2. यूरोप में समाजवाद एवं रुसी क्रांति History class 9 exercise महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
2. यूरोप में समाजवाद एवं रुसी क्रांति History class 9 exercise महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर ncert book solution in hindi-medium
NCERT Books Subjects for class 9th Hindi Medium
मुख्य बिंदु
मुख्य बिंदु:-
- उदारवादी एक विचारधारा है जिसमें सभी धर्मों को बराबर का सम्मान और जगह मिले | वे व्यक्ति मात्र के अधिकारों की रक्षा के पक्षधर थे|
- समाजवादियों ने अपने प्रयासों में समन्वय लाने के लिए 1870 के दशक में द्वितीय इंटरनेशनल नाम से संस्था बनाई |
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1917 में ज़ार का शासन खत्म होने के कारण 85% जनता कृषि पर निर्भर थी| किसानो की दशा खराब थी| बेरोजगार किसान धर्मार्थ लंगरों में खाना खाते थे और खस्तहाल मकानों में रहते थे| मजदूरों की दशा भी ख़राब थी|
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फरवरी 1917 में राजशाही के पतन और 1917 के ही अक्टूबर के मिश्रित घटनाओं को अक्टूबर क्रांति कहा जाता है | अक्टूबर क्रांति के जरिए रूस की सत्ता पर समाजवादियों ने कब्ज़ा किया|
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रूस में जार शासन में जनवरी 1905 ई0 के एक रविवार के दिन कुछ लोगों ने जुलुस निकालकर जार से मिलने और एक याचिका देने की कोशिश किया परन्तु जार के सैनिकों ने उन पर गोलियाँ बरसाई जिसमें लगभग एक हजार मजदूर मारे गए और कई हजार घायल हुए इसलिए इस हत्याकांड को खुनी रविवार के नाम से प्रसिद्ध हुआ |
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समाजवादी निजी सम्पति का विरोध इसलिए कर रहे थे क्योंकि निजि सम्पतियाँ सामंतवाद और समाज में असंतुलन को जन्म देते है |
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समाजवादी विचारधारा , जो समाज के पुर्नगठन का काम करती है |
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रैडिकल समूह किसी भी निजी सम्पतियों के विरोधी नहीं थे लेकिन केवल चंद लोगों के पास सम्पति के केन्द्रण के खिलाफ थे |
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1914 तक यूरोप में समाजवादी कही भी सरकार बनाने में सफल इसलिए नहीं पाए पाए क्योंकि सरकरों में रुढ़िवादियों, उदारवादियों और रैडिकलों का ही दबदबा बना रहा |
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बोल्वेशिक रूस की एक राजनैतिक पार्टी थी जिसका नेता लेनिन था | उनकी तीन माँगे थी -युद्ध को तुरंत बंद किया जाए , सारी जमीन किसानों को सौप देनी चाहिए |और बैंकों का राष्ट्रियकरण किया जाए|
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रूस के किसान समय-समय पर सारी जमीन को अपने कम्यून को सौप देते थे और फिर प्रत्येक परिवार की जरुरत के अनुसार के हिसाब से किसानों की जमीन बाँटी जाती थी|
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1789 ई0 की फ्रांस की क्रांति जिसने विश्व में स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के तीन महान सिद्धांतों नींव राखी जो लोकतंत्र के तीन प्रमुख स्तंभ सिद्ध हुए |
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सोवियत शब्द रूस में मजदूरों और किसानों के संघ को कहा जाता है |
अभ्यास
अध्याय 2. यूरोप में समाजवाद और रुसी क्रांति
प्रश्न 1. रूस के सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक हालात 1905 से पहले कैसे थे?
उत्तर: 1905 से पहले रूस के समाजिक, आर्थिक और राजनीतिक हालात निम्नलिखित थे:-
(अ) सामाजिक हालात :- (i) समाजिक स्तर पर मजदूर विभाजित थे |
(ii) बहुत से मजदूर स्थायी रूप से शहरों में बस गये थे|
(iii) उनमें योग्यता और दक्षता के स्तर पर भी काफी फर्क था |
(iv) औरतो को पुरुषों से कम वेतन मिलता था |
(ब) आर्थिक हालात :- (i) रूसी साम्राज्य की 85 प्रतिशत जनता आजीविका के लिए कृषि पर निर्भर थी|
(ii) उद्योग - धंधे बहुत कम थे|
(iii) सेंट पीटसबर्ग और मास्को प्रमुख औद्योगिक क्षेत्र थे|
(iv) मजदूरों की दशा शोचनीय थी | उनको 10-15 घंटे कम करना पड़ता था |
(v) कोयला और स्टील उत्पादन काफी मात्रा में हो रहा था| ज्यादातर कारखाने उद्योगपतियों की निजी संपति थे|
(स) राजनीतिक हालात:- (i) जार निकोलस II का शासन था|
(ii) रूसी साम्राज्य में मास्को के आस-पास पड़ने वाले भूक्षेत्र के अलावा इसमें आज का फ़िनलैंड, लातविया, लिथुआनिया , एस्तोनिया तथा पौलैंड, यूक्रेन व बेलारूस के कुछ हिस्से शामिल थे|
(iii)यह साम्राज्य प्रशांत महासागर तक फैला हुआ था और आज के मध्य एशियाई राज्यों के साथ-साथ जार्जिया, आर्मेनिया व अज़रबैजान भी इसमें शामिल थे|
प्रश्न 2. 1917 से पहले रूस की कामकाजी आबादी यूरोप के बाकी देशों के मुकाबले किन-किन स्तरों पर भिन्न थी?
