Chapter 7. संघवाद राजनितिक विज्ञान - I class 11 exercise अतिरिक्त प्रश्नोत्तर
Chapter 7. संघवाद राजनितिक विज्ञान - I class 11 exercise अतिरिक्त प्रश्नोत्तर ncert book solution in hindi-medium
NCERT Books Subjects for class 11th Hindi Medium
मुख्य बिन्दू
मुख्य बिन्दू :-
- 1990 के दशक में नए राज्य बनाने की माँग को पूरा करने तथा अधिक प्रशासकीय सुविधा के लिए कुछ बड़े राज्यों का विभाजन किया गया। बिहार, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश को विभाजित कर तीन नए राज्य क्रमशः झारखंड, उत्तरांचल और छत्तीसगढ़ बनाए गए।
- सोवियत संघ विश्व की एक महाशक्ति था पर 1989 के बाद वह अनेक स्वतंत्र देशों में बँट गया। इनमें से कुछ ने मिल कर‘स्वतंत्र राज्यों का राष्ट्रमंडल’ बना लिया।
- सोवियत संघ के विघटन के प्रमुख कारण वहाँ शक्तियों का अतिशय संघनन और केन्द्रीयकरण की प्रवृत्तियाँ थीं।
- 14 अगस्त 1947 को भारत का विभाजन हो गया | भारत और पाकिस्तान के रूप में |
- 1958 में ‘वेस्टइंडीज संघ’ ;फेडरेशन आँफ वेस्टइंडीज का जन्म हुआ।
- 1914 तक उत्तरी नाईज़ीरिया और दक्षिणी नाईज़ीरिया ब्रिटेन के दो उपनिवेश थे।
- 1950 में इबादान सैंवैधानिक सम्मेलन में नाईज़ीरिया के नेताओं ने एक संघीय संविधान बनाने का निर्णय लिया।
- नाईज़ीरिया की तीन बड़ी जातीयताएँ एरुबा, इबो और हउसा-फुलानी हैं।
- 1979 वें सैनिक संविधान के अंतर्गत किसी भी राज्य को सिविल पुलिस रखने का अधिकार नहीं था।
- भारत के संविधान के अंग्रेजी संस्करण में ‘फेडरेशन ’ शब्द का नहीं बल्कि ‘यूनियन’ शब्द का प्रयोग किया गया है |
- अनुच्छेद 1 -(1) भारत, अर्थात् इंडिया,राज्यों का संघ (यूनियन) होगा। (2) राज्य और उनके राज्य क्षेत्र वे होंगे जो पहली अनुसूची में विनिर्दिष्ट हैं।
- संविधान के दो अन्य अनुच्छेद 33 और 34 संघ सरकार की शक्ति को उस स्थिति में काफी बढ़ा देते हैं जब देश के किसी क्षेत्र में ‘सैनिक शासन’ ;मार्शल लॉ लागू हो जाये।
- 1950 तथा 1960 के दशक के प्राम्भिक वर्षों में जवाहरलाल नेहरू ने भारतीय संघीय व्यवस्था की नींव रखी। इस दौरान केंद्र और राज्यों में काँग्रेस का वर्चस्व था।
- 1977 में पश्चिम-बंगाल की वामपंथी सरकार ने केंद्र -राज्य संबंधों को पुनपरिभाषित करने के लिए एक दस्तावेज प्रकाशित किया।
- संविधान के सर्वाधिक विवादास्पद प्रावधानों में से एक अनुच्छेद 356 है। इसके द्वारा राज्यों में राष्ट्रपति शासन लागू किया जाता है।
- सन1959 में केरल में और सन 1967 के बाद अनेक राज्यों में बहुमत की परीक्षा के बिना ही सरकारों को बर्खास्त कर दिया गया।
- सन् 1980 के दशक में केन्द्रीय सरकार ने आंध्र प्रदेश और जम्मू-कश्मीर की निर्वाचित सरकारों को बर्खास्त किया।
- 1954 में राज्य पुर्नगठन आयोग की स्थापना की गई जिसने प्रमुख भाषाई समुदायों के लिए भाषा के आधार पर राज्यों के गठन की सिफारिश की।
- सन 1956 में भाषाई आधार पर राज्यों के गठन की शुरुआत हुई और यह प्रक्रिया अभी भी जारी है।
