7. बाजार के स्वरुप | page 1 Micro Economics class 12
7. बाजार के स्वरुप | page 1 Micro Economics class 12
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अध्याय - 14
बाजार के रूप
बाजार - बाजार से अभिप्राय उस संयंत्र या वयवस्था से हैं जिसके द्वारा वस्तुओ और सेवाओ की बिक्री एवं खरीद के लिए क्रेताओं और विक्रेताओ के बीच का संपर्क सुविधाजनक हो जाता है |
बाजार के रूप -
(i) पूर्ण प्रतियोगिता
(ii) एकाधिकार
(iii) एकाधिकारी प्रतियोगिता
(iv) अल्पाधिकार
पूर्ण प्रतियोगिता - पूर्ण प्रतियोगिता बाजार का वह रूप होता हैं जिसमे किसी वस्तु के विक्रेताओ एवं क्रेताओं की अधिक संख्या होती है और किसी भी व्यक्तिगत क्रेता या विक्रेता पर इसकी कीमत पर कोई नियंत्रण नहीं होता है | वस्तु समरूप होती है और उसकी कीमत बाजार पूर्ति तथा बाजार माँग की शक्तियों द्वारा निर्धारित होती है |
पूर्ण प्रतियोंगिता की विशेषताए -
(i) किसी वस्तु के छोटे क्रेताओं और विक्रेताओ की बड़ी संख्या - पूर्ण प्रतियोगिता में क्रेताओं की इतनी अधिक संख्या होती है की कोई भी व्यक्तिगत क्रेता वस्तु की मांग को कम या ज्यादा करके वस्तु की कीमत को प्रभावित नहीं कर पाते तथा विक्रेताओं की इतनी अधिक संख्या होती है की कोई भी व्यक्तिगत विक्रेता वस्तु की पूर्ति को कम या ज्यादा करके वस्तु की कीमत को प्रभावित नहीं कर पाते | इसलिए पूर्ण प्रतियोगिता में फर्मे कीमत स्वीकारक होती है न की कीमत निर्धारक |
(ii) एक समान या समरूप वस्तु - पूर्ण प्रतियोगिता में समरूप वस्तुएं बेचीं जाती है | ये वस्तुएं रंग, रूप, आकार आदि में एक जैसी होती है तथा वस्तु में कोई विभेद न होने के कारण फर्मो का कीमत पर कोई नियंत्रण नहीं होता है | इसलिए पूर्ण प्रतियोगिता में फर्मे कीमत स्वीकारक होती है न की कीमत निर्धारक |
(iii) पूर्ण ज्ञान - पूर्ण प्रतियोगिता में क्रेताओ तथा विक्रेताओं को बाजार में प्रचलित कीमतों का पूरा ज्ञान होता है तथा समरूप वस्तुएं होने के कारण विक्रेता मन चाही कीमते नहीं वसूल सकते | इसलिए पूर्ण प्रतियोगिता में फर्मे कीमत स्वीकारक होती है न की कीमत निर्धारक |
(iv) स्वतंत्र प्रवेश या छोड़ना - पूर्ण प्रतियोगिता में फर्मो के प्रवेश तथा छोड़ने पर कोई प्रतिबन्ध नहीं है | आमतौर पर पूर्ण प्रतियोगिता में अल्पकाल में फर्मे उद्योगों को नहीं छोड़ते है, यह दीर्घकाल में संभव है | यदि फर्मो को उद्द्योगो में लाभ दिखता है तो वह आसानी से प्रवेश कर सकते है और यदि हानि दिखती है तो आसानी से छोड़ सकते है |
(v) पूर्ण गतिशीलता - पूर्ण प्रतियोगिता में कारक पूर्ण गतिशील होते है इसका अर्थ है पूर्ण प्रतियोगिता में उत्पादन के कारको को बिना किसी रोक - टोक के एक स्थान से दुसरे स्थान पर ले जय जा सकता है | एक कारक जैसे मजदूर अपनी सेवाएँ बिना किसी रोक टोक के वहा बेच सकता है जहा उसे अधिक मजदूरी मिले |
(vi) अतिरिक्त यातायात लागत का अभाव - पूर्ण प्रतियोगिता में अन्य बाजार के प्रकारों जैसे एकाधिकार, एकाधिकारी प्रतियोगिता की तुलना में अतरिक्त यातायात लागते नहीं होती है |
पूर्ण प्रतियोगिता के अंतर्गत एक फर्म कीमत स्वीकारक है, कीमत निर्धारक नहीं -
कीमत बाजार माँग तथा बाजार शक्तियों द्वारा नार्धरित होती है | एक फर्म को दी हुई कीमत पर अपना उत्पादन बेचना पड़ता है | इसलिए पूर्ण प्रतियोगिता के अंतर्गत एक फर्म कीमत स्वीकारक होती है, कीमत निर्धारक नहीं |