उत्तर: रूस की कामकाज करने वाली जनसँख्या यूरोप के अन्य देशो से 1917 ई. से पहले भिन्न थी| एसा इसलिए क्योंकि सभी रूसी कामगार कारखानों में काम करने के लिए गाँव से शहर नहीं आये थे| इनमें से ज्यादातर गाँवों में ही रहना पसंद करते थे और शहर में काम करने के निमित्त रोज गाव से आते और शाम को व३अपस लौट जाते थे| वे सामाजिक स्तर एवं दक्षता के अनुसार समूहों में बटे हुए थे और यह उनकी पोशाको से परिलक्षित होता था| धातुकर्मी अपने को मजदूरों में खुद को साहब मानते थे| क्योंकि उनके काम में ज्यादा प्रशिक्षण और निपुणता की जरुरत रहती थी तथापि कामकाजी जनसँख्या कार्य स्थितियों एवं नियोक्ताओ के अत्याचार के विरुद्ध हड़ताल के मोर्चे पर एकजुट थी|
अन्य यूरोपीय देशो के मुकाबले में रूस की कामगार जनसँख्या जैसे कि किसानो एवं कारखान मजदूरों की स्थिति बहुत भयावह थी| एसा जार निकोलस द्वितीय की निरंकुश सरकार के कारण था जिसकी भ्रष्ट एवं दमनकारी नीतियों से इन लोगो से उसकी दुश्मनी दिनों-दिन बढती जा रहीं थी | कारखाना मजदूरी की स्थिति भी इतनी ही ख़राब थी| वे अपनी शिकायतों को प्रकट करने के लिए कोई ट्रेड युनियन अथवा कोई राजनीतिक दल नहीं बना सकते थे| अधिकतर कारखाने उद्योगपतियों की निजी संपत्ति थी|
किसान ज़मीन पर सर्फ़ के रूप में काम करते थे और उनकी पैदावार का अधिकतम भाग ज़मीन के मालिकों एवं विशेषाधिकार प्राप्त वर्गो को चला जाता था| कुलीन वर्ग, सम्राट तथा रूढ़िवादी चर्च के पास बहुत अधिक संपत्ति थी| ब्रिटेन में फ्रांसीसी क्रांति के दौरान किसान कुलीनों का सम्मान करते थे और उनके लिए लड़ते थे किंतु रूस में किसानो को दी गई ज़मीन लेना चाहते थे| उन्होंने लगान देने से मना कर दिया और जमींदारों को मार भी डाला| तत्कालीन रूस के किसान अपनी भूमि एकत्र कर अपने कम्यून (मीर) को सौप देते थे और किसानो को कम्यून उस कृषि भूमि को प्रत्येक परिवार की आवश्यकता के अनुसार बाँट देता था, जिससे उस कृषि भूमि पर सुगमता से कृषि की जा सके|
प्रश्न 3. 1917 में ज़ार का शासन क्यों खत्म हो गया?
