Chapter 5. अधिकार राजनितिक विज्ञान - II class 11 exercise अतिरिक्त प्रश्नोत्तर
Chapter 5. अधिकार राजनितिक विज्ञान - II class 11 exercise अतिरिक्त प्रश्नोत्तर ncert book solution in hindi-medium
NCERT Books Subjects for class 11th Hindi Medium
मुख्य बिन्दू
मुख्य बिन्दू :-
- अधिकार उन बातों का प्रतिक है, जिन्हें समाज के सभी लोगों को सम्मान और गरिमा का जीवन बसर करने के लिए महत्त्वपूर्ण और आवश्यक समझते हैं।
- 10 दिसंबर 1948 को संयुक्त राष्ट्र की सामान्य सभा ने मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा को स्वीकारा और लागू किया।
- 17वीं और 18 वीं शताब्दी में राजनीतिक सिद्धान्तकर तर्क देते थे कि हमारे लिए अधिकार प्रकृति या ईश्वर प्रदत्त हैं। हमें जन्म से वे अधिकार प्राप्त हैं। अत: कोई व्यक्ति या शासक उन्हें हमसे छीन नहीं सकता।
- मनुष्य के लिए तीन प्राकृतिक अधिकार चिन्हित किये गए थे- (i) जीवन का अधिकार, (ii) स्वतंत्रता का अधिकार और (iii) संपत्ति का अधिकार।
- नागरिक स्वतंत्रता और राजनीतिक अधिकार मिलकर किसी सरकार की लोकतांत्रिक प्रणाली की बुनियाद का निर्माण करते हैं।
- राजनीतिक अधिकार नागरिकों को कानून के समक्ष बराबरी तथा राजनीतिक प्रक्रिया में भागीदारी का हक देते हैं।
- अधिकारों का उद्देश्य लोगों के कल्याण की हिफाजत करना होता है।
- जर्मन दार्शनिक इमैनुएल कांट के अनुसार लोगों के साथ गरिमामय बर्ताव करने का अर्थ था उनके साथ नैतिकता से पेश आना।
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कांट के विचार ने अधिकार की एक नैतिक अवधारणा प्रस्तुत की। पहला, हमें दूसरों के साथ वैसा ही आचरण करना चाहिए, जैसा हम अपने लिए दूसरों से अपेक्षा करते हैं।दूसरे, हमें यह निश्चित करना चाहिए कि हम दूसरों को अपनी स्वार्थ सिद्धि का साधन नहीं बनायेंगे।
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भारतीय संविधान में सात मौलिक अधिकार थे, परन्तु सन1979 में 44 वें संशोधन के द्वारा सम्पति के अधिकार को हटा दिया गया है | अब मुख्यत : छ : मौलिक अधिकार रह गए है |
अभ्यास प्रश्नोत्तर
अभ्यास प्रश्नोत्तर :-
Q1. अधिकार क्या हैं और वे महत्त्वपूर्ण क्यों हैं? अधिकारों का दावा करने के लिए उपयुक्त आधार क्या हो सकते हैं?
