Chapter 1. शीतयुद्ध का दौर Political Science-I class 12 exercise महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
Chapter 1. शीतयुद्ध का दौर Political Science-I class 12 exercise महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर ncert book solution in hindi-medium
NCERT Books Subjects for class 12th Hindi Medium
अध्याय-समीक्षा
अध्याय-समीक्षा :
- द्वितिय विश्व युद्ध (1939-1945) की समाप्ति समकालीन विश्व राजनीति की शुरुआत थी।
- प्रथम व द्वितीय विश्व युद्ध (1914-18) (1939-45) के पश्चात वैश्विक घटनाओं के कारण कई बदलाव आऐ।
- द्वितीय विश्व युद्ध में ब्रिटेन, संयुक्त राज्य अमेरिका फ्रांस तथा सोवियत संघ को विजय मिली जिन्हें मित्र राष्ट्रों के नाम से जाना जाता है। धुरी राट्रों अर्थात जर्मनी, इटली तथा जापान को हार का सामना करना पड़ा।
- द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति के साथ ही शीत युद्ध की शुरूआत हुई।
- शीत युद्ध दो सहशक्तियों की बीच शत्रुपूर्ण वातावरण था। विचारों में मतभेदों के होते हुए भी विश्व को तीसरे विश्व युद्ध का सामना नहीं करना पड़ा जिसका कारण था परमाणु बम का अविष्कार/दोनों सहशक्तियां इससे परिपूर्ण थी।
- क्यूबा का मिसाइल संकट शीत युद्ध की चरम सीमा था, जब 1962 में खुश्चेव ने क्यूबा में परमाणु मिसाइलें तैनात कर दी थीं/दोनों गुटों के बीच खुद को बेहतर व शक्तिशाली दिखाने व बनाने के लिए कई ’’सैन्य-संधियां कीं।
- सैन्य संघि संगठन - अप्रैल 1949 मे नाटो (उत्तर अटलांटिक सन्धि संगठन) जिसका उद्देश्य अमेरिका द्वारा लोकतंत्र को बचाना।
- 1954 में सीटों (दक्षिण पूर्व एशियाई सन्धि संगठन) का उद्देश्य अमेरिका के नेतृत्व वाले साम्यवादी प्रसार को रोकना। 1955 में बगदाद पैक्ट, 1955 में वारसा संधि आदि। परिणामता विश्व खुले तौर पर अन्तर्राष्ट्रीय पटल पर दो ध्रुवों में बैट चुका था।
- द्वितीय विश्व युद्ध के बाद संयुक्त राज्य अमेरिका और सोवियत संघ दो बड़ी ताकतों के रूप में उभरे।
- अमेरिका और सोवियत संघ के बीच मतभेद और अविश्वास की भावना बड़ गई और विश्व दोनों के नेतृत्व में दो गुटों पूंजीवादी गुट और साम्यवादी गुट में बंट गया।
- पूँजीवादी गुट ये संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, पश्चिम जर्मनी, इटली, स्पेन, नार्वे डेनमार्क इत्यादि देश थे तथा साम्यवादी गुट में सोवियत संघ, पौलेंड क्यूबा, हंगरी, पूर्वी जर्मनी, रोमानिया तथा बुल्गारिया आदि देश थे।
- वे देश जो इन दोनों गुटों में शामिल नहीं हुए वे गुटनिरपेक्ष देश कहलाए जिनमें भारत, यूगोस्लाविया, मिस्त्र, घाना तथा इन्डोनेशिया इत्यादि देश शामिल थे।
- पूँजीवादी गुट (अमेरिका) और साम्यवादी गुट (सोवियत संघ) में महाशक्ति बनने के लिए होड़ लगी हुई थी लेकिन तीसरे विश्व युद्ध से बचने के लिए उत्तरदायित्व और संयम से दोनों ने काम लिया और आपस में विचारों का संघर्ष कायम रखा जिसे शीतयुद्ध का नाम दिया गया।
