Chapter 9. औद्योगिक क्रांति History class 11 exercise topic 4
Chapter 9. औद्योगिक क्रांति History class 11 exercise topic 4 ncert book solution in hindi-medium
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औद्योगिक क्रांति के परिणाम
औद्योगिक क्रांति : ब्रिटेन में, 1780 के दशक और 1850 के दशक के बीच उद्योग और अर्थ व्यवस्था का जो रूपांतरण हुआ उसे प्रथम औद्योगिक क्रांति के नाम से जाना जाता है |
औद्योगिक क्रांति के सकारात्मक परिणाम :
(i) नई मशीनों और तकनीकों का विकास हुआ |
(ii) हस्तशिल्प और हथकरघा उद्योगों की तुलना में भारी पैमाने पर माल के उत्पादन को संभव बनाया |
(iii) भाप इंजन के अविष्कार से ब्रिटेन के उद्योग में एक नयी क्रांति आ गयी और जहाजों और रेलगाड़ियों द्वारा परिवहन की गति अधिक तेज हो गई |
(iv) औद्योगीकरण की वजह से लोग समृद्ध होने लगे और उनके जीवनशैली में काफी परिवर्तन आया |
औद्योगिक क्रांति शब्द का प्रयोग :
औद्योगिक क्रांति शब्द का प्रयोग यूरोपीय विद्वानों जैसे फ्रांस में जर्जिस मिशले (Georges Michelet) और जर्मनी में फ्राइड्रिक एंजेल्स(Friedrich Engels) द्वारा किया गया | अंग्रेजी में इस शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम दार्शनिक एवं अर्थशास्त्री ऑरनॉल्ड टॉयनबी (Arnold Toynbee,1852-83) उन परिवर्तनों का वर्णन करने के लिए किया गया जो ब्रिटेन के विकास में 1760 और 1820 के बीच हुए थे |
- सबसे पहला औद्योगिक क्रांति ब्रिटेन में हुआ |
कृषि क्रांति : अठारहवी शताब्दी में इंग्लैंड एक बड़े आर्थिक परिवर्तन के दौर से गुजर रहा था, जिसे बाद में कृषि-क्रांति कहा गया |
कृषि-क्रांति के प्रमुख कारण :
(i) ब्रिटेन में आये औद्योगिक क्रांति के कारण नए कल पुर्जो का बाढ़ सी आ गई जिसका फायदा कृषि क्षेत्र को भी मिला |
(ii) लोगों के नए विकल्प मिले और वस्तुओं के बिक्री के लिए बाजार का विस्तार हुआ |
(iii) बड़े जमींदारों ने अपनी ही सम्पतियों के आस-पास छोटे-छोटे खेत खरीद लिए और गाँव के सार्वजानिक जमीनों को घेर लिया |
(iv) भू-सम्पदाएँ बढ़ने से खाध्य उत्पादन में भारी वृद्धि हुई |
18 वीं शताब्दी में लंदन वित्त और व्यापार का केंद्र बना :
अठारहवीं शताब्दी से, यूरोप के बहुत-से शहर क्षेत्रफल और आबादी दोनों ही दृष्टियों से बढ़ने लगे थे। जिसमें लंदन सबसे बड़ा शहर था और i बड़े-बड़े शहर इसके आस-पास ही थे | लंदन यूरोप में ही नहीं अपितु सम्पूर्ण विश्व में भी एक महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त कर लिया था | अठारहवीं शताब्दी तक आते-आते भूमंडलीय व्यापार का केंद्र, इटली तथा फ़्रांस के भूमध्यसागरीय पत्तनों (बंदरगाह) से हटकर, हॉलैंड और ब्रिटेन के अटलांटिक पत्तनों पर आ गया था। इसके बाद तो लंदन ने अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के लिए ऋण प्राप्ति के प्रधान स्रोत के रुप में ऐम्सटर्डम का स्थान ले लिया। साथ ही, लंदन, इंग्लैंड, अफ्रीका और वेस्टइंडीज के बीच स्थापित त्रिकोणीय व्यापार का केंद्र भी बन गया। अमरीका और एशिया में व्यापार करने वाली कंपनियों के कार्यालय भी लंदन में थे।
