10. गुरुत्वाकर्षण Science class 9 exercise Assignment
10. गुरुत्वाकर्षण Science class 9 exercise Assignment ncert book solution in hindi-medium
NCERT Books Subjects for class 9th Hindi Medium
गुरुत्वाकर्षण - परिचय
अध्याय 10. गुरुत्वाकर्षण
गुरुत्वाकर्षण बल: दो वस्तुओं के बीच लगाने वाला आकर्षण बल गुरुत्वाकर्षण बल कहते है |
गुरुत्वाकर्षण का सार्वत्रिक नियम:
दो वस्तुओं के बीच लगने वाला आकर्षण बल उनके द्रव्यमान के गुणनफल के अनुक्रमानुपाती होता है और उनके बीच के दुरी के वर्ग का व्युत्क्रमानुपाती होता है | यह नियम संसार के सभी वस्तुओं पर लागु होता है | अत: इस नियम को गुरुत्वाकर्षण का सार्वत्रिक नियम कहते है |
G का वर्तमान मान :
6.673 × 10-11 N m2 kg-2
G का मान हेनरी कैवेन्डिश (1731 - 1810) द्वारा संवेदनशील संतुलन का प्रयोग करके ज्ञात किया गया था।
G का स्वीकृत मान: 6.673 X 10-11 N m2 Kg-2
यह नियम इस अर्थ में सार्वभौमिक है कि यह सभी निकायों पर लागू होता है, चाहे कोई पिंड बड़े हों या छोटे, चाहे वे खगोलीय हों या स्थलीय।
गुरुत्वाकर्षण का सार्वत्रिक नियम सर आइजैक न्यूटन ने दिया है।
गुरुत्वाकर्षण के सार्वत्रिक नियम का महत्व :
(i) इसके कारण हम पृथ्वी से बंधे रहते है |
(ii) पृथ्वी के चारों ओर चन्द्रमा की गति |
(iii) सूर्य के चारों ओर ग्रहों की गति |
(iv) चन्द्रमा तथा सूर्य के कारण ज्वार-भाटा |
(गुरुत्वीय त्वरण) Acceleration due to gravity:
जब भी कोई वस्तु पृथ्वी की ओर गिरती है, त्वरण शामिल होता है। यह त्वरण पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल के कारण है। इसलिए इस त्वरण को गुरुत्वाकर्षण के कारण त्वरण कहा जाता है।
इसका S.I मात्रक m s-2 है और इसे 'g' से दर्शाया जाता है |
पृथ्वी पर इसका मान 9.8 m s-2 है |
अभिकेन्द्रीय बल : जब हम धागे से छूटे हुए पत्थर को वृत्ताकार पथ में एक निश्चित गति से घुमाते हैं, तो यह हर बिंदु पर दिशा बदलता है। दिशा में परिवर्तन में वेग और त्वरण में परिवर्तन शामिल है। वह बल जो इस त्वरण का कारण बनता है और शरीर को वृत्ताकार पथ पर गतिमान रखता है, केंद्र की ओर कार्य कर रहा है। इस बल को अभिकेन्द्रीय बल कहते हैं।
मुक्त पतन
अध्याय 10. गुरुत्वाकर्षण
मुक्त पतन (Free falling): जब कोई वस्तु पृथ्वी के आकर्षण बल के कारण पृथ्वी कि ओर गिरती है तो इसे मुक्त पतन कहते हैं |
मुक्त पतन में गिरती हुई वस्तु का गुण :
(i) गिरते समय वस्तुओं की गति की दिशा में केाई परिवर्तन नहीं होता।
(ii) पृथ्वी के आकर्षण के कारण वेग के परिमाण में परिवर्तन होता है।
(iii) वेग में कोई भी परिवर्तन त्वरण को उत्पन्न करता है।
(iv) जब भी कोई वस्तु पृथ्वी की ओर गिरती है, त्वरण कार्य करता है।
(v) यह त्वरण पृथ्वी के गुरुत्वीय बल के कारण है।
गुरुत्वीय त्वरण (Acceleration due to gravity): पृथ्वी के गुरुत्वीय बल के कारण उत्पन्न त्वरण को त्वरण या गुरुत्वीय त्वरण कहते है |
इसे 'g' से दर्शाते हैं | गुरुत्वीय त्वरण 'g' का मात्रक भी वही होता है जो त्वरण का होता है | अर्थात ms-2.