- क्यूबा अमेरिका से लगता हुआ एक छोटा सा द्वीप हैं 1962 में खु्रशचेव ने क्यूबा में परमाणु मिसाइलें तैनात कर, उसे एक सैनिक अड्डे के रूप में परिवर्तित कर दिया जिसे क्यूबा मिसाइल संकट के नाम से जाना जाता है।
- क्यूबा मिसाइल संकट, बर्लिन की घेराबंदी, कोरिया संकट तथा कांगो संकट शीतयुद्ध के दौर की प्रमुख घटनाऐं है।
- नाटो (NATO) सिएटो (SEATO) सेंटो (CENTO) पूंजीवादी गुट तथा वारसा संधि (WARSAW PACT) साम्यवादी गुट द्वारा की गई शीत युद्ध की प्रमुख सैन्य संधिंया थी।
- शीतयुद्ध के दौरान तनाव कम करने तथा आपसी विश्वास बढ़ाने के लिए अस्त्र नियंत्रण संबंधित अनेक संधिया की गई।
- शीतयुद्ध के दौरान तृतीय विश्व के ;एशिया, अफ्रीका व लैटिन अमरीका के नव स्वतंत्र देशद्ध के देशों ने पूँजीवादी और साम्यवादी गुट में शामिल होने के बजाय गुटनिरपेक्ष की नीति को अपनाना उचित समझा।
- पहला गुटनिरपेक्ष सम्मेलन 1961 में बेलग्रेड में हुआ जिसमें 25 सदस्य देशों ने भाग लिया।
- गुटनिरपेक्ष आंदोलन के संस्थापक - भारत के प्रथम प्रधानमंत्री श्री जवाहर लाल नेहरू, मिस्त्र के शमाल अब्दुल नासिर, यूगोस्लाविया के टीटो, घाना के वामे एनेक्रूमा, इंडोनेनिया के सुकर्णो थे।
- गुटनिरपेक्षता का अर्थ तटस्थता, पृथकतावाद या पलायन नहीं है।
- 1972 में गुटनिरपेक्ष देशों ने संयुक्तराष्ट्र के व्यापार और विकास से संबंधित सम्मेलन ;न्छब्ज्।क्द्ध में विकास हेतु एक नई व्यापार नीति का प्रस्ताव प्रस्तुत किया जिससे विकसित देशों तथा बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा गरीब और अल्पविकसित देशों का शोषण न हो सके। वे अपने संसाधनों का स्वयं अपनी इच्छानुसार प्रयोग कर सकें।
- दों ध्रुवीयता को चुनौती: 1961 में युगोस्लाविया के बेलग्रेड में 25 सदस्य राष्ट्रों ने भारत के ज्वाहर लाल नेहरू, मिस्र के अब्दुल गमाल नासिर, युगोस्लाविया के टीटो इन्डोनेशिया के सुकर्णों, छाना के वामें एनक्रूम के नेतृत्व मे एक संगठन की स्थापना की गई।
- इन देशों का 15 वाॅ सममेलन 2009 में मिस्र में हुआ। उस समय इसकी सदस्य संख्या 118 तथा पर्यवेक्षकों की संख्या 15 थी।
- गुटनिरपेक्षता का अर्थ तटस्थत, पृथकतावाद अथवा पलायन नहीं है।
अभ्यास प्रश्नावली
NCERT अभ्यास :
Q1. शीतयुद्ध के बारे में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन गलत है?
(क) यह संयुक्त राज्य अमरीका, सोवियत संघ और उनके साथी देशों के बीच की एक प्रतिस्पर्धा थी
(ख) यह महाशक्तियों के बीच विचारधराओं को लेकर एक युद्ध था।
(ग) शीतयुद्ध ने हथियारों की होड़ शुरू की।
(घ) अमरीका और सोवियत संघ सीधे युद्ध में शामिल थे।
उत्तर :
(घ) गलत
Q2. निम्न में से कौन-सा कथन गुट-निरपेक्ष आंदोलन के उद्देश्यों पर प्रकाश नहीं डालता?
