक्त - प्रश्न:
प्रश्न: झूम खेती के तीन नाम बताइए |
उत्तर: बेवड़, घुमंतू एवं कर्तन |
प्रश्न: बिरसा कब गिरफ्तार हुए ?
उत्तर: 1895 ई० में |
प्रश्न: बिरसा का जन्म कब हुआ ?
उत्तर: 1870 के दशक में हुआ |
प्रश्न: बिरसा का जन्म किस जनजातिय समूह में हुआ था ?
उत्तर: मुंडा जनजातिय समूह में |
प्रश्न: बिरसा की मृत्यु कब और कैसे हुई |
उत्तर: सन 1900 में बिरसा की मृत्यु हैजे के कारण हुई थी |
प्रश्न: घुमंतू किसान मुख्य रूप से कहाँ रहते थे ?
उत्तर: पूर्ववर्ती एवं मध्य भारत के पर्वतीय व जंगली पट्टियों में रहते थे |
प्रश्न: झूम झेती किसे कहते है ?
उत्तर: झूम खेती घुमंतू खेती को कहाँ जाता है |
प्रश्न: बैगा औरों के लिए काम करने से क्यों कतराते थे ?
उत्तर: बैगा खुद को जंगल की संतान मानते थे, जो जंगल के उपज पर ही जिन्दा रह सकते थे | मजदूरी करना बैगाओं के लिए अपमान की बात थी |
प्रश्न: मुंडा क्या है ?
उत्तर: मुंडा एक जनजाति समूह है, जो छोटा नागपुर में रहता है |
प्रश्न: कुछ जनजातिय समूहों के नाम बताओं ?
उत्तर: मुंडा, गोंड, उराव और संथाल जनजातियाँ |
प्रश्न: ब्रिटिश अफसरों को कौन-सा आदिवासी समूह ज्यादा सभ्य दिखाई देता था ?
उत्तर: एक जगह टिक कर रहने वाले गोंड और संस्थाल समूह सभ्य दिखाई देते थे |
प्रश्न: स्लीपर क्या है ?
उत्तर: लकड़ी के वे क्षैतिज तख्ते जिन पर रेल की पटरियाँ बिछायी जाती है |
प्रश्न: आदिवासी खाना पकाने के लिए कौन-सा तेल इस्तेमाल करते थे ?
उत्तर: आदिवासी खाना पकाने के लिए शाल और महुआ के तेलों इस्तेमाल करते थे |
प्रश्न: आदिवासी अपनी जीविका कैसे चलाते थे ?
उत्तर: बहुत सारे इलाकों में आदिवासी समूह पशुओं का शिकार करके और अन्य वन उत्पादों के इक्कठा करके अपना काम चलाते थे | वे जंगलों को अपनी जिंदगी के लिए बहुत जरूरी मानते थे |
प्रश्न: वैष्णव किसे कहते है ?
उत्तर: विष्णु की पूजा करने वालों को वैष्णव कहा जाता है |
प्रश्न: आदिवासी दिकु किसे मानते थे ?
उत्तर: आदिवासी बाहरी लोगों को दिकु मानते थे |
प्रश्न: आदिवासियों के लिए सफ़ेद झंडा किस बात का प्रतिक था ?
उत्तर: सफ़ेद झंडा बिरसा राज का प्रतिक था |
प्रश्न: बैगा औरों के लिए काम करने से क्यों कतराते थे ?
उत्तर: बैगा खुद को जंगल की संतान मानते थे, जो जंगल के उपज पर ही जिन्दा रह सकते थे | मजदूरी करना बैगाओं के लिए अपमान की बात थी |
महत्वपूर्ण-प्रश्नोत्तर
अतिरिक्त - प्रश्न:
प्रश्न: ब्रिटिश शासन में घुमंतू कास्तकारों के सामने कौन-सी समस्या थी ?
उत्तर:
(i) उन्होंने जमीन को माप कर प्रति एक व्यक्ति का हिस्सा तय कर दिया |
(ii) उन्होंने यह भी तय कर दिया की किसे कितना लगान देना होगा |
(iii) कुछ ही किसानों को भू-स्वामी और दूसरों को पट्टेदार घोषित कर दिया गया |
(iv) पट्टेदार अपने भू-स्वामियों का भाड़ा चुकाते थे और भू-स्वामी सरकार को लगान देते थे |
प्रश्न: दिकुओं से आदिवासियों के गुस्से के क्या कारण थे ?