गति के दूसरे नियम से हम जानते हैं कि बल पिंड के द्रव्यमान और त्वरण का गुणनफल है ।
बल (F) = ma .............. (i)
हम पहले से ही जानते हैं कि गिरने वाली वस्तुओं में त्वरण शामिल होता है गुरुत्वाकर्षण बल के लिए और g द्वारा निरूपित किया जाता है। यहाँ हम गिरती हुई वस्तु के त्वरण के रूप में g का प्रयोग करते हैं।
अब हमारे पास है
F = mg ----------- (ii)
पृथ्वी के विभिन्न स्थानों पर "g" का मान भिन्न होता है:
पृथ्वी एक पूर्णत: गोल नहीं है। जैसे-जैसे पृथ्वी की त्रिज्या ध्रुवों से भूमध्य रेखा तक बढ़ती जाती है, g का मान भूमध्य रेखा की तुलना में ध्रुवों पर अधिक होता जाता है।
जहाँ g का मान अधिक होने पर किसी वस्तु का भार भी गुरुत्व बल के कारण बढ़ जाता है। जबकि भूमध्य रेखा की तरह अधिक त्रिज्या है, एक वस्तु का वजन भी कम हो जाता है।
द्रव्यमान एवं भार
अध्याय 10. गुरुत्वाकर्षण
द्रव्यमान (Mass): द्रव्यमान किसी वस्तु में पदार्थ कि कुल मात्रा होता है, जो वस्तु के जड़त्व की माप होता है |
इसका मात्रक kg (किलोग्राम) होता है | यह एक आधारभूत भौतिक राशि है |
किसी वस्तु के द्रव्यमान का गुण :
(i) यह किसी वस्तु में उपस्थित पदार्थ की मात्रा होता है |
(ii) यह किसी वस्तु की जड़त्व का माप होता है |
(iii) वस्तु का द्रव्यमान स्थिर रहता है |
(iv) स्थान परिवर्तन पर वस्तु का द्रव्यमान बदलता नहीं है |
(v) वस्तु का द्रव्यमान बढ़ने पर उस वस्तु का जड़त्व कि माप भी बढ़ता है, अर्थात किसी वस्तु का जितना द्रव्यमान होगा उस वस्तु का जडत्व भी उतना ही होगा |
भार (Weight) : वह बल जिसके द्वारा कोई वस्तु पृथ्वी कि ओर आकर्षित होती है वस्तु का भार कहलाता है |
संक्षेप में,
वस्तु पर पृथ्वी का आकर्षण बल वस्तु का भार कहलाता है |
इसे 'W' से दर्शाते हैं | भार भी एक बल है इसलिए इसका मात्रक भी बल वाला ही होता है अर्थात kgm-2 या N (न्यूटन) |
किसी वस्तु के भार के गुण :
(i) भार वह बल है जो उर्ध्वाधर दिशा में नीचे की ओर लगता है |
(ii) इसमें परिमाण तथा दिशा दोनों होते हैं इसलिए भार एक सदिश राशि है |
(iii) वस्तु का भार (W) वस्तु के द्रव्यमान (m) के समानुपाती होता है, अर्थात W : m होता है |
(iv) किसी वस्तु का भार इसके स्थान पर निर्भर करता है |
(v) किसी वस्तु का भार प्रत्येक स्थान पर अलग-अलग हो सकता है |
पृथ्वी का यह आकर्षण बल दो कारकों पर निर्भर करता है :
(i) वस्तु के द्रव्यमान (m) पर
(ii) पृथ्वी के गुरुत्वीय बल के कारण त्वरण (g) पर
दाब और प्रणोद
अध्याय 10. गुरुत्वाकर्षण
प्रणोद (Thrust) : किसी वस्तु कि सतह पर लम्बवत लगने बल को प्रणोद कहते हैं |
- प्रणोद का प्रभाव उस क्षेत्रफल पर निर्भर है जिस पर कि वह लगता है |
- किसी वस्तु पर लगने वाला प्रणोद का परिमाण (magnitude) उस सतह के क्षेत्रफल पर निर्भर करता है जिस सतह से वस्तु संपर्क में रहता है |
प्रणोद का S.I मात्रक वही होता है जो बल का होता है अर्थात kgms-2 या N (न्यूटन) है |
