Chapter 4. लड़के और लड़कियों के रूप में बड़ा होना Civics class 7 exercise अतिरिक्त - प्रश्न
Chapter 4. लड़के और लड़कियों के रूप में बड़ा होना Civics class 7 exercise अतिरिक्त - प्रश्न ncert book solution in hindi-medium
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अध्याय - समीक्षा
अभ्यास - समीक्षा:
- हम प्रायः देखते हैं कि लिंगबोध से हमारा आशय उन अनेक सामाजिक मूल्यों और रूढ़िवादी धारणाओं से है जिसे हमारे ही संस्कृति ने हमारे स्त्रीलिंग और पुल्लिंग होने के जैविक अंतर के साथ जोड़ दिया है। यह शब्द हमें बहुत-सी असमानताओं और स्त्री व पुरुष के बीच के शक्ति सम्बन्धों को भी समझने में सहायता प्रदान करता है।
- इस पाठ मे हमलोग देखेंगे कि कैसे समाज में स्त्री और पुरुष के लिए अलग-अलग भूमिकाएँ देखी जाती है, और कैसे-कैसे मूल्य निर्धारण किया जाता है और यहीं से भेद और असमानता की शुरुआत होती है।
- इसमें बताया गया है कि कैसे - कैसे सामोआ (प्रशांत महासागर के दक्षिण मे स्थित छोटे-छोटे द्वीप) द्वीप के लड़के-लड़कियों का देखभाल होता था।
- 1920 के दशक में तो बच्चे स्कूल नहीं जाते थे।
- उस समय बच्चे अपने बड़ों के साथ जाकर मच्छलियों को पकड़ना सीखते थे।
- बचपन मे जब बच्चे चलना शुरू करते थे तो अब उनका देखभाल बड़े बच्चे करते थे।
- और माँ अपने पति के साथ हाथ बटाती थी।
- जब लड़का 9 साल के हो जाता था तो वो बड़ों बच्चों के साथ मिलकर मछली पकड़ना या कोई दूसरा काम करते थे।और वहीं लड़कियां जब तक 14 वर्ष तक बच्चों की देखभाल व बड़ों के छोटे-मोटे काम में हाथ बटाती थी। और 14 वर्ष के बाद लड़कियां मछली पकड़ने या कोई दूसरा काम जैसे डलियाँ बनाना, बगानों में काम करना इत्यादि करने के लिए स्वतंत्र होती थी। ये लड़कों की भी उनके कामों मे मदद करती थी।
- इसमें मध्य प्रदेश के एक शहर की लड़कों और लड़कियों को लेकर वर्णन किया गया है।
- बताया गया है कि कैसे लड़कों को स्कूल के समय खेलने के लिए खुले मैदान थे और वहीं लड़कियों के लिए बंद बाउंडरी।
- लड़के वहीं खुले मैदान से होकर जाते थे और वहीं लड़कियों को संकरी गली से होकर जाना होता था (उनको या लड़की के घर वालों को दर लगता होगा कि कोई छेड़ न दे, इसलिए वो गली से आती होंगी)। ऊपर 1920 या 1960 के दशक से भी पता चलता है कि कैसे समाज, लड़के और लड़कियों मे अंतर पैदा करता है।
- इसमे घरेलू कामों के मूल्य के बारे में भी बताया गया है कि घर के काम को औरतें आसानी से कर लेती है जबकि पुरुष को बहुत परेशानी होती है। ऐसा इसलिए कि लोग रूढ़िवादी सोच अपनाते हुये काम करते हैं कि ये काम केवल पुरुष ही कर सकते है या केवल औरतें भी कर सकती है
अभ्यास - प्रश्न
अभ्यास - प्रश्न:
प्रश्न: साथ में दिए गए कुछ कथनों पार विचार और बताइए कि वे सत्य हैं या असत्य? अपने उत्तर के समर्थन में एक उदाहरण भी दीजिए?
