2. उपभोक्ता संतुलन Micro Economics class 12 exercise page 3
2. उपभोक्ता संतुलन Micro Economics class 12 exercise page 3 ncert book solution in hindi-medium
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उपयोगिता
उपभोक्ता संतुलन - उपयोगिता विश्लेषण
उपयोगिता: किसी वस्तु में मानवीय आवश्यकताओं को संतुष्ट करने की क्षमता को उपयोगिता कहते है |
अर्थात जब कोई वस्तु किसी मनुष्य की आवश्यकता को पूरा करता है तो वह उसकी उपयोगिता कहलाता है |
उपयोगिता की मात्रात्मक माप कठिन है परंतु इसे संतुष्टि या आनंद की इकाइयों में मापा जाता है जिसे युटिल (util) कहते है |
उपभोक्ता संतुलन के आधार पर उपयोगिता की दो अवधारणायें हैं -
(1) सीमांत उपयोगिता (Marginal Utility): किसी वस्तु की एक अतिरिक्त इकाई के उपभोग से, कुल उपयोगिता में होने वाली वृद्धि को सीमांत उपयोगिता कहते है |
दुसरे शब्दों में, किसी वस्तु की एक अतिरिक्त इकाई का उपभोग करने से प्राप्त होने वाली अतिरिक्त संतुष्टि को सीमांत उपयोगिता कहते है |
सीमांत उपयोगिता (MU) = TUn - TUn-1
उदाहरण1: 5 वस्तुओं की कुल उपयोगिता 27 है यदि 1 अतिरिक्त वस्तु (6 वीं ) वस्तु की कुल उपयोगिता 30 है तो सीमांत उपयोगिता ज्ञात कीजिये |
हल: ΔX = 6 - 5 = 1
ΔTUx = 30 - 27 = 3
= 3/1
= 3
(2) कुल उपयोगिता (Total Utility): कुल उपयोगिता किसी वस्तु की सभी इकाइयों के उपयोग करने से प्राप्त होने वाली उपयोगिता का कुल जोड़ है |
कुल उपयोगिता (TU) = Σ MU
कुल उपयोगिता तथा सीमांत उपयोगिता के बीच संबंध -
(i) जैसे ही किसी वस्र्तु की अधिक से अधिक इकाइयों का उपभोग किया जाता है, वैसे-वैसे प्रत्येक अतिरिक्त इकाई से प्राप्त होने वाली सीमांत उपयोगिता घटती जाती है |
(ii) आरंभ में सीमांत उपयोगिता गिरती है इसलिए कुल उपयोगिता घटती दर पर बढती है |
(iii) जब तक सीमांत उपयोगिता धनात्मक है, कुल उपयोगिता बढती जाती है |
(iv) जब सीमांत उपयोगिता शून्य होती है, कुल उपयोगिता अधिकतम होती है |
(v) जैसे ही सीमांत उपयोगिता ऋणात्मक होती है, कुल उपयोगिता गिरना शुरू हो जाती है |
ह्रासमान सीमांत उपयोगिता का नियम - ह्रासमान सीमांत उपयोगिता के नियम के अनुसार जैसे - जैसे किसी वस्तु की अधिक से अधिक इकाइयों का उपभोग किया जाता है, वैसे वैसे प्रत्येक अतिरिक्त इकाई से प्राप्त होने वाली सीमांत उपयोगिता घटती जाती है | अतः उस वस्तु को प्राप्त करने की इच्छा में कमी आती जाती है |
वस्तु की इकाइयाँ | कुल उपयोगिता (TU) |
सीमांत उपयोगिता (MU) |
0 | 0 | - |
1 | 8 | 8 |
2 | 14 | 6 |
3 | 18 | 4 |
4 | 20 | 2 |
5 | 20 | 0 |
6 | 18 | -2 |
ह्रासमान सीमांत उपयोगिता के नियम की मान्यताएँ -
(i) वस्तु की केवल मानक इकाइयों का प्रयोग किया जाता है | जैसे - एक कप चाय ना की एक चम्मच चाय |
(ii) वस्तु का उपभोग निरंतर है | ऐसा नहीं की वस्तु की एक इकाई का उपभोग अब कर लिया एक का कल |
उपभोक्ता संतुलन - उपभोक्ता संतुलन वह स्थति है जिसमे एक उपभोक्ता अपनी सीमित आय को विभिन्न वस्तुओ पर व्यय कर अभिकतम संतुष्टि प्राप्त करता है