दाब (Pressure): प्रति एकांक क्षेत्रफल पर लगने वाले प्रणोद को दाब कहते है |
दाब = प्रणोद/क्षेत्रफल
दाब का S.I मात्रक N/m2 या Nm-2 है | इसे वैज्ञानिक ब्लैस पास्कल के सम्मान में, दाब के मात्रक को पास्कल कहा जाता है | तथा इसे Pa से व्यक्त किया जाता है |
- किसी वस्तु के ऊपर लगने वाले प्रणोद यदि कम क्षेत्रफल से लगता है तो दाब बढ़ता है और अधिक क्षेत्रफल से लगता है तो दाब कम हो जाता है |
यही कारण है कि किलों के सिरे नुकीले होते है, चाकू कि धार तेज होती है, भवनों कि नींव चौड़ी होती है और स्कूल बैग की पट्टियाँ चौड़ी बनाई जाती है |
मुख्य बिंदु:
(i) समान परिणाम के बलों का भिन्न-भिन्न क्षेत्रफलों पर भिन्न-भिन्न प्रभाव होता है | इसलिए समान प्रणोद का अलग-अलग प्रभाव हो सकता है |
उदाहरण : एक लकड़ी का गुटका मेज पर रखा है | लकड़ी के गुटके का द्रव्यमान 5 kg है तथा इसकी विमाएँ 40 cm x 20 cm x 10 cm है | लकड़ी के तुकडे द्वारा मेज पर लगने वाले दाब ज्ञात कीजिए | यदि इनकी निम्नलिखित विमाओं की सतह मेज पर रखी जाती है |
(a) 20 cm x 10 cm
(b) 40 cm x 20 cm
हल:
लकड़ी के गुटके का द्रव्यमान = 5 kg
तथा इसकी विमाएँ = 40 cm x 20 cm x 10 cm
मेज की सतह पर लगने वाला प्रणोद (भार) F = m x g
= 5 kg x 9.8 ms-2
= 49 kg ms-2 (N)
जब लकड़ी 20 cm x 10 cm की सतह पर राखी जाती है तब-
सतह का क्षेत्रफल = 20 cm x 10 cm
= 200 cm2 = 0.02 m2
दाब = प्रणोद/क्षेत्रफल
= 49 N/0.02 m2
= 2450 N m-2
जब लकड़ी 40 cm x 20 cm की सतह पर राखी जाती है तब प्रणोद तो सामान ही रहता है -
क्षेत्रफल = 40 cm x 20 cm
= 800 cm2 = 0.08 m2
दाब = प्रणोद/क्षेत्रफल
= 49 N/0.08 m2
= 612.5 N m-2
अत: सतह 20 cm x 10 cm द्वारा लगाया गया दाब = 2450 N m-2
और सतह 40 cm x 20 cm द्वारा लगाया गया दाब = 612.5 N m-2
इस उदाहरण से स्पष्ट देख सकते है कि किसी वस्तु के ऊपर लगने वाले प्रणोद यदि कम क्षेत्रफल से लगता है तो दाब बढ़ता है और अधिक क्षेत्रफल से लगता है तो दाब कम हो जाता है |
उत्प्लावक्ता
तरलों में दाब :
उत्पलावन बल (Buoyancy Force) : जब किसी वस्तु को तरल में डुबोया जाता है तो तरह उस वस्तु पर ऊपर कि ओर एक लगाता है, वस्तु पर ऊपर कि ओर लगने वाले इस बल को उत्पलावन बल कहते है |
- उत्प्लावन बल हमेशा ऊपर कि ओर लगता है |
- गुरुत्व बल हमेशा वस्तु पर नीचे कि ओर लगता है |
- उत्पलावन बल तरल के घनत्व पर निर्भर करता है |
उत्प्लावकता (Buoyancy) : तरल पदार्थों का वह गुण जिससे वह अपने अंदर डुबोई जाने वाली प्रत्येक वस्तु को ऊपर कि ओर धक्का (बल) लगाता है उत्प्लावकता कहलाता है |
दुसरे शब्दों में,
तरल पदार्थों द्वारा ऊपर कि ओर बल लगाये जाने वाले गुण को उत्प्लावकता कहते है |
किसी तरल पदार्थ का उत्प्लावकता उसकी घनत्व (density) पर निर्भर करता है | जिसकी तरल की घनत्व अधिक होगा वह अधिक उत्प्लावन बल लगाएगा यदि उसका घनत्व कम है तो वह कम बल लगाएगा |
