4. कार्यपालिका | कार्यपालिका और संसदीय प्रणाली Political Science class 11
4. कार्यपालिका | कार्यपालिका और संसदीय प्रणाली Political Science class 11
कार्यपालिका और संसदीय प्रणाली
कार्यपालिका:
कार्यपालिका सरकार का वह अंग है, जो विधानमंडल द्वारा बनाये कानूनों एवं नियमों को क्रियान्वित करता है | कार्यपालिका का प्रमुख राज्य का अध्यक्ष होता है जैसे - राष्ट्रपति एवं राज्यपाल कार्यपालिका के अंतर्गत सभी मंत्री एवं नौकरशाह शामिल हैं |
कार्यपालिका के कार्य:
(1) सरकार की नीतियों को लागु करना एवं विधायी निकायों द्वारा बनाये गए कानूनों को अमल में लाना |
(2) कार्यपालिका कानून निर्माण प्रक्रिया में सरकार की सहायता करता है |
(3) कार्यपालिका राज्यों के साथ संबंधो का संचालन करता है |
(4) विभिन प्रकार के संधियों एवं समझौतों का निष्पादन करता है |
(5) सभी देशों में राज्य का अध्यक्ष देश की सशस्त्र सेना का सर्वोच्य कमांडर होता है परंतु वह किसी युध्य में भाग नहीं लेता है |
कार्यपालिका के प्रकार :
1. संसदीय सरकार - संसदीय प्रणाली वाले देशों में कार्यपालिका का कार्य राजा या राष्ट्रपति के नाम से किया जाता है किन्तु उनकी शक्तियाँ केवल नाममात्र की होती है | वे औपचारिक रूप से कार्य करते हैं | वास्तविक कार्यपालिका मंत्री परिषद् होता है जो राजा या राष्ट्रपति के नाम पर शासन चलाते है | उदाहरण - ब्रिटेन, भारत, कनाडा और जापान |
2. अध्यक्षीय सरकार - अध्यक्षीय प्रणाली में राष्ट्रपति ही वास्तविक शक्तियों का प्रयोग करता है | ऐसे देशों में जहाँ अध्यक्षीय प्रणाली कार्य कर रही है वहाँ सचिव या मंत्रीगण राष्ट्रपति के सलाहकार मात्र होते हैं | केवल राष्ट्रपति ही केन्द्रीय प्रशासन के उतरदायी होता है | जैसे - संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्राजील, पेरू, कोस्टारिका आदि |
3. अर्ध-अध्यक्षीय प्रणाली - अर्ध-अध्यक्षीय प्रणाली संसदीय और अध्यक्षीय दोनों प्रणालियों के संयोजन से बना है | रूस, फ्रांस और श्रीलंका में ये प्रणाली कार्य कर रही है | इसमें प्रत्यक्ष रूप से निर्वाचित राष्ट्रपति के पास व्यापक शक्तियाँ होती है | वह प्रधान-मंत्री की नियुक्ति करता है जो संसद से लिया जाता है | दोनों के बीच शक्ति का संतुलन होता है |
संसदीय प्रणाली और अध्यक्षीय प्रणाली में अंतर :
संसदीय प्रणाली | अध्यक्षीय प्रणाली |
1. प्रधान-मंत्री और उसके सहयोगी वास्तविक कार्यपालिका की रचना करते है | 2. प्रधान-मंत्री और उसके मंत्रीगण विधानमंडल के सदस्य होते हैं | 3. मंत्रिपरिषद विधानमंडल के प्रति सामूहिक रूप से उत्तरदायी होते हैं | 4. निचला सदन (लोकसभा) को कभी भी राष्ट्रपति द्वारा भंग किया जा सकता है | 5. मंत्रिमंडल को किसी भी समय सदन के अविश्वास प्रस्ताव द्वारा हटाया जा सकता है | |