- सन 1960 में गुजरात और महाराष्ट्र का गठन हुआ |
- सन 1966 में पंजाब और हरियाणा को अलग-अलग किया गया।
- अनुच्छेद 370 के द्वारा जम्मू-कश्मीर को विशिष्ट स्थिति प्रदान की गई है। जम्मू-कश्मीर एक विशाल देशी रियासत था। भारत विभाजन के समय हिंदुस्तान या पाकिस्तान में से किसी एक में शामिल होने का इसके पास विकल्प था।
- अनुच्छेद 370 के अनुसार केंद्र सूची और समवर्ती सूची के किसी विषय पर संसद द्वारा कानून बनाने और उसे जम्मू-कश्मीर में लागू करने के लिए इस राज्य की सहमति आवश्यक है।
- जम्मू-कश्मीर और अन्य राज्यों में एक अंतर यह है कि राज्य सरकार की सहमति के बिना जम्मू-कश्मीर में ‘आंतरिक अशांति’ के आधर पर ‘अपात्काल’ लागू नहींकिया जा सकता।
- संघ सरकार जम्मू-कश्मीर में वित्तीय आपात् स्थिति लागू नहीं कर सकती तथा राज्य के नीति-निर्देशक तत्त्व यहाँ लागू नहीं होते।
- भारतीय संविधान के संशोधन(अनुच्छेद 368 के अंतर्गत ) राज्य सरकार की सहमति से ही जम्मू-कश्मीर में आपातकाल लागू हो सकती हैं।
- केंद्र -राज्य संबंधों से जुड़े मसलों की पड़ताल के लिए केंद्र सरकार द्वारा 1983 में एक आयोग बनाया गया। इस आयोग को ‘सरकारिया आयोग’ के नाम से जाना जाता है।
- सोवियत संघ विश्व की एक महाशक्ति था पर 1989 के बाद वह अनेक स्वतंत्र देशों में बँट गया। इनमें से कुछ ने मिल कर‘स्वतंत्रा राज्यों का राष्ट्रमंडल’ बना लिया।
अभ्यास प्रश्नावली
अभ्यास प्रश्नावली :-
Q 1. नीचे कुछ घटनाओं की सूची दी गई है। इनमें से किसको आप संघवाद की कार्य प्रणाली के रूप में चिह्नित करेंगे और क्यों?
(क) केंद्र सरकार ने मंगलवार को जीएनएलएफ के नेतृत्व वाले दार्जिलिंग गोरखा हिल काउंसिल को छठी अनुसूची में वर्णित दर्जा देने की घोषणा की।
(ख) वर्षा प्रभावित प्रदेशों के लिए सरकार कार्य-योजना लाएगी।
(ग) दिल्ली के लिए नए आयुक्त।
(घ) मणिपुर विश्वविद्यालय को केन्द्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा।
(ड) केंद्र ने धन दिया।
(च) हम बिहारियों को बताएँगे कि मुंबई में कैसे रहना है।
(छ) सरकार को भंग करने की माँग। ।
(ज) एनडीए सरकार ने नक्सलियों से हथियार रखने को कहा।
उत्तर :
उदाहरण 'क' में सही संघीय प्रणाली की स्थिति पायी जाती है क्योंकि इससे सास्कृतिक व भौगोलिक समीपता के आधार पर स्वायत्त परिषद का निमार्ण कर शक्तियों का बटवारा किया है जिससे उन निश्चित क्षेत्र का वहां के स्थानीय लोगों की इच्छा व अपेक्षाओं के अनुसार विकास हो सके |
दूसरा उदाहण 'ख' भाग भी है वास्तविक संघीय प्रणाली की स्थिति लो दर्शाता है जिसमे केंद्र उन राज्यों से खर्चों का ब्यौरा मांगता है जो वर्षा से अधिक प्रभावित हुए है ताकि उनको आवश्यक सहायता दी जा सके |
तीसरा उदाहरण 'घ' में भी वास्तविक संघीय प्रणाली की स्थिति है क्योंकि इसमें भी अरुणाचल प्रदेश की पानी की आवश्यकता को पूरा करने के लिए आवश्यक धन की व्यवस्था कि है |
Q 2. बताएँ कि निम्नलिखित में कौन-सा कथन सही होगा और क्यों?
