Chapter 8. स्थानीय शासन राजनितिक विज्ञान - I class 11 exercise अतिरिक्त प्रश्नोत्तर
Chapter 8. स्थानीय शासन राजनितिक विज्ञान - I class 11 exercise अतिरिक्त प्रश्नोत्तर ncert book solution in hindi-medium
NCERT Books Subjects for class 11th Hindi Medium
मुख्य बिन्दू
मुख्य बिन्दू :-
- सन्1993 में स्थानीय शासन की संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया गया |
- गवर्नमेंट आफ इंडिया एक्ट-1919 के बनने पर अनेक प्रांतों में ग्राम पंचायत बनाए गए ।
- सन् 1992 में संविधान के 73वें और 74वें संशोधन को संसद ने पारित किया।
- संविधान का 73वाँ संशोधन गाँव के स्थानीय शासन से जुड़ा है। इसका संबंध् पंचायती राजव्यवस्था की संस्थाओं से है।
- संविधान का 74वाँ संशोधन शहरी स्थानीय शासन(नगरपालिका) से जुड़ा है। सन् 1993 में 73वाँ और 74वाँ संशोधन लागू हुए।
- 1994 में पॉपुलर पार्टिसिपेशन लॉ (जनभागीदारी कानून) के तहत विकेन्द्रीयकरण करके सत्ता स्थानीय स्तर को सौंपी गई।
- 74वें संशोधन में संविधान के 73वें संशोधन का दोहराव है, लेकिन यह संशोधन शहरी इलाकों से संबधित है।
- भारत की जनसंख्या में 16.2 प्रतिशत अनुसूचित जाति तथा 8.2 प्रतिशत
अनुसूचित जनजाति है | - बोलिविया में 314 नगरपालिकाएँ हैं।
- नगरपालिकाओं की अगुआई जनता द्वारा निर्वाचित महापौर करते हैं। इन्हें (president municipal) भी कहा जाता है।
- महापौर के साथ एक नगरपालिका परिषद् (cabildo) होती है।
- स्थानीय स्तर के देशव्यापी चुनाव हर पाँच वर्ष पर होते हैं।
- 73वें संशोधन के अनुसार भारत के सभी प्रदेशों में पंचायती राज व्यवस्था का ढाँचा त्रि-स्तरीय है।
अभ्यास प्रश्नोत्तर
अभ्यास प्रश्नोत्तर :-
Q1. भारत का संविधान ग्राम पंचायत को स्व-शासन की इकाई के रूप में देखता है। नीचे कुछ स्थितियों का वर्णन किया गया है। इन पर विचार कीजिए और बताइए कि स्व-शासन की इकाई बनने के क्रम में ग्राम पंचायत के लिए ये स्थितियाँ सहायक हैं या बाधक ?
(क) प्रदेश की सरकार ने एक बड़ी कंपनी को विशाल इस्पात संयंत्र लगाने की अनुमति दी है इस्पात संयंत्र लगाने से बहुत-से गाँवों पर दुष्प्रभाव पड़ेगा।दुष्प्रभाव की चपेट में आनेवाले गाँवों में से एक की ग्राम सभा ने यह प्रस्ताव पारित किया कि क्षेत्र में कोई भी बड़ा उद्योग लगाने से पहले गाँववासियों की राय ली जानी चाहिए और उनकी शिकायतों की सुनवाई होनी चाहिए।
उत्तर :
यह परिस्थति ग्राम पंचायत में बाधक है क्योकि यहाँ पर सरकार ने ग्राम पंचायत से परामर्श किये बिना एक बड़े इस्पात संयंत्र लगाने का फैसला किया है व जिससे ग्राम के गरीब लोगों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा |
(ख) सरकार का फैसला है कि उसके कुल खर्चे का 20 प्रतिशत पंचायतों के माध्यम से व्यय होगा।
उत्तर :
यह परिस्थति ग्राम पंचायत में बाधक है क्योकि इससे ग्राम पंचायत पर आर्थिक बोझ बढेगा |
(ग) ग्राम पंचायत विद्यालय का भवन बनाने के लिए लगातार धन माँग रही है, लेकिन सरकारी अधिकारीयों ने माँग को यह कहकर ठुकरा दिया है कि धन का आबंटन कुछ दूसरी योजनाओं के लिए हुआ है और धन को अलग मद में खर्च नहीं किया जा सकता।
