9. शांति | शांति का अर्थ Political Science-II class 11
9. शांति | शांति का अर्थ Political Science-II class 11
शांति का अर्थ
Ch-9 शांति
युद्ध को महामंडित करने वाले विचारकों के नाम :
(i) फ्रेडरिक नीत्शे और उसके विचार: जर्मन दार्शनिक प्रेफडरिक नीत्शे युद्ध को महिमामंडित करने वाला विचारक था। नीत्शे ने शांति को महत्त्व नहीं दिया, क्योंकि उसका मानना था कि सिर्फ संघर्ष ही सभ्यता की उन्नति का मार्ग प्रशस्त कर सकता है।
(ii) विल्फ्रेड़ो पैरेटो और सुअके विचार : इटली के समाज- सिद्धांतकार विल्फ्रेड़ो पैरेटो (1848-1923) का दावा था कि अधिकतर समाजों में शासक वर्ग का निर्माण सक्षम और अपने लक्ष्यों को पाने के लिए ताकत का इस्तेमाल करने के लिए तैयार लोगों से होता है। उसने ऐसे लोगों का वर्णन शेर के रुप में किया है।
शांति के सिद्धांत के पक्षधर :
(i) तकरीबन सभी धार्मिक उपदेशों में केन्द्रीय स्थान प्राप्त है।
(ii) महात्मा गाँधी जिन्होंने अहिंसा के बल पर स्वतंत्रता प्राप्त की |
(iii) कुछ शांति के पक्षधर समाजशास्त्री और कार्यकर्त्ता |
विश्व इतिहास की कुछ हिंसक घटनाएँ :
(i) प्रथम विश्वयुद्ध
(ii) हिटलर और नात्सीवाद का उदय जिसने लाखों लोगों की नृशंस हत्या करवाई |
(iii) द्वितीय विश्व युद्ध जो अब तक की सबसे बड़ी हिंसक घटना थी |
(iv) अमेरिका इराक युद्ध (खाड़ी युद्ध)
क्यूबा मिसाइल संकट : क्यूबा मिसाइल संकट का आरंभ तब हुआ जब अमेरिकी जासूसी विमानों ने अपने पडोसी देश क्यूबा में सोवियत संघ द्वारा आण्विक मिसाइलों की तैनाती का पता लगाया | प्रतिक्रिया में अमेरिका ने क्यूबा की समुद्री सीमाओं की नाकेबंदी कर दी और सोवियत रूस को धमकी दी कि यदि ये मिसाइल नहीं हटाए गए तो वह उसके खिलाफ सैनिक कार्रवाई करेगा। आमने-सामने का यह टकराव तभी समाप्त हुआ जब सोवियत संघ ने अपने मिसाइल हटा लिए। दो सप्ताह तक चले इस संकट ने मानवता को संपूर्ण तबाही के कगार पर खड़ा कर दिया था। इस घटना को क्यूबा मिसाइल संकट के नाम से जाना जाता है |
शांति का अर्थ : शांति का अर्थ है युद्ध अथवा हिंसा की अनुपस्थित के साथ-साथ दंगा, नरसंहार, क़त्ल और सामान्य शारीरिक प्रहार का आभाव का होना |
शांति का महत्व :
शांति की अनुपस्थित की भारी कीमत चुकाने के बाद मानवता ने इसके महत्व को पहचाना है :
(i) अतीत में मानवता ने युद्ध एवं हिंसक घटनाओं की भारी कीमत चुकाई है |
(ii) विश्व ने दो दो विश्व युद्ध देखे हैं |
(iii) जापान के शहर हिरोशिमा और नागासाकी में परमाणु कहर देखे है |
(iv) कई देश आतंकवाद के बढ़ते खतरों का सामना कर रहे है |
(v) हथियारों का बढ़ता होड़ शांति की स्थापना में बाधक है |
(vi) बढ़ते आपसी दंगे, नरसंहार, क़त्ल और सामान्य शारीरिक प्रहार से शांति का महत्व और भी बढ़ जाता है, क्योंकि ऐसी घटनाएँ आए दिन होती रहती हैं |
संरचनात्मक हिंसा : हमारे सामाजिक संरचना से उत्पन्न हिंसा को संरचनात्मक हिंसा कहा जाता है जैसे - जातिभेद, वर्गभेद, पितृसत्ता, उपनिवेशवाद, नस्लवाद, आतंकवाद और सांप्रदायिकता।