(क) संघवाद से इस बात की संभावना बढ़ जाती है कि विभिन्न क्षेत्रों के लोग मेल-जोल से रहेंगे और उन्हें इस बात का भय नहीं रहेगा कि एक की संस्कृति दूसरे पर लाद दी जाएगी।
(ख) अलग-अलग किस्म के संसाधनों वाले दो क्षेत्रों के बीच आर्थिक लेनदेन को संघीय प्रणाली से बाधा पहुंचेगी।
(ग) संघीय प्रणाली इस बात को सुनिश्चित करती है कि जो केंद्र में सत्तासीन हैं उनकी शक्तियाँ सीमित रहें।
उत्तर :
पहला कथन सही है क्योंकि संघीय प्रणाली में सभी को अपनी - अपनी संस्कृति के विकास का पूरा अवसर प्राप्त होता है जिसमे यह भी भय नही रहता है कि किसी पर दुसरे की संस्कृति लाद दी जायेगी | .
तीसरा कथन भी सही है क्योंकि संघीय प्रणाली में श्कितियों का केंद्र व प्रान्तों में बंटवारा करके केद्रं की शक्तियों को सीमित किया जाता है |
Q3. बेल्जियम के संविधान के कुछ प्रारंभिक अनुच्छेद नीचे लिखे गए हैं। इसके आधार पर बताएँ कि बेल्जियम में संघवाद को किस रूप में साकार किया गया है। भारत के संविधान के लिए ऐसा ही अनुच्छेद लिखने का प्रयास करके देखें।
शीर्षक-1: संघीय बेल्जियम, इसके घटक और इसका क्षेत्र
अनुच्छेद-1 - बेल्जियम एक संघीय राज्य है - जो समुदायों और क्षेत्रों से बना है।
अनुच्छेद -2 - बेल्जियम तीन समुदायों से बना है - फ्रैंच समुदाय, फ्लेशिया समुदाय और जर्मन समुदाय।
अनुच्छेद-3 - बेल्जियम तीन क्षेत्रों को मिलाकर बना है - वैलून क्षेत्र, फ्लेमिश क्षेत्र और ब्रूसेल्स क्षेत्र |
अनुच्छेद- 4 - बेल्जियम में 4 भाषाई क्षेत्र हैं - फ्रैंच -भाषी क्षेत्र, डच-भाषी क्षेत्र ,बू्रसेल्स की राजधनी का द्विभाषी क्षेत्र तथा जर्मन भाषी क्षेत्र । राज्य का प्रत्येक ‘कम्यून’ इन भाषाई क्षेत्रों में से किसी एक का हिस्सा है।
अनुच्छेद- 5- वैलून क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले प्रांत हैं - वैलून ब्राबैंट, हेनॉल्ट, लेग,लक्जमबर्ग और नामूर। फ्लेमिश क्षेत्र के अंतर्गत शामिल प्रांत हैं - एंटीवर्प, फ्लेमिश ब्राबैंट, वेस्ट फ्रलैंडर्स, ईस्ट फ्रलैंडर्स और लिंबर्ग।
उत्तर :
बेल्जियम के विवरण से यह स्पष्ट है कि बेल्जियम समाज एक बहुसंख्यक समाज है जिसमे विभिन्न जाति , भाषा, बोली, के लोग रहते है जो अलग - अलग क्षेत्रों व प्रान्तों में रहते हैं |