(क) उपनिवेशवाद से मुक्त हुए देशों को स्वतंत्र नीति अपनाने में समर्थ बनाना।
(ख) किसी भी सैन्य संगठन में शामिल होने से इंकार करना।
(ग) वैश्विक मामलों में तटस्थता की नीति अपनाना।
(घ) वैश्विक आर्थिक असमानता की समाप्ति पर ध्यान केन्द्रित करता है
उत्तर :
(ग) गलत
Q3. नीचे महाशक्तियों द्वारा बनाए सैन्य संगठनों की विशेषता बताने वाले कुछ कथन दिए गए हैं
प्रत्येक कथन के सामने सही या गलत का चिन्हे लगाएँ|
(क) गठबंधन के सदस्य देशों को अपने भू-क्षेत्रा में महाशक्तियों वेफ सैन्य अड्डे वेफ लिए स्थान देना
शरूरी था।
(ख) सदस्य देशों को विचारधरा और रणनीति दोनो स्तरों पर महाशक्ति का समर्थन करना था।
(ग) जब कोई राष्ट्र किसी एक सदस्य-देश पर आक्रमण करता था तो इसे सभी सदस्य देशों पर
आक्रमण समझा जाता था।
(घ) महाशक्तियाँ सभी सदस्य देशों को अपने परमाणु हथियार विकसित करने में मदद
करती थीं।
उत्तर :
(क) सही, (ख) सही, (ग) सही, (घ) गलत |
Q4. नीचे कुछ देशों की एक सूची दी गई है। प्रत्येक वेफ सामने लिखे कि वह शीतयुद्ध के दौरान
किस गुट से जुड़ा था?
(क) पोलैंड
(ख) फ्रांस
(ग) जापान
(घ) नाइजीरिया
(ड) उत्तरी कोरिया
(च) श्रीलंका
उत्तर :
(क) पोलैंड -साम्यवादी गुट (सोवियत संघ)
(ख) फ़्रांस -पूंजीवादी गुट (संयुक्त राज्य अमेरिका)
(ग) जापान -पूंजीवादी गुट (संयुक्त राज्य अमेरिका)
(घ) नाईजीरिया -गुट -निरपेक्ष में
(ड) उतरी कोरिया -साम्यवादी गुट (साम्यवादी गुट)
(च) श्रीलंका- गुट- निरपेक्ष में |
शीतयुद्ध से हथियारों की होड़ और हथियारों पर नियंत्रण - ये दोनों ही प्रक्रियाएं पैदा हुई | इन दोनों प्रक्रियाओं के क्या कारण थें ?
उत्तर :
शीतयुद्ध से हथियारों की और हथियारों पर नियंत्रण- ये दोनों प्रक्रियाएं ही पैदा हुई थी | हथियारों की होड़ से अभिप्राय यह है कि पूंजीवादी गुट एवं साम्यवादी गुट, दोनों ही एक-दुसरे पर अधिक प्रभाव रखने के लिए अपने-अपने हथियारों के भंडार बढाने लगे जिससे विश्व में हथियारों की होड़ शुरू हो गई | दूसरी तरफ हथियारों पर नियंत्रण से अभिप्राय यह है कि दोनों गुट यह सोचते थे कि यदि दोनों गुटों में युद्ध होता है, तो दोनों गुटों को ही अत्यधिक हानि होगी और दोनों गुटों में से कोई भी विजेता बनकर नहीं उभर पाएगा, क्योकि दोनों ही गुटों के पास परमाणु हथियार थे | इसी कारण शीतयुद्ध के दौरान हथियारों पर नियन्त्रण कि प्रक्रिया भी पैदा हुई |
महाशक्तियाँ छोटे देशों के साथ सैन्य गठबन्धन क्यों रखती थीं ? तीन कारण बताइए |
उत्तर :
महाशाक्तियाँ निम्न कारणों से छोटे देशों के साथ सैन्य गठबन्धन रखती थीं-
(1) महाशक्तियां छोटे देशो के साथ सैन्य गठबन्धन इसलिए करती थीं, ताकि इन देशो से वे अपने हथियार और सेना का संचालन क्र सकें |
(2) महाशक्तियां छोटे देशों में सैनिक ठिकाने बनाकर दुसमन देश कि जासूसी करते थे |
(3) छोटे देश सैन्य गठबन्धन के अंतर्गत आने वाले सैनिकों लो अपने देश में रखते थे जिससे महाशक्तियों पर आर्थिक दबाव कम पड़ता था |
(4) महाशक्तियां आसानी से छोटे देशों पर अपना वर्चस्व कायम करती थी |