ब्रिटेन के तीन हिस्से और उसकी विशेषताएँ :
इंग्लैंड, वेल्स और स्कॉटलैंड ये ब्रिटेन के तीन हिस्से थे जिस पर एक ही राजतन्त्र अर्थात सम्राट का शासन था |
विशेषताएँ :
(i) सम्पूर्ण राज्य में एक ही कानून व्यवस्था थी |
(ii) एक ही सिक्का अर्थात मुद्रा प्रणाली थी |
(iii) इन तीनों राज्यों के लिए एक बाजार व्यवस्था थी जिससे व्यापार करने वालों को एक राज्य से दुसरे राज्य में व्यापार करने पर अलग से कर नहीं चुकाना पड़ता था |
पिटवा लोहे का विकास : द्वितीय डर्बी (1711-68) ने ढलवा लोहे से पिटवा लोहे का विकास किया जो कम भंगुर था | हेनरी कोर्ट (1750-1823) ने आलोडन भटठी और बेलन मिल का अविष्कार किया | बेलन मिल एक संयंत्र है जिनसे पिघले लोहे में से अशुद्धि को दूर किया जा सकता था |
औद्योगिक क्रांति (औद्योगीकरण) का बुरे प्रभाव :
(i) औद्योगिक क्रांति के प्रभाव बच्चों व महिलाओं पर अधिकतर नकारात्मक रहे |
(ii) शैशव अवस्था में बच्चों की मौत,गरीब मजदुर खासकर बच्चों की दुर्दशा, पर्यावरण का क्षय और हैजा तथा तपेदिक की बीमारियाँ औद्योगीकरण की देन थी |
(iii) घिनौनी एवं गन्दी बस्तियों में रहना, कम मजदूरी में अधिक घंटे काम करना |
(iv) परिवारों में विखराव हुआ तथा रोजगार के तलाश में गांवों से शहरों में लोगों का पलायन हुआ जिससे शहरों का रूप विकृत हो गया |
(v) ब्रिटेनवासियों को पुराने मौसम में बदलाव के साथ-साथ बहुत से पर्यावरणीय संकटों का सामना करना पड़ा |
बच्चों और महिलाओ के दशा सुधारने के लिए ब्रिटेन में कानून :
बच्चों और महिलाओं की दशा सुधारने के लिए ब्रिटेन में कई कानून बनाये गए जो निम्नलिखित थे |
(i) 1833, 1842 खान और कोयला खान अधिनयम बनाया गया जिसके तहत 10 वर्ष के कम आयु बच्चों और स्त्रियों से खानों में काम लेने पर प्रतिबन्ध था |
(ii) 1847 का अधिनियम जिसे फील्डर्स फैक्ट्री अधिनियम कहा जाता है | इसके तहत 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों व स्त्रियों से 10 घंटे से अधिक काम लेने पर पाबन्दी थी |
औद्योगिक क्रांति के फलस्वरूप समाज में दो वर्गों का उदय :
(i) मालिक
(ii) मजदुर वर्ग
अविष्कारों का दौर
धमनभट्टी का अविष्कार : प्रथम अब्राहम डर्बी (1677-1717) द्वारा किया गया |
धमनभट्टी के अविष्कार के लाभ :
(i) इसमें सर्वप्रथम 'कोक' का इस्तेमाल किया गया | कोक में उच्च ताप उत्पन्न करने की शक्ति थी | और यह पत्थर कोयले से गंधक तथा अपद्रव्य निकलकर तैयार किया जाता था |
(ii) भट्ठियों को काठकोयले पर निर्भर नहीं रहना पड़ा |
(iii) इससे निकला हुआ लोहा से पहले की अपेक्षा अधिक बढ़िया और लंबी ढलाई की जा सकती थी |
पिटवा लोहे का विकास : द्वितीय डर्बी (1711-68) से ढलवा लोहे से पिटवां लोहे का विकास किया,