भारतीय समाज के संघीय समाज है जिसमे विभिन्न जाति, धर्म, संस्कृति,बोली व भाषा के लोग रहते हैं जिसमे अनेक भौगोलिकताएं है | भारत ऐसे 29 राज्यों का संघ है| भारत में राज्यों का निर्माण भाषा के आधार पर किया गया है | भारत में संघीय शासन प्रणाली है परन्तु इसमें अनेक एकात्मक तत्व है जिनको भारतीय एकता, अखंडता की सुरक्षा के लिए शामिल किया गया है | संविधान की स्कीम के आधार पर केंद्र व प्रान्तों में शक्तियों का बंटवारा किया गया है | राज्य अपने क्षेत्र में प्रभावकारी है परन्तु मुख्य विषयों पर केंद्र को शक्तिशाली बनाया गया है | शक्तियों का बंटवारा भी केंद्र के पक्ष में अधिक है यद्ध्पी प्रशासन के क्षेत्र में व विकास के क्षेत्र में केंद्र व प्रान्त आपसी सहयोग के आधार पर काम करते है |
Q4. कल्पना करें कि आपको संघवाद के संबंध् में प्रावधान लिखने हैं। लगभग 300 शब्दों का एक लेख लिखें जिसमें निम्नलिखित बिंदुओं पर आपके सुझाव हों -
(क) केंद्र और प्रदेशों के बीच शक्तियों का बँटवारा
उत्तर :
बहुल समाज में सभी वर्गो के विकास के लिए व उनके हितों की रक्षा के लिए प्रजातंत्र संघीय शासन प्रणाली अत्यंत आवश्यक है | संघीय ढांचे का निर्माण संविधान की योजना के आधार पर तय किया जाना चाहिए |
(ख) वित्त - संसाधनों का वितरण
उत्तर :
संघीय शासन प्रणाली की प्रमुख विशेषता केंद्र व प्रान्तों के बीच शक्तियों के बँटवारे से है | संघ का निर्माण संघीय सिद्धांतों के आधार पर होना चाहिए जिसमे संघ राज्यों की मर्जी पर आधारित होना चाहिए | प्रांतीय व क्षेत्रीय विषयों पर राज्यों का नियन्त्रण होना चाहिए | संघ के पास केवल राष्ट्रिय व अंतराष्ट्रीय महत्व होना चाहिए |
(ग) राज्यपालों की नियुक्ति
उत्तर :
राज्यपाल राज्यों का संवैधानिक मुखिया होता है जिसकी नियुक्ति राष्ट्रपति के द्वारा की जाती है | राष्ट्रपति राज्यपालों की नियुक्ति केन्द्रीय सरकार की सलाह पर करता है | राज्यपाल राज्यों में महत्वपूर्ण पद है जो सवैधानिक मुखिया के साथ - साथ केंद्र के एजेंट के रूप में कार्य करता है | राज्यपाल के पद की इस स्थिति के कारण इसका रानितिकरण हो गया है अत : संघीय व्यवस्था की सफलता के लिए आवश्यक है कि इस पद का दुरूपयोग ना हो व राज्यपाल की नियुक्ति में राज्यों के मुख्यमंत्री का परामर्श लिया जाना चाहिए व इस पद योग्य व निष्पक्ष व्यक्तियों की नियुक्ति की जानी चाहिए |
Q5. निम्नलिखित में कौन-सा प्रांत के गठन का आधर होना चाहिए और क्यों?