उत्तर:
(i) आदिवासी अपने आस-पास आ रहे बदलाओं और अंग्रेज शासन के कारण पैदा हो रही समस्याओं से बेचैन थे |
(ii) उनकी परिचित जीवन पद्धति नष्ट होती दिखाई दे रही थी |
(iii) उनकी आजीविका खतरे में थी |
(iv) उनके धर्म छिन्न-भिन्न हो रहे थे |
प्रश्न: वन कानूनों में आये बदलाओं से आदिवासियों के जीवन पर क्या असर पड़ा ?
उत्तर:
(i) अंग्रेजों ने सारे जंगलों पर अपना नियंत्रण स्थापित कर लिया था और जंगलों को राज्य की सम्पति घोषित कर दिया था |
(ii) कुछ जंगलों को आरक्षित वन घोषित कर दिया गया, ये ऐसे जंगल थे जहाँ अंग्रेजों की जरूरतों के लिए इमारती लकड़ी पैदा होती थी |
(iii) इन जंगलों में लोगों को स्वतंत्र रूप से घूमने, झूम खेती करने, फल इक्कठा करने या पशुओं का शिकार करने की इजाजत नहीं थी |
प्रश्न: औपनिवेशिक शासन के तहत आदिवासी मुखियाओं की ताकत में क्या बदलाव आया ?
उत्तर:
(i) उन्हें कई-कई गांवों पर जमीन का मालिकाना हक तो मिला, लेकिन उनकी शासकीय शक्तियाँ छीन लीं गई |
(ii) उन्हें ब्रिटिश अधिकारीयों द्वारा बनाये गए नियमों को मानने के लिए बाध्य कर दिया गया |
(iii) उन्हें अंग्रेजों को नज़राना देना पड़ता था |
(iv) अंग्रेजों के प्रति निजी की हैसियत से अपने समूहों को अनुशासन में रखना होता था |
(v) पहले जो उनके पास जो ताकत थी अब वो नहीं रही |
(vi) परम्परागत कामों को करने के लिए लचार हो गए |
प्रश्न: बिरसा की कल्पना युग में स्वर्ण युग किस तरह का था ?
उत्तर: वे स्वर्ण युग सतयुग की चर्चा करते थे, जिसमें मुंडा लोग अच्छा जीवन जीते थे, तटबंध बनाते थे, पेड़ और बाग़ लगाते थे, पेट पालने के लिए खेती करते थे और कुदरती झरनों को नियंत्रित करते थे | बिरसा चाहते थे कि लोग एक बार फिर अपनी जमीन पर खेती करे और एक जगह टिक कर रहे | वे अपनी ही खेत पर काम करे | उस काल्पनिक युग में मुंडा अपनी बिरादरियों और रिश्तेदारों का खून नहीं बहायें और वे ईमानदारी से जीयें |
प्रश्न: झूम खेती कैसे की जाती है ?
उत्तर: इस तरह की खेती अधिकांशत: जंगलों में छोटे-छोटे भूखंडों पर की जाती थी | जिसमें जंगल के घास-फूसों को जलाकर खेतों में छिड़क दिया जाता था और उसपर खेती की जाती थी जब खेतों की उपजाऊकता समाप्त हो जाती थी तो उस जगह को छोड़ दूसरी जगह खेती करने चले जाते थे |
प्रश्न: बिरसा आन्दोलन किन दो मायनों में महत्वपूर्ण था ?
उत्तर:
(i) इसने औपनिवेशिक सरकार को ऐसा कानून लागु करने के लिए मजबूर किया जिसके जरिये दिकु (बाहरी) लोग आदिवासियों के जमीं पर असानी से कब्ज़ा न कर सके |
(ii) इसने एक बार फिर साबित कर दिया कि अन्याय का विरोध करने और औपनिवेशिक शासन के विरुद्ध अपने गुस्से को अभिव्यक्त करने में आदिवासी सक्षम है |
प्रश्न: भारत के कुछ चरवाहे समुदायों के नाम बताइए |
उत्तर:
(1) पंजाब - वन-गुज्जर
(2) आन्ध्र-प्रदेश - लबाडिया
(3) कुल्लू - गड़ेरिये
(4) कश्मीर - बक्करवाल
प्रश्न: घुमंतू कास्तकारों में ब्रिटिश शासन के समय कौन-कौन सी समस्याएँ आयीं ?