उत्तर: 1917 में ज़ार का शासन खत्म होने के निम्नलिखित कारण थे:-
(i) 85% जनता कृषि पर निर्भर थी| किसानो की दशा खराब थी| बेरोजगार किसान धर्मार्थ लंगरों में खाना खाते थे और खस्तहाल मकानों में रहते थे|
(ii) मजदूरों की दशा भी ख़राब थी| उन्हें 10-15 घंटे तक की पाली में काम करना पड़ता था| उनके वेतन कम थे|
(iii) 'ख़ूनी रविवार' की घटना ने हड़तालों में वृद्धि की| असंतोष बढ़ता गया|
(iv) 1905 की क्रांति के पश्चात् कुछ समय तक ट्रेड यूनियनें अस्तित्व में रहीं परन्तु फिर उन्हें गैर- कानूनी घोषित कर दिया गया|
(v) प्रथम विश्व युद्ध के दौरान 1914 से 1917 तक 70 लाख रूसी लोग मारे गये| ३० लाख से ज्यादा लोग शरणार्थी बने| इसमें जार का शासन बदनाम हो गया| लोग भी युद्ध से तंग आ चुके थे|
प्रश्न 4. दो सूचियाँ बनाइए : एक सूची में फरवरी क्रांति की मुख्य घटनाओं और प्रभावों को लिखिए और दूसरी सूची में अक्तूबर क्रांति की प्रमुख घटनाओं और प्रभावों को दर्ज कीजिए।
उत्तर: (क) फ़रवरी क्रांति की मुख्य घटनाए:-
(i) 1917 की सर्दी का मौसम - पोत्रोग्राद में मजदूरों के इलाके में खाद्य पदार्थो की कमी-भीषण कोहरा उअर बर्फबारी|
(ii) 22 फ़रवरी - एक फैक्ट्री में तालाबंदी|
(iii) 23 फ़रवरी - पचास फक्ट्रियों में हड़ताल |
(iv) 24-25 फ़रवरी - घुड़सवार सैनिक और पुलिस की तैनाती|
(v) 25 फ़रवरी - डयूमा को बर्खास्त करना|
(vi) 26 फ़रवरी- प्रदर्शनकारियों का इकट्ठा होना|
प्रभाव :-
(i) अंतरिम सरकार का गठन|
(ii) भविष्य के बारे में फैसला लेने की ज़िम्मेदारी संविधान सभा को सौपना, आधार सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार|
(iii) जनसभा करने और संगठन बनाने में लगी पाबन्दी को हटाना|
(iv) अन्य स्थानों पर सोवियतों का निर्माण |
(v) बोल्शेविक पार्टी का नाम कम्युनिस्ट पार्टी रखना|
(vi) ट्रेड यूनिनों की संख्यां में वृद्धि|
(vii) असंतोष में वृद्धि, सरकार की दमन नीति|
(ख) अक्टूबर की मुख्य घटनाएँ:-
(i) अंतरिम सरकार और बोल्शेविकों के टकराव में वृद्धि|
(ii) 24 अक्टूबर को विद्रोह प्रारंभ होना|
(iii) दिसंबर तक मास्को- पेत्रोग्राद इलाके पर बोल्शेविकों का नियंत्रण|
प्रभाव:-
(i) नवंबर, 1917 - ज्यादातर उद्योगों और बैंकों का राष्ट्रीयकरण|
(ii) ज़मीन को सामाजिक संपत्ति घोषित करना तथा किसानो को सामंतो की जमीनों पर कब्ज़ा करने की छूट देना|
(iii) अभिजात्य वर्ग द्वारा पुरानी पदवियों के प्रयोग पर रोक लगाना|
(iv) नवंबर में सविधान सभा के चुनाव करवाना|
(v) गुप्तचर पुलिस और बोल्शेविकों की आलोचना करने वालों को दंड देना|
(vi) रूस का एक- दलीय राजनीतिक व्यवस्था वाला देश|
(vii) गैर-रूसी राष्ट्रीयताओं को सोवियत संघ (दिसंबर , 1922) में राजनीतिक स्वायत्ता प्रदान करना|
प्रश्न 5. बोल्शेविकों ने अक्तूबर क्रांति के फौरन बाद कौन-कौन-से प्रमुख परिवर्तन किए?
उत्तर: अक्तूबर क्रांति के बाद निम्नलिखित प्रमुख परिवर्तन किये गए:
(i) ज़मीन को सामाजिक संपत्ति घोषित किया गया|
(ii) किसानों को सामंतो की ज़मीनों पर कब्ज़ा करने के लिए खुली छूट दे दी गई|
(iii) अभिजात्य वर्ग की पुरानी पदवियों पर रोक लगा डी गई|
(iv) सेना और सरकारी अफसरों की वर्दियां बदल दी गई|
(v) ज़मीनों के पुनर्वितरण का आदेश जारी किया गया|
(vi) बोल्शेविक पार्टी का नाम बदलकर रूसी कम्युनिस्ट पार्टी (बोल्शेविक) रखा गया|
(vii) मार्च 1918 में बोल्शेविकों ने जर्मनी से संधि कर ली|
(viii) अखिल रूसी सोवियत कांग्रेस को संसद का दर्ज़ा दिया गया और रूस एक दलीय प्रणाली वाला देश बन गया|
प्रश्न 6. निम्नलिखित के बारे में संक्षेप में लिखिए :
- कुलक
- ड्यूमा
- 1900 से 1930 के बीच महिला कामगार
- उदारवादी
- स्तालिन का सामूहिकीकरण कार्यक्रम