उत्तर : अधिकार का अर्थ यह है कि मनुष्य के सामाजिक जीवन की वे परिस्थितिया है जिनके द्वारा मनुष्य अपना विकास कर सकता है तथा अधिकारों के बिना मनुष्य अपना विकास नहीं कर सकता है | जिस देश में नागरिकों को अधिकार प्राप्त नहीं होते , वहाँ के नागरिक अपना विकास नहीं कर सकते है | राज्य के द्वारा दिए गए अधिकारों को देखकर ही उस राज्य को अच्छा या बुरा कहा जा सकता है |
लास्की के अनुसार,
"अधिकार सामाजिक जीवन की वे परिस्थितियाँ है जिनके बिना साधारणत : कोई मनुष्य अपना विकास नहीं कर सकता |"
हालैंड के अनुसार,
"अधिकार एक व्यक्ति के द्वारा दुसरे व्यक्ति के कर्त्तव्यों को समाज के मन और शान्ति द्वारा प्रभावित करने की क्षमता है | "
अधिकार उन बातों का प्रतिक है, जिन्हें समाज के सभी लोगों के सम्मान और गरिमा का जीवन बसर करने के लिए महत्त्वपूर्ण और आवश्यक समझते हैं।
उदाहरण के लिए, आजीविका का अधिकार सम्मानजनक जीवन जीने के लिए ज़रूरी है। लाभकर रोजगार में नियोजित होना व्यक्ति को आर्थिक स्वतंत्रता देता है, इसीलिए यह उसकी गरिमा के लिए प्रमुख है। लाभकर रोजगार में नियोजित होना व्यक्ति को आर्थिक स्वतंत्रता देता है, इसीलिए यह उसकी गरिमा के लिए प्रमुख है। अपनी बुनियादी ज़रूरतों की पूर्ति हमें अपनी प्रतिभा और रुचियों की ओर प्रवृत्त होने की स्वतंत्रता प्रदान करती है|
अधिकार का महत्व -
- अधिकार से व्यक्ति के व्यक्तित्व का विकास होता है |
- अधिकार से व्यक्ति के अंदर पाई जाने वाली शक्तियों का विकास होता है |
- इससे व्यक्ति और समाज की उन्नति होती है |
- अधिकार सरकार को निरंकुश बनाने से रोकते है |
- अधिकार सामाजिक कल्याण का एक साधन है |
- अधिकार व्यक्ति के जीवन की सुखमय बनता है |
अधिकार के मांग के आधार -
- मनुष्यं अपनी अनेक आवश्यकताओं की पूर्ति करना चाहता है इसी से उसके जीवन का विकास होता है | उसकी सबसे पहली मांग यही होती है की उसे ऐसे अवसर मिले जिनसे वह अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति कर सके | अधिकारों का निर्माण इन्ही मांगों के आधार पर होता है |
- मांग अधिकार तभी बन सकते है जबकि उनकी प्राप्ति उन्हें जिएँ के लिए आवश्यक दिखाई दे |
- समाज उस मांग को उचित समझकर स्वीकार करें |
Q2. किन आधारों पर यह अधिकार अपनी प्रकृति में सार्वभौमिक माने जाते हैं?
उत्तर : अधिकार जीवन की परिस्थियों के रूप में महत्त्वपूर्ण और आवश्यक अहि परन्तु अधिकारों को सार्वभौमिक खा जा सकता है क्योकी उनकी सभी कालों में सभी लोगों द्वारा मागं रही है | वे अपने व्यवहार और सभ्यता के कारण महत्त्वपूर्ण हैं | ये अधिकार मानव अस्तित्व के लिए मौलिक अधिकार है | वस्तुत : अधिकार मौलिक शर्ते हैं जो मानव जाति के लिए आत्म सम्मान और महत्वपूर्ण है |
निन्मलिखित अधिकारों को सार्वभौमिक अधिकार कहा जा सकता है -
- जीविका का अधिकार - जीविका का अधिकार एक व्यक्ति के जीवन का आधार है जिससे उसका जीवन चलता है इसलिए यह अति महत्त्वपूर्ण आवश्यक और सार्वभौमिक है | यदि एक व्यक्ति को अच्छा रोजगार प्राप्त है तो इससे उसको आर्थिक दृष्टि से स्वालंबी बनाने का अवसर मिलेगा और इससे उसका महत्व और स्तर बढ़ जायेगा | जब एक व्यक्ति की आवश्यकताएं , विशेष रूप से आर्थिक आवश्यकताएं पूरी हो जताई है तो उसके प्रतिभा और कौशल में विकास होता है और उसका शोषण समाप्त हो जाता है |
- अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता - अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता हमें विभिन्न प्रकार से अपने को व्यक्त करने का अवसर प्रदान करता है | इस अधिकार के द्वारा लोग अपने को लिखित, बोलकर या कलात्मक रूप से व्यक्त कर सकते है |
- शिक्षा का अधिकार - शिक्षा का अधिकार व्यक्ति को मानसिक, नैतिक और मनौवैज्ञानिक विकास में सहायता करता है | इससे हमें उपयोगी कौशल प्राप्त होते है जिससे हम जीवन के विविध पक्षों के चुनाव में सक्षम हो जाते हैं | इसलिए शिक्षा के अधिकार के सार्वभौमिक अधिकार स्वीकार किया जा सकता है |
Q3. संक्षेप में उन नए अधिकारों की चर्चा कीजिए, जो हमारे देश में सामने रखे जा रहे हैं। उदाहरण के लिए आदिवासियों के अपने रहवास और जीने के तरीके को संरक्षित रखने तथा बच्चों के बँधुआ मजदूरी के खिलाफ अधिकार जैसे नए अधिकारों को लिया जा सकता है।
उत्तर : आज का विश्व लोकतान्त्रिक सरकार का विश्व है जिसमे संस्कृति, जाति, रंग,क्षेत्र, धार्मिक,और व्यवसाय के प्रति जागरूकता और चेतनता बढ़ रही है | व्यक्ति का सर्वागिण विकास शिक्षा, संस्कृति और धर्म के अधिकार से जुडा हुआ है इसलिए लोगों को उनके नए क्षेत्रों जैसे शिक्षा , संस्कृति, बाल अधिकार, महिला अधिकार, बुजुर्गों के अधिकार, मानवाधिकार, श्रमिक अधिकार कृषक अधिकार पर्यावरण अधिकार आदि अधिकार दिए जा रहे है|
आज के समाज सामान्य रूप से बहु समाज है जिसमे नागरिकों को विकास करने का और लोगों के सामाजिक सांस्कृतिक आवास की सुरक्षा के अधिकार दिए गए है | भारतीय संविधान में शिक्षा और संस्कृति का अधिकार दिया गया है, जिसमे विभिन्न क्षेत्र के लोगों को अपनी सांस्कृतिक पहचान को कायम रखने और उनको विकसित करने का अधिकार दिया गया है | वे लोग विभिन्न प्रकार के रहन सहन से सम्बंधित होते हैं | व विभिन्न प्रकार के वेश भूषा व्यवहार, त्यौहार और अन्य सभ्यताओं में संबद्द होते है | वे शिक्षा से अपनी संस्कृति की प्रगति कर सकते है |
बच्चों को शोषण के विरुद्ध कार्यवाही करने का अधिकार दिया गया है | जिससे वे पुरानी प्रथाओं की बुरैयोंन जैसे बंधुवा मजदूरी को दूर कर सकते है | उनकी सम्मान की रक्षा के लिए मौलिक अधिकार भी दिए गए है |
Q4. राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक अधिकारों में अंतर बताइये। हर प्रकार के अधिकार के
उदाहरण भी दीजिए।
उत्तर : समाज के लोगों को विभिन्न प्रकार की दशाओं और सुविधाओं की आवशयकता होती है जिनको वे अधिकार के रूप में प्राप्त करना चाहते है तथा अपना विकास करना चाहते है |
राजनीतिक अधिकार - राजनीतिक अधिकार नागरिकों को कानून के समक्ष बराबरी तथा राजनीतिक प्रक्रिया में भागीदारी का हक देते हैं। इनमें वोट देने और प्रतिनिधि चुनने, चुनाव लड़ने, राजनीतिक पार्टियाँ बनाने या उनमें शामिल होने जैसे अधिकार शामिल हैं। राजनीतिक अधिकार नागरिक स्वतंत्रताओं से जुड़े होते हैं।
कुछ राजनितिक अधिकार निम्न प्रकार से है :-
(i) कानून के समक्ष समानता
(ii) अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता
(iii) मतदान का अधिकार
(iv) निर्वाचित होने का अधिकार
(v) संघ बनाने का अधिकार
(vi) प्रतिनिधि चुनने का अधिकार
(vii) राजनैतिक दल बनाने का अधिकार
आर्थिक अधिकार - आर्थिक अधिकार वे अधिकार होते हैं जो मनुष्यों की आवश्यकताओं की पूर्ति करती है जैसे - भोजन, कपडा, माकन, विश्राम, और रोजगार आदि | राजनैतिक और आर्थिक अधिकार एक दुसरे से जुड़े हुए है मुख्य आर्थिक अधिकार निम्नलिखित हैं :-
(i) कार्य करने का अधिकार
(ii) आवास एवं कार्य करने की उचित दशाये
