Chapter 4. इस्लाम का उदय और विस्तार लगभग 570-1200 ई History class 11 exercise अतिरिक्त प्रश्नोत्तर
Chapter 4. इस्लाम का उदय और विस्तार लगभग 570-1200 ई History class 11 exercise अतिरिक्त प्रश्नोत्तर ncert book solution in hindi-medium
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अध्याय-समीक्षा
अध्याय समीक्षा
- मुस्लिम समाजों की जड़ें एक अधिक एकीकृत अतीत में समाहित हैं, जिसका प्रारंभ लगभग 1400 वर्ष पहले अरब प्रायद्वीप में हुआ था।
- अरबी कबीले वंशों से बने हुए होते थे अथवा बड़े परिवारों के समूह होते थे। ग़रै -रिश्तेदार वंशों का, गढ़े हुए वंशक्रम के आधार पर इस आशा के साथ आपस में विलय होता था कि नया कबीला शक्तिशाली होगा। ग़रै -अरब व्यक्ति (मवाली) कबीलों के प्रमुखों के संरक्षण से सदस्य बन जाते
थे। लेकिन इस्लाम में धर्मांतरण के बाद भी मवालियों के साथ अरब मुसलमानों द्वारा समानता का
व्यवहार नहीं किया जाता था और उन्हें अलग मस्जिदों में इबादत करनी पड़ती थी। - सन् 612-632 में पैगम्बर मुहम्मद ने एक ईश्वर, अल्लाह की पूजा करने का और आस्तिकों
(उम्मा) के एक ही समाज की सदस्यता का प्रचार किया। यह इस्लाम का मूल था। - पैगम्बर मुहम्मद सौदागर थे और भाषा तथा संस्कृति की दृष्टि से अरबी थे।
- छठी शताब्दी की अरब संस्कृति अधिकांश अरब प्रायद्वीप और दक्षिणी सीरिया और मेसोपोटामिया के क्षेत्रों तक सीमित थी।
- इस्लामी क्षेत्रों के सन 600 से 1200 तक के इतिहास के बारे में हमें जानकारी इतिवृतों अथवा तवारीख, अर्ध-ऐतिहासिक कृतियों पर आधारित है, जैसे जीवन-चरित (सिरा) पैगम्बर के कथनों और कृत्यों के अभिलेख (हदीथ) और कुरान के बारे में टीकाएँ (तफसीर) इनका निर्माण प्रत्यक्षदर्शी वृतांतों (अख़बार) आदि से किया गया है |
- काबा को एक ऐसी पवित्र जगह (हरम) माना जाता था, जहाँ हिंसा थी और सभी दर्शनार्थियों को सुरक्षा प्रदान की जाती थी। तीर्थ-यात्रा और व्यापार ने खानाबदोश और बसे हुए कबीलों को एक दूसरे के साथ बातचीत करने और अपने विश्वासों और रीति-रिवाजों को आपस में बाँटने का मौका दिया।
- पैगम्बर मुहम्मद का अपना कबीला, व़ कुरैश, मक्का में रहता था आरै उसका वहाँ के मुख्य धर्म स्थल पर नियंत्रण था। इस स्थल का ढाँचा घनाकार था और उसे ‘काबा’ कहा जाता था, जिसमें बुत रखे हुए थे।
- सन् 612 के आस-पास पैगम्बर मुहम्मद ने अपने आपको खुदा का संदेशवाहक (रसूल) घोषित
किया, जिन्हें यह प्रचार करने का आदेश दिया गया था कि केवल अल्लाह की ही इबादत यानी
आराधना की जानी चाहिए। - पैगम्बर मुहम्मद के संदेश ने मक्का के उन लोगों को विशेष रूप से प्रभावित किया, जो अपने आपको व्यापार और धर्म के लाभों से वंचित महसूस करते थे और एक नयी सामुदायिक पहचान की बाट देखते थे। जो इस धर्म-सिद्धांत को स्वीकार कर लेते थे, उन्हें मुसलमान (मुस्लिम) कहा जाता था, उन्हें कयामत के दिन मुक्ति और धरती पर रहते हुए समाज के संसाधनों में हिस्सा देने का आश्वासन दिया जाता था।
- मुसलमानों को शीघ्र ही मक्का के समृद्ध लोगों के भारी विरोध् का सामना करना पड़ा, जिन्हें देवी-देवताओं का ठुकराया जाना बुरा लगा था और जिन्होंने नए धर्म को मक्का की प्रतिष्ठा और समृद्धि के लिए खतरा समझा था।
- सन् 622 में, पैगम्बर मुहम्मद को अपने अनुयायियों के साथ मदीना कुचकर जाने के लिए मजबूर होना पड़ा। पैगम्बर मुहम्मद की इस यात्रा (हिजरा) से इस्लाम के इतिहास में एक नया मोड़ आया। जिस वर्ष उनका आगमन मदीना में हुआ उस वर्ष से मुस्लिम कैलेण्डर यानी हिजरी सन् की शुरुआत हुई।
- किसी धर्म का जीवित रहना उस पर विश्वास करने वाले लोगों के जिन्दा रहने पर निर्भर करता है। इन लोगों के समुदाय को आंतरिक रूप से मज़बूत बनाना और उन्हें बाहरी खतरों से
बचाना जरूरी होता है।
अभ्यास NCERT
अभ्यास
संक्षेप में उत्तर दीजिए
Q1. सातवीं शताब्दी के आरंभिक दशकों में बेदुइओं के जीवन की क्या विशेषताएँ थीं?