1. राष्ट्रपति कार्यपालिका का वास्तविक अध्यक्ष होता है | 2. मंत्री विधानमंडल के सदस्य नहीं होते है | 3. मंत्रिमंडल के सदस्य विधानमंडल के प्रति उतरदायी नहीं होते हैं | 4. राष्ट्रपति किसी भी सदन को भंग नहीं कर सकता है | 5. विधानमंडल को मंत्रिमंडल में अविश्वास प्रस्ताव पारित करने का कोई अधिकार नहीं हैं | |
भारत की ससदीय प्रणाली की कमियां - इसमें त्रिशंकु लोकसभा की संभावना बनी रहती है | इसका कारण भारत में बहुदलीय प्रणाली का होना है | जिसमें कई बार किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलता है | इससे राजनितिक अस्थिरता भी कहा जाता है |
भारत में संसदीय प्रणाली के अपनाने के कारण :
(1) यदि सीधे तौर पर राष्ट्रपति को चूना जाता तो वह बहुत शक्तिशाली बन जाता और फिर वह तानाशाह या निरंकुश भी बन सकता है |
(2) भारत जैसे विशाल देश में राष्ट्रपति का सीधे चुनाव से काफी अव्यवस्था उत्पन्न होगी |
(3) भारतीय राजनेताओं को ब्रिटिश राजनितिक प्रणाली का अधिक अनुभव था और वे उससे प्रभावित थे |
(4) यह प्रणाली कठिन समय में सफल रही है और इसमें कोई हानि नहीं है |
राष्ट्रपति उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री
राष्ट्रपति
राष्ट्रपति कार्यपालिका का प्रमुख होता है | सरकार की सभी गतिविधियाँ राष्ट्रपति की देख-रेख में ही चलती है | केंद्र की कार्यकारी शक्तियाँ राष्ट्रपति के पास होती है |
राष्ट्रपति के चुनाव के लिए उम्र और कार्यकाल:
राष्ट्रपति के चुनाव लड़ने के लिए न्यूनतम उम्र 35 वर्ष होनी चाहिए एवं एक चुने हुए राष्ट्रपति का कार्यकाल 5 वर्ष होता है | कोई भी पूर्व राष्ट्रपति पुन: चुनाव लड़ सकता है |
राष्ट्रपति पर महाभियोग की प्रक्रिया:
राष्ट्रपति उसके पद से हटाने के लिए उसके ऊपर महाभियोग चलाया जाता है, ऐसा तब किया जाता है जब राष्ट्रपति संविधान का कोई उलंघन करता है | राष्ट्रपति पर महाभियोग का प्रस्ताव संसद के किसी भी सदन में चाहे वो लोकसभा हो या राज्यसभा हो पेश किया जा सकता है | इस प्रस्ताव को सदन में दो तिहाई से अधिक बहुमत की आवश्यकता होती है | यदि इस प्रस्ताव को सदन में दो तिहाई से अधिक बहुमत प्राप्त हो जाता है तो उसके विरुद्ध लगाये गए आरोप की दुसरे सदन के द्वारा जाँच की जाती है |यदि दुसरे सदन में उन आरोपों को दो तिहाई बहुमत से स्वीकार कर लिया जाता है तो राष्ट्रपति को अपने पद से हटना पड़ेगा |
- अबतक किसी भी राष्ट्रपति पर महाभियोग नहीं लगाया गया है |
राष्ट्रपति की शक्तियाँ या कार्य:
(1) राष्ट्रपति की कार्यकारी शक्तियाँ :
(i) केंद्र की कार्यकारी शक्तियाँ राष्ट्रपति के पास होती है | वह प्रधानमंत्री की नियुक्ति करता है और अन्य सभी मंत्रियों की नियुक्ति प्रधानमंत्री की सलाह पर करता है |
(ii) राष्ट्रपति भारत के अटार्नी जनरल, नियंत्रण एवं महालेखा परीक्षक, उच्चतम न्यायलय एवं उच्च न्यालाययों के न्यायधीशों, राज्यपालों, राजदूतों एवं विदेश में अन्य राजनयिक प्रतिनिधियों की नियुक्ति करता है |
(iii) राष्ट्रपति शासन के दौरान राज्यों पर केद्र का पूरा नियंत्रण होता है |