(i) फर्मो की बड़ी संख्या - पूर्ण प्रतियोगिता में क्रेताओं की इतनी अधिक संख्या होती है की कोई भी व्यक्तिगत क्रेता वस्तु की मांग को कम या ज्यादा करके वस्तु की कीमत को प्रभावित नहीं कर पाते तथा विक्रेताओं की इतनी अधिक संख्या होती है की कोई भी व्यक्तिगत विक्रेता वस्तु की पूर्ति को कम या ज्यादा करके वस्तु की कीमत को प्रभावित नहीं कर पाते | इसलिए पूर्ण प्रतियोगिता में फर्मे कीमत स्वीकारक होती है न की कीमत निर्धारक |
(ii) समरूप वस्तु - पूर्ण प्रतियोगिता में समरूप वस्तुएं बेचीं जाती है | ये वस्तुएं रंग, रूप, आकार आदि में एक जैसी होती है तथा वस्तु में कोई विभेद न होने के कारण फर्मो का कीमत पर कोई नियंत्रण नहीं होता है | इसलिए पूर्ण प्रतियोगिता में फर्मे कीमत स्वीकारक होती है न की कीमत निर्धारक |
(iii) पूर्ण ज्ञान - पूर्ण प्रतियोगिता में क्रेताओ तथा विक्रेताओं को बाजार में प्रचलित कीमतों का पूरा ज्ञान होता है तथा समरूप वस्तुएं होने के कारण विक्रेता मन चाही कीमते नहीं वसूल सकते | इसलिए पूर्ण प्रतियोगिता में फर्मे कीमत स्वीकारक होती है न की कीमत निर्धारक |
एकाधिकार - एकाधिकार बाजार का वह स्वरूप है जिसमे किसी वस्तु का केवल एक ही विक्रेता होता है तथा उस वस्तु का कोई निकटतम स्थानापन्न नहीं होता है | जैसे - भारतीय रेलवे पर भारत सरकार का एकाधिकार है |
एकाधिकार की विशेषताएँ -
(i) एक विक्रेता और क्रेताओ को अधिक संख्या
(ii) नई फर्मो के प्रवेश पर प्रतिबंध
(iii) निकटम स्थानापन्न का अभाव
(iv) कीमत पर पूर्ण नियंत्रण
(v) कीमत विभेद
एक एकाधिकारी फर्म कीमत निर्धारक होता है -
(i) एक विक्रेता तथा क्रेताओं की अधिक संख्या - एकाधिकारी बाजार में वस्तु का केवल एक ही विक्रेता होता है | अतः बाजार में किसी भी तरह की प्रतियोगिता नहीं होती |
(ii) निकटतम स्थानापन्न का अभाव - एकाधिकारी वस्तु का कोई निकटतम स्थानापन्न नहीं होता | इसलिए ऐसा कोई डर नहीं होता कि क्रेता, किसी भी सीमा तक, एक वस्तु की खरीद से दूसरी वस्तु की ओर सरकेंगे |
(iii) नई फर्मो के प्रवेश पर प्रतिबंध - नई फर्मो के प्रवेश पर क़ानूनी, तकनीकि अथवा प्राकृतिक प्रबन्ध होते है | इसलिए एकाधिकारी द्वारा निर्धारित कीमत का कोई मुकाबला नहीं होता है |
एकाधिकारी प्रतियोगिता - एकाधिकारी प्रतियोगिता बाजार का वह स्वरूप है जिसमे किसी वस्तु के अनेक विक्रेता होते है लेकिन उनके द्वारा बेचीं जाने वाली वस्तुएं एक दुसरे से भिन्न होती है | अतः वस्तु विभेद पाया जाता है | जैसे - फर्में टूथपेस्ट कोलगेट, पेप्सोडेंट, पतंजलि आदि के नाम से बेचती है |
एकाधिकारी प्रतियोगिता की विशेषताएँ -
(i) क्रेता तथा विक्रेताओ की अधिक संख्या
(ii) वस्तु विभेद
(iii) बिक्री लागते
(iv) नीचे की ओर ढलान वाला माँग वक्र
(v) गैर- कीमत प्रतियोगिता
(vi) स्वतंत्र प्रवेश ना छोड़ना
(vii) पूर्ण गतिशीलता का अभाव
(viii) पूर्ण ज्ञान का अभाव
अल्पाधिकार - अल्पाधिकार बाजार का वह स्वरूप है जिसमे बड़ी फर्मो की छोटी संख्या और बड़ी संख्या में क्रेता होते है | एक फर्म की कीमत तथा उत्पादन संबधी निर्णय, बाजार में विरोधी फर्मो की कीमत तथा उत्पादन संबंधी निर्णयों पर काफी प्रभाव डालता है | इसलिए प्रतियोगी फर्मो के बीच अंतनिर्भरता की उच्च मात्रा पाई जाती है |
अल्पाधिकार की विशेषताये -
(i) बड़ी फर्मो की छोटी संख्या
(ii) अंतनिर्भरता की ऊंची मात्रा
(iii) फार्म के माँग वक्र के निर्धारण में कठिनाई
(iv) व्यापार- गुटों का निर्माण
(v) प्रवेश की बाधाएँ
(vi) गैर- कीमत प्रतियोगिता
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1. अर्थशास्त्र की केन्द्रीय समस्याएँ
2. उपभोक्ता संतुलन
3. माँग का सिद्धांत
4. माँग की लोच
5. उत्पादन फलन
6. पूर्ति का सिद्धांत
7. बाजार के स्वरुप
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