उत्तर:
(i) अनेक अरब कबीले बेदूइन या बद्दू या खानाबदोश होते थे।
(ii) ये अपने खाद्य (खजूर) और अपने ऊँटों के लिए चारे की तलाश में रेगिस्तान के सूखे क्षेत्रों से हरे-भरे क्षेत्रों (नखलिस्तान) की ओर जाते रहते थे।
(iii) इनमें से कुछ नगरों में बस गए और व्यापार करने लगे।
(iv) खलीफा के सैनिकों में ज्यादा बदू ही थे। ये रेगिस्तान के किनारे बसे शिविर शहरों; जैसे कुफा तथा बसरा में रहते थे।
Q2. ‘अब्बासी क्रांति’ से आपका क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
उमय्यदों के विरुद्ध ‘दावा’ नामक एक सुसंगठित आंदोलन हुआ, फलस्वरूप उनका पतन हो गया। सन् 1750 में उनके स्थान पर मक्काई मूल के अन्य परिवार (अब्बासिदों) को स्थापित कर दिया गया। वास्तव में अब्बासिदों ने उमय्यद शासन की जमकर आलोचना की और पैगम्बर द्वारा स्थापित मूल इस्लाम को पुनः बहाल कराने का वादा किया। वे उसमें सफल भी रहे। इसे ही अब्बासी । क्रान्तिं की संज्ञा दी गई है। इस क्रान्ति से राजवंश में परिवर्तन के साथ राजनीतिक संरचना में बहुत परिवर्तन हुआ।
Q3. अरबों, ईरानियों व तुर्कों द्वारा स्थापित राज्यों की बहुसंस्कृतियों के उदाहरण दीजिए?
उत्तर:
अरबों, ईरानियों और तुर्को द्वारा स्थापित राज्य जातीय पक्षपातरहित थे। ये राज्य किसी एकल राजनीतिक व्यवस्था या किसी संस्कृति की एकल भाषा (अरबी) के बजाय सामान्य अर्थव्यवस्था व संस्कृति के कारण सम्बद्ध रहे। मध्यवर्ती इस्लामी देशों में व्यापारी, विद्वान् तथा कलाकार स्वतन्त्र रूप से आते जाते थे। इस प्रकार विचारों तथा तौर-तरीकों का प्रसार हुआ।
Q4. यूरोप व एशिया पर धर्मयुद्धों का क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
(i) मुस्लिम राज्यों ने अपने ईसाई प्रजाननों के प्रति कठोर रवैया अपनाया। विशेष रूप से यह स्थिति युद्धों में देखी गई।
(ii) मुस्लिम सत्ता की बहाली के पश्चात् भी पूर्व तथा पश्चिम के मध्य इटली के व्यापारिक समुदायों का अपेक्षाकृत अधिक प्रभाव था।
संक्षेप में निबंध लिखिए
Q5. रोमन साम्राज्य के वास्तुकलात्मक रूपों से इस्लामी वास्तुकलात्मक रूप कैसे भिन्न थे?