उत्तर :
इस परिस्थिति में भी ग्राम पंचायत की स्कुल के लिए भवन निर्माण की मागं को ठुकरा दिया गया है जिससे ग्राम पंचायत की स्थिति कमजोर होती है |
(घ) सरकार ने डुंगरपुर नामक गाँव को दो हिस्सों में बाँट दिया है और गाँव के एक हिस्से को जमुना तथा दूसरे को सोहना नाम दिया है। अब डुंगरपुर नामक गाँव सरकारी खाते में मौजूद नहीं है।
उत्तर :
इस उदाहरण में ग्राम अस्तित्व को ही समाप्त कर दिया गया है अत : ग्राम पंचायत का अस्तित्व होगा ही नहीं |
(ड) एक ग्राम पंचायत ने पाया कि उसके इलाके में पानी के स्रोत तेजी से कम हो रहे हैं ग्राम पंचायत ने फैसला किया कि गाँव के नौजवान श्रमदान करें और गाँव के पुराने तालाब तथा कुएँ को फिर से काम में आने लायक बनाएँ।
उत्तर :
यह उदहारण ग्राम पंचायत की प्रभाविकता है जिससे पानी की कमी को दूर करने के लिए ग्राम के नौजवानों का सहयोग लेकर पुराने कुओं को कामयाब बनाने का प्रयास किया गया है |
Q 2.मान लीजिए कि आपको किसी प्रदेश की तरफ से स्थानीय शासन की कोई योजना बनाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। ग्राम पंचायत स्व-शासन की इकाई के रूप में काम करे, इसके लिए आप उसे कौन-सी शक्तियाँ देना चाहेंगे? ऐसी पाँच शक्तियों का उल्लेख करें और प्रत्येक शक्ति के बारे में दो-दो पंक्तियों में यह भी बताएँ कि ऐसा करना क्यों ज़रूरी है।
उत्तर :
ग्राम पंचायत के लिए उपभोक्ता योजना की सफलता के लिए निम्न शक्तियाँ प्रदान की गई है :-
- शिक्षा के विकास के क्षेत्र में - शिक्षा के विकास के क्षेत्र में अत्यंत आवश्यक है शिक्षा प्राप्ति के बाद ही नागरिक अपने अधिकारों व कर्तव्यों को जान सकेगे तथा अपनी भागीदारी को निश्चित करेगें |
- स्वास्थ्य के विकास के क्षेत्र में - ग्रामों में स्वास्थ्य शिक्षा का व स्वाथ्य सुविधाओं का प्राय : अभाव रहता है अत : इस क्षेत्र में ग्राम पंचायत की अहम भूमिका अपेक्षित है |
- कृषि के विकास के क्षेत्र में - कृषि विकास ग्रामीण क्षेत्र की प्रमुख आवश्यकता है क्योंकि ग्रामीण जीवन कृषि पर ही निर्भर करता है | ग्राम पंचायत व सरकार के बीच कड़ी है | अत : यह आवश्यक है की इस क्षेत्र में ग्राम पंचायत को विशेष कार्य करने चाहिए |
- पैदावार को बाजार तक ले जाने के बारे में जानकारी देना - ग्रामीणों को अपनी पैदावार को अक्सर ग्राम में ही बेचना पड़ता है जिसके कारण उनको पैदावार का उचित लाभ नहीं मिल पाता है अत : यह आवश्यक है कि पैदावार सही समय पर बाज़ार में पहुचाई जा सके |
- पंचायतों के वित्तीय स्रोतों को इकटठा करना - ग्रामीणों व ग्रामीणों की पंचायतों की वित्तीय स्थितियाँ अक्सर कमजोर रहती है अत : ग्राम के सभी स्रोतों का समुचित उपयोग करना चाहिए व ग्राम पंचायत को सरकार से ग्रामीण विकास के लिए आवश्यक धन लेना चाहिए |
Q 3. सामाजिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए संविधान के 73वें संशोधन में आरक्षण के क्या प्रावधान हैं? इन प्रावधानों से ग्रामीण स्तर के नेतृत्व का खाका किस तरह बदला है?