(iii) रोजगार का अधिकार
(iv) पर्याप्त मजदूरी का अधिकार
(v) विश्राम का अधिकार
(vi) न्यूनतम आवश्यकता जैसे आवास,भोजन,वस्त्र,आदि का अधिकार
(vii) सम्पति का अधिकार
(viii) चिकित्सा सुविधा का अधिकार
सांस्कृतिक अधिकार - सांस्कृतिक अधिकार वे अधिकार होते है जो मानव के विकास, सुव्यवस्थित जीवन के लिए, उत्तेजनात्मक, मनोविज्ञानिक और नैतिक विकास के लिए महत्वपूर्ण है | मुख्य सांस्कृतिक अधिकार निम्नलिखित हैं :-
(i) प्राथमिक शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार
(ii) स्थानीय वेशभूषा, त्यौहार, पूजा, और उत्सव मनाने का अधिकार
(iii) शैक्षित संस्थाओं की स्थापना का अधिकार
Q5. अधिकार राज्य की सत्ता पर कुछ सीमाएँ लगाते हैं। उदाहरण सहित व्याख्या कीजिए।
उत्तर : अधिकार राज्य की सत्ता पर कुछ सीमाएँ लगाते हैं क्योंकि अधिकार राज्य से प्राप्त मागं एवं दावे है, इसलिए यह स्वाभाविक है कि राज्य की यह जिम्मेदारी है कि वह लोगों को सुनिश्चित सुविधाये उनके कल्याण और रोजगार के लिए प्रबंध करे | ऐसा करने में राज्य के कार्य के कुछ कमियाँ आ जाती है | नागरिकों के अधिकार सुनिश्चित करते हुए राज्य के प्राधिकरण को लोगों के जीवन और स्वतंत्रता को अक्षुण रखते हुए अपना कार्य करना चाहिए | इसमें कोई संदेह नहीं है की राज्य अपनी प्रभुता के कारण शक्तिशाली है परन्तु नागरिकों के साथ सबंध राज्य की प्रभुता की प्रकृति पर निर्भर है | राज्य अपनी रक्षा से ही अस्तित्व में नहीं होता है बल्कि लोगों की सुरक्षा से ही टिक सकता है | यह नागरिक ही होता है जिसका महत्व अधिक होता है |
राज्य के कानून लोगों के लिए उनके कार्य के लिए उत्तरदायी और संतुलित है | कानून राज्य और लोगों के मध्य सबंध को नियंत्रित करता है | यह राज्य का कर्तव्य है कि वह आवश्यक दशाये उपलब्ध कर्वे जिनकी नागरिकों द्वारा अपने कल्याण एवं विकास मांग और दावे किये जाते हैं | राज्य को इस सबंध में महत्वपूर्ण निर्णय लेना चाहिए |
अतिरिक्त प्रश्नोत्तर
अतिरिक्त प्रश्नोत्तर :-
Q1. अधिकार क्या है ? उदाहरण के द्वारा समझाये |
उत्तर : अधिकार उन बातों का प्रतिक है, जिन्हें समाज के सभी लोगों के सम्मान और गरिमा का जीवन बसर करने के लिए महत्त्वपूर्ण और आवश्यक समझते हैं।
उदाहरण के लिए, आजीविका का अधिकार सम्मानजनक जीवन जीने के लिए ज़रूरी है। लाभकर रोजगार में नियोजित होना व्यक्ति को आर्थिक स्वतंत्रता देता है, इसीलिए यह उसकी गरिमा के लिए प्रमुख है। लाभकर रोशगार में नियोजित होना व्यक्ति को आर्थिक स्वतंत्रता देता है, इसीलिए यह उसकी गरिमा के लिए प्रमुख है। अपनी बुनियादी ज़रूरतों की पूर्ति हमें अपनी प्रतिभा और रुचियों की ओर प्रवृत्त होने की स्वतंत्रता प्रदान करती है|
अधिकार का अर्थ यह है कि मनुष्य के सामाजिक जीवन की वे परिस्थितिया है जिनके द्वारा मनुष्य अपना विकास कर सकता है तथा अधिकारों के बिना मनुष्य अपना विकास नहीं कर सकता है | जिस देश में नागरिकों को अधिकार प्राप्त नहीं होते , वहाँ के नागरिक अपना विकास नहीं कर सकते है | राज्य के द्वारा दिए गए अधिकारों को देखकर ही उस राज्य को अच्छा या बुरा कहा जा सकता है |
लास्की के अनुसार,
"अधिकार सामाजिक जीवन की वे परिस्थितियाँ है जिनके बिना साधारणत : कोई मनुष्य अपना विकास नहीं कर सकता |"
हालैंड के अनुसार,
"अधिकार एक व्यक्ति के द्वारा दुसरे व्यक्ति के कर्त्तव्यों को समाज के मन और शान्ति द्वारा प्रभावित करने की क्षमता है | "
Q2. अधिकारों की दावेदारी से आप क्या समझाते है ?
