2. संसाधन के रूप में लोग Economics class 9 exercise महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
2. संसाधन के रूप में लोग Economics class 9 exercise महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर ncert book solution in hindi-medium
NCERT Books Subjects for class 9th Hindi Medium
मुख्य बिंदु
पाठ- 2
मुख्य बिन्दुएँ :
- ‘संसाधन वेफ रूप में लोग’ अध्याय जनसंख्या की, अर्थव्यवस्था पर दायित्व से अधिक परिसंपत्ति के रूप में, व्याख्या करने का प्रयास है।
- बेरोजगारी-बेरोजगारी उस समय विद्यमान कही जाती है जब प्रचलित मजदुर कि दर पर काम करने के इच्छुक लोग रोजगार नही पा सकते |
- आर्थिक-धन या आय कमाने के उद्देश्य से की गई क्रियाएँ आर्थिक क्रियाएं कहलाती हैं |
- गैर-आर्थिक क्रियाएं- अन्य उदेश्यों जैसे प्यार, सहानुभूति, कर्तव्य, देशप्रमे के लिय कि जाने वाली क्रियाएँ गैर-आर्थिक क्रियाएँ कहलाती है |
- संसाधन के रूप में लोग - संसाधन के रूप में लोग से अभिप्राय देश के कार्यशील लोग है जिनमे निपुणत तथा योग्यता है | संसाधन के रूप में लोग सकल राष्ट्रीय उत्पाद में योगदान देते है | संसाधन के रूप में लोग एक बड़ी जनसंख्या का सकरात्मक पक्ष है जिसका प्राय: अवहेलना की जाती है |
- सकल राष्ट्रीय उत्पाद (Gross National Products): देश के नागरिकों द्वारा प्रदान किए जाने वाले श्रम और संपत्ति द्वारा एक वर्ष में उत्पादित सभी वस्तुओं और सेवाओं का बाजार मूल्य है।
- भोजन, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं तक जनसंख्या की पहुँच की समस्याओं पर विचार करते समय। जब इस विद्यमान मानव संसाधन को और अधिक शिक्षा तथा स्वास्थ्य द्वारा और विकसित किया जाता है, तब हम इसे मानव पूँजी निर्माण कहते हैं, जो भौतिक पूँजी निर्माण की ही भाँति देश की उत्पादक शक्ति में वृद्धि करता है।
- मानव पूँजी में निवेश शिक्षा, प्रशिक्षण और स्वास्थ्य सेवा के द्वारा की जाती है |
- मानव पूँजी को अधिक शिक्षित या बेहतर प्रशिक्षित लोगों की उच्च उत्पादकता के कारण होने वाली अधिक आय और साथ ही अधिक स्वस्थ लोगों की उच्च उत्पादकता के रूप में इसे प्रत्यक्षतः देखा जा सकता है।
- मानव पूँजी एक तरह से अन्य संसाधनां जैसे, भूमि और भौतिक पूँजी से श्रेष्ठ है, क्योंकि मानव संसाधन भूमि और पूँजी का उपयोग कर सकता है। भूमि और पूँजी अपने आप उपयोगी नहीं हो सकते।
- व्यक्ति जैसे शेयरों तथा बांडों में भविष्य में उच्च प्रतिफल की आशा से निवेश करता है। ठीक उसी तरह मानव संसाधन में निवेश जैसे शिक्षा और चिकित्सा सेवा के द्वारा निवेश से भविष्य में उच्च प्रतिफल प्राप्त हो सकते हैं। लोगों में यह निवेश भूमि और पूँजी में निवेश की ही तरह है।
- जापान जैसे देश के पास कोई प्राकृतिक संसाधन नहीं था परन्तु वह अपने देश में मानव संसाधन पर निवेश किया है | जापान ने शिक्षा और स्वास्थ्य पर भरपूर निवेश किया है जिससे उसके लोगों में कुशलता के साथ-साथ प्रौद्योगिकी का विकास हुआ है |
- ऐतिहासिक और सांस्कृतिक कारणों से परिवार में महिलाओं और पुरुषों के बीच श्रम का विभाजन होता है। आमतौर पर महिलाएँ घर के काम-काज देखती हैं और पुरुष खेतों में काम करते हैं।
- श्रम-बाजार में किसी व्यक्ति की आय उनकी शिक्षा और कौशल के आधार पर निर्धारित की जाती है |
- शिक्षा व्यक्ति के उपलब्ध आर्थिक अवसरों के बेहतर उपयोग में सहायता करती है। शिक्षा और कौशल बाजार में किसी व्यक्ति की आय का प्रमुख निर्धारक हैं।
- पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं को कम पारिश्रमिक दिया जाता है।
- श्रम-बाजार के दो क्षेत्रक है - (1) संगठित क्षेत्रक और (2) असंगठित क्षेत्रक
- अधिकतर महिलाएँ असंगठित क्षेत्रक में काम करती है, जहाँ नौकरी की सुरक्षा नहीं होती तथा कानूनी सुरक्षा का अभाव है। अनियमित रोजगार और निम्न आय इस क्षेत्रक की विशेषताएँ हैं। इस क्षेत्रक में प्रसूति अवकाश, शिशु देखभाल और अन्य सामाजिक सुरक्षा तंत्र जैसी सुविधाएँ उपलब्ध नहीं होतीं।
- संगठित क्षेत्रक में शिक्षण और चिकित्सा उन्हें सबसे अधिक आकर्षित करती है।
अभ्यास (NCERT)
संसाधन के रूप में लोग
अभ्यास :
प्रश्न1: 'संसाधन के रूप में लोग' से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर1: संसाधन के रूप मे लोग से अभिप्राय देश के कार्यशील लोग है जिनमे निपुण्ता तथा योग्यता है । संसाधन के रूप मे लोग सकल राष्ट्रीय उत्पाद मे योगदान देते है। संसाधन के रूप मे लोग एक बड़ी जनसंख्या का सकरात्मक पक्ष है जिसका प्रायः अवहेलना की जाती है ।
प्रश्न2: मानव संसाधन भूमि और भौतिक पूँजी जैसे अन्य संसाधनों से कैसे भिन्न है ?
उत्तर2: मानव संसाधन सभी पूंजियों जैसे भूमि और भौतिक पूंजियों की जननी है | मानव पूँजी सबसे अच्छी पूँजी हैॅ क्योंकि यह पूँजी लोगों की भौतिक क्षमता, निपुणता, ज्ञान, आदि जो उसे और अधिक उत्पादन में सहायता करते है, यह पूँजी श्रम, भुमी, भौतिक पूँजी से भी श्रेष्ठ है । इस पूँजी के बिना अन्य पूँजियाँ व्यर्थ है।
प्रश्न3: मानव पूँजी निर्माण में शिक्षा की क्या भूमिका है ?
उत्तर3: मानव पूंजी निर्माण मे शिक्षा का निम्नलिखित भूमिका है :-
प्रश्न4: मानव पूँजी निर्माण में स्वास्थ्य की क्या भूमिका है ?
उत्तर4: मानव पूंजी निर्माण मे स्वास्थ्य का क्या भूमिका निम्नलिखित है ।
प्रश्न5: किसी व्यक्ति के कामयाब जीवन में स्वास्थ्य की क्या भूमिका है ?
उत्तर5: एक स्वस्थ्य शरीर में ही एक स्वस्थ्य मन बसता है | किसी व्यक्ति के कामयाब जीवन में उसके स्वास्थ्य की बहुत बड़ी भूमिका होती है | अस्वस्थ्य व्यक्ति घर, परिवार, समाज और देश के लिए एक प्रकार से बोझ ही होता है | किसी व्यक्ति का स्वास्थ्य उसे अपनी क्षमता को प्राप्त
करने और बीमारियों से लड़ने की ताकत देता है। अस्वस्थ लोग किसी संगठन के लिए बोझ बन जाते हैं। वास्तव में, स्वास्थ्य अपना कल्याण करने का एक अपरिहार्य आधार है। इसलिए जनसंख्या की स्वास्थ्य स्थिति को सुधारना किसी भी देश की प्राथमिकता होती है।
प्रश्न6: प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक क्षेत्रकों में किस तरह की विभिन्न आर्थिक क्रियाएँ संचालित की जाती हैं ?
उत्तर6: प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक क्षेत्रकों को अर्थव्यस्था का क्षेत्रक कहा जाता है | in क्षेत्रकों में निम्न आर्थिक क्रियाएँ संचालित की जाती है |
(i) प्राथमिक क्षेत्रक : प्राथमिक क्षेत्रक प्राथमिक उत्पाद का क्षेत्रक है जैसे- कृषि, खनन आदि |
(ii) द्वितीयक क्षेत्रक: द्वितीय क्षेत्रक विनिर्माण का क्षेत्रक है जिसमें प्राथमिक उत्पादों से दुसरे स्तर के उत्पाद बनायें जाते है | जैसे- लोहा इस्पात उद्योग, ऑटोमोबाइल्स और फ़ूड उत्पाद आदि |
(iii) तृतीय क्षेत्रक : तृतीय क्षेत्रक को सेवा का क्षेत्रक कहा जाता है | जिसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, व्यापार, होटल, संचार, बैंकिंग बीमा और अन्य सेवाएं आदि | यह सबसे बड़ा क्षेत्रक है |
प्रश्न7: आर्थिक और गैर-आर्थिक क्रियाओं में क्या अंतर है ?