(2) राष्ट्रपति की विधायी शक्तियाँ :
(i) राष्ट्रपति संसद का अभिन्न अंग होता है वह सदन इक सत्र बुलाता है और उसे स्थगित भी कर सकता है |
(ii) राष्ट्रपति कभी भी लोकसभा को भंग कर सकता है |
(iii) कानून बनाने के लिए और संसद में विधेयक पेश करने लिए राष्ट्रपति की मंजूरी आवश्यक है |
(iv) राष्ट्रपति को संविधान के अनुच्छेद 123 के अंतर्गत अध्यादेश जारी करने की शक्ति प्राप्त है |
(v) बिना राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के कोई भी विधेयक कानून नहीं बन सकता है |
(3) राष्ट्रपति की न्यायिक शक्तियाँ :
(i) राष्ट्रपति को किसी भी सजा-याफ्ता व्यक्ति को क्षमादान करने की शक्ति प्राप्त है |
(ii) राष्ट्रपति किसी सजा प्राप्त व्यक्ति को सम्पूर्ण क्षमादान या सशर्त माफ़ कर सकता है |
(iii) राष्ट्रपति अपने किसी भी शक्तियों या कर्तव्य के लिए किसी भी न्यायलय के प्रति जबाबदेह नहीं है |
(iv) राष्ट्रपति के ऊपर देश के किसी भी न्यायलय में मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है |
(4) राष्ट्रपति की आपातकालीन शक्तियाँ :
(i) युद्ध अथवा विदेशी आक्रमण या सशस्त्र विद्रोह की अवस्था में राष्ट्रपति आपातकाल की घोषणा कर सकता है |
(ii) राज्यों में संवैधानिक संकट उत्पन्न होने पर राष्ट्रपति आपातकाल की घोषणा कर सकता है |
(iii) वित्तीय संकट की स्थिति में राष्ट्रपति आपातकाल की घोषणा कर सकता है |
(iv) जब किसी राज्य में संवैधानिक तंत्र काम करना बंद कर दे तो राष्ट्रपति आपातकाल या राष्ट्रपति शासन की घोषणा कर सकता है |
उपराष्ट्रपति :
जबतक उसका अगला उतराधिकारी अपना पद ग्रहण नहीं कर लेता तब तक वह अपने पद पर बना रहता है |
उपराष्ट्रपति को उसके पद से हटाने की प्रक्रिया :
उपराष्ट्रपति को राज्यसभा के प्रस्ताव द्वारा हटाया जा सकता है, बशर्ते कि लोकसभा भी उस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया हो | उपराष्ट्रपति पर महाभियोग लगाए जाने का कोई प्रावधान नहीं है |
उपराष्ट्रपति का चुनाव :
उपराष्ट्रपति का चुनाव एकल संक्रमणीय मत प्रणाली के द्वारा होता है | यह चुनाव राष्ट्रपति के चुनाव से भिन्न होता है | इसमें केवल संसद के दोनों सदन ही भाग लेते है विधानमंडलों की कोई भूमिका नहीं होती है |
उपराष्ट्रपति पद की शपथ भारत के राष्ट्रपति के द्वारा दिलवाई जाती है |
उपराष्ट्रपति के कार्य तथा शक्तियाँ :
(i) उपराष्ट्रपति राज्यसभा के सभा-पति के रूप में कार्य करता है |
(ii) वह राज्यसभा के अध्यक्ष के रूप में सदन की कार्यवाही को चलाते हैं |
(iii) राष्ट्रपति की मृत्यु पर, राष्ट्रपति के त्यागपत्र पर, राष्ट्रपति की अनुपस्थिति पर, राष्ट्रपति को हटाये जाने पर अथवा किसी लंबी बीमारी होने पर उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति का पद ग्रहण कर सकता है |
प्रधानमंत्री:
प्रधानमंत्री एक मंत्रीपरिषद् का अध्यक्ष होता है जो राष्ट्रपति की सहायता एवं परामर्श के लिए कार्य करता है | प्रधानमंत्री कार्यपालिका का सक्रीय प्रमुख होता है जो राष्ट्रपति के सलाह पर कार्य करता है |
प्रधानमंत्री का कार्यकाल 5 वर्ष होता है | वह किसी पार्टी का या गठबंधन का नेता होता है | वह व्यक्ति प्रधानमंत्री हो सकता है जिसको लोकसभा में बहुमत हो | लोकसभा में बहुमत के लिए उसके पास 272 सदस्य होने आवश्यक हैं |
प्रधानमंत्री के कार्य और शक्तियाँ :
(i) प्रधानमंत्री राष्ट्रपति और मंत्रिमंडल के बीच कड़ी का कार्य करता है |
(ii) मंत्रिमंडल के निर्णयों की जानकारी राष्ट्रपति को देता है |
(iii) प्रधानमंत्री अपने मंत्रिमंडल के मंत्रियों का चुनाव करता है और राष्ट्रपति उनकी नियुक्ति करते है |
(iv) प्रधानमंत्री मंत्रिमंडल की बैठकों का अध्यक्षता करता है | यदि प्रधानमंत्री त्यागपत्र देता है तो उसके सभी मंत्रिमंडल का त्यागपत्र माना जाता है |
(v) संसद में प्रधान मंत्री की स्थिति अद्वितीय होती है | उसी के सलाह पर राष्ट्रपति संसद सत्र को बुलाता है और स्थगित करता है |
(vi) प्रधानमंत्री के सलाह पर ही राष्ट्रपति लोकसभा को भंग करता है |
(vii) संसद में प्रधानमंत्री सरकार का प्रमुख प्रवक्ता होता है |
(viii) सभी अन्तराष्ट्रीय सम्मेलनों में प्रधानमंत्री देश का प्रतिनिधित्व करता है |
संसदीय कार्यपालिका में कार्यपालिका का स्वरुप :
(i) संसदीय शासन में कार्यपालिका विधायिका की देखरेख में कार्य करता है |
(ii) मंत्रीपरिषद् सामूहिक रूप से लोकसभा के प्रति उत्तरदायी होते हैं |
(iii) यदि सरकार लोकसभा में विश्वास मत (बहुमत) खो देता है तो सरकार को त्यागपत्र देना पड़ता है |
(iv) प्रधानमंत्री की मृत्यु या त्यागपत्र से पूरा मंत्रिमंडल भंग हो जाता है |
कार्यपालिका के प्रकार:
(i) अस्थायी कार्यपालिका: कार्यपालिका का वह भाग जो प्रत्येक 5 वर्ष में बदलता रहता है | अस्थायी कार्यपालिका कहलाता है | इसे संसद द्वारा चुना जाता है | जैसे- राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और मंत्री परिषद् इत्यादि |
(ii) स्थायी कार्यपालिका: कार्यपालिका का वह भाग जो नहीं बदलता हैं, सरकारें आती है जाती है फिर भी यह कार्य करता रहता है, स्थायी कार्यपालिका कहलाता है | इनका चुनाव नहीं होता बल्कि इनकी नियुक्तियाँ होती है | जैसे- नौकरशाह और अधिकारीगण आदि |
राज्य कार्यपालिका
मुख्यमंत्री:
मुख्यमंत्री राज्य कार्यपालिका के मंत्रिपरिषद का प्रमुख होता है | मुख्यमंत्री की नियुक्ति राज्यपाल करता है तथा अन्य मंत्रियों की नियुक्ति मुख्यमंत्री की सलाह पर राज्यपाल द्वारा किया जाता है | विधानसभा में जिस दल का बहुमत होता है उस दल के नेता को मुख्यमंत्री बनाया जाता है | इसका कार्यकाल 5 वर्ष का होता है |
मुख्यमंत्री का कार्य एवं शक्तियाँ:
(i) मुख्यमंत्री राज्यपाल और मंत्रिपरिषद के बीच कड़ी का कार्य करता है |