|
उपभोक्ता संतुलन की स्थतियाँ -
(i) एक वस्तु की स्थति में उपभोक्ता संतुलन |
(ii) दो वस्तु की स्थति में उपभोक्ता संतुलन |
उपभोक्ता संतुलन
उपभोक्ता संतुलन - तटस्थता विश्लेषण
तटस्थता वक्र - तटस्थता वक्र दो वस्तुओं के ऐसे संयोगो का रेखाचित्रीय प्रस्तुतिकरण है जो संतुष्टि का समान स्तर प्रकट करते है |
तटस्थता समूह - यह उन दो वस्तुओं के संयोगो का समूह है जो संतुष्टि का सामान स्तर प्रदान करते है |
प्रस्तिथापन की सीमांत दर - वह दर जिस पर उपभोक्ता, वस्तु-X की अतिरिक्त इकाई प्राप्त करने के लिए लिए वस्तु-Y की मात्रा त्यागने के लिए तैयार है, सीमांत प्रतिस्थापन की दर कहलाती है | दुसरे शब्दों में, यह वस्तु Y की उस मात्रा को प्रकट करता है जो उपभोक्ता वस्तु X की एक अतिरिक्त इकाई के लिए त्यागने के लिए इच्छुक है |
तटस्थता वक्र की विशेषताएँ -
(i) तटस्थता वक्र का ढलान दाएँ से बाएँ नीचे की ओर होता है - जैसे-जैसे तटस्थता वक्र पर नीचे की ओर आते है तटस्थता वक्र का ढलान घटता जाता है | ऐसा सीमांत प्रतिस्थापन की दर (MRS) के घटने के कारण होता है | जैसे-जैसे उपभोक्ता वस्तु X की एक अतिरिक्त इकाई में वृद्धि करता जाता है, वैसे-वैसे उपभोक्ता वस्तु X की प्रत्येक अगली इकाई के लिए वस्तु Y की कम से कम इकाइयों का त्याग करने के लिए इच्छुक होता है | इसी कारण MRS घटता जाता है तथा तटस्थता वक्र का ढलान भी घटता जाता है |
(ii) तटस्थता वक्र का ढलान मूल बिंदु की ओर उन्नतोदर होता है - तटस्थता वक्र का ढलान मूल बिंदु की ओर उन्नतोदर सीमांत प्रतिस्थापन की दर (MRS) के घटने के कारण होता है | यह ह्रासमान सीमांत उपयोगिता के नियम पर आधारित है, क्योंकि जैसे-जैसे वस्तु X के उपभोग में वृद्धि की जाती है वस्तु X को प्राप्त करने की इच्छा कम होती जाती है तथा वस्तु Y को प्राप्त करने की इच्छा बढती जाती है | इसीलिए उपभोक्ता वस्तु X की प्रत्येक अगली इकाई के लिए वस्तु Y की कम से कम इकाइयों का त्याग करने के लिए इच्छुक होता है |
(iii) ऊँचा तटस्थता वक्र संतुष्टि का ऊँचा स्तर प्रदान करता है - IC1 की तुलना में IC2 ऊँचा है | IC2 पर IC1 की तुलना में अधिक इकाइयों का उपभोग हो रहा है | अतः एक उपभोक्ता द्वारा अधिक इकाइयों का उपभोग करने से प्राप्त होने वाली संतुष्टि भी अधिक होगी | इसीलिए ऊँचा तटस्थता वक्र संतुष्टि का ऊँचा स्तर प्रदान करता है |
(iv) तटस्थता वक्र एक दुसरे को काटते नहीं है - क्योंकि तटस्थता वक्र पर उपस्थित सभी बिंदु संतुष्टि का सामान स्तर प्रदान करते है तथा ऊँचा तटस्थता वक्र संतुष्टि का ऊँचा स्तर प्रदान करता है | इसीलिए तटस्थता वक्र एक दुसरे को काटते नही है |
(v) तटस्थता वक्र अक्षो को नहीं छूते है - तटस्थता वक्र कि यह मान्यता है की उपभोग दो वस्तुओं का हो रहा है | यदि तटस्थता वक्र X अक्ष या Y को छूता है तो इसका अर्थ है उपभोग केवल एक वस्तु का हो रहा है | जोकि तटस्थता वक्र की मान्यता की अवेहलना है |