(A) सभी समुदाय और समाजों में लड़कों और लड़कियों की भूमिकाओं के बारे में एक जैसे विचार नहीं पाए जाते|
(B) हमारा समाज बढ़ते हुए लड़कों और लड़कियों में कोई भेद नहीं करता|
(C) वे महिलाएं जो घर पार रहती है, कोई काम नहीं करतीं|
(D) महिलाओं के काम, पुरूषों के काम की तुलना में कम मूल्यवान समझे जाते हैं|
उत्तर:
(A) यह एक सत्य कथन है। ज्यादातर समाजों में, लड़कों द्वारा किए जाने वाले काम को लड़कियों की तुलना में अधिक महत्व दिया जाता है।
(B) यह एक गलत बयान है। हमारा समाज लड़के और लड़कियों के बीच भेद करता है, जबकि वे विकास के चरण में हैं। बहुत कम उम्र से लड़कों को सख्त और गंभीर होना सिखाया जाता है, जबकि लड़कियों को कोमल और कोमल होना सिखाया जाता है। लड़कों को खेलने के लिए कार, बंदूकें जैसे खिलौने दिए जाते हैं जबकि लड़कियों को गुड़िया दी जाती है।
(C) यह एक झूठा बयान है। जो महिलाएं घर में रहती हैं, वे घर के बहुत सारे काम करती हैं।
वे खाना पकाते हैं, कपड़े धोते हैं, फर्श पर झाडू लगाते हैं, और कई अन्य काम करते हैं; जिनमें से कुछ बहुत ज़ोरदार हैं।
(D) यह सत्य कथन है। महिलाएं बहुत काम करती हैं। गृहकार्य और देखभाल के कार्यों की मुख्य जिम्मेदारी महिलाओं की होती है। फिर भी, वे घर के साथ जो काम करते हैं, उसे काम के रूप में मान्यता नहीं दी जाती है। यह माना जाता है कि यह कुछ ऐसा है जो महिलाओं के लिए स्वाभाविक रूप से आता है। इसलिए, इसके लिए भुगतान करने की आवश्यकता नहीं है। यही मुख्य कारण है कि हमारा समाज महिलाओं के काम का अवमूल्यन करता है।
प्रश्न: घर का काम अद्दश्य होता हैं और इसका कोई मूल्य नहीं चुकाया जाता| घर के काम शारीरिक रूप से थकाने वाले होते हैं| घर के कामों में बहुत समय खप जाता हैं|
अपन शब्दों में लिखिए कि 'अद्दश्य होने' शारीरिक रूप से थकाने कौर समय खप जाने, जैसे वाक्याशों से आप समझते हैं? अपने घर की महिलाओं के काम के आधार पर बात को एक उदाहरण से समझाइए?
उत्तर:
1. 'अदृश्य' का अर्थ है वह कार्य जो आँखों से दिखाई नहीं देता है, उदाहरण के लिए, भोजन तैयार करने में जितना समय और श्रम लगता है।
2. 'शारीरिक रूप से मांग' का अर्थ है कि हमें किसी कार्य को पूरा करने के लिए कठिन शारीरिक श्रम करना पड़ता है। यह थका देने वाला होता है और कड़ी मेहनत किसी के स्वास्थ्य के बारे में बताती है, जैसे ग्रामीण इलाकों में पानी या जलाऊ लकड़ी लाना। 'समय लेने वाला' का अर्थ उस कार्य से है जिसे पूरा करने में काफी समय लगता है।
3. घर की देखभाल और घरेलू सहायिकाओं की गतिविधियों पर नजर रखना अदृश्य है।
कपड़े धोना शारीरिक रूप से कठिन है। खाना बनाना और घर की सफाई में समय लगता है।
प्रश्न: ऐसे विशेष खिलौनों की सूची बनाइए, जिनसे लडके खेलते हैं और ऐसे विशेष खिलौनों की भी सूची बनाइए, जिनसे केवल लड़कियाँ खेलती हैं| यदि दोनों सूचियों में कुछ अंतर हैं, तो सोचिए और बताइए कि ऐसा क्यों हैं? सोचिए कि क्या इसका कुछ संबंध इस बात से हैं कि आगे चलाकर वयस्क के रूप बच्चों को क्या भूमिका निभानी होगी|