उत्तर: (क) कुलक:- रूस के संपन्न किसानों को कुलक कहा जाता था|
(ख) ड्यूमा:- यह एक निर्वाचित परामर्शदाता संसद थी जिसका निर्वाचन 1905 की क्रांति के दौरान किया गया था|
(ग) 1900 से 1930 के बीच महिला कामगार:- 1914 में फैक्ट्री मजदूरों में औरतो की संख्या 31 प्रतिशत थी| उन्हें पुरूषों की तुलना में कम वेतन मिलता था| यह पुरुषों की तुलना में आधे से तीन चौथाई तक होता था| फ़रवरी 1917 में हड़ताल के समय बहुत सारे कारखानों में हड़ताल का नेतृत्व औरतों ने किया|
(घ) उदारवादी:- सभी धर्मों को समान जगह और सम्मान मिले| वे वंश आधारित शासको की अनियमित सत्ता के विरोधी थे| वे सरकार के समक्ष व्यक्ति मात्र के अधिकारों की रक्षा के पक्ष में थे| उनकीं नज़र में सरकार द्वारा व्यक्ति के अधिकारों को छीनने का अधिकार नहीं था| यह सार्वभौमिक मताधिकार के पक्ष में नही थे| उनके अनुसार वोट का अधिकार केवल संपत्तिधारियों को ही मिलना चाहिए|
(ड़) स्तालिन का सामूहिकीकरण कार्यक्रम:- स्तालिन ने स्थिति पर नियंत्रण करने के लिए सट्टेबाजी पर अंकुश लगाने तथा व्यापारियों के पास जमा अनाज को जब्त करना चाहा| किसानों से जबरदस्ती अनाज खरीदा और संपन्न किसानों या कुलको के ठिकानो पर छपे मरे परन्तु आनाज की कमी बनी रही| उपयुक्त स्थिति में आनाज़ की कमी को पूरा करने के लिए सामूहिकरण की नीति अपनाई गई| इसके पक्ष में यह तर्क दिया गया कि अनाज की कमी का कारण छोटे-छोटे खेत हैं| छोटे खेतो का आधुनिकीकरण नहीं किया जा सकता था| खेतो को विकसित करने और उनपर आधुनिक मशीनों से खेती करने के लिए कई कदम उठाए गये|
महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
अध्याय 2. यूरोप में समाजवाद और रुसी क्रांति
प्रश्न: वह कौन सी विचारधारा है जो समाज के पुर्नगठन का काम करती है ?
उत्तर: समाजवादी विचार धारा |
प्रश्न: उदारवादी किसे कहा जाता है ?
उत्तर: उदारवादी एक विचारधारा है जिसमें सभी धर्मों को बराबर का सम्मान और जगह मिले | वे व्यक्ति मात्र के अधिकारों की रक्षा के पक्षधर थे |
प्रश्न: रूस में उदारवादी विचारधारा/समूह ''लोकतंत्रवादी'' नहीं था | क्यों ?
उत्तर: यह समूह ''लोकतंत्रवादी'' नहीं था | ये लोग सार्वभौमिक व्यस्क मताधिकार यानि सभी व्यस्क नागरिकों को वोट का अधिकार देने के पक्ष ने नहीं थे | उनका मानना था कि वोट का अधिकार केवल सम्पतिधारियों को ही मिलना चाहिए |
प्रश्न: समाजवादी विचारधारा से आप क्या समझते है ?
उत्तर: समाजवादी विचारधारा वह विचारधारा है जो निजी सम्पति रखने के विरोधी है और समाज में सभी को न्याय और संतुलन पर आधारित विचारधारा है |
प्रश्न: समाजवादी निजी सम्पति का विरोध क्या करते थे ?
उत्तर: समाजवादी निजी सम्पति का विरोध इसलिए कर रहे थे क्योंकि निजि सम्पतियाँ सामंतवाद और समाज में असंतुलन को जन्म देते है |
प्रश्न: वह कौन सी विचारधारा है जो समाज के पुर्नगठन का काम करती है ?
उत्तर: समाजवादी विचार धारा |
प्रश्न: रैडिकल समूह की क्या विचारधाराएँ थी ?
उत्तर:
(i) वे ऐसी सरकार के पक्ष में थे जो देश की आबादी के बहुमत के समर्थन पर आधारित हो |
(ii) इनमें से बहुत सरे लोग महिला मताधिकार आन्दोलन के भी समर्थक थे |
(iii) ये लोग बड़े जमींदारों और संपन्न उद्योगपतियों को प्राप्त किसी भी तरह के विशेषाधिकारों के खिलाफ थे |
(iv) वे किसी भी निजी सम्पतियों के विरोधी नहीं थे लेकिन केवल चंद लोगों के पास सम्पति के केन्द्रण के खिलाफ थे |
प्रश्न: रुढ़िवादी रूस में किस प्रकार के बदलाव चाहते थे ?
उत्तर:
(i) रुढ़िवादी तबका रैडिकल और उदारवादी दोनों के खिलाफ था |
(ii) वे बदलाव की धीमी प्रक्रिया चाहते थे |
(iii) वह चाहते थे कि अतीत का सम्मान किया जाए अर्थात अतीत को पूरी तरह ठुकराया न जाए |
प्रश्न: रूस में समाजवादियों की प्रमुख विचारधाराएँ क्या थी ?