(क) सामान्य भाषा
(ख) सामान्य आर्थिक हित
(ग) सामान्य क्षेत्रा
(घ) प्रशासनिक सुविधा
उत्तर :
यद्ध्पी अभी तक भारत में राज्यों का गठन 1956 के कानून के आधार पर भाषा के आधार पर होता है परन्तु वर्तमान परिस्थिति में प्रशासनिक सुविधा को राज्यों के पुनर्गठन का प्रमुख आधार पर माना जाता है ताकि लोगों को अच्छा व कुशल शासन प्रदान किया जा सके जिसमे स्थानीय लोगों का विकास भी संभव हो सके |
Q6. उत्तर भारत के प्रदेशों - राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश तथा बिहार के अधिकांश लोग हिंदी बोलते हैं। यदि इन सभी प्रांतों को मिलाकर एक प्रदेश बना दिया जाय तो क्या ऐसा करना संघवाद के विचार से संगत होगा? तर्क दीजिए।
उत्तर :
यदि उत्तर भारत के प्रदेशों राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश तथा बिहार जोकि सभी हिंदी भाषी है, सभी को मिला दिया जाये तो भाषीय व सांस्कृतिक दृष्टि से तो वे सब एक ईकाई के रूप में इकठ्ठे हो सकते है परन्तु प्रशासनिक सुविधा है | हल में छतीसगढ़ उत्तरांचल व झारखण्ड का निर्माण प्रशासनिक सुविधा के आधार पर ही किया गया है |
Q7. भारतीय संविधान की ऐसी चार विशेषताओं का उल्लेख करें जिसमें प्रादेशिक सरकार की अपेक्षा केन्द्रीय सरकार को ज्यादाशक्ति प्रदान की गई है।
उत्तर :
निम्न चार ईएसआई विशेशताएँ है जिनके आधार पर केंद्र अधिक शक्तिशाली बनाया गया है :-
(i) केंद्र के पक्ष में शक्तियों का बंटवारा
(ii) राष्ट्रपति की आपातकालीन शक्तियाँ
(iii) राज्यों में राष्ट्रपति शासन की व्यवस्था
(iv) अखिल भारतीय सेवाओं की भूमिका
Q8. बहुत- से प्रदेश राज्यपाल की भूमिका को लेकर नाखुश क्यों हैं?
उत्तर :
भारतीय रजनीति में सबसे चर्चित पद राज्यपाल का पद है | अधिकांश राज्यों को अपने यहाँ के राज्यपालों से किसी कारण से शिकायत रहती है इसका एक प्रमुख कारण यह हैं कि अधिकाश राज्यपालों की राजनितिक पृष्ठभूमि होती है जिसके आधार पर उनकी केंद्र के शासक दल के द्वारा उनकी नियुक्ति होती है | अत : ये राज्यपाल निरपेक्ष रूप से अपने कर्तव्यों को पूरा नहीं करते है | इनकी भूमिका केंद्र के एजेंट के रूप में होती है जिसके आधार इनकी जिम्मेदारी केन्द्रीय हितों की रक्षा करना होता है परन्तु ये केंद्र की सरकार के दल के हितों के रक्षक बन जाते है जिससे राज्यों की सरकारों व राज्यपालों में टकराव पैदा हो जाता है |
Q9. यदि शासन संविधान के प्रावधानों के अनुकूल नहीं चल रहा, तो ऐसे प्रदेश में राष्ट्रपति-शासन लगाया जा सकता है। बताएँ कि निम्नलिखित में कौन-सी स्थिति किसी प्रदेश में राष्ट्रपति-शासन लगाने के लिहाज से संगत है और कौन-सी नहीं। संक्षेप में कारण भी दें।
(क) राज्य की विधान सभा के मुख्य विपक्षी दल के दो सदस्यों को अपराधियों ने मार दिया है और विपक्षी दल प्रदेश की सरकार को भंग करने की माँग कर रहा है|
(ख) फिरौती वसूलने के लिए छोटे बच्चों के अपहरण की घटनाएँ बढ़ रही हैं। महिलाओं के विरुद्ध अपराधों में इजाफा हो रहा है।
(ग) प्रदेश में हुए हाल के विधान सभा चुनाव में किसी दल को बहुमत नहीं मिला है। भय है कि एक दल दूसरे दल के कुछ विधयिकों से धन देकर अपने पक्ष में उनका समर्थन हासिल कर लेगा।
(घ) केंद्र और प्रदेश में अलग-अलग दलों का शासन है और दोनों एक-दूसरे के कट्टर शत्रु हैं।
(ड) सांप्रदायिक दंगे में 200 से ज्यादा लोग मारे गए हैं।
(च) दो प्रदेशों के बीच चल रहे जल विवाद में एक प्रदेश ने सर्वोच्च न्यायालय का आदेश मानने से इनकार कर दिया है।
उत्तर :
उपरोक्त परिस्थियों में (ग) में दिया गया उधाह्र्ण राष्ट्रपति शासन लागु करने के लिए सबसे अधिक उपयुक्त है जैसा की हल में बिहार में हुआ है | ऐसी स्थिति में जब चुनाव के बाद किसी भी दल को आवश्यक बहुमत प्राप्त ना हो तो इस बात की संभावना बढ़ जाति है की राजनितिक दल सरकार बनाने के प्रयास में जोड़ - तोड़ की राजनीती व एम्. एल. ए. के खरीद फरोख्त प्रारम्भ क्र दे |
Q10. ज्यादा स्वायत्तता की चाह में प्रदेशों ने क्या माँगें उठाई हैं?