उत्तर: खिलौनों की सूची -
लड़कों की सूची :- मोटर - कार, स्पाइडर - मैन, बंदूक, वीडियोगेम, क्रिकेट का बैट - बॉल, गेंद, हवाई जहाज, हेलीकॉप्टर, रेलगाड़ी, मोबाइल फोन|
लड़कियों के खिलौनों :- गुड़िया, छोटे - छोटे बर्तन, गुड़िया के ड्रेस|
समाज में लडके जब युवावस्था में पहुँचते हैं तो वे उन्हीं कामों को ज्यादा पसंद करते हैं जिसे वे बचपान में खिलौनों के रूप में खेला करते थे, जैसे - सेना में भर्ती, पुलिस या पुलिस ऑफिसर बनाना, गाडी चलाना आदि कार्या को करना पसंद करते हैं| इसके विपरित लड़कियाँ लुदाकियाँ युवावस्था में किसी भी कार्य करने के साथ - साथ घरेलू जिम्मेवारी अवश्य निभाती हैं|
प्रश्न: अगर आपके घर में या आस - पास, घर के कामों में मदद वाली कोई महिला हैं तो उनसे बात कीजिए और उनके बारे में थोड़ा और जनाने की कोशिश कीजिए कि उनके घर में और कौन कौन हैं? वे क्या करते हैं? उनका घर कहाँ हैं? वे रोज कितने घंटे तक काम कराती हैं? वे कितना कम लेती हैं? इन सारे विवरणों को शामिल कर, एक छोटे - सी कहानी लिखिए?
उत्तर: हमारे पड़ोस में एक महिला घर में कामों में मदद करने के लिए आती हैं| उसका नाम राजेश्वरी हैं| उसके पाँच बच्चे हैं| उसका पति सब्जी बेचने का काम करता हैं| उसके पाँच बच्चों में तीन लडके और दो लड़कियाँ हैं| उसके पति का नाम सोमेध्वर हैं| राजेश्वरी का घर दिल्ली के उपनगर गोकुलपुरी के नाले पर स्थित झोपड़पट्टी में हैं| राजेश्वरी प्रतिदिन 16 घंटे काम करती हैं, जिसमें आठ घंठे अपने घर पार काम कराती हैं| आठ घंटे दूसरे के घरों पर काम करती हैं| आठ घंटे दूसरे के घरों पर काम करने पर उसे 1800 रूपये मिलाता हैं| उसका पति सब्जी बेचकर 3000 से लेकर 3500 रूपये तक कम लेता हैं|
अतिरिक्त - प्रश्न
अतिरिक्त - प्रश्न:
प्रश्न: 1920 के दशक में समोआ में पले-बढ़े बच्चों की अवस्था कैसी थी?
उत्तर: 1920 के दशक में, सामोन समाज पर शोध रिपोर्टों के अनुसार, बच्चे स्कूल नहीं जाते थे। छोटी उम्र में, उन्होंने बच्चों की देखभाल कैसे करें या बड़े बच्चों और वयस्कों से घर का काम करना जैसी चीजें सीखीं। लड़के और लड़कियां दोनों घर का काम करते थे।
प्रश्न: 1960 के दशक में मध्य प्रदेश में बढ़ते हुए लड़के एवं लड़कियों की परिवरिश में क्या अंतर था|
उत्तर: कक्षा 6 के बाद से लड़के और लड़कियां अलग-अलग स्कूलों में जाने लगे। लड़कियों के स्कूल में एक केंद्रीय प्रांगण था जहाँ वे बाहरी दुनिया से पूरी तरह से एकांत और सुरक्षा में खेलती थीं। लड़कों के स्कूल में ऐसा कोई आंगन नहीं था और उनका खेल का मैदान स्कूल से जुड़ा एक बड़ा स्थान था। लड़कियां हमेशा समूहों में जाती थीं क्योंकि उन्हें छेड़े जाने या हमला होने का डर भी रहता था।
उपरोक्त दो कहानियों को पढ़ने के बाद आप महसूस करेंगे कि बच्चों की परवरिश के कई अलग-अलग तरीके हैं। आपने यह भी विश्लेषण किया होगा कि समाज लड़के और लड़कियों के बीच स्पष्ट अंतर करता है।
प्रश्न: मूल्य गृहकार्य किसे कहते हैं?