Q7. कभी-कभी कहा जाता है कि शीतयुद्ध सीधे तौर पर शक्ति के लिए संघर्ष था और इसका विचारधारा से कोई संबंध नही था | क्या आप इस कथन से सहमत है ? अपने उतर के समर्थन में एक उदाहरण दें |
उत्तर :
शीतयुद्ध के विषय में यह कहा जाता है, कि इसका विचारधारा से अधिक सम्बन्ध नहीं था, बल्कि शीतयुद्ध शक्ति के लिए संघर्ष था | परन्तु इस कथन से सहमत नहीं हुआ जा सकता, क्योंकि दोनों ही गुटों में विचारधारा का अत्यधिक प्रभाव था | पूंजीवादी विचारधारा के लगभग सभी देश अमेरिका के गुट में शामिल थें, जबकि साम्यवादी विचारधारा वाले सभी देश सोवियत संघ के गुट में सामिल थें | विपरीत विचारधाराओ वाले देशों में निरंतर आशंका, संदेह एवं भय पाया जाता था | परन्तु 1991 में सोवियत संघ के विघटन से एक विचारधारा का पतन हो गया और इसके साथ ही शीतयुद्ध भी समाप्त हो गया |
Q8. शीतयुद्ध के दौरान भारत की अमरीका और सोवियत संघ के प्रति विदेश नीति क्या थी ? क्या आप मानते हैं कि इस नीति ने भारत के हितों को आगे बढ़ाया
उत्तर :
शीतयुद्ध के दौरान भारत ने अपने आपको को दोनों गुटों से अलग रखा | भारत ने गुट- निरपेक्षता कि निति अपनाई | भारत ने सदैव दोनों गुटों में पैदा हुए मतभेदों को कम करने के लिए प्रयास किया, जिसके कारण ये मतभेद व्यापक युद्ध का रूप धारण न कर सके |
भारत कि अमेरिका के प्रति विदेश नीति - भारत और अमेरिका में बहुत अच्छे सम्बन्ध कभी नहीं रहे | अच्छे सम्बन्ध न होने का महत्वपूर्ण कारण अमेरिका का पाकिस्तान के प्रति रवैया है | अमेरिका ने कश्मीर के मामले में पाकिस्तान का समर्थन किया और पाकिस्तान को सैनिक सहायता भी दी | बांग्लादेश के मामले पर अमेरिका ने भारत के विरुद्ध सातवाँ समुंद्री बेडा भेजने कि कोशिश की | 1981 में अमेरिका ने भारत कि भावनाओ कि परवाह न करते हुए पाकिस्तान को आधुनिकतम हथियार दिए | 2 जून 1985 में प्रधानमंत्री राजीव गाँधी अमेरिका गए तो संबंध में थोडा बहुत सुधार हुआ | जनवरी 1989 में जॉर्ज बुश अमेरिका के राष्ट्रपति बने, परन्तु उनकी नीतियों में कोई परिवर्तन नहीं आया | प्रधानमंत्री नरसिम्हा राय ने अमेरिका के साथ सम्बन्ध सुधारने का प्रयास किया |
भारत कि सोवियत संघ के प्रति विदेश निति - भारत के सोवियत संघ के साथ शुरुआत में तनावपूर्ण सम्बन्ध रहे है, परन्तु जैसे जैसे भारत कि गुट-निरपेक्षता कि नीति स्पष्ट होती गई, वैसे- वैसे दोनों देश एक दुसरे के समीप आते गए | 1960 के बाद भारत और सोवियत संघ के अच्छे सम्बन्ध रहे है | 9 अगस्त, 1971 में को भारत और सोवियत संघ के बीच शांति- मैत्री और सहयोग कि संधि हुई | यह संधि 20 वर्षीय थी | दोनों देशों के नेता एक- दुसरे के देशों में यात्रा करने लगे जिससे दोनों देशों के गहरे सम्बन्ध स्थापित हुए | दोनों देशों के बीच आर्थिक, सांस्कृतिक व वैज्ञानिक सम्बन्ध बढाने के लिए कई समझौते हुए | 9 अगस्त, 1991 को 20 वर्षीय सन्धि 15 वर्ष के लिए और बड़ा दी गई | परन्तु 1991 में सोवियत संघ का बड़ी तेजी विघटन हो गया |
Q9. गुट-निरपेक्ष आन्दोलन को तीसरी दुनिया के देशो ने तीसरे विकल्प के रूप में समझा | जब शीतयुद्ध अपने शिखर पर था तब इस विकल्प ने तीसरी दुनिया के देशो के विकास में कैसे मदद पहुँचाई ?