उत्तर : अधिकारों की दावेदारी से अभिप्राय यह है कि वे हमारी बेहतरी के लिए आवश्यक हैं। ये लोगों को उनकी दक्षता और प्रतिभा विकसित करने में सहयोग देते हैं।
उदाहरणार्थ, शिक्षा का अधिकार हमारी तर्क-शक्ति विकसित करने में मदद करता है, हमें उपयोगी कौशल प्रदान करता है और जीवन में सूझ-बूझ के साथ चयन करने में सक्षम बनाता है। व्यक्ति के कल्याण के लिए इस हद तक शिक्षा को अनिवार्य समझा जाता है कि उसे सार्वभौम अधिकार माना गया है।
Q3. नागरिक स्वतंत्रता का क्या अर्थ है?
उत्तर : नागरिक स्वतंत्रता का अर्थ है- स्वतंत्रता और निष्पक्ष न्यायिक जाँच का अधिकार, विचारों की स्वतंत्रता अभिव्यक्ति का अधिकार, प्रतिवाद करने तथा असहमति प्रकट करने का अधिकार। नागरिक स्वतंत्रता और राजनीतिक अधिकार मिलकर किसी सरकार की लोकतांत्रिक प्रणाली की बुनियाद का निर्माण करते हैं।
Q4. भारतीय संविधान में नागरिकों को कौन से मुलभुत अधिकार दिए गए है ?
उत्तर : भारतीय संविधान में नागरिकों को निम्नलिखित मुलभुत अधिकार दिए गए है:-
(i) समानता का अधिकार
(ii) स्वतंत्रता का अधिकार
(iii) शोषण के विरुद्ध अधिकार
(iv) धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार
(v) शिक्षा और सांस्कृतिक का अधिकार
(vi) संवैधानिक उपचार का अधिकार
Q5. मौलिक अधिकार से आप क्या समझते है?
उत्तर : मौलिक अधिकार वे अधिकार होते है जिनके बिना किसी देश के लोकतान्त्रिक व्यवस्था के नागरिक अपना विकास और उन्नति नहीं कर सकते है | जैसे - जीवन का अधिकार, समानता का अधिकार, स्वतंत्रता का अधिकार, शिक्षा व संस्कृति का अधिकार आदि |
जिन कारणों से इसे मौलिक अधिकार कहा जाता है वे निम्न है :-
(i) ये अधिकार व्यक्ति के व्यक्तित्व के विकास लिए अति आवश्यक है |
(ii) ये अधिकार इसलिए भी मौलिक कहे जाते है क्योकि देश के संविधान में इनका उल्लेख कर दिया गया है और दिन - प्रति दिन बदलने वाली सरकारें अपनी स्वार्थपूर्ति के लिए इनमे स्वेच्छा से परिवर्तन नहीं कर सकते है |
(iii) ये अधिकार न्याय योग्य होते है |
Q6. अधिकार किस प्रकार राज्य को प्रभावित करते है ?
उत्तर : अधिकार निम्न प्रकार से राज्य को प्रभावित करते है:-
(i) राजनितिक एवं अन्य सभी प्रकार के अधिकार राज्य से प्राप्त किये जाने वाले मांग और दावे है इसलिए अधिकार मांग एवं दावों के रूप में राज्य की प्रभुता को सिमित करते है और रकते है |
(ii) अधिकार राज्य को किसी कार्य को करने या न करने की ओर निर्देश करते है |
(iii) अधिकार राज्य को कुछ करने या कुछ मांगे मनवाने के भी विवश करते है |
(iv) अधिकार राज्य की लोगों के लिए सुधार करने या कार्य करने की प्रेरणा देते है |
Q7. भारतीय संविधान में दिए गए मौलिक अधिकारों के नाम बताइए |
उत्तर : भारतीय संविधान में सात मौलिक अधिकार थे, परन्तु सन1979 में 44 वें संशोधन के द्वारा सम्पति के अधिकार को हटा दिया गया है अब छ : मौलिक अधिकार रह गए है जो निम्नलिखित है :-
- समानता का अधिकार
- स्वतंत्रता का अधिकार
- शोषण के विरुद्ध अधिकार
- धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार
- शिक्षा और संस्कृति का अधिकार
- संवैधानिक उपचार का अधिकार
Q8. राजनितिक अधिकार से आप क्या समझाते है ?