उत्तर: घर के कामकाज और परिवार की देखभाल जैसे देखभाल करने वाले कार्यों की मुख्य जिम्मेदारी महिलाओं की होती है। फिर भी महिलाएं घर के भीतर जो काम करती हैं, उसे काम के रूप में मान्यता नहीं दी जाती है। यह भी माना जाता है कि यह काम महिलाओं को स्वाभाविक रूप से आता है। इसलिए, महिलाओं को घर के काम के लिए भुगतान नहीं मिलता है और समाज इस काम का अवमूल्यन करता है|
प्रश्न: घरेलू कामगारों का जीवन कैसा था?
उत्तर: गृहकार्य में कई अलग-अलग कार्य शामिल हैं। इनमें से कई कार्यों के लिए भारी शारीरिक श्रम की आवश्यकता होती है। ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में:
- महिलाएं और लड़कियां पानी लाती हैं।
- जलाऊ लकड़ी का भारी सिर ढोना।
- कपड़े धोने, सफाई करने, झाडू लगाने और अपलोड उठाने जैसे कार्य करने के लिए झुकने, उठाने और ले जाने की आवश्यकता होती है।
महिलाएं जो काम करती हैं वह कठिन और शारीरिक रूप से मांग वाला होता है। इसमें बहुत समय भी लगता है। यदि आप घर के काम और काम को जोड़ दें, जो महिलाएं घर के बाहर करती हैं, तो आप पाते हैं कि महिलाएं पुरुषों की तुलना में काम करने में अधिक समय व्यतीत करती हैं और उनके पास अपने लिए बहुत कम समय होता है|
प्रश्न: अस्मिता (पहचान) किसे कहते हैं?
उत्तर: यह एक प्रकार के स्वंय के होने यानी अपने अस्तित्व के प्रति जागरूकता का भाव हैं| एक व्यक्ति की के अस्मिता हो सकती हैं| उदाहरण के लिए - एक ही व्यक्ति को एक लड़की, बहन और संगीतकार की तरह अस्मिता जा सकाता हैं|]
प्रश्न: दोहरा बोझ किसे कहते हैं?
उत्तर: शाब्दिक रूप में इसका अर्थ हैं - दो गुणा वजन| सामानयत: इस शब्द का महिलाओं के काम की स्थितियों को समझाने के लिए प्रयोग किया गया हैं| यः इस तथ्य को स्वीकार करता हैं कि महिलाएं आमतौर पर घर के भीतर और घर के बाहर दोहरा कार्य - भार सँभालती हैं|
प्रश्न: देखभाल क्या हैं?
उत्तर: देखभाल के अंतर्गत अनेक काम आते हैं, जैसे - संभालना, ख्याल रखना, पोषण करना आदि| शारीरिक कार्या के अतिरिक्त इसमें गहन भावनात्मक पहलू भी सम्मिलित हैं|
प्रश्न: अवमूल्यित किसे कहते हैं|
उत्तर: जब कोई अपने काम के लिए अपेक्षित मान्यता या स्वीकृति नहीं पाता हैं, तब वह स्वंय को अवमूल्यित महसूस करता हैं| उदाहरण के लिए देखे, अगर कोई लड़का अपने मित्र के लिए घंटों सोच - विचार खोजकर एक 'उपहार' बनाता हैं और उसका मित्र उसे देखकर कुछ भी न कहे तो ऐसे में पहला लड़का अवमूल्यित महसूस करता हैं|
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Civics Chapter List
Chapter 1. समानता
Chapter 2. स्वास्थ्य में सरकार की भूमिका
Chapter 3. राज्य शासन कैसे काम करता है
Chapter 4. लड़के और लड़कियों के रूप में बड़ा होना
Chapter 5. औरतों ने बदली दुनिया
Chapter 6. संचार माध्यमों को समझना
Chapter 7. हमारे आस पास के बाजार
Chapter 8. बाज़ार में एक कमीज़
Chapter 9. समानता के लिए संघर्ष
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