उत्तर :
द्वितीय विश्व युद्ध के समय जब शीतयुद्ध चरम- सीमा पर था, तब विश्व में एक नई धारणा ने जन्म लिया, जिसे गुट- निरपेक्ष आन्दोलन के नाम से जाना जाता है | गुट- निर्पेकः आन्दोलन से अभिप्राय किसी भी गुट में शामिल न होना गुट- निरपेक्ष कहलाता है |गुट- निरपेक्ष आन्दोलन में आधिकांश विकाशशील एवं नव- स्वतंत्रत देश शामिल थे इन देशों ने गुट- निरपेक्ष आन्दोलन का विकल्प इसलिए चुना क्योंकि वे अपने- अपने देश का स्वतंत्रतापूर्वक रजनीतिक, सामाजिक, व आर्थिक विकास करना चाहते थे | यदि वे किसी भी गुट में शामिल हो जाते तो वे अपने देश का स्वतंत्रतापूर्वक विकास नहीं कर सकते थें, परन्तु गुट- निरपेक्ष आन्दोलन का सदस्य बनकर उन्होंने दोनों गुटों से आर्थिक मदद स्वीकार करके अपने देश के विकास को आगे बढाया | यदि एक गुट किसी विकाशशील या नव-स्वतंत्रता प्राप्त देशों को दबाने का प्रयास करता था, तो दूसरा गुट उसकी रक्षा के लिए आ जाता था तथा उसे हर तरह की मदद प्रदान करता था, इसलिए ए देश अपना विकास बिना रोक टोक के करते थे |
Q10. गुट- निरपेक्ष आंदोलन अब अप्रासगिक हो गया है | आप इस कथन के बारे में क्या सोचते है |अपने उतर के समर्थन में तर्क प्रस्तुत करे |
उत्तर :
गुट- निरपेक्ष आन्दोलन 1961 में नव- स्वतंत्र राष्ट्रों को महाशक्तियों के प्रभाव से बचाने केलिए आरंभ हुआ | इन आन्दोलन का उदेश्य शक्ति गुटों से दूर रह कर अपने देश की पहचान एवं आस्तित्व बनाये रखना था | गुट- निरपेक्ष आन्दोलन का आरंभ शीतयुद्ध काल से ही आरंभ हुआ | वर्तमान समय में शक्ति गुट समाप्त हो चुका हैं और अमेरिका ही एक महाशक्ति देश रह गया है | संसार एकध्रुवीय हो चुका है | फरवरी 1992 में गुट- निरपेक्ष आन्दोलन के विदेश मन्त्रियों के सम्मेलन में मिस्त्र ने कहा था की सोवियत संघ के विघटन, सोवियत गुट तथा शीतयुद्ध की समाप्ति के बाद गुट- निरपेक्ष आन्दोलन की प्रासंगिकता समाप्त हो गई है | अतः इसे समाप्त क्र देना चाहिए | परन्तु उपरोक्त विवरण के आधार पर न तो यह कहना उचित होगा की गुट- निरपेक्ष आन्दोलन अप्रासंगिक हो गया और न ही ए की इसे समाप्त कर देना चाहिए | वर्तमान परिस्थितियों में गुट- निरपेक्ष आन्दोलन का औचित्य निम्नलिखित रूप से देखा जा सकता है -
(1) गुट- निरपेक्ष आन्दोलन विकासशील देशों के सम्मान एवं प्रतिष्ठा को बनाये रखने के लिए आवश्यक है |
(2) निःशस्त्रीकरण, विश्व- शांति एवं मानव आधिकारो की सुरक्षा के लिए गुट- निरपेक्ष आन्दोलन आज भी प्रासंगिक है |
(3) नई- अंतर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की स्थापना के लिए गुट- निरपेक्ष आन्दोलन आवश्यक है |
(4) संयुक्त राष्ट्र- संघ को अमेरिका के प्रभुत्व से मुक्त करवाने के लिए भी इसका औचित्य है |
(5) अशिक्षा, बेरोजगारी, आर्थिक समानता जैसी समस्याओं के समूल नाश के लिए गुट- निरपेक्ष आन्दोलन आवश्यक है |
(6) गुट- निरपेक्ष आन्दोलन का लोंकतान्त्रिक स्वरूप इसकी सार्थकता को प्रकट करता है |
(7) गुट- निरपेक्ष देशों का आज भी इस आन्दोलन के सिद्धांतो में विश्वास एवं इसके प्रति निष्ठा इसके महत्व को बनाये हुए है | अतः यह कहना की वर्तमान एकध्रुविय विश्व में गुट- निरपेक्ष आन्दोलन अप्रासंगिक हो गया है एवं इसे समाप्त कर देना चाहिए |
महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर:
एक अंकों वाला प्रश्न:
Q1. अमेरिका ने अपने सहयोगियों के साथ पश्चिमी गठबंधन के लिए कौन-सी संधि की ?
