8. पहनावे का समाजिक इतिहास History class 9 exercise महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
8. पहनावे का समाजिक इतिहास History class 9 exercise महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर ncert book solution in hindi-medium
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मुख्य बिंदु
मुख्य बिंदु:
- ब्रह्मिका साड़ी प्रमुख रूप से बंगाल, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश में लोकप्रिय थी|
- फ़्रांस में सम्प्चुअरी कानून 1294 ईo से 1789ईo तक प्रभावी रहा|
- 1913 ईo में डरबन (दक्षिण अफ्रीका) में महात्मा गाँधी ने पहली बार यह परिधान धारण किया|
- कृत्रिम रेशों से बने कपड़े पूर्व प्रचलित कपड़ो की तुलना में सस्ती, हल्के, आराम दायक होते थे| इन कपड़ो को पहनना और साफ़ करना आसन था इसीलिए इनकी मांग बढ़ गई थी|
- जैकोबिन क्लब्ज़ के लोग स्वयं को सेन्स क्लोट्टीज़ कहते थे|
- स्वदेशी आंदोलन ने भारत में बने माल का अधिक-से-अधिक देशवासियों द्वारा प्रयोग और विदेशी माल का बहिष्कार| पर विशेष बल दिया|
- इंग्लैंड की लडकियों को बचपन में घर व स्कूल में यह शिक्षा दी जाती थी कि पतली कमर रखना उनका नारी सुलभ कर्तव्य है| सहनशीलता स्त्रीत्व का आवश्यक गुण हैं| आकर्षक व स्त्रियोचित दिखने के लिए उनका कार्सेट पहनना आवश्यक था|
- सफ़ेद रंग की खादी के कपड़े महंगे थे, तथा उनका रख-रखाव भी कठिन था, जिसके कारण निम्न वर्ग के मेहनतकश लोग इसे पहनने से बचते थे| इसीलिए महत्मा गाँधी के विपरीत बाबा साहब अम्बेडकर जैसे अन्य राष्ट्रियवादियों ने पाश्चात्य शैली का सूट पहनना कभी नहीं छोड़ा |
- गाँधी जी की वेशभूषा सादगी, पवित्रता और निर्धनता का प्रतीक थी जो भारतीय जनता का विचारों और स्थिति को प्रतिबिम्ब करती थी| इस कारण महात्मा गाँधी जि की पोषक की प्रतीकात्मक शक्ति चर्चिल के साम्राज्यवाद का विरोध करती हुई प्रतीत हुई|
अभ्यास
अभ्यास :
Q1. अठारहवीं शताब्दी में पोशाक शैलियों और सामग्री में आए बदलावों के क्या कारण थे?
उत्तर: अठारहवीं शताब्दी में पोशाक शैलियों और सामग्री में आए बदलावों के निम्नलिखित कारण थे -
(i) लोगो की आर्थिक स्थिति ने उनके वस्त्रों में अंतर ला दिया|
(ii) स्त्रियों में सौन्दर्य की भावना ने उनके वस्त्रों में परिवर्तन ला दिया|
(iii) समानता को महत्व देने के लिए लोग साधारण वस्त्र पहनने लगे|
(iv) राजतंत्र व शासक वर्ग के विशेष नाधिकार समाप्त कर दिए गए|
(v) लोगों की वस्त्रों के प्रति रूचियां अलग-अलग थी|
(vi) फ्रांसीसी क्रांति में सम्चुअरी कानूनों को समाप्त कर दिया गया|
(vii) यूरोप में सस्ते व अपेक्षाकृत सुन्दर भारतीय वस्त्रो की मांग बढ़ रहीं थी|
Q2. फ्रांस के सम्प्चुअरी कानून क्या थे?