उत्तर: रूस में समाजवादियों की प्रमुख विचारधाराएँ निम्न थी |
(i) वे निजी सम्पति के विरोधी थे | यानि, वे संपति पर निजी स्वामित्व को सही नहीं मानते थे |
(ii) वे संपति के निजी स्वामित्व की व्यवस्था को ही सारी समस्याओं की जड़ मानते थे |
(iii) कुछ समाजवादियों को कोआपरेटिव यानि सामूहिक उद्यम के विचार में दिलचस्पी थी |
(iv) केवल व्यक्तिगत पहलकदमी से बहुत बड़े सामूहिक खेत नहीं बनाए जा सकते | वह चाहते थे कि सरकार अपनी तरफ से सामूहिक खेती को बढ़ावा दे |
(v) वे चाहते थे कि सरकार पूंजीवादी उद्यम की जगह सामूहिक उद्यम को बढ़ावा दे |
प्रश्न: रूस में उदारवादी विचारधारा का वर्णन कीजिए |
उत्तर:
(i) सभी धर्मों को बराबर का सम्मान और जगह मिले |
(ii) वे सरकार से व्यक्ति मात्र के अधिकारों की रक्षा के पक्षधर थे |
(iii) उनका कहना था कि सरकार को किसी के अधिकारों का हनन करने या उन्हें छीनने का अधिकार नहीं दिया जाना चाहिए |
(iv) यह समूह प्रतिनिधित्व पर आधारित एक ऐसी निर्वाचित सरकार के पक्ष में था जो शासकों और आफ्सरों के प्रभाव से मुक्त और सुप्रक्षिक्षित न्यायपालिका द्वारा स्थापित किये गए कानूनों के अनुसार शासन-कार्य चलाये |
प्रश्न: समाजवादियों ने अपने प्रयासों में समन्वय लाने के लिए 1870 के दशक में किस नाम से संस्था बनाई ?
उत्तर: द्वितीय इंटरनेशनल |
प्रश्न: इंग्लैंड और जर्मनी के मजदूरों ने अपने जीवन और कार्यस्थिति में सुधार लाने के लिए कौन-कौन से प्रयास किये ?
उत्तर:
(i) संगठन बनाना शुरू किया |
(ii) अपने सदस्यों को मदद पहुँचाने के लिए कोच बनाए |
(iii) काम के घंटे में कमी तथा मताधिकार के लिए आवाजउठाना शुरू किया |
प्रश्न: 1914 तक यूरोप में समाजवादी कही भी सरकार बनाने में क्यों सफल नहीं हो पाए ? कारण दीजिए |
उत्तर: संसदीय राजनीति में उनके प्रतिनिधि बड़ी संख्या में जीतते रहे, उन्होंने कानून बनवाने में भी अहम् भूमिका निभाई, मगर 1914 तक यूरोप में समाजवादी कही भी सरकार बनाने में सफल इसलिए नहीं पाए पाए क्योंकि सरकरों में रुढ़िवादियों, उदारवादियों और रैडिकलों का ही दबदबा बना रहा |
प्रश्न: किस क्रांति के जरिए रूस की सत्ता पर समाजवादियों ने कब्ज़ा किया ?
उत्तर: अक्टूबर क्रांति |
प्रश्न: अक्टूबर क्रांति किसे कहते है ?
उत्तर: फरवरी 1917 में राजशाही के पतन और 1917 के ही अक्टूबर के मिश्रित घटनाओं को अक्टूबर क्रांति कहा जाता है |
प्रश्न: निरंकुश राजशाही किसे कहते है ?
उत्तर: ऐसा शासन जहाँ राजा ही सर्वोसर्वा होता है और लोगों को कोई अधिकार प्राप्त नहीं होता, निरंकुश राजशाही या शासन कहलाता है |
प्रश्न: रुसी सम्राज्य की अधिकांश जनता का आजीविका का साधन क्या था ?
उत्तर: कृषि |
प्रश्न: 20 वीं शताब्दी के आरंभ में रूस में कारीगरों एवं मिल मजदूरों की दशा का वर्णन करों |
उत्तर: 20 वीं शताब्दी के आरंभ में रूस में कारीगरों एवं मिल मजदूरों की दशा निम्न थीं |
(i) किसी को जब नौकरी से निकाल दिया जाता था तो मजदूर एकजुट होकर हड़ताल करते थे |
(ii) काम की पाली के घंटे निश्चित हो इस बात का ध्यान रखने के लिए सरकारी विभाग फक्ट्रियों पर नजर रखते थे |
(iii) मजदूरों के रहने के लिए भी कमरों से लेकर डार्मिटरों की तरह की व्यवस्था थी |
(iv) समाजिक स्तर पर मजदुर बंटे हुए थे |
(v) बेरोजगारी तथा आर्थिक संकट में एक दुसरे की मदद करने के लिए संगठन बना लिए थे |
प्रश्न: रुसी किसान यूरोप के अन्य किसानों से किस प्रकार भिन्न थे ? वर्णन कीजिए |
उत्तर:
(i) यहाँ के किसान समय-समय पर सारी जमीन को अपने कम्यून को सौप देते थे और फिर प्रत्येक परिवार की जरुरत के अनुसार के हिसाब से किसानों की जमीन बाँटी जाती थी |
(ii) जबकि फ्रांसिसी क्रांति के दौरान ब्रिटनी के किसान न केवल नबाबों का सम्मान करते थे, बल्कि उन्हें बचाने के लिए उनकी लड़ाइयाँ भी लड़ते थे |