उत्तर :
संविधान के 73 वें संशोधन में अनुसूचित जाती के लोगों के लिए व महिलाओं के लिए कुछ सीटों में से प्रत्येक वर्ग के लिए एक तिहाई सीटें आरक्षित की गई है | यह आरक्षण ग्राम पंचायतों, पंचायत समितियों व जिला परिषदों में सदस्यों व पदों में किया गया है | इस आरक्षण से महिलाओं की व अनुसूचित जाती के लोगों की स्थिति में सम्मानजनक परिवर्तन हुआ |
Q 4. संविधान के 73वें संशोंधन से पहले और संशोंधन के बाद के स्थानीय शासन के बीच मुख्य भेद बताएँ।
उत्तर :
संविधान के 73वें संशोंधन से पहले और संशोंधन के बाद के स्थानीय शासन के बीच मुख्य भेद:-
- 73 वें संविधान संशोधन से पहले ग्राम पंचायते सरकारी आदेशों के अनुसार गठित की जाती थी परन्तु 73 वें संशोधन के बाद से इनका संविधानिक आधार हो गया है जिसकी रूप रेखा संविधान में लिखी गयी है |
- 73 वें संविधान संशोधन से पहले इन संस्थाओं के चुनाव अप्रत्यक्ष हुआ करते थे परन्तु 73वें संशोधन के बाद ये चुनाव प्रत्यक्ष होते है |
- 73 वें संविधान संशोधन से पहले अनुसूचित जाति व महिलाओं के लिए स्थानों में आरक्षण की व्यवस्था नहीं थी परन्तु 73वें संशोधन के बाद महिलाओं व अनुसूचित जाति के लोगों को आरक्षण दिया गया है |
- पहले इन संस्थाओं के कार्यकाल अनिश्चित थे परन्तु अब निश्चित किये गए हैं |
- 73वें संशोधन से पहले ये संस्थाएं आर्थिक रूप से कमजोर थी परन्तु अब आर्थिक रूप से मजबूत है |
Q 5. नीचे लिखी बातचीत पढ़ें। इस बातचीत में जो मुद्दे उठाए गए हैं उसके बारे में अपना मत
दो सौ शब्दों में लिखें।
आलोक - हमारे संविधान में स्त्री और पुरुष को बराबरी का दर्जा दिया गया है। स्थानीयनिकायों में स्त्रिायों को आरक्षण देने से सत्ता में उनकी बराबर की भागीदारी सुनिश्चित हुई है।
नेहा - लेकिन, महिलाओं का सिर्फ सत्ता के पद पर काबिज होना ही काफी नहींहै। यह भी ज़रूरी है कि स्थानीय निकायों के बजट में महिलाओं के लिए अलग से प्रावधान हो।
गणेश - मुझे आरक्षण का यह गोरख धंधा पसंद नहीं। स्थानीय निकाय को चाहिए कि वह गाँव के सभी लोगों का ख्याल रखे और ऐसा करने पर महिलाओं और उनके हितों की देखभाल अपने आप हो जाएगी।
उत्तर :
पिछ्ले 55 वर्षो के स्थानीय संस्थाओं की कार्य शैली व ग्रामीण वातावरण के अध्ययन से यह स्पष्ट होता है कि इन स्थानीय संस्थओं में महिलाओं का व अनुसूचित जाति के लोगो का इनकी संख्या के अनुपात में प्रतिनिधित्व नहीं हुआ | अगर जो पर प्रतिनिधित्व था वह बहुत कम था | 73वें व 74 वें संविधान संशोधन के आधार पर महिलाओं व अनुसूचित जाति के लोगों को ग्रामीण व शहरी स्थानीय संस्थाओं में प्रत्येक को कुल स्थानों का एक तिहाई आरक्षण दिया गया है जिससे महिलाओं की व अनुसूचित जाति की सामाजिक व राजनितिक स्थिति में परिवर्तन आया है व इनमे एक विश्वास उत्पन्न हुआ हा क्योंकि इस आरक्षण से इन वर्गों की इन स्थानीय संस्थाओं में भागेदारी निश्चित हुई है | इससे महिला सशक्तिकारण को भी बल मिला है |
स्थानीय संस्थाएं प्रशासन की इकाई है जिनको आर्थिक रूप से भी मजबूत बनाने की आवश्यकता है इसके कोए स्थानीय स्रोतों का उपयोग के साथ - साथ प्रांतीय सरकारों व केंद्र सरकारों को भी इन स्थानीय संस्थाओं की ओर अधिक ध्यान देना चाहिए |
Q 6. 73वें संशोधन के प्रावधानों को पढ़ें। यह संशोंधन निम्नलिखित सरोकारों में से किससे ताल्लुक रखता है?