जो कम भंगुर था |
आलोडन भट्टी : हेनरी कोर्ट (1740-1823) ने आलोडन भट्टी और बेलन मिल का अविष्कार किया, जिसमें परिशोधित लोहे से छड़ें तैयार करने के लिए भाप की शक्ति का इस्तेमाल किया जाता था |
इस अविष्कार से लोहे के अनेकानेक उत्पाद बनाना संभव हो गया |
जॉन विल्किंसन द्वारा बनाये गए लोहे का औजार : जॉन विल्किंसन ने सर्वप्रथम
(i) लोहे की कुर्सियां, (ii) आसव (iii) शराब की भट्ठियों के लिए टंकियाँ (iv) लोहे की सभी आकारों के लिए नालियाँ (पाइप) बनाई |
ब्रिटेन में जहाज-निर्माण और नौपरिवहन का व्यापार बढ़ने का कारण :
(i) लोहा उद्योग कुछ क्षेत्रों में कोयला खनन तथा लोहा प्रगलन की मिली-जुली इकाइयों के रूप में केन्द्रित हो गया था |
(ii) एक ही पट्टियों में उत्तम कोटि का कोकिंग कोयला और उच्च-स्तर का लौह खनिज साथ-साथ पाया जाता था | ये द्रोणी-क्षेत्र पत्तनों के पास ही थे |
(iii) वहाँ ऐसे पाँच तटीय कोयला-क्षेत्र थे जो अपने उत्पादों को लगभग सीधे ही जहाजों में लदवा सकते थे।
ब्रिटेन में लौह उद्योग के फलने-फूलने का कारण :
(i) ब्रिटेन के लौह उद्योग ने 1800 से 1830 के दौरान अपने उत्पादन को चौगुना बढ़ा लिया और
उसका उत्पादन पूरे यूरोप में सबसे सस्ता था।
(ii) 1820 में, एक टन ढलवाँ लोहा बनाने के लिए 8 टन कोयले की जरूरत होती थी, किन्तु 1850 तक आते-आते यह मात्रा घट गई और केवल 2 टन कोयले से ही एक टन ढलवाँ लोहा बनाया जाने लगा।
(iii) 1848 तक यह स्थिति आई कि ब्रिटेन द्वारा पिघलाए जाने वाले लोहे की मात्रा बाकी सारी दुनिया द्वारा कुल मिलाकर पिघलाए जाने वाले लोहे से अधिक थी।
स्पिनिंग जेनी : यह एक कताई मशीन है जिसे जेम्स हरग्रिव्ज़ ने 1765 में बनाई | यह एक ऐसी मशीन थी जिसपर एक अकेला व्यक्ति एक साथ कई धागे कात सकता था | जिसके कारण बुनकरों को उनकी आवश्यकता से अधिक तेजी से धागे मिलने लगा |
म्यूल : यह एक ऐसी मशीन का उपनाम था जो 1779 में सैम्युअल क्रोम्पटन द्वारा बनाई गई थी | इससे काता हुआ धागा बहुत मजबूत और बढ़िया हुआ करता था |
कपास उद्योग की दो प्रमुख विशेषताएँ :
(i) कच्चे माल के रूप में आवश्यक कपास सम्पूर्ण रूप से आयात करना पड़ता था |
(ii) यह उद्योग प्रमुख रूप से कारखानों में काम करने वाली स्त्रियों तथा बच्चों पर बहुत ज्यादा निर्भर था |
भाप शक्ति की विशेषताएँ :
(i) भाप की शक्ति उच्च तापमानों पर दबाव पैदा करती जिससे अनेक प्रकार की मशीनें चलाई जा सकती थीं।
(ii) भाप की शक्ति ऊर्जा का अकेला ऐसा स्रोत था जो मशीनरी बनाने के लिए भी भरोसेमंद और कम खर्चीला था।
भाप की शक्ति का इस्तेमाल : भाप की शक्ति का इस्तेमाल सर्वप्रथम खनन उद्योग में किया गया |
थॉमस सेवरी के भाप इंजन की कमियाँ : ये इंजन छिछली गहराइयों में धीरे-धीरे काम करते थे, और अधिक दबाव हो जाने पर उनका वाष्पित्र (बॉयलर) फट जाता था।
थॉमस न्यूकोमेंन के भाप इंजन की कमियाँ : इसमें सबसे बड़ी कमी यह थी कि संघनन बेलन (कंडेंसिंग सिलिंडर) लगातार ठंडा होते रहने से इसकी ऊर्जा खत्म होती रहती थी जेम्स वाट के भाप इंजन की विशेषताएँ :