उत्तर :
1960 से लगातार विभिन्न राज्यों से प्रांतीय स्वतंत्रता की मांग लगातार उठायी जाती रही है | पशिचमी बंगाल,पंजाब,तमिलनाडु, जम्मू कश्मीर व कुछ उत्तर पूर्वी राज्यों से विशेष रूप से यह माग आती रही है जिसमे प्रमुख रूप से निम्न मांगे है |
(1) केंद्र व राज्यों के मध्य शक्तियों का बंटवारा प्रान्तों के पक्ष में होना चाहिए |
(2) राज्यों की केंद्र पर आर्थिक निर्भरता नहीं होनी चाहिए |
(3) राज्यों के मामलों में केंद्र का कम से कम हस्तक्षेप होना चाहिए |
(4) राज्यपाल के पद का दुरूपयोग नहो होना चाहिए व राज्यपाल की नियुक्ति में राज्यों में मुख्यमंत्रियों का परामर्श का लिया जाना चाहिए |
(5) सास्कृतिक स्वायत्तता होनी चाहिए |
(6) संवैधानिक संस्थाओं का दुरूपयोग नही होना चाहिए |
अतिरिक्त प्रश्नोत्तर
अतिरिक्त प्रश्नोत्तर :-
Q 1. संघवाद क्या है ?
उत्तर : संघवाद एक संस्थागत प्रणाली है जो दो प्रकार की राजनीतिक व्यवस्थाओं को समाहित करती है। इसमें एक प्रांतीय स्तर की होती है और दूसरी केन्द्रीय स्तर की। प्रत्येक सरकार अपने क्षेत्र में स्वायत्त होती है। कुछ संघीय देशों में दोहरी नागरिकता की व्यवस्था होती है पर भारत में इकहरी नागरिकता है।
Q 2. सोवियत संघ के विघटन के प्रमुख कारण क्या थे ?
उत्तर : सोवियत संघ के विघटन के प्रमुख कारण वहाँ शक्तियों का अतिशय संघनन और
केन्द्रीयकरण की प्रवृत्तियाँ थीं। इसके अलावा उज्बेकिस्तान जैसे भिन्न भाषा और संस्कृति
वाले क्षेत्रों पर रूस के आधिपत्य ने भी विघटन को बढ़ावा दिया।
Q3. भारत के राष्ट्रीय नेताओं ने भारत को ‘विविधता में एकता’ के रूप में परिभाषित क्यों किया है।समझिए |
उत्तर : भारतीय भू-भाग एक महाद्वीप की तरह विशाल और अनेक विविधताओं से भरा है। यहाँ 20 प्रमुख और सैकड़ों अन्य छोटी भाषाएँ हैं। यहाँ अनेक धर्मों के मानने वाले लोग निवास करते हैं। देश के विभिन्न भागों में करोड़ों आदिवासी निवास करते हैं। इन विविधताओं के बावजूद हम एक साझी जमीन पर रहते हैं और हमारा एक साझा इतिहास है। खासकर उन दिनों का जब हम आज़ादी की लड़ाई लड़ रहे थे। हमारे बीच दूसरी कई समानताएँ हैं।इसी कारण हमारे राष्ट्रीय नेताओं ने भारत को ‘विविधता में एकता’ के रूप में परिभाषित किया है। कभी-कभार इसे ‘विविधताओं के साथ एकता’ की संज्ञा भी दी जाती है।
Q 4. संघवाद की मूल अवधरणाओं का वर्णन कीजिए ?