ये तरल पदार्थ जल, तारपीन का तेल, पेट्रोल, किरोसिन तेल, अल्कोहोल तथा दूध हो सकता है |
क्रियाकलाप : हम एक वायुरुद्ध ढक्कन से एक प्लास्टिक कि खाली बोतल को बंद कर देते है और पानी में डुबोते है तो देखते है कि बोतल को छोड़ने पर ऊपर पानी कि सतह पर वापस आ जाता है | वस्तु का भार पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल के बराबर होता है। जब बोतल डुबोई जाती है तो बोतल पर पानी द्वारा लगने वाला ऊपर की दिशा में बल इसके भार से अधिक है। इसीलिए छोड़ने पर यह ऊपर उठती है। इस प्लास्टिक की बोतल पर दो प्रकार का बल कार्य कर रहा है |
(i) गुरुत्व बल जो बोतल को नीचे कि तरफ खींचता है | और
(ii) वह बल जो बोतल को ऊपर कि ओर धक्का दे रहा है जिसे उत्प्लावन बल कहते हैं |
घनत्व (density) : किसी पदार्थ का घनत्व, उसके एकांक आयतन के द्रव्यमान को कहते हैं |
घनत्व का मात्रक किलोग्राम प्रति घन मीटर (kg m-3) है |
- एक ही पदार्थ का घनत्व सदैव समान रहता है |
- किसी पदार्थ का घनत्व उसका एक लाक्षणिक गुण है |
- अलग-अलग पदार्थों का घनत्व भी अलग-अलग होता है |
- किसी पदार्थ का घनत्व, उस पदार्थ कि शुद्धता कि जाँच में सहायता करता है |
उदाहरण : सोने का घनत्व 19300 kg m-3 होता है जबकि पानी का घनत्व 1000 kg m-3 है |
घनत्व को समझने के लिए हम एक उदाहरण लेते हैं : हमने दो एक ही आकार की ब्लॉक लिया एक लोहे की और दूसरी प्लास्टिक की जिनका आयतन 1cm x 1cm x 1cm = 1 cm3 समान है | परन्तु इनके द्रव्यमान में अन्तर है, लोहे वाले ब्लॉक का द्रव्यमान 25 g है और प्लास्टिक वाले ब्लॉक का द्रव्यमान 10 g है | अब यह कहा जायेगा कि लोहे का घनत्व प्लास्टिक की तुलना में अधिक है, और प्लास्टिक का घनत्व लोहे कि तुलना में कम है |
आर्किमिडीज का सिद्धांत
आर्किमिडीज का सिद्धांत: जब किसी वस्तु को किसी तरल में पूर्ण या आंशिक रूप से डुबोया जाता है तो वह ऊपर की दिशा में एक बल का अनुभव करती है जो वस्तु द्वारा हटाए गए तरल के भार के बराबर होता है।
आर्किमिडीज के सिद्धांत का अनुप्रयोग: आर्किमिडीज के सिद्धांत के बहुत से अनुप्रयोग
हैं।
जिनमें से ये तीन अनुप्रयोग प्रमुख है :
(i) यह जलयानों तथा पनडुब्बियों के डिशाइन बनाने में काम आता है।
(ii) दुग्ध्मापी, जो दूध् के किसी नमूने की शुद्धता की जाँच करने के लिए प्रयुक्त होते हैं | तथा
(iii) हाइड्रोमीटर, जो द्रवों के घनत्व मापने के लिए प्रयुक्त होते हैं |
पानी कि सतह पर किसी वस्तु को रखने पर तैरना या डूबना : हमने अभी ऊपर आर्किमिडीज का सिद्धांत देखा, इस सिद्धांत के अनुसार जब किसी वस्तु को तरल (पानी) में डुबोया जाता है तो तरल द्वारा उस वस्तु पर एक बल (उत्प्लावन बल) लगता है यह बल वस्तु द्वारा हटाये गए तरल के भार के बराबर होता है अर्थात उत्प्लावन बल के बराबर होता है |
✲ यदि वस्तु का भार उसके द्वारा हटाये गए तरल के भार से अधिक होगी तो बस्तु डूब जाएगी और यदि वस्तु का भार उसके द्वारा हटाये गए तरल के भार से कम हो अथवा बराबर हो तो वह वस्तु तैरेगी | ✲