(iii) इसके विपरीत रुसी किसान चाहते थे कि नबाबों की जमीन छीनकर किसानों के बीच बाँट दी जाए |
प्रश्न: विश्व में लोकतंत्र स्थापित करने में किन्ही तीन घटनाओं का नाम बताइए |
उत्तर:
(i) इंग्लैंड की 1688 ई0 की शानदार क्रांति |
(ii) 1776 ई0 में अमेरिका की स्वतंत्रता की घोषणा पत्र |
(iii) 1789 ई0 की फ्रांस की क्रांति जिसने विश्व में स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के तीन महान सिद्धांतों नींव राखी जो लोकतंत्र के तीन प्रमुख स्तंभ सिद्ध हुए |
प्रश्न: खुनी रविवार से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर: रूस में जार शासन में जनवरी 1905 ई0 के एक रविवार के दिन कुछ लोगों ने जुलुस निकालकर जार से मिलने और एक याचिका देने की कोशिश किया परन्तु जार के सैनिकों ने उन पर गोलियाँ बरसाई जिसमें लगभग एक हजार मजदूर मारे गए और कई हजार घायल हुए इसलिए इस हत्याकांड को खुनी रविवार के नाम से प्रसिद्ध हुआ |
प्रश्न: सोवियत शब्द की व्याख्या अपने शब्दों में कीजिए |
उत्तर: मजदूरों के प्रतिनिधियों के परिषद् को 1905 ई0 की रुसी क्रांति के बाद पहली बार सोवियत का नाम दिया गया | सोवियत शब्द रूस में मजदूरों और किसानों के संघ को कहा जाता है |
प्रश्न: लेनिन कौन था ? उसकी तीन माँगे कौन-कौन सी थी ?
प्रश्न: बोल्वेशिक कौन थे ? उनकी तीन माँगे कौन-कौन सी थी ?
उत्तर: बोल्वेशिक रूस की एक राजनैतिक पार्टी थी जिसका नेता लेनिन था | उनकी तीन प्रमुख माँगे निम्नलिखित थी |
(i) युद्ध को तुरंत बंद किया जाए |
(ii) सारी जमीन किसानों को सौप देनी चाहिए |
(iii) बैंकों का राष्ट्रिय करण किया जाए |
प्रश्न: 1917 ई0 की क्रांति में लेनिन/बोल्शेविकों की भूमिका का वर्णन कीजिए |
उत्तर: रूस की क्रांति को सफल बनाने में या रूस में क्रन्तिकारी आन्दोलन के विकास में सबसे बड़ा योगदान लेनिन की थी जो रूस के सबसे शक्तिशाली पार्टी 'बोल्शेविक पार्टी' का नेता था | जार के सिंहासन त्यागने पर 15 मार्च 1917 ई0 को कैरेस्की के नेतृत्व में जो सरकार बनी वह भी देश के समस्याओं का हल न कर सकी | ऐसे में फिर हो सकता था की रूस में जार का शासन पुन: लौट आता | ऐसे कठिन समय में यदि लेनिन ने देश की बागडोर न संभाली होती तो सारे किये कराये पर पानी फिर जाता | उनकी योगदान निम्नलिखित हैं :
(i) लेनिन के नेतृत्व में बोल्शेविक पार्टी ने युद्ध समाप्त करके किसानों को जमींन दिलाने तथा सारी सत्ता सोवियत को सौंपने के संबंध में स्पष्ट नीतियाँ अपनाई |
(ii) सबसे पहले रूस ने प्रथम विश्व युद्ध से खुद को अलग कर लिया चाहे उसके लिए उसे भारी कीमत ही क्यों चुकानी पड़ी |
(iii) रूस के अधीन सभी उपनिवेशों को स्वतंत्र कर दिया गया | लेनिन ने अनेक घोषणायें कर रूस में एक समाजवाद का युग आरंभ किया |
महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर :
प्रश्न: समाजवादियों ने अपने प्रयासों में समन्वय लाने के लिए 1870 के दशक में किस नाम से संस्था बनाई ?
उत्तर: द्वितीय इंटरनेशनल |
प्रश्न: इंग्लैंड और जर्मनी के मजदूरों ने अपने जीवन और कार्यस्थिति में सुधार लाने के लिए कौन-कौन से प्रयास किये ?
उत्तर:
(i) संगठन बनाना शुरू किया |
(ii) अपने सदस्यों को मदद पहुँचाने के लिए कोच बनाए |
(iii) काम के घंटे में कमी तथा मताधिकार के लिए आवाजउठाना शुरू किया |
प्रश्न: 1914 तक यूरोप में समाजवादी कही भी सरकार बनाने में क्यों सफल नहीं हो पाए ? कारण दीजिए |
उत्तर: संसदीय राजनीति में उनके प्रतिनिधि बड़ी संख्या में जीतते रहे, उन्होंने कानून बनवाने में भी अहम् भूमिका निभाई, मगर 1914 तक यूरोप में समाजवादी कही भी सरकार बनाने में सफल इसलिए नहीं पाए पाए क्योंकि सरकरों में रुढ़िवादियों, उदारवादियों और रैडिकलों का ही दबदबा बना रहा |
प्रश्न: किस क्रांति के जरिए रूस की सत्ता पर समाजवादियों ने कब्ज़ा किया ?