(क) पद से हटा दिये जाने का भय जन-प्रतिनिधियों को जनता के प्रति जवाबदेह बनाता है।
(ख) भूस्वामी सामंत और ताकतवर जातियों का स्थानीय निकायों में दबदबा रहता है।
(ग) ग्रामीण क्षेत्रों में निरक्षरता बहुत ज्यादा है। निरक्षर लोग गाँव के विकास के बारे में फैसला नहीं ले सकते हैं।
(घ) प्रभावकारी साबित होने के लिए ग्राम पंचायतों के पास गाँव की विकास योजना बनाने की शक्ति और संसाधन का होना ज़रूरी है।
उत्तर :
(घ) प्रभावकारी साबित होने के लिए ग्राम पंचायतों के पास गाँव की विकास योजना बनाने की शक्ति और संसाधन का होना ज़रूरी है।
Q 7. नीचे स्थानीय शासन के पक्ष में कुछ तर्क दिए गए हैं। इन तर्कों को आप अपनी पसंद से वरीयता क्रम में सजायें और बताएँ कि किसी एक तर्क की अपेक्षा दूसरे को आपने ज्यादा महत्त्वपूर्ण क्यों माना है। आपके जानते वेंगैवसल गाँव की ग्राम पंचायत का फैसला निम्नलिखित कारणों में से किस पर और कैसे आधारित था?
(क) सरकार स्थानीय समुदाय को शामिल कर अपनी परियोजना कम लागत में पूरी कर सकती है।
(ख) स्थानीय जनता द्वारा बनायी गई विकास योजना सरकारी अधिकारीयों द्वारा बनायी गई विकास योजना से ज्यादा स्वीकृत होती है।
(ग) लोग अपने इलाके की शरूरत, समस्याओं और प्राथमिकताओं को जानते हैं।सामुदायिक भागीदारी द्वारा उन्हें विचार-विमर्श करके अपने जीवन के बारे में फैसला लेना चाहिए।
(घ) आम जनता के लिए अपने प्रदेश अथवा राष्ट्रीय विधायिका के जन-प्रतिनिधियों से संपर्क कर पाना मुश्किल होता है।
उत्तर :
उपरोक्त का वरीयता क्रम निम्न होगा -
(1) ग (2) क (3) ख (4) घ
उपरोक्त के क्रम का तर्क
(क) यदि परियोजना में स्थानीय लोग कम करेगें तो उससे खर्च नहीं बढेगा बल्कि कम होगा |
(ख) इसका तर्क यह है कि स्थानीय लोग अपनी समस्याओं को आवश्यकताओं व प्राथमिकताओं को बेहतर समझते है | इसलिए उनको अपने बारे में निर्णय स्वयं लेने का अवसर प्रदान करना चाहिए |
(ग) इसका तर्क यह ही कि लोगों के द्वारा स्वयं से तैयार की गयी योजनाएं उनके द्वारा जल्द स्वीकार क्र ली जाएगी |
(घ) इसका तर्क यह है कि आम व्यक्तिओं के लिए अपने जन प्रतिनिधियों से सीधा सम्पर्क कर्ण अमुश्किल होता है |
वेंगैवसल ग्राम की पंचायत की फैसला 'ग' के उदाहरण पर आधारित है जिसमे यह व्यक्त किया गया है कि स्थानीय लोग अपनी समस्याओं, हितों व प्राथमिकताओं को बेहतर समझते हैं |अत: उनको अपने बारे में निर्णय लेने का स्वयं अधिकार प्रदान करना चाहिए |
Q 8. आपके अनुसार निम्नलिखित में कौन-सा विकेन्द्रीयकरण का साधन है? शेष को विकेन्द्रीयकरण के साधन के रूप में आप पर्याप्त विकल्प क्यों नहीं मानते?