आतंकवाद के उदय का कारण :
(i) आक्रामक राष्ट्रों का स्वार्थपूर्ण आचरण
(ii) कुछ देशों द्वारा आतंवादियों का समर्थन स्वार्थ के किए उपयोग
(iii) अन्याय एवं अशिक्षा
शांति कायम करने के विभिन्न तरीके :
(1) राष्ट्रों को केन्द्रीय स्थान देना, उनकी संप्रभुता का आदर करना |
(2) राष्ट्रों की आपसी प्रतिद्वंद्विता को कम कर, आर्थिक एकीकरण की बढ़ावे की राजनीती को प्रोत्साहित करना |
(3) वैश्वीकरण की प्रक्रिया को बढ़ावा दे कर |
(4) नि:शस्त्रीकरण को अपनाकर |
वैश्विक शांति के लिए किए गए कार्य :
(1) विश्व के प्रमुख राष्ट्रों ने एक मंच पर आकर नि:शस्त्रीकरण
को अपनाया है और अन्य देशों को भी इसमें शामिल होने के लिए बाध्य किया है |
(2) यू० एन० की स्थापना 24 अक्टूबर 1945 को विश्व शांति के लिए की गई थी |
(3) समकालीन युग शांति को बढ़ावा देने के लिए शांति आन्दोलन और इस आन्दोलन ने शांति अध्ययन नामक ज्ञान की एक नई शाखा का भी सृजन किया है |
रवांडा की हिंसा :
रवांडा की हिंसा एक नस्लीय संहार था | रवांडा एक अफ़्रीकी देश है जहाँ 1994 में तकरीबन पाँच लाख तुत्सी लोगों को हुतू लोगों ने मार डाला | यह युद्ध नहीं था | हत्याकांड के आरंभ होने के पहले ख़ुफ़िया जानकारी उपलब्ध होने और इसके भड़कने पर अंतर्राष्ट्रीय मीडिया में घटना का विवरण आने के बावजूद कोई अंतर्राष्ट्रीय हस्तक्षेप नहीं हुआ। संयुक्त राष्ट्र ने रवांडा के खून-खराबा को रोकने के लिए शांति अभियान चलाने से इनकार कर दिया।
जापान और कोस्टारिका द्वारा सैन्यबल न रखने का फैसला :
दूसरे विश्वयुद्ध के बाद जापान और कोस्टारिका जैसे देशों ने सैन्यबल नहीं रखने का फैसला किया।
परमाण्विक हथियार से मुक्त क्षेत्र :
विश्व के अनेक हिस्सों में परमाण्विक हथियार से मुक्त क्षेत्र बने हैं, जहाँ आण्विक हथियारों को विकसित और तैनात करने पर एक अंतर्राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त समझौते के तहत पाबंदी लगी है।
आज इस तरह के छः क्षेत्र हैं।
(i) दक्षिण ध्रुवीय क्षेत्र,
(ii) लैटिन अमेरिका और कैरेबियन क्षेत्र,
(iii) दक्षिण पूर्वी एशिया,
(iv) अफ्रीका,
(v) दक्षिण प्रशांत क्षेत्र और
(vi) मंगोलिया
शांति आन्दोलन से जुड़े विभिन्न तबकों के लोग :
(1) इस आंदोलन को विभिन्न तबके के लोगों ने बढ़ावा दिया है जिनमें लेखक, वैज्ञानिक, शिक्षक, पत्राकार, पुजारी, राजनेता और मजदूर - सभी शामिल हैं। इसका
लगातार विस्तार हुआ है और महिला सशक्तीकरण, पर्यावरण सुरक्षा जैसे अन्य आन्दोलनों के समर्थकों से पारस्परिक फायदेमंद जुड़ाव होने से यह और अधिक सघन हुआ है।
हिंसा के विभिन्न रूप
हिंसा के विभन्न रूप या प्रकार:-
1. जातीय दंगे :- भारत में छुआछूत कि समाप्ति के साथ ही जाती प्रथा से जुड़े बहुत से विशेषाधिकार एक-2 करके लुप्त हो गए बाद में जमीदारी उन्मूलन किए जाने से मंझोली जातियों के किसान भी इतने सब हो गए कि वे जो पहले दबंग जातीय होती थी ,उनके नेत्व्य को चुनौती देने लगे!