उत्तर : NATO संधि |
Q2. द्वितीय विश्व युद्ध के बाद विश्व किन दो महाशक्तियों में उदय हुआ ?
उत्तर:-
(i) संयुक्त राष्ट्र अमेरिका
(ii) सोवियत संघ
Q3. पूर्वी तथा पश्चिमी गठबंधन का नेतृत्व कौन-कौन कर रहा था?
उत्तर : पूर्वी गठबंधन का नेतृत्व सोवियत संघ कर रहा था तथा पश्चिमी गठबंधन का नेतृत्व अमरीका कर रहा था |
Q4. पहला गुटनिरपेक्ष सम्मेलन कहाँ और कब हुआ?
Q5. तृतीय विश्व किसे कहते हैं?
Q6. गुटनिरपेक्ष आंदोलन से संबंधित किन्हीं दो देशों के नाम लिखें?
Q9. निम्नलिखित को पूरे रूप में लिखें:-
(i) SEATO
(ii) CENTO
दो अंक वाले प्रश्न:-
Q1. शीत युद्ध से आप क्या समझते हैं?
Q2. बेलग्रेड शिखर सम्मेलन क्या था?
Q3. गुट निरपेक्षता से क्या अभिप्राय है?
Q4. पूर्वी और पश्चिमी देशों के गठबंधन का नेतृत्व कौन कर रहा था?
Q5. ‘लिटिल ब्याय’ और ‘फैटमेन’ क्या थे?
Q6. महाशक्तियाँ छोटे देशों के साथ सैन्य गठबंधन क्यों रखती थीं कोई दो कारण बताऐं?
Q7. निःशस्त्रीकरण का क्या अर्थ है?
Q8. भारत ने गुटनिरपेक्षता की नीति को क्यों अपनाया?
चार अंकों वाले प्रश्न:-
Q1. शीत युद्ध के कारणों का वर्णन करें?
Q2. स्पष्ट करें कि गुटनिरपेक्षता से अभिप्राय पृथकतावाद था अलगाववाद नहीं है?
Q3. गुटनिरपेक्ष आंदोलन में भारत की भूमिका का मूल्यांकन करें?
Q4. नव स्वतंत्र देशों द्वारा गुटनिरपेक्षता की नीति अपनाए जाने के क्या कारण थे?
पाँच अंकों वाले प्रश्न:-
Q1. गुटनिरपेक्ष आंदोलन के संस्थापक कौन-कौन से देशों से संबंधित थे, उन देशों को मानचित्र में दर्शाऐं?
छः अंको वाले प्रश्न:-
Q1. नव अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था से आप क्या समझते हैं?
उत्तर :
Q2. दूसरे विश्व यु( के बाद किस प्रकार सोवियत संघ महाशक्ति के रूप में उभरा?
उत्तर :
Q3. क्यूबा मिसाइल संकट क्या था इसके प्रमुख घटनाक्रम का वर्णन कीजिए?
उत्तर :
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Political Science-I Chapter List
Chapter 1. शीतयुद्ध का दौर
Chapter 2. दो ध्रुवीयता का अंत
Chapter 3. समकालीन विश्व में अमरीकी वर्चस्व
Chapter 4. सत्ता के वैकल्पिक केंद्र
Chapter 5. समकालीन दक्षिण एशिया
Chapter 6. अंतर्राष्ट्रीय संगठन
Chapter 7. समकालीन विश्व में सुरक्षा
Chapter 8. पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधन
Chapter 9. वैश्वीकरण
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