(i) यह केवल एक साधारण पम्प की बजाय एक प्राइम मूवर (चालक) के रूप में काम करता था |
(ii) इससे कारखानों में शक्तिचालित मशीनों को उर्जा मिलने लगी |
(iii) यह अन्य इंजनों के मुकाबले अधिक शक्तिशाली था, जिससे इसका अधिक इस्तेमाल होने लगा |
topic 3
औद्योगीकरण का शहरों पर प्रभाव : औद्योगीकरण से धन में कई गुना वृद्धि हुई, इसके साथ ही माल, आय, सेवाओं, ज्ञान और उत्पादक कुशलता के रूप में अचानक वृद्धि हुई | लेकिन मनुष्यों को दुसरे रूपों में भारी खामियाजा भी उठाना पड़ा | शहरों पर इसके निम्न प्रभाव हुए |
(i) लोगों को अपना घर छोड़कर बाहर रहना पड़ा, इससे शहर विकृत होने लगे और शहरों की आबादी अचानक बढ़ने लगी |
(ii) शहरों में आबादी के हिसाब से सुविधाओं में वृद्धि नहीं हुई | पेयजल की समस्या और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ा |
(iii) बाहर से आकर बसे लोगों को नगरों में कारखानों के आसपास भीड़-भाड़ वाली गन्दी बस्तियों में रहना पड़ा |
(iv) शहरों का आकार बढ़ गया जिससे शहरों के आसपास उपनगर बनाने पड़े |
topic 4
1. मानव- 56 लाख वर्ष पहले पृथ्वी पर प्रादुर्भाव हुआ।
2. जीवाश्म- पुराने पौध्, जानवर, मानव के उन अवशेषों या छापों के लिए प्रयुक्त किया जाता
ह ै जो पत्थर के रूप मे बदलकर किसी चट्टान मे समा जाते हैं।
3. प्रजाति- जीवों का एक ऐसा समूह होता है जिसके नर-मादा मिलकर बच्चे पैदा कर
सकते हैं और उनके बच्च भी आगे प्रजनन करने मे समर्थ होते हैं।
4. ऑन दि ओरिजिन ऑपफ स्पीशीज- चार्ल्स ड्रार्विन द्वारा लिखित पुस्तक।
5. प्राइमेट- स्तनपायी प्राणियो के एक अध्कि बड़ समूह का उपसमूह ह।ै इसमे ं वानर, लंगूर और
मानव शामिल हैं।
6. आस्ट्रेलोपिथिकस- यह शब्द लैटिन भाषा के शब्द आस्ट्रल अर्थात् ‘दक्षिणी’ और यूनानी भाषा
के शब्द पिथिकस अर्थात् वानर से मिलकर बना है।
7. ‘जीनस’- इसके लिए हिन्दी मे ‘वश्ं’ शब्द का प्रयोग किया जाता ह।
8. होमिनॉइड- यह बन्दरों से कई तरह से भिन्न होते हैं, इनका शरीर बन्दरों से बड़ा होता है और
इनकी पूछँ नहीं होती।
9. होमा-े यह लैटिन भाषा का शब्द ह ै जिसका अर्थ ह आदमी, इसमे स्त्राी-पुरुष दोनो
शामिल हैं।
10. अपमार्जन- इसका अर्थ है त्यागी हुई वस्तुओं की सपफाई करना।
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History Chapter List
Chapter 1. समय की शुरुआत से
Chapter 2. लेखन कला और शहरी जीवन
Chapter 3. तीन महाद्वीपों में फैला साम्राज्य
Chapter 4. इस्लाम का उदय और विस्तार लगभग 570-1200 ई
Chapter 5. यावावर साम्राज्य
Chapter 6. तीन वर्ग
Chapter 7. बदलती हुई सांस्कृतिक परम्पराएँ
Chapter 8. संस्कृतियों का टकराव
Chapter 9. औद्योगिक क्रांति
Chapter 10. मूल निवासियों का विस्थापन
Chapter 11. आधुनिकरण के रास्ते
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