(ii) वह मंत्रिपरिषद के सभी निर्णयों की जानकारी राज्यपाल तक पहुँचाता है |
(iii) मुख्यमंत्री को अपना सहयोगी मंत्रियों को चुनने की आजादी होती है |
(iv) वह किसी भी मंत्री को त्यागपत्र देने के लिए कह सकता है |
(v) मुख्यमंत्री राज्य विधान सभा का नेता होता है |
(vi) प्रशासन संबंधी ऐसी जानकारी जो राज्यपाल मांगता है उसे प्रस्तुत करना पड़ता है |
राज्यपाल :
किसी राज्य के राज्यपाल की नियुक्ति राष्ट्रपति के द्वारा की जाती है | वह राज्य कार्यपालिका का अध्यक्ष होता है | यह एक ऐसा व्यक्ति होना चाहिए जिसके पास सार्वजानिक जीवन का तथा प्रशासन का लंबा अनुभव हो जिस पर यह विश्वास किया जा सके कि वह पार्टी निष्ठाओं से ऊपर उठकर कार्य करेगा | एक व्यक्ति को दो या दो से अधिक राज्यों का राज्यपाल नियुक्त किया जा सकता है |
राज्यपाल का कार्य एवं शक्तियाँ:
(i) वह राज्य सरकार के संवैधानिक अध्यक्ष के रूप में तथा केंद्र सरकार के एजेंट के रूप में कार्य करता है |
(ii) वह मुख्यमंत्री की नियुक्ति करता है और मुख्यमंत्री के सलाह पर राज्य के अन्य मंत्रियों की नियुक्ति करता है |
(iii) वह बहुमत दल के नेता को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करता है |
(iv) सरकार के सभी काम राज्यपाल के नाम पर ही किया जाता है |
(v) वह उच्च न्यायालयों के न्यायधीशों की नियुक्ति करता है और राज्य लोक सेवा आयोग के सदस्यों की नियुक्ति करता है |
(vi) राज्यपाल राज्य विधानमंडल के अधिवेशन को बुलाता है और अधिवेशन स्थगित करता है तथा विधानसभा को भंग करता है |
(vii) वह विधेयक को स्वीकृति देता है |
(viii) कोई भी धन विधेयक राज्यपाल के अनुमति के बिना पेश नहीं किया जा सकता |
(ix) राज्य के क्षेत्राधिकार में आने वाले सभी मामलों में वह किसी अपराध में दण्डित व्यक्ति को क्षमा दान दे सकता है |
नौकरशाही :
नौकरशाही को स्थायी कार्यपालिका भी कहा जाता है क्योंकि प्रशासनिक सेवा द्वारा इनकी नियुक्ति स्थायी रूप से किया जाता है | ये जनता के द्वारा चुने नहीं जाते है |
सिविल सेवा अर्थात नौकरशाहों की भूमिका निम्नलिखित हैं |
(i) सिविल सेवाएँ सरकारी निति निर्माण में मंत्रिपरिषद को सलाह देते है और समस्याओं का विश्लेषण करते है |
(ii) ये प्रशासनिक कार्य को सँभालते है और नीतियों को शीघ्रता से लागु करते है |
(iii) ये विकासात्मक भूमिका निभाते है और जनकल्याण के कार्यों को आगे बढ़ाते हैं |
(iv) ये पंचवर्षीय योजनाओं को लागु एवं पूरा करवाने में सरकार की मदद करते हैं |
भारत में निर्वाचित प्रशासन :
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Political Science Chapter List
1. संविधान - क्यों और कैसे
2. भारतीय संविधान में अधिकार
3. चुनाव और प्रतिनिधित्व
4. कार्यपालिका
5. विधायिका
6. न्यायपालिका
7. संघवाद
8. स्थानीय शासन
9. सविधान-एक जीवंत दस्तावेज
10. संविधान का राजनितिक दर्शन
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