उत्तर7: आर्थिक और गैर-आर्थिक क्रियाओं में निम्नलिखित अंतर है :-
प्रश्न8: महिलाएँ क्यों निम्न वेतन वाले कार्यों ने नियोजित होती हैं ?
उतर: अधिकांश महिलाएँ असंगठित क्षेत्र में कार्य करती है | अधिकांश महिलाओं के पास बहुत कम शिक्षा और निम्न कौशल स्तर हैं। पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं को कम पारिश्रमिक दिया जाता है। अधिकतर महिलाएँ वहाँ काम करती हैं, जहाँ नौकरी की सुरक्षा नहीं होती तथा कानूनी
सुरक्षा का अभाव है। कई बार निम्न कौशल स्तर के कारण महिलाएँ कम वेतन पर ही काम करने को राजी हो जाती है | असंगठित क्षेत्र में कार्य करने वाली महिलाओं को प्रसूति अवकाश, शिशु देखभाल और अन्य सामाजिक सुरक्षा तंत्र जैसी सुविधाएँ उपलब्ध नहीं होतीं। शिक्षित नहीं होने के कारण इनका शोषण भी होता है |
प्रश्न9: बेरोजगारी शब्द की आप कैसे व्याख्या करेंगे ?
उत्तर9: बेरोजगारी उस समय विद्यमान कही जाती है जब प्रचलित मजदूरी की दर पर काम करने के इच्छुक लोग रोजगार नही पा सकते ।
प्रश्न10: प्रछन्न और मौसमी बेरोजगारी में क्या अंतर है ?
उत्तर10: प्रच्छन्न बेरोजगारी वह बेरोजगारी है जहाँ उन्हे काम तो मिलता है परन्तु उन्हे प्रच्छन्न रूप से काम पर रखा जाता हैं उनकी आवश्यकता ना के बरागर होती है। ऐसा प्रायः कृषिगत कार्य मे होता है । यदि इस व्यक्ति को हटा दिया जाए तो खेती की उत्पादकता मे कोई कमी नही आती ।
इसके विपरीत मौसमी बेरोजगारी तब होती है जब लोग वर्ष के कुछ महीनो मे रोजगार प्राप्त नही कर पाते । कृषि पर आश्रित लोग प्रायः इस तरह की समस्या से जूझते है । वर्ष मे कुछ वयस्त मौसम होते है जब बुआई कटाई निराई आदि होती है । कुछ विशेष महीनो मे कृषि पर आधारित लोगो को काम नही मिल पाता । अंतः साल के कुछ महीनो मे वे बेकार रहते है । इसे ही मौसमी बेरोजगारी कहते है ।
प्रश्न11: शिक्षित बेरोजगारी भारत के लिए एक विशेष समस्या क्यों हैं ?
उत्तर11: भारत में हर वर्ष 5 लाख युवक रोजगार की तलाश में निकलते है, जबकि भारत में रोजगार के अवसर निम्न है जिससे प्रतिवर्ष लाखों शिक्षित बेरोजगारों की संख्या में निरंतर वृद्धि होती चली जा रही है । अतः शिक्षित बेरोजगारी की संख्या में बेतहासा वृद्धि भारत के लिए एक समस्या है। आजकल पढ़े-लिखे लोगों किसी रोजगार की योग्यता रखते हुए भी बरोजगार घूम रहे है | उन्हें काम की तलाश है परन्तु की योग्यता की तुलना में काम नहीं है |
प्रश्न12: आप के विचार से भारत किस क्षेत्रक में रोजगार के सर्वाधिक अवसर सृजित कर सकता है ?
उत्तर12: सेवा क्षेत्रक में जिसे तृतीय क्षेत्रक के नाम से जाना जाता है |
प्रश्न 13: क्या आप शिक्षा प्रणाली में शिक्षित बेरोजगारों की समस्या दूर करने के लिए कुछ उपाय सुझा सकते हैं ?