(क) ग्राम पंचायत का चुनाव कराना।
(ख) गाँव के निवासी खुद तय करें कि कौन-सी नीति और योजना गाँव के लिए उपयोगी है।
(ग) ग्राम सभा की बैठक बुलाने की ताकत।
(घ) प्रदेश सरकार ने ग्रामीण विकास की एक योजना चला रखी है। प्रखंड विकास अधिकारी (बीडीओ) ग्राम पंचायत के सामने एक रिपोर्ट पेश करता है कि इस योजना में कहाँ तक प्रगति हुई है।
उत्तर :
(ख) खंड में शक्तियों के विकेन्द्रीयकरण की स्थिति है जिसमे ग्राम के लोग स्वयं यह टी करते है कि कौन से परियोजना उनके लिए उपयोगी है | अन्य उदाहरणों में विकेन्द्रीयकरण की स्थिति निम्न कारणों से प्रतीत नहीं होती है |
(क) ये ग्राम पंचायत के चुनावों से सम्बंधित है |
(ग) ये ग्रामसभा के बैठक को बुलाने की स्थिति है |
(घ) में बी.दी. ओ.से प्रोजेक्ट के बारे में प्रगति रिपोर्ट मांगी है | अत : इन तर्कों के आधार पर हम कह सकते है कि इनमे विकेन्द्रीयकरण की स्थिति नहीं है जो कि 'ख'में है |
Q 9. दिल्ली विश्वविद्यालय का एक छात्रा प्राथमिक शिक्षा के निर्णय लेने में विकेन्द्रीयकरण की भूमिका का अध्ययन करना चाहता था। उसने गाँववासियों से कुछ सवाल पूछे। ये सवाल नीचे लिखे हैं। यदि गांववासियों में आप शामिल होते तो निम्नलिखित प्रश्नों के क्या उत्तर देते?गाँव का हर बालक/बालिका विद्यालय जाए, इस बात को सुनिश्चित करने के लिए कौन-से कदम उठाए जाने चाहिए - इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए ग्राम सभा की बैठक बुलाई जानी है।
(क) बैठक के लिए उचित दिन कौन-सा होगा, इसका फैसला आप कैसे करेंगे? सोचिए कि आपके चुने हुए दिन में कौन बैठक में आ सकता है और कौन नहीं?
(अ) प्रखंड विकास अधिकारी अथवा कलेक्टर द्वारा तय किया हुआ कोई दिन।
(ब) गाँव का बाज़ार जिस दिन लगता है। (स) रविवार (द) नाग पंचमी/संक्रांति
(ख) बैठक के लिए उचित स्थान क्या होगा? कारण भी बताएँ।
(अ) जिला-कलेक्टर के परिपत्र में बताई गई जगह। (ब) गाँव का कोई धर्मिक स्थान।
(स) दलित मोहल्ला। (द) ऊँची जाति के लोगों का टोला। (ध) गाँव का स्कुल ।
(ग) ग्राम सभा की बैठक में पहले जिला-समाहर्ता (कलेक्टर) द्वारा भेजा गया परिपत्र पढ़ा गया। परिपत्र में बताया गया था कि शैक्षिक रैली को आयोजित करने के लिए क्या कदम उठाये जाएँ और रैली किस रास्ते होकर गुजरे। बैठक में उन बच्चों के बारे में चर्चा नहीं हुई जो कभी स्कुल नहीं आते। बैठक में बालिकाओं की शिक्षा के बारे में, विद्यालय भवन की दशा के बारे में और विद्यालय के खुलने-बंद होने के समय के बारे में भी चर्चा नहीं हुई।बैठक रविवार के दिन हुई इसलिए कोई महिला शिक्षक इस बैठक में नहीं आ सकी।
उत्तर :
अतिरिक्त प्रश्नोत्तर
अतिरिक्त प्रश्नोत्तर :-
Q1. स्थानीय शासन से क्या अभिप्राय है तथा यह किस प्रकार से आम नागरिकों को फायदा पहुचता है ?