उत्तर: रोमन साम्राज्य के महामंदिरों के अनुरूप ही इस्लामी दुनिया में भी धार्मिक इमारतें इस्लामी दुनिया की सबसे बड़ी बहारी प्रतीक थीं। स्पेन से मध्य एशिया तक फैली हुई मस्जिदें, इबादतगाह और मकबरों का मूल्लू डिजाइन समान था। मेहराबें, गुम्बद, मीनार और खुले सहन आदि इमारतें मुसलमानों की आध्यात्मिकता और व्यावहारिक आवश्यकताओं को अभिव्यक्त करती हैं। इस्लाम की प्रथम सदी में, मस्जिद ने एक विशिष्ट वास्तुशिल्पीय रूप (खम्भों के सहारे वाली छत) प्राप्त कर लिया था जो प्रादेशिक विभिन्नताओं से परे था। मस्जिद में एक खुला प्रांगण या सहन होता जहाँ एक फव्वारा या जलाशय बनाया जाता था। यह प्रांगण एक बड़े कमरे की ओर खुलता, जिसमें नमाज पढ़ने वाले लोगों की लम्बी पंक्तियों और नमाज का नेतृत्व करने वाले इमाम के लिए काफी स्थान होता उमय्यदों ने नखलिस्तानों में ‘मरुस्थली महल’ कल्पना कीजिए कि इस पेड़ पर खलीफा विराजमान है। दिए गए चित्र में शान्ति व युद्ध का चित्रण किया गया है। बनाए। उदाहरण के लिए-फिलिस्तीन ने खिरबत-अल-मफजर और जोर्डन में कैसर अमरा जो विलासपूर्ण निवास स्थानों, शिकार और मनोरंजन के लिए विश्रामस्थलों के रूप में प्रयोग किए गए थे। महल रोमन और सासायनियन वास्तुशिल्प के तरीके से बनाए। गए थे। उन्हें चित्रों, प्रतिमाओं और पच्चीकारी से सजाया जाता था। रोम की वास्तुकला अत्यधिक दक्षपूर्ण थी। उनके द्वारा सर्वप्रथम कंकरीट का प्रयोग प्रारम्भ किया गया था। वे पत्थरों व ईंटों को मजबूती से जोड़ सकते थे। रोम के वास्तुकारों ने दो वास्तुशिल्पीय सुधार किए– (i) डाट, (ii) गुम्बद। रोम में इमारतें दो या तीन मंजिलों वाली होती थीं। इनमें डालें (Arches) ठीक एक के ऊपर । मेसोपोटामिया की का प्रयोग कोलोजियम बनाने में किया था। वास्तुकला की परम्पराओं से प्रेरित यह कई शताब्दियों तक दुनिया की सबसे बड़ी मस्जिद थी। डाटों का प्रयोग नहर बनाने के लिए भी किया जाता था। रोम के प्रसिद्ध मंदिर पैन्थियन में । औंधे कटोरे की तरह गुम्बद छत थी। यहाँ रोम वास्तुकला के कुछ उदाहरण प्रस्तुत हैं |
Q6. रास्ते पर पड़ने वाले नगरों का उल्लेख करते हुए समरकंद से दमिश्क तक की यात्रा का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
समरकन्द से दमस्कस के मार्ग पर मर्व खुरसाम, निशापुर दायलाम, इसफाइन, समारा, बगदाद, कुफा, कुसायुर, अमरा, जेरूसलम आदि शहर स्थित हैं। व्यापारी या यात्री दो रास्तों लाल सागर और फारस की खाड़ी से होकर जाते थे। लम्बी दूरी के व्यापार के लिए उपयुक्त और उच्च मूल्य वाली वस्तुओं; यथा-मसालों, कपड़ों, चीनी मिट्टी की वस्तुओं और बारूद को भारत और चीन से लाल सागर के अदन और ऐधाव तक और फारस की खाड़ी के पत्तन सिराफ और बसरा तक जहाज पर लाया जाता था। वहाँ से माल को जमीन पर ऊँटों के काफिलों द्वारा बगदाद, दमिश्क और समरकन्द तक भेजा जाता था।
अतिरिक्त प्रश्नोत्तर
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History Chapter List
Chapter 1. समय की शुरुआत से
Chapter 2. लेखन कला और शहरी जीवन
Chapter 3. तीन महाद्वीपों में फैला साम्राज्य
Chapter 4. इस्लाम का उदय और विस्तार लगभग 570-1200 ई
Chapter 5. यावावर साम्राज्य
Chapter 6. तीन वर्ग
Chapter 7. बदलती हुई सांस्कृतिक परम्पराएँ
Chapter 8. संस्कृतियों का टकराव
Chapter 9. औद्योगिक क्रांति
Chapter 10. मूल निवासियों का विस्थापन
Chapter 11. आधुनिकरण के रास्ते
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