उत्तर: 1294 से 1789 इ० की फ्रांसीसी क्रांति तक फ़्रांस के लोगो को सम्प्चुअरी कानूनों का पालन करना पड़ता था| इन कानूनों द्वारा समाज के निम्न वर्ग के व्यवहार को नियंत्रित करने का प्रयास किया| फ्रांसीसी समाज के विभिन्न वर्गो के लोग किस प्रकार के वस्त्र पहनेंगे इसका निर्धारण विभिन्न कानूनों द्वारा किया जाता था| इन कानूनों को सम्प्चुअरी कानून कहाँ जाता था| फ़्रांस में सम्प्चुअरी कानून इस प्रकार थे:-
(i) किसी व्यक्ति के सामाजिक स्तर द्वारा यह निर्धारित होता था कि कोई व्यक्ति एक वर्ष में कितने कपड़े खरीद सकता था|
(ii) साधारण व्यक्तियों द्वारा कुलीनों जैसे कपड़े पहनने पर पूर्ण पाबन्दी थी|
(iii) शाही खानदान तथा उनके संबंधी ही बेशकीमती कपड़े पहनते थे|
(iv) निम्न वर्गो के लोगो को खास-खास कपड़े पहनने, विशेष व्यंजन खाने, खास तरह के पेय (मुख्यतः शराब) पीने और शिकार खेलने की अनुमति नहीं थी|
Q3. यूरोपीय पोशाक संहिता और भारतीय पोशाक संहिता के बीच कोई दो फर्क बताइए।
उत्तर:
यूरोपीय पोशाक संहिता | भारतीय पोशाक संहिता |
(i) इनमें तंग वस्त्रो को अधिक महत्त्व दिया जाता था| | (i) इनमें आरामदेह तथा ढीले-ढाले वस्त्रो को अधिक महत्व दिया जाता था| |
(ii) यह पोशाक कानूनी समर्थन पर आधारित थी| | (ii) इन पोशाको को सामाजिक समर्थन प्राप्त था| |
Q4. 1805 में अंग्रेज अफसर बेंजमिन हाइन ने बंगलोर में बनने वाली चीजों की एक सूची बनाई थी, जिसमें निम्नलिखित उत्पाद भी शामिल थेः
- अलग-अलग किस्म और नाम वाले शनाना कपड़े।
- मोटी छींट
- मखमल
- रेशमी कपड़े
बताइए कि बीसवीं सदी के प्रारंभिक दशकों में इनमें से कौन-कौन से किस्म के कपड़े प्रयोग से बाहर चले गए होंगे, और क्यों?
उत्तर: 20 वीं सदी के प्रारंभिक दशकों में इनमें से रेशमी और मखमल के कपड़ो का प्रयोग सीमित हो गया होगा क्योंकि:-
(i) यह कपडा यूरोपीय कपड़ों की तुलना में बहुत महंगे थे|
(ii) स्वदेशी आंदोलन ने लोगो में रेशमी वस्त्रो का त्याग करने को प्रेरित किया|
(iii) इस समय तक इंग्लैंड के कारखानों में बना सूती कपड़ा भारत बाज़ार में बिकने लग रहा था| यह कपड़ा देखने में सुन्दर, हल्का व सस्ता था|
Q5. उन्नीसवीं सदी के भारत में औरतें परंपरागत कपड़े क्यों पहनती रहीं जबकि पुरुष पश्चिमी कपड़े पहनने लगे थे? इससे समाज में औरतों की स्थिति के बारे में क्या पता चलता है?
उत्तर: 19 वीं सदी में भारत में केवल उन्ही उच्च वर्गीय भारतीयों ने पश्चिमी कपड़े पहनने आरंभ किया जो अंग्रेजों के संपर्क में आए थे| साधारण भारतीय समुदाय इस कल में परंपरागत भारतीय वस्त्रो को ही पहनता था| हमारा समाज मुख्यतः पुरूष प्रधान हैं और महिलाओ से अपेक्षा की जाती हैं कि वें पारंपरिक सम्मान को बनाए रखें| उनसे सुशील व अच्छी गृहणी बनने की अपेक्षा की जाती थी| वे पुरुषो जैसे वस्त्र नहीं पहन सकती थी , और इसलिए उन्होंने पारंपरिक परिधान पहनना जरी रखा| यह सीधे तौर पर महिलाओ को समाज में निम्कीन दर्जा हासिल होने का सूचक हैं| इस काल में साधारण महिलाओ की सामाजिक स्थिति घरेलू जिम्मेदारियों के निर्वहन तक ही सीमित थी परन्तु उच्च वर्गीय महिलाएँ शिक्षित होने के साथ- साथ राजनीतिक तथा समाजसेवा जैसे महत्वपूर्ण कार्यों से जुड़ी थी|
Q6. विंस्टन चर्चिल ने कहा था कि महात्मा गाँधी राजद्रोही मिडिल टेम्पल वकील’ से ज्यादा कुछ नहीं हैं और 'अर्धनंगे फकीर का दिखावा’ कर रहे हैं। चर्चिल ने यह वक्तव्य क्यों दिया और इससे महात्मा गाँधी की पोशाक की प्रतीकात्मक शक्ति के बारे में क्या पता चलता है?