उत्तर : गाँव और जिला स्तर के शासन को स्थानीय शासन कहते हैं। स्थानीय शासन आम आदमी के सबसे नजदीक का शासन है। स्थानीय शासन का विषय है आम नागरिक की समस्याए और उसकी रोजमर्रा की जिन्दगी।स्थानीय शासन की मान्यता है कि स्थानीय ज्ञान और स्थानीय हित लोकतांत्रिक फैसला लेने के अनिवार्य घटक हैं। कारगर और जन-हितकारी प्रशासन व केलिए भी यह जरुरी है | स्थानीय शासन का फायदा यह है कि यह लोगों के सबसे नजदीक होता है और इस कारण उनकी समस्याओं का समाधन बहुत तेजी से तथा कम खर्च े में हो जाता है |
Q 2. भारत में स्थानीय शासन का विकास कैसे हुआ और हमारे संविधान में इसके बारे में क्या कहा गया है?
उत्तर : स्थानीय शासन वेफ निर्वाचित निकाय सन् 1882 के बाद अस्तित्व में आए। उस वक्त लार्ड रिपन भारत का वायसराय था। उसने इन निकायों को बनाने की दिशा में पहल कदमी की। उसवक्त इसे मुकामी बोर्ड कहा जाता था। बहरहाल, इस दिशा में प्रगति बड़ी धीमी गति से हो रही थी। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने सरकार से माँग की किसी भी स्थानीय बोर्डों को ज्यादा कारगर बनाने के लिए वह जरुरी कदम उठाए। गवर्नमेंट आँफ इंडिया एक्ट-1919 के बनने पर अनेक प्रांतों में ग्राम पंचायत बने। सन् 1935 के गवर्नमेंट आँफ इंडिया एक्ट के बाद भी यह प्रवृत्ति जारी रही।
जब संविधान बना तो स्थानीय शासन का विषय प्रदेशों को सौंप दिया गया।संविधान के ‘नीति निर्देशक-सिद्धांतों में भी इसकी चर्चा है। इसमें कहा गया है कि देश की हर सरकार अपनी नीति में इसे एक निर्देशक तत्व मानकर चले |
Q 3. संविधन के 73वें और 74वें संशोधन को संसद में कब पारित किया गया।तथा यह किस शासन व्यवस्था से जुड़ा हुआ है ?
उत्तर : सन् 1992 में संविधान के 73वें और 74वें संशोधन को संसद ने पारित किया।संविधान का 73वाँ संशोधन गाँव के स्थानीय शासन से जुड़ा है। इसका संबंध् पंचायती राजव्यवस्था की संस्थाओं से है।
संविधान का 74वाँ संशोधन शहरी स्थानीय शासन (नगरपालिका) से जुड़ा है। सन् 1993 में 73वाँ और 74वाँ संशोधन लागू हुए।
Q 4. 73वें संशोधन के कारण पंचायती राज व्यवस्था में आये बदलावों का वर्णन कीजिए |
उत्तर : 73वें संशोधन के कारण पंचायती राज व्यवस्था में आये बदलावों का वर्णन निम्न है :-
त्रि-स्तरीय बनावट
सभी प्रदेशों में पंचायती राज व्यवस्था का ढाँचा त्रि-स्तरीय है। पहली पायदान पर ग्राम पंचायत आती है। ग्राम पंचायत के दायरे में एक अथवा एक से ज्यादा गाँव होते हैं। बीच का पायदान मंडल का है जिसे प्रखंड या तालुका भी कहा जाता है।इस पायदान पर कायम स्थानीय शासन के निकाय को मंडल या तालुका पंचायत कहा जाता है। जो प्रदेश आकार में छोटे हैं वहाँ मंडल या तालुका पंचायत यानी मध्यवर्ती स्तर को बनाने की जरूरत नहीं। सबसे ऊपर वाले पायदान पर जिला पंचायत का स्थान है। इसके दायरे मेंजिले का पूरा ग्रामीण इलाका आता है।
संविधान के 73वें संशोधन में इस बात का भी प्रावधान है कि ग्राम सभा अनिवार्य रूप से बनाई जानी चाहिए। पंचायती हलके में मतदाता के रूप में दर्ज हर वयस्क व्यक्ति ग्राम सभा का सदस्य होता है। ग्राम सभा की भूमिका और कार्य का फैसला प्रदेश के कानूनों से होता है।
चुनाव