उत्तर : राजनीतिक अधिकार से अभिप्राय यह है कि राजनीतिक अधिकार नागरिकों को कानून के समक्ष बराबरी तथा राजनीतिक प्रक्रिया में भागीदारी का हक देते हैं। इनमें वोट देने और प्रतिनिधि चुनने, चुनाव लड़ने, राजनीतिक पार्टियाँ बनाने या उनमें शामिल होने जैसे अधिकार शामिल हैं। राजनीतिक अधिकार नागरिक स्वतंत्रताओं से जुड़े होते हैं। नागरिक स्वतंत्रता और राजनीतिक अधिकार मिलकर किसी सरकार की लोकतांत्रिक प्रणाली की बुनियाद का निर्माण करते हैं।
कुछ राजनितिक अधिकार निम्न प्रकार से है :-
(i) कानून के समक्ष समानता
(ii) अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता
(iii) मतदान का अधिकार
(iv) निर्वाचित होने का अधिकार
(v) संघ बनाने का अधिकार
(vi) प्रतिनिधि चुनने का अधिकार
(vii) राजनैतिक दल बनाने का अधिकार
Q9. जर्मन दार्शनिक इमैनुएल कांट के अनुसार मानवीय गरिमा की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए |
उत्तर : जर्मन दार्शनिक इमैनुएल कांट के अनुसार लोगों के साथ गरिमामय बर्ताव करने का अर्थ था उनके साथ नैतिकता से पेश आना।
18वीं सदी के जर्मन दार्शनिक इमैनुएल कांट के लिए इस साधारण विचार का गहरा अर्थ था। उनके लिए इसका मतलब था कि हर मनुष्य की गरिमा है और मनुष्य होने के नाते उसके साथ इसी के अनुकुल बर्ताव किया जाना चाहिए। मनुष्य अशिक्षित हो सकता है, गरीब या शक्तिहीन हो सकता है। वह बेईमान अथवा अनैतिक भी हो सकता है। फिर भी वह एक मनुष्य है और वह प्रतिष्ठा पाने का हकदार है।
कांट के विचार ने अधिकार की एक नैतिक अवधारणा प्रस्तुत की।
पहला, हमें दूसरों के साथ वैसा ही आचरण करना चाहिए, जैसा हम अपने लिए दूसरों से अपेक्षा करते हैं।
दूसरे, हमें यह निश्चित करना चाहिए कि हम दूसरों को अपनी स्वार्थ सिद्धि का साधन नहीं बनायेंगे।
Q10. प्राकृतिक अधिकार से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर : 17वीं और 18 वीं शताब्दी में राजनीतिक सिद्धान्तकर तर्क देते थे कि हमारे लिए अधिकार प्रकृति या ईश्वर प्रदत्त हैं। हमें जन्म से वे अधिकार प्राप्त हैं।अत: कोई व्यक्ति या शासक उन्हें हमसे छीन नहीं सकता।
उन्होंने मनुष्य के लिए तीन प्राकृतिक अधिकार चिन्हित किये थे- (i) जीवन का अधिकार, (ii) स्वतंत्रता का अधिकार और (iii) संपत्ति का अधिकार।
अन्य तमाम अधिकार इन बुनियादी अधिकारों से निकले हैं। हम इन अधिकारों का दावा करें या न करें, व्यक्ति होने के नाते हमें ये प्राप्त हैं। क्योंकि ये ईश्वर प्रदत्त है’ और उन्हें कोई मानव शासक या राज्य हमसे छीन नहीं सकता। प्राकृतिक अधिकारों के विचार का इस्तेमाल राज्यों अथवा सरकारों के द्वारा स्वेच्छाचारी शक्ति के प्रयोग का विरोध करने और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की रक्षा करने के लिए किया जाता था।
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राजनितिक विज्ञान - II Chapter List
Chapter 1. राजनितिक सिद्धांत - एक परिचय
Chapter 2. स्वतंत्रता
Chapter 3. समानता
Chapter 4. सामाजिक न्याय
Chapter 5. अधिकार
Chapter 6. नागरिकता
Chapter 7. राष्ट्रवाद
Chapter 8. धर्मनिरपेक्षता
Chapter 9. शांति
Chapter 10. विकास
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