उत्तर: इस समय महात्मा गाँधी की छवि भारतीय जनता में एक 'महात्मा' एवं मुक्तिदाता के रूप में उभर रहीं थी| गाँधी जी की वेशभूषा सादगी, पवित्रता और निर्धनता का प्रतीक थी जो भारतीय जनता का विचारों और स्थिति को प्रतिबिम्ब करती थी| इस कारण महात्मा गाँधी जि की पोषक की प्रतीकात्मक शक्ति चर्चिल के साम्राज्यवाद का विरोध करती हुई प्रतीत हुई और उन्होंने महात्मा गाँधी के विषय में प्रश्नगत टिप्पणी की|
Q7. समूचे राष्ट्र को खादी पहनाने का गांधीजी सपना भारतीय जनता के केवल कुछ हिस्सों तक ही सीमित क्यों रहा?
उत्तर: प्रत्येक भारत को खादी के वस्त्र पहनाने का गाँधी जि का स्वप्न कुछ हिस्सों तक सीमित रहने के निम्नलिखित कारण थे-
(i) भारत का उच्च अभिजातीय वर्ग मोटी खादी के स्थान पर हल्के व बारीक कपड़े पहनना पसंद करते थे|
(ii) अनेक भारतीय पश्चिमी शैली के वस्त्रो को पहनना आत्मसम्मान का प्रतीक मानते थे|
(iii) सफ़ेद रंग की खादी के कपड़े महंगे थे, तथा उनका रख-रखाव भी कठिन था, जिसके कारण निम्न वर्ग के मेहनतकश लोग इसे पहनने से बचते थे| इसीलिए महत्मा गाँधी के विपरीत बाबा साहब अम्बेडकर जैसे अन्य राष्ट्रियवादियों ने पाश्चात्य शैली का सूट पहनना कभी नहीं छोड़ा | सरोजनी नायडू और कमला नेहरु जैसी महिलाएँ भी हाथ से बुने सफ़ेद, मोटे कपड़ो की जगह रंगीन व डिज़ाइनदार साड़ियाँ पहनती थी|
महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर :-
प्रश्न 1. ब्रह्मिका साड़ी भारत के किस देश में अधिक लोकप्रिय थी?
उत्तर: यह साड़ी प्रमुख रूप से बंगाल, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश में लोकप्रिय थी|
प्रश्न 2. महात्मा गाँधी ने लुंगी-कुर्ता पहनने का प्रयोग कब शुरू किया?
उत्तर: 1913 ईo में डरबन (दक्षिण अफ्रीका) में महात्मा गाँधी ने पहली बार यह परिधान धारण किया|
प्रश्न 3. फ़्रांस में सम्प्चुअरी कानून कब से कब तक लागू रहे?
उत्तर: फ़्रांस में सम्प्चुअरी कानून 1294 ईo से 1789ईo तक प्रभावी रहा|
प्रश्न 4. 1870 ईo के दशक में अमेरिका में पोशाक सुधार के समर्थको के क्या विचार थे?
उत्तर: (i) कपड़ो को सरल बनाया जाए|
(ii) कार्सेट का परित्याग किया जाए|
(iii) स्कर्ट की लंबाई छोटी की जाए|
प्रश्न 5. 20 वीं सदी की शुरुआत में कृत्रिम रेशों से बने कपड़ो की मांग क्यों बढ़ गई थी?
उत्तर: ये कपड़े पूर्व प्रचलित कपड़ो की तुलना में सस्ती, हल्के, आराम दायक होते थे| इन कपड़ो को पहनना और साफ़ करना आसन था|
प्रश्न 6. दकियानूसी वर्ग के लोग क्यों पोशाक सुधार का विरोध कर रहे थे?