उत्तर12: शिक्षा प्रणाली में शिक्षित बेरोजगारों की समस्या को दूर करने के निम्नलिखित उपाय इस प्रकार है-
(i) कौशल विकास पर ज़ोर दिया जाना चाहिए। उत्पादन की तकनीक में परिवर्तन होने से वर्तमान में कुशल श्रमिकों की मांग बढ़ती ही जा रही है।
(ii) तकनीकी शिक्षा प्रदान की जानी चाहिए।
(iii) व्यावसायिक शिक्षा शुरू की जानी चाहिए। शिक्षित बेरोजगारों की समस्या को व्यावसायिक शिक्षा प्रदान करके काम किया जा सकता है।
(iv) उपयुक्त ट्रेनिंग और विकसित कौशल के माध्यम से श्रमिकों की उत्पादन क्षमता को बढ़ाया जा सकता है।
(v) शिक्षित बेरोज़गार श्रमिकों में वृद्धि करते है। अर्थव्यवस्था के विकास के लिए द्वितीयक और तृतीयक क्षेत्रक में तीव्र विकास होना चाहिए। तीव्र गति से बढ़ती अर्थव्यवस्था रोजगार के सुनहरे अवसर प्रदान करती है।
प्रश्न14: क्या आप कुछ ऐसे गांवों की कल्पना कर सकते हैं जहाँ पहले रोजगार का कोई अवसर नहीं था, लेकिन बाद में बहुतायत में हो गया ?
उत्तर14: हां, मेरे सामने ऐसे ही गांव की कल्पना है जिससे रोजगार के अवसर बढ़े हैं। पहाड़ी क्षेत्र में कुछ गांव थे जहां रोजगार के अवसर बहुत कम थे। वहां एक किसान ने अपने बेटे को उधार लेकर पढ़ाया तथा उसे उद्यान विषय में स्नातकोत्तर बनाया। वह लड़का जब गांव वापस लौटा तो उसने अपनी पूरी जमीन में नई तकनीक से सेब का बगीचा विकसित किया है जिससे उसके परिवार की आय बहुत अधिक बढ़ गई। इससे प्रोत्साहित होकर उस क्षेत्र के और गांव वालों ने भी बगीची लगाए तथा फ़सल में काफी वृद्धि हुई जिससे कई लोगों को सेब तोड़ने, उनकी ढुलाई करने, पैकिंग करने के रूप में रोजगार के अवसर प्राप्त हुए।कुछ लोगों ने ऋण लेकर परिवहन के साधन में खरीदे जो शीघ्र ही सेब की ढुलाई करके अच्छा लाभ कमा कर ऋण मुक्त हो गए।
एक परिवार ने गत्ता फैक्ट्री ही शुरू कर दी जिसमें भी कई लोगों को रोजगार प्राप्त हुआ तथा इस गत्ते से बने खाली डिब्बे उसी क्षेत्र में सस्ते दाम में उपलब्ध होने लगे। आज वह पहाड़ी क्षेत्र काफी विकसित है।
प्रश्न15: किस पूँजी को आप सबसे अच्छा मानते हैं - भूमि, श्रम, भौतिक पूँजी और मानव पूँजी? क्यों ?
उत्तर15: मानव पूँजी सबसे अच्छी पूँजी हैॅ क्योंकि यह पूँजी लोगों की भौतिक क्षमता, निपुणता, ज्ञान, आदि जो उसे और अधिक उत्पादन में सहायता करते है, यह पूँजी श्रम, भुमी, भौतिक पूँजी से भी श्रेष्ठ है । इस पूँजी के बिना अन्य पूँजियाँ व्यर्थ है। मानव पूँजी जब चाहे श्रम, भूमि और भौतिक पूंजियाँ अर्जित कर सकता है |
महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
पाठ- 2
प्रश्न: सर्व शिक्षा अभियान क्या है ?
उत्तर: यह एक शिक्षा अभियान है जिसने उद्देश्य है कि 2010 तक 6 से १४ वर्ष आयु वर्ग सभी स्कूली बच्चे को प्राथमिक शिक्षा अवश्य प्रदान कि जाए |
प्रश्न: शिशु मृत्यु दर को कैसे घटाया जा सकता है ?
उत्तर: शिशु मृत्यु दर को घटाया गया है इसका निम्नलिखित कारण है:-
(1) शिशुओं को संक्रमण से रक्षा की गई है |
(2) बच्चे के लिए अच्छे भोजन और पोषण की व्यवस्था की जानी चाहिए |
(3) माताओं को शिशु पालन में प्रशिक्षित करना चाहिए |
प्रश्न: बेरोजगारी से आप क्या समझते है ?
