2. यूरोप में समाजवाद और रूसी क्रांति | सामाजिक परिवर्तन का युग History class 9
2. यूरोप में समाजवाद और रूसी क्रांति | सामाजिक परिवर्तन का युग History class 9
सामाजिक परिवर्तन का युग
2. यूरोप में समाजवाद और रूसी क्रांति
सामाजिक परिवर्तन का युग : यूरोप में सामाजिक संरचना के क्षेत्र में फ्रांसिसी क्रांति के बाद आमूल परिवर्तन की संभावना का सूत्रपात हो गया था |
उदारवादी (Liberals) : उदारवादी एक विचारधारा है जिसमें सभी धर्मों को बराबर का सम्मान और जगह मिले | वे व्यक्ति मात्र के अधिकारों की रक्षा के पक्षधर थे |
रुढ़िवादी (Conservatives) : यह एक ऐसी विचारधारा है जो पारंपरिक मान्यताओं के आधार पर कार्य करती है |
रैडिकल (Radical)/आमूल परिवर्तनवादी : ऐसी विचारधारा जो क्रन्तिकारी रूप से सामाजिक और राजनितिक परिवर्तन चाहता है |
समाजवादी विचारधारा (Socialist): समाजवादी विचारधारा वह विचारधारा है जो निजी सम्पति रखने के विरोधी है और समाज में सभी को न्याय और संतुलन पर आधारित विचारधारा है |
रूस में उदारवादी समूह लोकतांत्रिक नहीं था : यह समूह ''लोकतंत्रवादी'' नहीं था | ये लोग सार्वभौमिक व्यस्क मताधिकार यानि सभी व्यस्क नागरिकों को वोट का अधिकार देने के पक्ष ने नहीं थे | उनका मानना था कि वोट का अधिकार केवल सम्पतिधारियों को ही मिलना चाहिए |
रूस में सामाजिक परिवर्तन को लेकर समाजवादियों की प्रमुख विचारधाराएँ :
रूस में समाजवादियों की प्रमुख विचारधाराएँ निम्न थी |
(i) वे निजी सम्पति के विरोधी थे | यानि, वे संपति पर निजी स्वामित्व को सही नहीं मानते थे |
(ii) वे संपति के निजी स्वामित्व की व्यवस्था को ही सारी समस्याओं की जड़ मानते थे |
(iii) कुछ समाजवादियों को कोआपरेटिव यानि सामूहिक उद्यम के विचार में दिलचस्पी थी |
(iv) केवल व्यक्तिगत पहलकदमी से बहुत बड़े सामूहिक खेत नहीं बनाए जा सकते | वह चाहते थे कि सरकार अपनी तरफ से सामूहिक खेती को बढ़ावा दे |
(v) वे चाहते थे कि सरकार पूंजीवादी उद्यम की जगह सामूहिक उद्यम को बढ़ावा दे |
रूस में उदारवादियों की प्रमुख विचारधाराएँ :
रूस में उदारवादियों की प्रमुख विचारधाराएँ निम्नलिखित थी -
(i) सभी धर्मों को बराबर का सम्मान और जगह मिले |
(ii) वे सरकार से व्यक्ति मात्र के अधिकारों की रक्षा के पक्षधर थे |
(iii) उनका कहना था कि सरकार को किसी के अधिकारों का हनन करने या उन्हें छीनने का अधिकार नहीं दिया जाना चाहिए |
(iv) यह समूह प्रतिनिधित्व पर आधारित एक ऐसी निर्वाचित सरकार के पक्ष में था जो शासकों और आफ्सरों के प्रभाव से मुक्त और सुप्रक्षिक्षित न्यायपालिका द्वारा स्थापित किये गए कानूनों के अनुसार शासन-कार्य चलाये |
(v) उदारवादी समूह वंश-आधारित शासकों की अनियंत्रित सत्ता के भी विरोधी थे |
रैडिकल समूह की प्रमुख विचारधाराएँ :
रैडिकल समूह की प्रमुख विचारधाराएँ निम्नलिखित थी :
(i) रैडिकल समूह के लोग ऐसी सरकार के पक्ष में थे जो देश की आबादी के बहुमत के समर्थन पर आधारित हो।
(ii) इनमें से बहुत सारे लोग महिला मताधिकार आंदोलन के भी समर्थक थे।
(iii) उदारवादियों के विपरीत ये लोग बड़े जमींदार और संपन्न उद्योगपतियों को प्राप्त किसी भी तरह के विशेषाधिकारों के खिलाफ थे |
(iv) वे निजी संपत्ति के विरोधी नहीं थे लेकिन केवल कुछ लोगों के पास संपत्ति के संकेन्द्रण का विरोध जरूर करते थे।
रुढ़िवादियों की प्रमुख विचारधाराएँ :
रुढ़िवादियों की प्रमुख विचारधाराएँ निम्नलिखित थी -
(i) रुढ़िवादी तबका रैडिकल और उदारवादी, दोनों के खिलाफ था।
(ii) मगर फ्रांसिसी क्रांति के बाद तो रुढ़िवादी भी बदलाव की जरुरत को स्वीकार करने
लगे थे।
(iii) पुराने समय में, यानी अठारहवीं शताब्दी में रुढ़िवादी आमतौर पर परिवर्तन के विचारों का विरोध करते थे। लेकिन उन्नीसवीं सदी तक आते-आते वे भी मानने लगे थे कि कुछ परिवर्तन आवश्यक हो गया है |
(iv) वह चाहते थे कि अतीत का सम्मान किया जाए अर्थात् अतीत को पूरी तरह ठुकराया न
जाए और बदलाव की प्रक्रिया धीमी हो।
यूरोप में समाजवाद और औद्योगिकीकरण