उत्तर: अक्टूबर क्रांति |
प्रश्न: अक्टूबर क्रांति किसे कहते है ?
उत्तर: फरवरी 1917 में राजशाही के पतन और 1917 के ही अक्टूबर के मिश्रित घटनाओं को अक्टूबर क्रांति कहा जाता है |
प्रश्न: निरंकुश राजशाही किसे कहते है ?
उत्तर: ऐसा शासन जहाँ राजा ही सर्वोसर्वा होता है और लोगों को कोई अधिकार प्राप्त नहीं होता, निरंकुश राजशाही या शासन कहलाता है |
प्रश्न: रुसी सम्राज्य की अधिकांश जनता का आजीविका का साधन क्या था ?
उत्तर: कृषि |
प्रश्न: 20 वीं शताब्दी के आरंभ में रूस में कारीगरों एवं मिल मजदूरों की दशा का वर्णन करों |
उत्तर: 20 वीं शताब्दी के आरंभ में रूस में कारीगरों एवं मिल मजदूरों की दशा निम्न थीं |
(i) किसी को जब नौकरी से निकाल दिया जाता था तो मजदूर एकजुट होकर हड़ताल करते थे |
(ii) काम की पाली के घंटे निश्चित हो इस बात का ध्यान रखने के लिए सरकारी विभाग फक्ट्रियों पर नजर रखते थे |
(iii) मजदूरों के रहने के लिए भी कमरों से लेकर डार्मिटरों की तरह की व्यवस्था थी |
(iv) समाजिक स्तर पर मजदुर बंटे हुए थे |
(v) बेरोजगारी तथा आर्थिक संकट में एक दुसरे की मदद करने के लिए संगठन बना लिए थे |
प्रश्न: रुसी किसान यूरोप के अन्य किसानों से किस प्रकार भिन्न थे ? वर्णन कीजिए |
उत्तर:
(i) यहाँ के किसान समय-समय पर सारी जमीन को अपने कम्यून को सौप देते थे और फिर प्रत्येक परिवार की जरुरत के अनुसार के हिसाब से किसानों की जमीन बाँटी जाती थी |
(ii) जबकि फ्रांसिसी क्रांति के दौरान ब्रिटनी के किसान न केवल नबाबों का सम्मान करते थे, बल्कि उन्हें बचाने के लिए उनकी लड़ाइयाँ भी लड़ते थे |
(iii) इसके विपरीत रुसी किसान चाहते थे कि नबाबों की जमीन छीनकर किसानों के बीच बाँट दी जाए |
प्रश्न: विश्व में लोकतंत्र स्थापित करने में किन्ही तीन घटनाओं का नाम बताइए |
उत्तर:
(i) इंग्लैंड की 1688 ई0 की शानदार क्रांति |
(ii) 1776 ई0 में अमेरिका की स्वतंत्रता की घोषणा पत्र |
(iii) 1789 ई0 की फ्रांस की क्रांति जिसने विश्व में स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के तीन महान सिद्धांतों नींव राखी जो लोकतंत्र के तीन प्रमुख स्तंभ सिद्ध हुए |
प्रश्न: खुनी रविवार से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर: रूस में जार शासन में जनवरी 1905 ई0 के एक रविवार के दिन कुछ लोगों ने जुलुस निकालकर जार से मिलने और एक याचिका देने की कोशिश किया परन्तु जार के सैनिकों ने उन पर गोलियाँ बरसाई जिसमें लगभग एक हजार मजदूर मारे गए और कई हजार घायल हुए इसलिए इस हत्याकांड को खुनी रविवार के नाम से प्रसिद्ध हुआ |
प्रश्न: सोवियत शब्द की व्याख्या अपने शब्दों में कीजिए |
उत्तर: मजदूरों के प्रतिनिधियों के परिषद् को 1905 ई0 की रुसी क्रांति के बाद पहली बार सोवियत का नाम दिया गया | सोवियत शब्द रूस में मजदूरों और किसानों के संघ को कहा जाता है |
प्रश्न: लेनिन कौन था ? उसकी तीन माँगे कौन-कौन सी थी ?
प्रश्न: बोल्वेशिक कौन थे ? उनकी तीन माँगे कौन-कौन सी थी ?