2.नस्लवाद :-नस्लवाद के मूल में यह भावना रही है कि कुछ जातिया या नसले प्रकृति से ही श्रेष्ठ है और उन्हें अन्य नस्लों को दबाकर रखने का पूरा अधिकार है नस्लवाद जर्मनी में नाजीवाद और दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद कि नीति के रूप प्रकट हुआ
3.लिंग आधारित हिंसा :- पुरे विश्व में विशेषकर मुस्लिम समुदायों में महिलाओ कि सामाजिक आथिक विश्व समुदाय के समक्ष एक महाभीशण सर्वनाश के रूप में सामने आया
हिंसा को समाप्त करने के तरीके :- सयुक्त राष्ट्र शेक्षणिक वैज्ञानिक संगठन कि स्थापना का उद्देश्य शिक्षा,विज्ञान,संस्कृति और संचार व्यवस्था के विकास द्वारा राष्ट्रों के बीच सहयोग को बढ़ावा देना और विश्व में शांति वा सुरक्षा स्थापित करना क्योंकि युद्ध मानव के मस्तिस्क में शांति कि अवधारणा विकसित होनी चाहिए
आतंकवादी गतिविधिया :- अन्तर्राष्ट्रीय आतंकवाद को फैलाने में लीबिया सूडान और अफगानिस्तान कि भूमिका से निबतेन के लिए विश्व समुदाय द्वारा अलग अलग तरीके अपनाएं गए है अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सेन्टर पर 11 सितम्बर को हुआ हमला आज तक कि सबसे अधिक विनाशकारी आतंकवादी घटना थी सयुंक्त राष्ट्र संघ सुरक्षा परिषद ने आतंकवादियो के विरुध अभियान में सभी देशो को पूरी तरह से सहयोग देने कि अपील कि
शांति और राज्यसत्ता :- हमारे समाज में सुव्यवस्था और सामंजस्य स्थापित करने के लिए एक शक्तितंत्र कि आवश्कता है जिसे राज्य कहते है|आधुनिक राज्य अनेक कार्य करता है राज नागरिको कि जीवन और उनकी सम्पति कि रक्षा करता है प्रकृति आपदाओ कि स्तिथि में लोगो को राहत प्रदान करता है,विदेशी आक्रमण के दोरान नागरिको के जान-माल की ओर राष्ट्र के सम्मान की रक्षा करता है तथा कला ओर विज्ञान की प्रगति व लोगो के भौतिक कल्याण के लिए उचित अवसर जुटाता है |
शांतिवाद : शांतिवाद विवादों को सुलझाने के औजार के बतौर युद्ध या हिंसा के बजाय शांति का उपदेश देता है।
शांतिवाद की विशेषताएँ :
(i) इसमें विचारों की अनेक छवियाँ शामिल हैं।
(ii) इसके दायरे में कूटनीति को अंतर्राष्ट्रीय विवादों का समाधान करने में प्राथमिकता देने से लेकर किसी भी हालत में हिंसा और ताकत के इस्तेमाल के पूर्ण निषेध तक आते हैं।
(iii) शांतिवाद सिद्धांतों पर भी आधारित हो सकता है और व्यवहारिकता पर भी।
(iv) यह युद्ध को उचित नहीं ठहरता है और किसी भी जोर-जबरदस्ती को नैतिक रूप से गलत मानता है |
शांतिवाद के भेद :
(1) सैद्धांतिक शांतिवाद : सैद्धांतिक शांतिवाद का जन्म इस विश्वास से होता है कि युद्ध, सुविचारित घातक हथियार, हिंसा या किसी प्रकार की जोर-जबरदस्ती नैतिक रूप से गलत है।
(2) व्यावहारिक शांतिवाद : व्यावहारिक शांतिवाद ऐसे किसी चरम सिद्धांत का अनुसरण नहीं करता है। यह मानता है कि विवादों के समाधान में युद्ध से बेहतर तरीके भी हैं या फिर यह समझता है कि युद्ध पर लागत ज्यादा आती है, और फायदे कम होते हैं।
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Political Science-II Chapter List
1. राजनीतिक सिद्धांत - एक परिचय
2. स्वतंत्रता परिचय
3. समानता
4. सामाजिक न्याय
5. अधिकार परिचय
6. नागरिकता परिचय
7. राष्ट्रवाद
8. धर्मनिरपेक्षता
9. शांति
10. विकास
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