उत्तर:
(i) घुमंतू काश्तकार एक जगह टिक कर नहीं रहते थे |
(ii) ऐसे समुहों से अंग्रेजों को काफी परेशानी थी जो यहाँ वहाँ भटकते थे |
(iii) वे चाहते थे कि आदिवासियों के समूह एक जगह स्थायी रूप से रहे और खेती करे |
(iv) स्थायी रूप से रहने वाले किसानों को नियंत्रित करना आसान था |
(v) अंग्रेज अपने शासन के लिए नियमित स्रोत भी चाहते थे |
प्रश्न: झूम काश्तकारों को स्थायी रूप से बसाने की अंग्रेजी कोशिश बहुत कामयाब नहीं रही | इसकी पुष्टि के लिए तीन तर्क दीजिए |
उत्तर:
(i) अंग्रेजी शासन झूम काश्तकारों के जीवन में परिवर्तन चाहती थी | वे चाहती थी कि वे स्थायी रूप से एक जगह काम करे | जबकि काश्तकारों की अपनी समस्यायें थी |
(ii) वे कम पानी और सुखी मिट्टी वाले खेतों में हल से खेती नहीं कर पाते थे अक्सर उनकों नुकसान होता था और उपज कम होती थी |
(iii) पूर्वोत्तर राज्यों के झूम काश्तकार इस बात पर अड़े रहे कि उन्हें परंपरागत ढंग से ही जीने दिया जाय | व्यापक विरोध के फलस्वरूप अंग्रेजों को उनकी बात माननी पड़ी और उन्हें घुमंतू खेती में छुट दे दी गई |
प्रश्न: ब्रिटिश अफसरों को आदिवासी समूह शिकारी-संग्राहक या झूम काश्तकारों के मुकाबले गोंड एवं संस्थाल समूह अधिक सभ्य क्यों दिखाई देते थे ?
उत्तर: ब्रिटिश अफसरों को आदिवासी समूह शिकारी-संग्राहक या झूम काश्तकारों के मुकाबले गोंड एवं संस्थाल समूह अधिक सभ्य दिखाई देते थे क्योंकि
(i) जंगलों में रहने वालों को बर्बर और जंगली माना जाता था |
(ii) अंग्रेजों को लगता था कि उन्हें स्थायी रूप से एक जगह बसाना और सभ्य बनाना जरुरी है |
(iii) गोंड एवं संस्थाल समूह एकजगह टिक कर स्थायी रूप से रहते थे जबकि शिकारी-संग्राहक या झूम काश्तकार घुमंतू जीवन जीते थे |
प्रश्न: बिरसा-मुंडा की क्या शिक्षाएँ दी |
उत्तर: बिरसा-मुंडा ने निम्न शिक्षाएँ दी |
(i) उन्होंने शुद्धता एवं दया पर जोर दिया |
(ii) उन्होंने शराब छोड़ने और गांवों को साफ रखने पर जोर दिया |
(iii) उन्होंने मुंडाओं से आह्वान किया कि वे डायन व जादू-टोने पर विश्वास न करे |
प्रश्न: बिरसा आन्दोलन का क्या उदेश्य था ?
उत्तर: बिरसा आन्दोलन आदिवासी समाज को सुधारने का आन्दोलन था | जिसके निम्न कारण था |
(i) ईसाई मशीनरियां एवं हिन्दू जमींदार आदिवासियों के जीवन शैली को नष्ट कर रहे थे |
(ii) अंग्रेजों की भू-नीतियाँ उनकी परम्परागत भूमि व्यवस्था को नष्ट कर रही थी |
(iii) हिन्दू-भू-स्वामी और महाजन उनकी जमीनों को छिनते जा रहे थे |
(iv) ईसाई मशीनरियां उनकी परम्परागत संस्कृति की आलोचना करते थे |
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History Chapter List
1. कैसे, कब और कहाँ
2. व्यापार से साम्राज्य तक
3. ग्रामीण क्षेत्र पर शासन चलाना
4. आदिवासी, दिकु और एक स्वर्ण युग की कल्पना
5. जब जनता बगावत करती है |
6. उपनिवेशवाद और शहर
7. बुनकर, लोहा बनाने वाले और फैक्ट्री मालिक
8. Desi Janta ko sabhya Banana aur Rashtra ko shikshit karna
9. महिलाएँ, जाती एवं सुधार
10. दृश्य कलाओं की बदलती दुनियाँ
11. राष्ट्रीय आन्दोलन का संघटन
12. स्वतंत्रता के बाद
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