उत्तर: उनका ऐसा मनना था कि इससे महिलाओ की शालीनता, खूबसूरती और जनानापन समाप्त हो जाएगा|
प्रश्न 7. जैकोबिन क्लब्ज़ के सदस्य स्वयम को क्या कहते थे?
उत्तर: जैकोबिन क्लब्ज़ के लोग स्वयं को सेन्स क्लोट्टीज़ कहते थे|
प्रश्न 8. स्वदेशी आंदोलन ने किस बात पर विशेष बल दिया?
उत्तर: भारत में बने माल का अधिक-से-अधिक देशवासियों द्वारा प्रयोग और विदेशी माल का बहिष्कार|
प्रश्न 9. फ्रांसीसी क्रांति के बाद परिधान संहिता में क्या-क्या परिवर्तन हुए?
उत्तर: फ्रांसीसी क्रांति के बाद परिधान संहिता में निम्नलिखित परिवर्तन हुए:
(i) लाल टोपी को स्वतंत्रता की निशानी के रूप में पहने जाने लगा|
(ii) कीमती वस्त्रों के स्थान पर सादगीपूर्ण वस्त्रो का प्रचलन आरंभ हुआ, जिससे समानता की भावना प्रदर्शित हुई|
(iii) तिरछी टोपियाँ और पतलून भी प्रचलन में आ गई थी| फ्रांसीसी क्रांति के उपरांत यद्यपि परिधान संबंधी कानूनों का अंत हो गया था परन्तु आर्थिक विभिन्नता के कारण अब भी निम्न वर्ग उच्च वर्गों के समान वस्त्र नहीं पहन सकता था|
(iv) महिलाओ और पुरुषो ने ढीले-ढाले आरामदेह वस्त्रो को पहनना आरंभ करदिया|
(v) वस्त्रों के रंगों के चयन में फ्रांसीसी तिरंगे के तीन रंगों (नीला, सफ़ेद, लाल ) को अधिक महत्व दिया जाने लगा| इन्हें पहनना देशभक्ति का पर्याय बन गया|
प्रश्न 10. त्रावणकार रियासत की शनार जाति पर लागू प्रतिबंधो का उल्लेख कीजिए|
उत्तर: (i) ऊँची जाति वालों के सामने शनार स्त्री-पुरूष शरीर के ऊपरी भाग को नहीं ढक सकते थे|
(ii) शनार लोग सोने के आभूषण नहीं पहन सकते थे|
(iii) शनार लोग जूते नहीं पहन सकते थे|
(iv) शनार लोग छतरी लेकर नहीं चल सकते थे|
प्रश्न 11. ब्रिटेन में नई सामग्री से नई प्रोद्योगिकी ने किस तरह के सुधार लाने में सहायता की ?
उत्तर: 17 वीं सदी से पहले फ्लैक्स, लिनेन या ऊन से बने भुत कम कपड़े प्रयोग में लाए जाते थे| किंतु 1600 ई. के बाद भारत के साथ व्यापार के चलते सस्ती व रख-रखाव में आसान भारतीय छींट यूरोप लाइ गई| उन्नीसवीं सदी में यूरोप में अधिकाधिक लोग सूती कपड़ो तक पहुँच हो गयी| बीसवीं सदी के प्रारंभ तक सस्ते, टिकाऊ एवं रखरखाव तथा धुलाई में आसान कृत्रिम रेश से बने कपड़े प्रयोग इए जाने लगे|
प्रश्न 12. इंग्लैंड की लड़कियों को बचपन में क्या शिक्षा दी जाती थी?
उत्तर: इंग्लैंड की लडकियों को बचपन में घर व स्कूल में यह शिक्षा दी जाती थी कि पतली कमर रखना उनका नारी सुलभ कर्तव्य है| सहनशीलता स्त्रीत्व का आवश्यक गुण हैं| आकर्षक व स्त्रियोचित दिखने के लिए उनका कार्सेट पहनना आवश्यक था| इसके लिए शारीरिक कष्ट या यातना भोगना मामूली बात मणि जाती थी|
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