उदाहरण: मान लीजिए की हमने एक लोहे की कील को पानी में डुबोया, अब लोहे की कील जितना जगह (आयतन) घेरती है वह उतनी ही जगह के पानी को हटाएगी | लेकिन उतनी जगह की पानी का घनत्व और उतनी ही जगह के लोहे का घनत्व में काफी अंतर होगा | जैसा कि हमने लोहे और प्लास्टिक के उदाहरण में देखा था | तो हम पाते है कि उतनी ही जगह में लोहे का भार उतनी ही जगह में पानी का भार से अधिक है, तो आर्किमिडीज के सिद्धांत के अनुसार वह कील डूब जाएगी |
लोहे कि कील डूब जाती है : लोहे की कील का घनत्व पानी के घनत्व से अधिक है। इसका अर्थ है कि लोहे की कील पर पानी का उत्प्लावन बल लोहे की कील के भार से कम है। इसीलिए यह डूब जाती है।
कॉर्क का तैरना : कॉर्क का घनत्व पानी के घनत्व से कम है। इसका अर्थ है कि कॉर्क पर पानी का
उत्प्लावन बल, कॉर्क के भार से अधिक है। इसीलिए यह तैरता है
निष्कर्ष : द्रव के घनत्व से कम घनत्व की वस्तुएँ द्रव पर तैरती हैं। द्रव के घनत्व से अधिक घनत्व की वस्तुएँ द्रव में डूब जाती हैं।
इस प्रकार के बहुत से प्रश्न हैं - जैसे लोहे कील डूब क्यों जाती है और लोहे का जहाज डूबता नहीं हैं ?
सुखी लकड़ी पानी की सतह पर तैरती क्यों है ?
कोई वस्तु पानी कि सतह पर तैरती क्यों है ?
कोई वस्तु पानी कि सतह पर डूब क्यों जाती है ?
गुरुत्व बल एवं उत्प्लावन बल में अंतर :
गुरुत्व बल | उत्प्लावन बल |
1. यह नीचे की ओर कार्य करता है | 2. गुरुत्व बल पृथ्वी द्वारा लगाया गया बल है | 3. यह किसी वस्तु के भार के बराबर होता है | |
1. यह ऊपर की ओर कार्य करता है | 2. यह तरल पदार्थों द्वारा लगाया गया बल है | 3. यह यह वस्तु द्वारा हटाये गए तरल के भार के बराबर होता है | |
आपेक्षिक घनत्व (Relative Density): किसी पदार्थ का आपेक्षिक घनत्व उस पदार्थ का घनत्व व पानी के घनत्व का अनुपात है।
आपेक्षिक घनत्व का कोई मात्रक नहीं होता है, क्योंकि यह समान राशियों का अनुपात होता है | दोनों राशियाँ घनत्व ही होती हैं |
उदाहरण (NCERT BOOK) : चाँदी का आपेक्षिक घनत्व 10.8 है | पानी का घनत्व 103 kg m-3 है टो SI मात्रक में चाँदी का घनत्व क्या होगा ?
हल: चाँदी का आपेक्षिक घनत्व = 10.8
चाँदी का घनत्व = चाँदी का आपेक्षिक घनत्व × पानी का घनत्व
= 10.8 × 1000 kg m-3
= 10.8 × 103 kg m-3
Assignment
Assignment:
Q1.
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Science Chapter List
1. हमारे आस-पास के पदार्थ
2. क्या हमारे आस-पास के पदार्थ शुद्ध है
3. परमाणु एवं अणु
4. परमाणु की संरचना
5. जीवन की मौलिक इकाई
6. ऊत्तक
7. जीवों में विविधता
8. गति
9. बल और गति का नियम
10. गुरुत्वाकर्षण
11. कार्य और उर्जा
12. ध्वनि
13. हम बीमार क्यों होते है
14. प्राकृतिक संसाधन
15. खाद्ध्य संसाधनों में सुधार
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