बजट समूह / बजट सेट - यह दो वस्तुओं के एक समूह के प्राप्य संयोगो को व्यक्त करता है जब वस्तुओं की कीमते तथा उपभोक्ता की आय दी हुई है |
बजट रेखा - यह वह रेखा है जो दो वस्तुओं के विभिन्न संभव संयोगो को प्रकट करती है जिसे उपभोक्ता अपनी दी हुई आय तथा दोनों वस्तुओं की दी हुई कीमतों पर खरीद सकता है |
बजट सेट के कारक -
(i) उपभोक्ता की मौद्रिक आय
(ii) दो वस्तुओं की कीमतें
बजट सेट में परिवर्तन -
बजट सेट में परिवर्तन दो प्रकार से होता है |
1. बजट रेखा में खिसकाव - बजट रेखा में खिसकाव उपभोक्ता की आय परिवर्तन के कारण होता है | यह दो प्रकार से होता है -
(i) उपभोक्ता की आय में वृद्धि - जब उपभोक्ता की आय में वृद्धि होती है तो उपभोक्ता का बजट सेट परिवर्तित हो जाता है तथा बजट रेखा दाई ओर खिसक जाती | क्योंकि उपभोक्ता अब वस्तुओं की दी हुई कीमत पर अधिक संयोगो को प्राप्त कर सकता है |
(ii) उपभोक्ता की आय में कमी - जब उपभोक्ता की आय में कमी होती है तो उपभोक्ता का बजट सेट परिवर्तित हो जाता है तथा बजट रेखा बाई ओर खिसक जाती है | क्योंकि उपभोक्ता अब वस्तुओं की दी हुई कीमत पर कम संयोगो को प्राप्त करेगा |
2. बजट रेखा में घुमाव - बजट रेखा में घुमाव वस्तुओं की कीमतों में परिवर्तन के कारण होता है | यह दो प्रकार से होता है -
(i) वस्तु की कीमत में वृद्धि - जब वस्तु x या वस्तु y की कीमत में वृद्धि होती है तो उपभोक्ता का बजट सेट परिवर्तित हो जाता है तथा बजट रेखा बाई और घूम जाती है | क्योंकि उपभोक्ता अब अपनी दी हुई आय में वस्तु x या वस्तु y की कम मात्रा का प्राप्त करेगा |
(ii) वस्तु की कीमत में कमी - जब वस्तु x या वस्तु y की कीमत में कमी होती है तो उपभोक्ता का बजट सेट परिवर्तित हो जाता है तथा बजट रेखा दाई और घूम जाती है | क्योंकि उपभोक्ता अब अपनी दी हुई आय में वस्तु x या वस्तु y की अधिक मात्रा का प्राप्त करेगा |
उपभोक्ता संतुलन
तटस्थता विश्लेषण की सहायता से उपभोक्ता संतुलन की शर्ते -
(i) MRSXY = PX/PY ( तटस्थता वक्र बजट रेखा को स्पर्श करनी चाहिए ) - उपभोक्ता वहाँ संतुलित जब MRSXY = PX/PY | क्योंकि बजट रेखा दो वस्तुओं के विभिन्न संभव संयोगो को प्रकट करती है जिसे उपभोक्ता अपनी दी हुई आय तथा दोनों वस्तुओं की दी हुई कीमतों पर खरीद सकता है | एक उपभोक्ता इस बजट रेखा से बाहर नहीं जा सकता |
(ii) तटस्थता वक्र का ढलान मूल बिंदु की ओर उन्नतोदर होनी चाहिए - तटस्थता वक्र का ढलान मूल बिंदु की ओर उन्नतोदर सीमांत प्रतिस्थापन की दर (MRS) के घटने के कारण होता है | यह ह्रासमान सीमांत उपयोगिता के नियम पर आधारित है, क्योंकि जैसे-जैसे वस्तु X के उपभोग में वृद्धि की जाती है वस्तु X को प्राप्त करने की इच्छा कम होती जाती है तथा वस्तु Y को प्राप्त करने की इच्छा बढती जाती है | इसीलिए उपभोक्ता वस्तु X की प्रत्येक अगली इकाई के लिए वस्तु Y की कम से कम इकाइयों का त्याग करने के लिए इच्छुक होता है |
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