मुद्रा एवं बैंकिंग | page 1 Macro Economics class 12
मुद्रा एवं बैंकिंग | page 1 Macro Economics class 12
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मुद्रा और बैंकिंग
मुद्रा - मुद्रा एक उपकरण है जिसका प्रयोग विनिमय के माध्यम के रूप में किया जाता है |
वस्तु विनिमय प्रणाली - वस्तु विनिमय प्रणाली वह प्रणाली है जिसमें वस्तु का विनिमय वस्तु से किया जाता है | इस प्रणाली में वस्तुओं का ही लेन - देन होता है | जैसे - गेहूँ के बदले चावल, कपडे के बदले दाल आदि का विनिमय |
वस्तु विनिमय प्रणाली की कठिनाइयाँ या अवगुण -
1. आवश्यकताओं का दोहरा संयोग - आवश्यकताओं का दोहरा संयोग वह स्थति है जब दो लोगो को ऐसी दो वस्तुओं की जरूरत है जिनका वे आपस में विनिमय कर या लेन - देन कर अपनी आवश्यकताओं की सतुष्टी करना चाहते हो | लेकिन यह बहुत कठिन है क्योंकि ऐसे व्यक्ति को खोजना जिसके पास आपकी जरुरत की वस्तु हो और आपको जिस वस्तु की जरुरत है वह उसके पास हो |
2. मूल्य की एक समान इकाई का आभाव - वस्तु विनिमय प्रणाली में किसी वस्तु का उचित मूल्य तथा एक समान इकाई निर्धारित करना संभव नहीं होता है | जिसके कारण विनिमय करना कठिन हो जाता है |
3. भविष्य में किए जाने वाले ठेकों के भुगतानों में कठिनाई - वस्तु विनिमय प्रणाली भविष्य में किए जाने वाले ठेकों के भुगतानों में काफी कठिनाई आती है | जैसे आप एक अपने कर्मचारी को 10,000 प्रति महिना देने का समझौता करते है तो क्या आप उसे गेहूँ, टेबल, या चावल देंगे | मुद्रा ने इसे काफी सरल बना दिया है |
4. बचत या बचत हस्तांतरण में कठिनाई - आज के युग में बचत का काफी महत्व | हम बचत सुरक्षित भविष्य तथा निवेश के लिए करते है परन्तु वस्तु विनिमय प्रणाली में बचत करना तथा बचत को एक जगह से दूसरी जगह हस्तांतरित करना अत्यंत कठिन कार्य है | वस्तु विनिमय प्रणाली में हम बचत वस्तु के रूप में करते है जिसमे पूँजीगत हानि होने का भय बना रहता है जैसे वस्तु का ख़राब हो जाना आदि |
मुद्रा के प्रकार -
(i) आदेश मुद्रा - आदेश मुद्रा वह मुद्रा होती है जो सरकार के आदेश द्वारा जारी की जाती है | यह उस देश के लोगो द्वारा क़ानूनी तौर पर विनिमय के माध्यम के रूप में स्वीकार की जाती है |
(ii) न्यास मुद्रा - न्यास मुद्रा वह मुद्रा होती है जो प्राप्तकर्ता और अदाकर्ता के बीच विश्वास पर आधारित होती है तथा विनिमय के माध्यम के रूप में स्वीकार की जाती है |
(iii) पूर्णकाय मुद्रा - पूर्णकाय मुद्रा वह मुद्रा होती है जिसका वस्तु मूल्य मौद्रिक मूल्य के बराबर होता है | जिसमे सिक्के शामिल है |
(iv) साख मुद्रा - साख मुद्रा वह मुद्रा होती है जिसका मौद्रिक मूल्य वस्तु मूल्य से अधिक होता है | इसमे नोट शामिल है |
मुद्रा के कार्य -
मुख्यतः मुद्रा के दो कार्य है जैसे:
1. मुद्रा के प्राथमिक कार्य -
(i) विनिमय का माध्यम - मुद्रा एक ऐसा उपकरण है जिसका प्रयोग विनिमय के माध्यम के रूप में किया जाता है | वस्तुओं तथा सेवाओं के क्रय विक्रय में मुद्रा एक माध्यम का कार्य करती है | मुद्रा के बीना वस्तु का विनिमय वस्तु में किया जाता था, जिससे विनिमय काफी कठिन हो था | लेकिन मुद्रा ने क्रय तथा विक्रय गतिविधियों को अलग कर दिया है |
(ii) मूल्य की इकाई - मुद्रा किसी भी वस्तु तथा सेवा का उचित मूल्य निर्धारित करने में सहायता करती है | प्रत्येक वस्तु तथा सेवा का मूल्य मुद्रा के रूप में मापा जा सकता है | जबकि वस्तु विनिमय प्रणाली में वस्तु का विनिमय वस्तु से किया जाता | मुद्रा की तरह मूल्य की कोई साझी (Common) इकाई नहीं थी |
2. मुद्रा के गौण या सहायक कार्य -
(i) स्थगित भुगतानों का मान - स्थगित भुगतान वह होते है जिनका भुगतान अभी न करके भविष्य में किसी समय किया जाता है | मुद्रा के कारण भविष्य में किये जाने वाले भुगतानों का भुगतान करना सरल हो गया है | ऐसे भुगतानों का भुगतान वस्तुओं त्राता सेवाओं के रूप में करना कठिन होता है | मुद्रा के इस कार्य के कार्य के कारण 'वितीय बाजार' की उत्पति हुई है तथा निवेश में कई गुना वृद्धि हुई है |
(ii) मूल्य का संचय - मूल्य का संचय का अर्थ है धन का संचय | आज के युग में बचत का काफी महत्व, हम बचत सुरक्षित भविष्य तथा निवेश के लिए करते है | मुद्रा के कारण धन का संचय करना काफी आसन हो गया | अब धन को आसानी से कागजी मुद्रा के रूप में संचित करके रखा जा सकता है | जबकि वस्तु विनिमय प्रणाली में धन का संचय वस्तु के रूप में किया जाता था, जिसमे टूट-फुट तथा पूंजीगत हानि का भय रहता था |
(iii) मूल्य का हस्तांतरण - मुद्रा ने धन के हस्तांतरण को काफी सरल कर दिया है | जबकि वस्तु विनिमय प्रणाली में धन को वस्तु के रूप में एक जगह से दूसरी जगह हस्तांतरित करना काफी कठिन कार्य था | मुद्रा के इस कार्य के कारण अंतररास्ट्रीय बाजार की उत्पति हुई है तथा FDI सरल हो गया है |
मुद्रा की पूर्ति - मुद्रा की पूर्ति से अभिप्राय एक निश्चित समय पर देश में लोगो के पास कुल मुद्रा के स्टॉक से है |
मुद्रा के उत्पादक -
(i) देश की सरकार |
(ii) देश की बैंकिंग व्यवस्था | जैसे - केद्रीय बेंक तथा वाणिज्यिक बैंक |
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मुद्रा तथा बैंकिंग
वाणिज्यिक बैंक - वाणिज्यिक बैंक वह वितीय संस्था है जो उधार देने तथा जनता से मांग जमा स्वीकार करने का कार्य करती है |
वाणिज्यिक बैंको के कार्य -
(i) जमा स्वीकार करना |
(ii) ऋण देना |
वाणिज्यिक बैंको द्वारा साख निर्माण / मुद्रा निर्माण -
साख निर्माण से अभिप्राय उस प्रक्रिया से है जिसके अंतर्गत एक वाणिज्यिक बैंक कई गुना ऋण प्रदान करके अर्थव्यवस्था में मुद्रा की पूर्ति में वृद्धि करता है | वाणिज्यिक बैंको द्वारा साख निर्माण मुख्यतः दो कारको पर निर्भर करता है -