उत्तर : संघवाद की मूल अवधरणाएँ निम्न प्रकार है :-
(i) निश्चित रूप से संघवाद एक संस्थागत प्रणाली है जो दो प्रकार की राजनीतिक व्यवस्थाओं को समाहित करती है। इसमें एक प्रांतीय स्तर की होती है और दूसरी केन्द्रीय स्तर की। प्रत्येक सरकार अपने क्षेत्र में स्वायत्त होती है। कुछ संघीय देशों में दोहरी नागरिकता की व्यवस्था होती है पर भारत में इकहरी नागरिकता है।
(ii) इस प्रकार लोगों की दोहरी पहचान और निष्ठाएँ होती हैं। वे अपने क्षेत्र के भी होते हैं और राष्ट्र के भी। जैसे हममें से कोई गुजराती या झारखंडी होने के साथ-साथ भारतीय भी होता है। प्रत्येक स्तर की राजनीतिक व्यवस्था की कुछ विशिष्ट शक्तियाँ और उत्तरदायित्व होते हैं तथा वहाँ एक अलग सरकार भी होती है।
(iii) दोहरे शासन की विस्तृत रूपरेखा अमूमन एक लिखित संविधान में मौजूद होती है। यह संविधान सर्वोच्च होता है और दोनों सरकारों की शक्तियों का स्रोत भी। राष्ट्रीय महत्त्व के विषयों-जैसे प्रतिरक्षा और मुद्रा- का उत्तरदायित्व संघीय या केन्द्रीय सरकार का होता है।क्षेत्रीय या स्थानीय महत्त्व के विषयों पर प्रांतीय राज्य सरकारें जवाबदेह होती हैं।
(iv) केंद्र और राज्यों के मध्य किसी टकराव को रोकने के लिए एक स्वतंत्र न्यायपालिका की व्यवस्था होती है जो संघर्षों का समाधान करती है। न्यायपालिका को केन्द्रीय सरकार और राज्यों के बीच शक्ति के बँटवारे के संबंध् में उठने वाले कानूनी विवादों को हल करने का अधिकार होता है।
Q5. भारतीय संविधान में शक्ति विभाजन से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर : भारत के संविधान में दो तरह की सरकारों की बात मानी गई है -
(i) एक संपूर्ण राष्ट्र के लिए जिसे संघीय सरकार या केन्द्रीय सरकार कहते हैं और
(ii) दूसरी प्रत्येक प्रांतीय इकाई या राज्य के लिए जिसे राज्य सरकार कहते हैं।
ये दोनों ही संवैधानिक सरकारें हैं और इनके स्पष्ट कार्य-क्षेत्र हैं। यदि कभी यह विवाद हो जाए कि कौन- सी शक्तियाँ केंद्र के पास है और कौन-सी राज्यों के पास, तो इसका निर्णय न्यायपालिका संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार करेगी।
Q6. सैनिक शासन’ या मार्शल लॉ से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर : सैनिक शासन’ या मार्शल लॉ से अभिप्राय है कि ये प्रावधान संसद को इस बात का अधिकार देते हैं कि ऐसी स्थिति में वह केंद्र या राज्य के किसी भी अधिकारी के द्वारा शांति व्यवस्था बनाए रखने या उसकी बहाली के लिए किए गए किसी भी कार्य को कानूनी जायज करार दे सके। इसी के अंतर्गत ‘सशस्त्र बल विशिष्ट शक्ति अधिनियम’ का निर्माण किया गया।
Q7. कुछ राज्यों के लिए संविधान में विशेष प्रावधानों का वर्णन कीजिए |