पंचायती राज संस्थाओं के तीनों स्तर के चुनाव सीधे जनता करती है। हर पंचायती निकाय की अवधि पाँच साल की होती है। यदि प्रदेश की सरकार पाँच साल पूरे होने से पहले पंचायत को भंग करती है,तो इसके छः माह के अंदर नये चुनाव हो जाने चाहिए। निर्वाचित स्थानीय निकायों के अस्तित्व को सुनिश्चित रखने वाला यह महत्त्वपूण प्रावधान है। संविधान के 73वें संशोधन से पहले कई प्रदेशों में जिला पंचायती निकायों के चुनाव अप्रत्यक्ष रीति से होते थे और पंचायत संस्थाओं को भंग करने के बाद तत्काल चुनाव कराने के संबंध् में कोई प्रावधान नहीं था।
आरक्षण
सभी पंचायती संस्थाओं में एक तिहाई सीट महिलाओं के लिए आरक्षित है। तीनों स्तर पर अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए सीट में आरक्षण की व्यवस्था की गई है। यह व्यवस्था अनुसूचित जाति/जनजातिकी जनसंख्या के अनुपात में की गई है। यदि प्रदेश की सरकार जरुरी समझे, तो वह अन्य पिछड़ा वर्ग को भी सीट में आरक्षण दे सकती है।यह आरक्षण पंचायत के मात्र साधरण सदस्यों की सीट तक सीमित नहीं है। तीनों ही स्तर पर अध्यक्ष पद तक आरक्षण दिया गया है। इसके अतिरिक्त सिर्फ सामान्य श्रेणी की सीटों पर ही महिलाओं को एक तिहाई आरक्षण नहीं दिया गया बल्कि अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीट पर भी महिलाओं के लिए एक तिहाई आरक्षण की व्यवस्था है।
Q 5. शहरी इलाका किसे कहते हैं?
उत्तर : भारत की जनगणना में शहरी इलाके की परिभाषा करते हुए जरुरी माना गया
है कि ऐसे इलाके में
(क) कम से कम 5,000 की जनसंख्या हो|
(ख) इस इलाके के काम काजी पुरुषों में कम से कम 75 प्रतिशत खेती-बाड़ी के काम से अलग माने जाने वाले पेशे में हों|
(ग) जनसंख्या का घनत्व कम से कम 400 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर हो।
Q6. ग्राम पंचायतों और नगरपालिकाओं में महिलाओं के लिए आरक्षण के प्रावधान का वर्णन कीजिए |
उत्तर : पंचायतों और नगरपालिकाओं में महिलाओं के लिए आरक्षण के प्रावधान के कारण स्थानीय निकायों में महिलाओं की भारी संख्या में मौजूदगी सुनिश्चित हुई है। आरक्षण का प्रावधान अध्यक्ष और सरपंच जैसे पद के लिए भी है। इस कारण निर्वाचित महिलाजन-प्रतिनिधियों की एक बड़ी संख्या अध्यक्ष और सरपंच जैसे पदों पर आसीन हुई है।आज कम से कम 200 महिलाएँ जिला पंचायतों की अध्यक्ष हैं। 2,000 महिलाएँ प्रखंडअथवा तालुका पंचायत की अध्यक्ष हैं और ग्राम पंचायतों में महिला सरपंच की संख्या 80,000 से ज्यादा है। नगर निगमों में 30 महिलाएँ मेयर (महापौर) हैं। नगरपालिकाओं में 500 से ज्यादा महिलाएँ अध्यक्ष पद पर आसीन हैं। लगभग 650 नगर पंचायतों की प्रधानी महिलाओं के हाथ में हैं। संशाधनों पर अपने नियंत्रण की दावेदारी करके महिलाओं ने ज्यादा शक्ति और आत्मविश्वास अर्जित किया है |
Q7. अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए आरक्षण को संविधान संशोधन ने ही अनिवार्य
बना दिया था। कैसे वर्णन कीजिए |