उत्तर: बेरोजगारी उस समय विद्यमान कही जाती है जब प्रचलित मजदुर कि दर पर काम करने के इच्छुक लोग रोजगार नही पा सकते |
प्रश्न: आर्थिक और गैर आर्थिक क्रियाओ में क्या अंतर है ?
उत्तर: धन या आय कमाने के उद्देश्य से की गई क्रियाएँ कहते है | इसके विपरीत अन्य उदेश्यों जैसे प्यार, सहानुभूति, कर्तव्य, देशप्रमे के लिय कि जाने वाली क्रियाएँ गैर आर्थिक क्रियाएँ कहलाती है |
प्रश्न: संसाधन के रूप में लोग से आप क्या समझते है ?
उत्तर: संसाधन के रूप में लोग से अभिप्राय देश के कार्यशील लोग है जिनमे निपुणत तथा योग्यता है | संसाधन के रूप में लोग सकल राष्ट्रीय उत्पाद में योगदान देते है | संसाधन के रूप में लोग एक बड़ी जनसंख्या का सकरात्मक पक्ष है जिसका प्राय: अवहेलना कि जाती है |
प्रश्न: शिक्षित बेरोजगारी भारत के लिए एक विशेष समस्या है कैसे ?
उत्तर: भारत में हर वर्ष 5 लाख युवक रोजगार की तलाश में निकलते है जबकि भारत में रोजगार के अवसर निम्न है जिससे प्रतिवर्ष लाखों शिक्षित बेरोजगार की संख्या में निरंतर वृद्धि होती चली जा रही है | अंत: शिक्षित बेरोजगार कि संख्या में बेतहासा वृद्धि एक समस्या है |
प्रश्न: शिक्षित बेरोजगार भारत के लिए समस्या है कैसे ?
उत्तर: भारत में हर वर्ष 5 लाख युवक रोजगार की तलाश में निकलते है, जबकि भारत में रोजगार के अवसर निम्न है जिससे प्रतिवर्ष लाखों शिक्षित बेरोजगारों कि संख्या में निरंतर वृद्धि होती चली जा रही है | अंत: शिक्षित बेरोजगार कि संख्या में बेतहासा वृद्धि एक समस्या है |
प्रश्न: किस पूँजी को आप सबसे अच्छी मानते है ?- भूमी, श्रम, भौतिक पूँजी और मानव पूँजी ?
उत्तर: मानव पूँजी सबसे अच्छी पूँजी है क्योंकि यह पूँजी लोगों की भौतिक क्षमता, निपुणता, ज्ञान, आदि जो उसे और अधिक उत्पादन में सहायक करते है. यह पूँजी श्रम, भूमी, भौतिक पूँजी से भी श्रेष्ठ है | इस पूँजी के बिना अन्य पूँजियाँ व्यर्थ है |
प्रश्न: प्रच्छन्न और मौसमी बेरोजगार में क्या अंतर है ?
उत्तर: प्रच्छन्न बेरोजगार वह बेरोजगार है जहाँ उन्हें काम तो मिलता है परन्तु उन्हें प्रच्छन्न रूप से काम पर रखा जाता है उनकी आवश्यकता न के बरागर होता है | ऐसा प्रायः कृषिगत कार्य में होता है | यदि इस व्यक्ति को हटा दिया जाए टो खेती की उत्पादकता में कोई कमी नहीं आती | इसके विपरीत मौसमी बेरोजगार तब होता है जब लोग वर्ष के कुछ महीनो में रोजगार प्राप्त नहीं कर पाते | कृषि पर आक्षित लोग प्रायः इस तरह की समस्या से जूझते है | वर्ष में कुछ व्यस्त मौसम होता है जब बुआई कटाई निराई आदि होती है | कुछ विशेष महीनो में कृषि पर आधारित लोगो को काम नहीं मिल पाता | अंतः साल के कुछ महीनो में वे बेकार रहते है | इसे ही मौसमी बेरोजगार कहते है |
प्रश्न: आर्थिक और गैर आर्थिक क्रियाओं में क्या अंतर है ?
उत्तर:
आर्थिक क्रियाएँ |
गैर- आर्थिक क्रियाएँ |
1. धन या आय कमाने के उद्देश्य से कि गई क्रियाएँ आर्थिक क्रियाएँ कहलाती है | 2. व्यवसाय, नौकरी, मजदुर आदि |
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1. इसके विपरीत अन्य उद्देश्य जैसे-प्यार, सहानुभूति, कर्तव्य, देशप्रमे के लिए की जाने वाले क्रियाएँ गैर आर्थिक क्रियाएँ कहलाती है | 2. खाना पकाने, भाई बहन की देख भाल करने आदि | |
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