2. यूरोप में समाजवाद और रूसी क्रांति
औद्योगीकरण का दुष्प्रभाव :
(i) औद्योगीकरण ने औरतों-आदमियों और बच्चों, सबको कारखानों में ला दिया।
(ii) काम के घंटे यानी पाली बहुत लंबी होती थी और मजदूरी बहुत कम थी।
(iii) बेरोजगारी आम समस्या थी। औद्योगिक वस्तुओं की माँग में गिरावट आ जाने पर तो बेरोजगारी और बढ़ जाती थी।
(iv) शहर तेजी से बसते और फैलते जा रहे थे इसलिए आवास और साफ-सफाई का काम भी मुश्किल होता जा रहा था।
समाज की तरक्की को लेकर रैडिकल और उदारवादियों के विचार :
बहुत सारे रैडिकल और उदारवादियों वेफ पास भी काफी संपत्ति थी और उनके यहाँ बहुत सारे लोग नौकरी करते थे। उन्होंने व्यापार या औद्योगिक व्यवसायों के जरिए धन-दौलत इकट्ठा की थी इसलिए वह चाहते थे कि इस तरह के प्रयासों को ज्यादा से ज्यादा बढ़ावा दिया जाए।
(i) उन्हें लगता था कि अगर मजदूर स्वस्थ हों और नागरिक पढ़े-लिखे हों, तो इस व्यवस्था का भरपूर लाभ लिया जा सकता है।
(ii) ये लोग जन्मजात मिलने वाले विशेषाधिकारों के विरुद्ध थे। व्यक्तिगत प्रयास, श्रम और उद्यमशीलता में उनका गहरा विश्वास था।
(iii) उनकी मान्यता थी कि यदि हरेक को व्यक्तिगत स्वतंत्रता दी जाए, गरीबों को रोजगार मिले, और जिनके पास पूँजी है उन्हें बिना रोक-टोक काम करने का मौका दिया जाए तो समाज तरक्की कर सकता है।
कामकाजी स्त्री पुरुषों का उदारवादी और रैडिकल समूहों से प्रभावित होने के कारण:
उदारवादी और रैडिकल समूहों की मान्यता थी कि यदि हरेक को व्यक्तिगत स्वतंत्रता दी जाए, गरीबों को रोजगार मिले, और जिनके पास पूँजी है उन्हें बिना रोक-टोक काम करने का मौका दिया जाए तो समाज तरक्की कर सकता है। इसी कारण उन्नीसवीं सदी के शुरूआती दशकों में समाज परिवर्तन के इच्छुक बहुत सारे कामकाजी स्त्रा-पुरुष उदारवादी और रैडिकल समूहों व पार्टियों के इर्द-गिर्द गोलबंद हो गए थे।
राष्ट्रवादी, उदारवादी और रैडिकल आंदोलनकारीयों की क्रांति :
यूरोप में 1815 में जिस तरह की सरकारें बनीं उनसे छुटकारा पाने के लिए कुछ राष्ट्रवादी, उदारवादी और रैडिकल आंदोलनकारी क्रांति के पक्ष में थे। फ्रांस, इटली, जर्मनी और रूस में ऐसे लोग क्रांतिकारी हो गए और राजाओं के तख्तापलट का प्रयास करने लगे। राष्ट्रवादी कार्यकर्ता क्रांति के जरिए ऐसे ‘राष्ट्रों’ की स्थापना करना चाहते थे जिनमें सभी नागरिकों को
समान अधिकार प्राप्त हों।
उन्नीसवीं सदी के मध्य तक यूरोप में समाजवाद की उन्नति :
यूरोप में समाज के पुनर्गठन की संभवतः सबसे दूरगामी दृष्टि प्रदान करने वाली विचारधारा समाजवाद ही थी। उन्नीसवीं सदी के मध्य तक यूरोप में समाजवाद एक जाना-पहचाना विचार था। उसकी तरफ बहुत सारे लोगों का ध्यान आकर्षित हो रहा था। इसके पीछे उनकी प्रखर विचारधारा थी जो निम्नलिखित थी -
(i) समाजवादी निजी संपत्ति के विरोधी थे। यानी, वे संपत्ति पर निजी स्वामित्व को सही नहीं मानते थे।
(ii) उनका कहना था कि संपत्ति के निजी स्वामित्व की व्यवस्था ही सारी समस्याओं की जड़ है।
(iii) संपत्तिधारी व्यक्ति को सिर्फ अपने फायदे से ही मतलब रहता है वह उनके बारे में नहीं सोचता जो उसकी संपत्ति को उत्पादनशील बनाते हैं।
(iv) अगर संपत्ति पर किसी एक व्यक्ति के बजाय पूरे समाज का नियंत्रण हो तो साझा सामाजिक हितों पर ज्यादा अच्छी तरह ध्यान दिया जा सकता है।
(v) समाजवादी इस तरह का बदलाव चाहते थे और इसके लिए उन्होंने बड़े पैमाने पर अभियान
चलाया।
कुछ समाजवादियों या विचारकों के विचार:
1. रॉबर्ट ओवेन (1771-1858) :
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1. Matter in Our Surrounding
Unit-Test I
(Science-IX)
जय माँ भारती जय माँ भारती
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(Science-IX)
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History Chapter List
1. फ़्रांसिसी क्रांति
2. यूरोप में समाजवाद और रूसी क्रांति
3. नात्सीवाद और हिटलर का उदय
4. जीविका, अर्थव्यस्था एवं समाज
5. आधुनिक विश्व में चरवाहे
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