उत्तर : अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए आरक्षण को संविधान संशोधन ने ही अनिवार्य बना दिया था। इसके साथ ही, अधिकाशं प्रदेशों ने पिछड़ी जाति के लिए आरक्षण का प्रावधान बनाया है। भारत की जनसंख्या में 16.2 प्रतिशत अनुसूचित जाति तथा 8.2प्रतिशत अनुसूचित जनजाति है। स्थानीय शासन के शहरी और ग्रामीण संस्थाओं के निर्वाचित सदस्यों में इन समुदायों के सदस्यों की संख्या लगभग 6.6 लाख है। इससे स्थानीय निकायों की सामाजिक बुनावट में भारी बदलाव आए हैं। ये निकाय जिस सामाजिक सच्चाई के बीच काम कर रहे हैं अब उस सच्चाई की नुमाइंदगी इन निकायों के ज़रिए ज्यादा हो रही है।
Q8. 73वें और 74वें संशोधन ने देश भर की पंचायतराज संस्थाओं और नगरपालिका की संस्थाओं की बनावट को एक-सा किया है कैसे वर्णन कीजिए |
उत्तर : ग्रामीण भारत में जिला पंचायतों की संख्या करीब 500, मध्यवर्ती अथवा प्रखंड स्तरीय पंचायत की संख्या 6,000 तथा ग्राम पंचायतों की संख्या 2,50,000 है। शहरी भारत में 100 से ज्यादा नगरनिगम, 1,400 नगरपालिका तथा 2,000 नगर पंचायत मौजूद हैं। हर पाँच वर्ष पर इन निकायों के लिए 32 लाख सदस्यों का निर्वाचन होता है। यदि प्रदेशों की विधान सभा तथा संसद को एक साथ रखकर देखें तो भी इनमें निर्वाचित जन - प्रतिनिधियों की संख्या 5,000 से कम बैठती है। स्थानीय निकायों के चुनाव के कारण निर्वाचित जन-प्रतिनिधियों की संख्या में भारी इजाफा हुआ है।
Q9.73वें संशोधन के कारण पंचायती राज व्यवस्था के आरक्षण में आये बदलावों का वर्णन कीजिए |
उत्तर : सभी पंचायती संस्थाओं में एक तिहाई सीट महिलाओं के लिए आरक्षित है। तीनों स्तर पर अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए सीट में आरक्षण की व्यवस्था की गई है। यह व्यवस्था अनुसूचित जाति/जनजातिकी जनसंख्या के अनुपात में की गई है। यदि प्रदेश की सरकार जरुरी समझे, तो वह अन्य पिछड़ा वर्ग को भी सीट में आरक्षण दे सकती है।यह आरक्षण पंचायत के मात्र साधरण सदस्यों की सीट तक सीमित नहीं है। तीनों ही स्तर पर अध्यक्ष पद तक आरक्षण दिया गया है। इसके अतिरिक्त सिर्फ सामान्य श्रेणी की सीटों पर ही महिलाओं को एक तिहाई आरक्षण नहीं दिया गया बल्कि अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीट पर भी महिलाओं के लिए एक तिहाई आरक्षण की व्यवस्था है।
Q10.73वें संशोधन के अनुसार भारत के सभी प्रदेशों में पंचायती राज व्यवस्था का ढाँचा किस प्रकार का है?
उत्तर :73वें संशोधन के अनुसार भारत के सभी प्रदेशों में पंचायती राज व्यवस्था का ढाँचा त्रि-स्तरीय है।
पहली पायदान पर ग्राम पंचायत आती है। ग्राम पंचायत के दायरे में एक अथवा एक से ज्यादा गाँव होते हैं।
बीच का पायदान मंडल का है जिसे प्रखंड या तालुका भी कहा जाता है।इस पायदान पर कायम स्थानीय शासन के निकाय को मंडल या तालुका पंचायत कहा जाता है। जो प्रदेश आकार में छोटे हैं वहाँ मंडल या तालुका पंचायत यानी मध्यवर्ती स्तर को बनाने की जरूरत नहीं।
सबसे ऊपर वाले पायदान पर जिला पंचायत का स्थान है। इसके दायरे में जिले का पूरा ग्रामीण इलाका आता है।
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Chapter 3. चुनाव और प्रतिनिधित्व
Chapter 4. कार्यपालिका
Chapter 5. विधायिका
Chapter 6. न्यायपालिका
Chapter 7. संघवाद
Chapter 8. स्थानीय शासन
Chapter 9. संविधान-एक जीवंत दस्तावेज
Chapter 10. संविधान का राजनितिक दर्शन
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