उत्तर : जम्मू-कश्मीर एक विशाल देशी रियासत था।अनुच्छेद 370 के अनुसार जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त है | और केंद्र सूची और समवर्ती सूची के किसी विषय पर संसद द्वारा कानून बनाने और उसे जम्मू-कश्मीर में लागू करने के लिए इस राज्य की सहमति आवश्यक है।
अनुच्छेद 368 केअंतर्गत राज्य सरकार की सहमति के बिना जम्मू-कश्मीर में ‘आंतरिक अशांति’ के आधर पर ‘अपात्काल’ लागू नहीं किया जा सकता। संघ सरकार जम्मू-कश्मीर में वित्तीय आपात् स्थिति लागू नहीं कर सकती तथा राज्य के नीति-निर्देशक तत्त्व यहाँ लागू नहीं होते।
Q 8. भारत में 1956 में कुछ राज्यों का पुनर्गठन किस प्रकार से हुआ |
उत्तर : 1956 में कुछ राज्यों का पुनर्गठन हुआ। इससे भाषाई आधार पर राज्यों के गठन की शुरुआत हुई और यह प्रक्रिया अभी भी जारी है। 1960 में गुजरात और महाराष्ट्र का गठन हुआ 1966 में पंजाब और हरियाणा को अलग-अलग किया गया। बाद में पूर्वोत्तर के राज्यों का पुनर्गठन किया गया और अनेक नए राज्यों - जैसे मेघालय, मणिपुर और अरुणाचल प्रदेश का जन्म हुआ।
Q9. सन 1990 के दशक में नए राज्य बनाने को पूरा करने को लेकर किन राज्यों का विभाजन किया गया |
उत्तर : सन 1990 के दशक में नए राज्य बनाने की माँग को पूरा करने तथा अधिक प्रशासकीय सुविधा के लिए कुछ बड़े राज्यों का विभाजन किया गया।
जैसे बिहार, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश को विभाजित कर तीन नए राज्य क्रमशः झारखंड, उत्तरांचल और छत्तीसगढ़ बनाए गए। कुछ क्षेत्र और भाषाई समूह अभी भी अलग राज्य के लिए संघर्ष कर रहे हैं जिनमें आंध्र प्रदेश में तेलंगाना और महाराष्ट्र में विदर्भ प्रमुख हैं।
Q 10. भारत में राष्ट्रपति शासन से आप क्या समझाते है ?
उत्तर : भारतीय संविधान में राज्यों में राष्ट्रपति शासन की व्यवस्था अनुच्छेद 356 के अनुसार की गयी है जो निम्न प्रकार है :-
- अगर किसी राज्य में कानून व्यवस्था भंग हो गयी हो |
- राज्य में राजनितिक अस्थिरता की स्थिति में |
- अगर किसी भी दल को चुनाव के बाद सरकार बनाने के लिए आवश्यक बहुमत प्राप्त ना हो व सरकार बनाने के प्रयास में विधान सभा के सदस्यों की खरीद फरोख्त या दल बदल की संभावना हो |
- सरकार संविधान के अनुसार ना चलाई जा रही हो |
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राजनितिक विज्ञान - I Chapter List
Chapter 1. संविधान क्यों और कैसे
Chapter 2. भारतीय संविधान में अधिकार
Chapter 3. चुनाव और प्रतिनिधित्व
Chapter 4. कार्यपालिका
Chapter 5. विधायिका
Chapter 6. न्यायपालिका
Chapter 7. संघवाद
Chapter 8. स्थानीय शासन
Chapter 9. संविधान-एक जीवंत दस्तावेज
Chapter 10. संविधान का राजनितिक दर्शन
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