उत्तर: बोल्वेशिक रूस की एक राजनैतिक पार्टी थी जिसका नेता लेनिन था | उनकी तीन प्रमुख माँगे निम्नलिखित थी |
(i) युद्ध को तुरंत बंद किया जाए |
(ii) सारी जमीन किसानों को सौप देनी चाहिए |
(iii) बैंकों का राष्ट्रिय करण किया जाए |
प्रश्न: 1917 ई0 की क्रांति में लेनिन/बोल्शेविकों की भूमिका का वर्णन कीजिए |
उत्तर: रूस की क्रांति को सफल बनाने में या रूस में क्रन्तिकारी आन्दोलन के विकास में सबसे बड़ा योगदान लेनिन की थी जो रूस के सबसे शक्तिशाली पार्टी 'बोल्शेविक पार्टी' का नेता था | जार के सिंहासन त्यागने पर 15 मार्च 1917 ई0 को कैरेस्की के नेतृत्व में जो सरकार बनी वह भी देश के समस्याओं का हल न कर सकी | ऐसे में फिर हो सकता था की रूस में जार का शासन पुन: लौट आता | ऐसे कठिन समय में यदि लेनिन ने देश की बागडोर न संभाली होती तो सारे किये कराये पर पानी फिर जाता | उनकी योगदान निम्नलिखित हैं :
(i) लेनिन के नेतृत्व में बोल्शेविक पार्टी ने युद्ध समाप्त करके किसानों को जमींन दिलाने तथा सारी सत्ता सोवियत को सौंपने के संबंध में स्पष्ट नीतियाँ अपनाई |
(ii) सबसे पहले रूस ने प्रथम विश्व युद्ध से खुद को अलग कर लिया चाहे उसके लिए उसे भारी कीमत ही क्यों चुकानी पड़ी |
(iii) रूस के अधीन सभी उपनिवेशों को स्वतंत्र कर दिया गया | लेनिन ने अनेक घोषणायें कर रूस में एक समाजवाद का युग आरंभ किया |
प्रश्न: रैडिकल समूह की क्या विचारधाराएँ थी ?
उत्तर:
(i) वे ऐसी सरकार के पक्ष में थे जो देश की आबादी के बहुमत के समर्थन पर आधारित हो |
(ii) इनमें से बहुत सरे लोग महिला मताधिकार आन्दोलन के भी समर्थक थे |
(iii) ये लोग बड़े जमींदारों और संपन्न उद्योगपतियों को प्राप्त किसी भी तरह के विशेषाधिकारों के खिलाफ थे |
(iv) वे किसी भी निजी सम्पतियों के विरोधी नहीं थे लेकिन केवल चंद लोगों के पास सम्पति के केन्द्रण के खिलाफ थे |
प्रश्न: रुढ़िवादी रूस में किस प्रकार के बदलाव चाहते थे ?
उत्तर:
(i) रुढ़िवादी तबका रैडिकल और उदारवादी दोनों के खिलाफ था |
(ii) वे बदलाव की धीमी प्रक्रिया चाहते थे |
(iii) वह चाहते थे कि अतीत का सम्मान किया जाए अर्थात अतीत को पूरी तरह ठुकराया न जाए |
प्रश्न: रूस में समाजवादियों की प्रमुख विचारधाराएँ क्या थी ?
उत्तर: रूस में समाजवादियों की प्रमुख विचारधाराएँ निम्न थी |
(i) वे निजी सम्पति के विरोधी थे | यानि, वे संपति पर निजी स्वामित्व को सही नहीं मानते थे |
(ii) वे संपति के निजी स्वामित्व की व्यवस्था को ही सारी समस्याओं की जड़ मानते थे |
(iii) कुछ समाजवादियों को कोआपरेटिव यानि सामूहिक उद्यम के विचार में दिलचस्पी थी |
(iv) केवल व्यक्तिगत पहलकदमी से बहुत बड़े सामूहिक खेत नहीं बनाए जा सकते | वह चाहते थे कि सरकार अपनी तरफ से सामूहिक खेती को बढ़ावा दे |
(v) वे चाहते थे कि सरकार पूंजीवादी उद्यम की जगह सामूहिक उद्यम को बढ़ावा दे |
प्रश्न: रूस में उदारवादी विचारधारा का वर्णन कीजिए |
उत्तर:
(i) सभी धर्मों को बराबर का सम्मान और जगह मिले |
(ii) वे सरकार से व्यक्ति मात्र के अधिकारों की रक्षा के पक्षधर थे |
(iii) उनका कहना था कि सरकार को किसी के अधिकारों का हनन करने या उन्हें छीनने का अधिकार नहीं दिया जाना चाहिए |
(iv) यह समूह प्रतिनिधित्व पर आधारित एक ऐसी निर्वाचित सरकार के पक्ष में था जो शासकों और आफ्सरों के प्रभाव से मुक्त और सुप्रक्षिक्षित न्यायपालिका द्वारा स्थापित किये गए कानूनों के अनुसार शासन-कार्य चलाये |
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History Chapter List
1. फ़्रांसीसी क्रांति
2. यूरोप में समाजवाद एवं रुसी क्रांति
3. नात्सीवाद और हिटलर का उदय
4. वन्य-समाज एवं उपनिवेशवाद
5. आधुनिक विश्व में चरवाहे
6. किसान और काश्तकार
7. इतिहास और खेल : क्रिकेट की कहानी
8. पहनावे का समाजिक इतिहास
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