(i) प्राथमिक जमाएँ |
(ii) वैधानिक कोष अनुपात (LRR) |
साख गुणक = 1/LRR
मुद्रा निर्माण की प्रक्रिया -
माना अर्थव्यवस्था में कुल प्राथमिक जमाएँ 10,000 है तथा वैधानिक कोष अनुपात (LRR) 10% है | प्राथमिक जमाएँ लोगो की मांग जमाएँ है इसलिए ये जमाएँ बैंको के लिए दायित्व होती है | सभी जमाकर्ता अपनी जमाओं को एक ही समय पर नहीं निकलवाते इसलिए बैंक अपनी जमाओं का कुछ भाग ही अपने पास आरक्षित रखते है और शेष लोगो को उधार दे देते है तथा उधार दी गई राशि पुनः बैंको में जमा कर दी जाती है |
बैंक द्वारा प्राथमिक जमा 10,000 में से रिजर्व के रूप (10,000 × 10%) 1000 रु. रखकर 9000 रु. उधार दे देंगे | ये 9000 रु. अर्थव्यवस्था में होने के पश्चात् भी बैंक में वापिस जमा होंगे | वाणिज्यिक बैंको की कुल जमाएँ 9000 रु. का 10% 900 रु. रिजर्व रखकर 8100 रु. उधार दे देंगे | ये 8100 रु. अर्थव्यवस्था में होने के पश्चात् भी बैंक में वापिस जमा होंगे | यह प्रक्रिया निरंतर जारी रहेगी |
कुल मुद्रा निर्माण = प्राथमिक जमाएँ × साख गुणांक
= 10,000 × 1/10% (LRR=10%)
= 1,00,000 रु. |
नकद आरक्षित अनुपात (Cash Reserve Ratio) - नकद आरक्षित अनुपात से अभिप्राय वाणिज्यिक बैंको की कुल मांग जमाओं से है जिसे वे नकद कोषो के रूप में भारतीय रिजर्व बैंक के पास अवश्य रखते है |
तिजोरी नकद अनुपात (Vault Cash Ratio) - तिजोरी नकद अनुपात से अभिप्राय है वाणिज्यिक बैंक अपनी कुल जमाओं का जो प्रतिशत अपनी इच्छा से अपनी तिजोरी में रखते है |
वैधानिक तरलता अनुपात (Statutory Liquidity Ratio) - वैधानिक तरलता अनुपात से अभिप्राय तरल परिसंपतियो से है जिसे वाणिज्यिक बैंक अपनी कुल जमाओं के प्रतिशत के रूप में अपने पास अवश्य रखते है |
केंद्रीय बैंक - केंद्रीय बैंक एक देश की बैंकिंग प्रणाली में सर्वोच्च बैंक है | जो देश में सम्पूर्ण बैंकिंग प्रणाली का संचालन, नियंत्रण, निर्देशन एंव नियमन करती है |
केंद्रीय बैंक के कार्य -
1. नोट जारी करने का बैंक / जारीकर्ता बैंक |
2. सरकार का बैंक |
3. बैंक का बैंक तथा पर्यवेक्षक |
4. अंतिम ऋणदाता |
5. विदेशी विनिमय का संरक्षक |
6. समाशोधन गृह का कार्य |
7. साख का नियंत्रण |
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Macro Economics Chapter List
समष्टि अर्थशास्त्र की कुछ मूलभूत अवधारणाएँ
आय का चक्रीय प्रवाह
राष्ट्रिय आय की गणना और इसके घटक
मुद्रा एवं बैंकिंग
आय-निर्धारण
सरकार : कार्य क्षेत्र और विषय-क्षेत्र
सरकार : राजकोषीय नीति
अभावी माँग और अधि माँग की समस्याएँ
विदेशी विनिमय दर
खुली अर्थव्यवस्था में आय का निर्धारण
भुगतान शेष
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